बाल यौन शोषण सामग्री हटाएं या कार्रवाई का सामना करें, केंद्र ने एक्स, यूट्यूब और टेलीग्राम को दी चेतावनी

नई दिल्ली  ,07 अक्टूबर (एजेंसी) । इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर), यूट्यूब और टेलीग्राम को नोटिस जारी कर उन्हें अपने प्लेटफॉर्म से भारतीय इंटरनेट पर किसी भी प्रकार की बाल यौन शोषण सामग्री (सीएसएएम) को हटाने या कार्रवाई का सामना करने की चेतावनी दी। इन प्लेटफार्मों को दिए गए नोटिस में उनके प्लेटफार्मों पर किसी भी सीएसएएम तक पहुंच को शीघ्र और स्थायी रूप से हटाने या अक्षम करने के महत्व पर जोर दिया गया है।

भविष्य में सीएसएएम के प्रसार को रोकने के लिए सामग्री मॉडरेशन एल्गोरिदम और रिपोर्टिंग तंत्र जैसे सक्रिय उपायों के कार्यान्वयन का भी आह्वान किया गया है। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी राज्य मंत्री राजीव चन्द्रशेखर ने कहा, हमने एक्स, यूट्यूब और टेलीग्राम को यह सुनिश्चित करने के लिए नोटिस भेजा है कि उनके प्लेटफॉर्म पर कोई बाल यौन शोषण सामग्री मौजूद न हो। सरकार आईटी नियमों के तहत एक सुरक्षित और विश्वसनीय इंटरनेट बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।

मंत्री ने चेतावनी दी, आईटी अधिनियम के तहत नियम सोशल मीडिया मध्यस्थों से सख्त अपेक्षाएं रखते हैं कि उन्हें अपने प्लेटफॉर्म पर आपराधिक या हानिकारक पोस्ट की अनुमति नहीं देनी चाहिए। यदि वे तेजी से कार्रवाई नहीं करते हैं, तो आईटी अधिनियम की धारा 79 के तहत उनका सुरक्षित आश्रय वापस ले लिया जाएगा और भारतीय कानून के तहत परिणाम भुगतने होंगे।

मंत्रालय के नोटिस में कहा गया है कि इन आवश्यकताओं का अनुपालन न करने पर आईटी अधिनियम, 2021 के नियम 3(1) (बी) और नियम 4 (4) का उल्लंघन माना जाएगा। मंत्रालय ने तीन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों को चेतावनी दी कि नोटिस के अनुपालन में कोई भी देरी आईटी अधिनियम की धारा 79 के तहत सुरक्षित आश्रय वापस लेने का कारण बन सकता है, जो वर्तमान में उन्हें कानूनी दायित्व से बचाती है।

चन्द्रशेखर भारतीय इंटरनेट से ऐसी हानिकारक सामग्री को हटाने के मुखर समर्थक रहे हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि यह दृष्टिकोण मंत्रालय की नीति का विजन बन जाए। सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम, 2000, सीएसएएम सहित अश्लील सामग्री को संबोधित करने के लिए कानूनी ढांचा प्रदान करता है। आईटी अधिनियम की धारा 66ई, 67, 67ए और 67बी अश्लील या अश्लील सामग्री के ऑनलाइन प्रसारण के लिए कड़े दंड और जुर्माना लगाती हैं।

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