भोपाल,२२ फरवरी (एजेंसी)। वर्ष २००८ के विधानसभा चुनाव के समय जब उमा भारती ने भारतीय जनशक्ति पार्टी की स्थापना कर मध्यप्रदेश विधानसभा का चुनाव लड़ा था उस समय उन्होंने अनेकों बार मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार पर भ्रष्टाचार हावी होने के आरोप लगाए थे, यही नहीं उन्होंने तो यहां तक कहा था कि शिवराज सरकार में भ्रष्टाचार इस चरम पर है कि जिसके चलते भाजपा के वह नेता जिनके पास टूटी साइकल नहीं थी वह शिवराज सरकार में चरम पर व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण आज आलीशान भवनों और लग्जरी वाहनों में फर्राटे भरते नजर आ रहे हैं, उमा भारती के वह आरोप आज भी शिवराज सरकार पर अक्षरश: साबित होते नजर आ रहे हैं
जिसकी वजह से अफसरशाही व भ्रष्टाचार इस तरह से प्रदेश में हावी है कि इसको लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की बैठकों में कई बार प्रदेश के सत्ता के मुखिया को अनेकों बार चेताया जा चुका है लेकिन फिर भी भ्रष्टाचार और अफसरशाही इस प्रदेश से खत्म होने का नाम नहीं ले रही है, इसका अंदाजा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान २०१८ के विधानसभा चुनाव के पूर्व उन्होंने इस प्रदेश के आईएएस अधिकारियों को सूखा पर्यटन के नाम पर प्रदेश की जमीनी स्तर का जायजा लेने के लिये उन्हें मध्यप्रदेश में घुमाया था
इन आईएएस अधिकारियों ने प्रदेश के जमीनी स्तर का जायजा लेकर मुख्यमंत्री को जो रिपोर्ट सौंपी थी उसमें इस बात का उल्लेख किया गया था कि प्रदेश सरकार की सरकारी योजनाओं की जानकारी हितग्राहियों को नहीं दी जा रही है, इसके साथ ही इन आईएएस अधिकारियों ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख किया था कि प्रदेश में भ्रष्टाचार चरम पर व्याप्त है और बिना लेन-देन के किसी का कोई काम नहीं होता, इसके बाद से पुन: जब ज्योतिरादित्य सिंधिया के उधार के सिंदूर से सुहागन बनकर भाजपा की सरकार प्रदेश में बनने के बाद भी एक बार नहीं अनेकों बार यह मामले सामने आये कि प्रदेश में अफसरशाही व भ्रष्टाचार के मामले चरम पर हैं, जिसकी वजह से लोगों के बिना लेन-देन के काम नहीं हो पा रहे हैं।
लेकिन फिर भी मुख्यमंत्री भ्रष्ट लोगों को यह चेतावनी देते रहे कि भ्रष्टाचारियों के लिये इस प्रदेश में जगह नहीं है वह मध्यप्रदेश छोड़ दें। मुख्यमंत्री की इस तरह की चेतावनी के बाद भी जब मुख्यमंत्री स्वयं भजकलदारम की कार्यशैली में माहिर अपने ही सीएम निवास पर पदस्थ एक अधिकारी की कार्यशैली से तब रूबरू हुए तब भी उन्होंने उस भ्रष्ट अधिकारी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की, ऐसे एक नहीं अनेकों उदाहरण इस प्रदेश में देखने को मिल जाएंगे जिससे यह प्रमाणित हो जाएगा कि मध्यप्रदेश में अफसरशाही और भ्रष्टाचार चरम पर है।
