केरल विधानसभा में अपमानजनक टिप्पणी पर संघ हुआ नाराज

कानूनी कार्रवाई की दी चेतावनी, जानें पूरा मामला

केरल 11 Oct, (Final Justice Digital News Desk/एजेंसी)  –  केरल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने सत्तारूढ़ और विपक्षी सदस्यों द्वारा राज्य विधानसभा के अंदर संगठन के खिलाफ की गई कथित अपमानजनक टिप्पणियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी है। संघ ने कहा कि यह निंदनीय है कि जिम्मेदार पदों पर बैठे लोग सदन के अंदर और बाहर निराधार आरोप लगा रहे हैं कि इस साल त्रिशूर पूरम में व्यवधान के पीछे आरएसएस का हाथ है।

राज्यपाल और स्पीकर से मिलेंगे संघ के नेता

एक बयान में आरएसएस के वरिष्ठ नेता एन ईश्वरन, प्रांत कार्यवाहक ने पूछा कि वे किस आधार पर ऐसी गलत बातों को उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि संघ के नेता जल्द ही इस मामले को लेकर राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और स्पीकर ए एन शमसीर से मिलेंगे।

राजनीतिक लाभ के लिए संघ के नाम का गलत इस्तेमाल

आरएसएस नेता ने आरोप लगाया कि मंत्री, विधायक और विपक्षी नेता सहित जिम्मेदार पदों पर बैठे लोग अपने राजनीतिक लाभ के लिए संघ के नाम का अनावश्यक रूप से इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती। आरएसएस के पास ऐसे विवादों में हस्तक्षेप करने के लिए न तो समय है और न ही रुचि है।

जानबूझकर तनाव और विवाद पैदा किया गया

ईश्वरन ने आरोप लगाया कि आरएसएस का नाम राजनीतिक विवादों में घसीटने का प्रयास दुर्भावनापूर्ण है। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे प्रयासों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि ये आरोप केरल के त्रिशूर पूरम और सबरीमाला तीर्थयात्रा जैसे प्रतिष्ठित उत्सवों में जानबूझकर तनाव और विवाद पैदा करने के निरंतर प्रयासों का हिस्सा हैं।

केरल विधानसभा में बहस

त्रिशूर पूरम उत्सव में व्यवधान ने बुधवार को केरल विधानसभा में गरमागरम बहस को जन्म दिया। विपक्षी यूडीएफ ने आरोप लगाया कि यह मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन की जानकारी में हुआ, जबकि सत्तारूढ़ एलडीएफ ने न्यायिक जांच की मांग को खारिज कर दिया और कहा कि एक व्यापक जांच चल रही है।

वार्षिक आयोजन को किया फीका

कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूडीएफ विपक्ष कुछ समय से आरोप लगा रही है कि आरएसएस नेताओं के साथ उनकी गुप्त समझ के अनुसार विजयन की सक्रिय जानकारी में उत्सव में व्यवधान डाला गया। ऐसा कहा जाता है कि त्रिशूर पूरम अनुष्ठानों में कथित तौर पर पुलिस का हस्तक्षेप था। उसके बाद हुए विवादों ने इस साल अप्रैल में आयोजित वार्षिक आयोजन की चमक को फीका कर दिया है।

त्योहार के शौकीनों के लिए निराशा का कारण बना

त्योहार के इतिहास में पहली बार आतिशबाजी का प्रदर्शन, जो इस कार्यक्रम का एक प्रमुख आकर्षण था। ये पहले से निर्धारित था। इसे अगले दिन दिन के उजाले में आयोजित किया गया, जो त्योहार के शौकीनों के लिए निराशा का कारण बन गया।

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