यही नहीं इन दिनों मुख्यमंत्री द्वारा प्रदेश की जनता से रूबरू होने के लिये प्रदेश की जनता की नब्ज टटोलने के लिये अपने मंत्रिमण्डल के मंत्रियों और भाजपा नेताओं को विकास यात्रा के नाम पर जमीनी स्तर पर गांव-गांव भेजा, तो उस दौरान भी एक नहीं अनेकों बार इस बात से रूबरू मंत्री और भाजपा के नेता हुए कि प्रदेश में भ्रष्टाचार तो चरम पर है ही तो वहीं इस विकास यात्रा के दौरान प्रदेश में हुए फर्जी आंकड़ों की रंगोली सजाकर सरकार को चूना लगाने वाले अफसरों और कर्मचारियों ही नहीं बल्कि ग्राम पंचायत तक भाजपा के चर्चित नारा सबका विकास सबके साथ के नाम पर जो विकास हुआ उसकी भी पोल खुली लेकिन फिर भी यह सरकार इस पर कोई कठोर निर्णय लेने के पक्ष में नहीं है।
हालांकि संघ ने अपनी बैठकों के बाद प्रदेश में बढ़ते भ्रष्टाचार व अफसरशाही के कारण प्रदेश सरकार की छवि प्रभावित होने के साथ-साथ कार्यकर्ताओं में निराशा जैसी प्रमुख समस्याओं से संघ ने भाजपा के सत्ता संगठन के शीर्ष नेताओं को अवगत कराया लेकिन उसके बाद भी संघ मध्यप्रदेश में भाजपा की सत्ता और संगठन के कामकाज को लेकर चिंतित है, भ्रष्टाचार का यह आलम है कि प्रदेश के जब एक पूर्व अध्यक्ष से संघ के एक निष्ठावान स्वयंसेवक ने अपने एक काम के लिये बात कही तो पूर्व अध्यक्ष ने उनको एक मंत्री के पास भेजा सुनकर यह स्वयंसेवक मंत्री महोदय के पास पहुंचे तो स्वयंसेवक भैया की आवगभगत तो खूब की और उनकी समस्या को खूब सुना लेकिन जब अपने काम के लिये ओएसडी के पास वह गये तो उन ओएसडी ने साफ कहा कि हमारे यहां की परंपरा है कि बिना लेनदेन के कोई भी काम नहीं होगा, यदि देने के लिये आपके पास राशि है तो दीजिये नहीं तो… लेकिन इसके बाद भी उस मंत्री के ओएसडी के खिलाफ कुछ भी नहीं हुआ आज वह भी उन्हीं मंत्री के यहां जमे हुए हैं?
अभी हाल ही में उच्च शिक्षा मंत्री के यहां अनुकंपा नियुक्ति के लिए रुपये की खुल्लम खुल्ला मांग की गई, यह स्थिति प्रदेश के अधिकांश मंत्रियों के ओएसडी के यहां की है लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हो पाती यह स्थिति मंत्रियों के ओएसडी की नहीं है बल्कि शिवराज मंत्रिमण्डल के एक मंत्री क यहां तो उनके यहां तो कमलनाथ सरकार के लोक निर्माण मंत्री की तर्ज पर उनके नाते, रिश्तेदार व दामाद जो खेल खेल रहे हैं
हर काम की रेट लिस्ट तैयार कर बैठे हुए हैं और उसी के अनुसार उक्त मंत्री बंगले से काम होता है, जहां तक बात मंत्री की करें, तो यह चुनावी वर्ष है जो इस प्रकार के अनेक मंत्रियों पर आरोप लगेंगे? वहीं कमलनाथ पर आम आदमी पार्टी के एक नेता ने करोड़ों के हेरफे र का आरोप लगा, इन आरोपों की कुछ तो सत्यता होगी लेकिन मुख्यमंत्री इसकी जांच उचित नहीं समझते.
यही वजह है कि प्रदेश में अफसरशाही हावी है तथा भ्रष्टाचार भी चरम पर है जिसके चलते पात्र हितग्राहियों को प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी योजनाओं का लाभ बिन भजकलदारम की प्रथा का पालन किये बिना नहीं मिलती तो वहीं विभागों में छोटे-छोटे बिल भी बिना भजकलदारम की परम्परा को निभाये उनका भुगतान नहीं होता? इस स्थिति को लेकर संघ चिंतित है लेकिन मप्र के सत्ता और संगठन के मुखिया इस मामले से बेखबर क्यों हैं, इस मुद्दे को लेकर लोग तरह-तरह की चर्चायें चटकारे लेकर करते नजर आ रहे हैं?
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