प्रकाशक देश के भविष्य की दिशा तय करते हैं : प्रकाश नंदा

*पढ़ने वाले राष्ट्र का पोषण: भारत के बौद्धिक भविष्य के निर्माता के रूप में प्रकाशक *

*प्रकाशक पाठकों और लेखकों के बीच एक कड़ी के रूप में करते हैं कार्य*

नई दिल्ली, 13 अगस्त (एजेंसी)।  इंडियन पब्लिशर्स कॉन्फ्रेंस 2023 के दूसरे दिन प्रकाशन उद्योग, सरकार और साहित्यिक समुदाय की प्रमुख हस्तियों की एक सभा देखी गई। फेडरेशन ऑफ इंडियन पब्लिशर्स इस कार्यक्रम के माध्यम से भारतीय प्रकाशन परिदृश्य में विकास और इनोवेशन को बढ़ावा देते हुए 50 वर्ष पूरे करने पर अपने स्वर्ण जयंती वर्ष का जश्न मना रही है।  द कलेरिजेस होटल, नई दिल्ली में आयोजित इस कॉन्फ्रेंस में ” भारत @ 2047: राष्ट्रनिर्माण में प्रकाशन की भूमिका” थीम पर देश के भविष्य की दिशा को आकार देने में प्रकाशन उद्योग के महत्व पर प्रकाश डाला गया।

इस कार्यक्रम में सभी उपस्थित लोगों के लिए चर्चा, बातचीत और नेटवर्किंग के अवसर शामिल थे। मध्यस्थों और वक्ताओं के प्रसिद्ध पैनल ने कॉन्फ्रेस में चार चांद लगा दिए।  प्रशांत नंदा, संसद सदस्य,  ने कहा कि  “इंडियन पब्लिशर्स कॉन्फ्रेंस 2023 में आज की चर्चाएँ हमारे राष्ट्र के पथ पर गहरा प्रभाव डालने वाले प्रकाशन उद्योग की प्रकाशमान भूमिका को प्रदर्शित करती है। जैसा की हम भारत @ 2047: राष्ट्रनिर्माण में प्रकाशन की भूमिका” थीम पर चर्चा करते है तो यह स्पष्ट हो जाता है कि प्रकाशक ही हमारे बौद्धिक भविष्य के निर्माता हैं। साहित्य अकादमी के सचिव डॉ. के. श्रीनिवासराव ने थीम के महत्व पर जोर देते हुए कहा, ” भारत@2047 थीम हमें याद दिलाती हैं कि हमारे उद्योग का योगदान वाणिज्य से परे है। हमें अपने देश के बौद्धिक परिदृश्य को आकार देने का काम सौंपा गया है। नील्सन के  निदेशक विक्रांत माथुर,

बुकडाटा इंडिया और जीसीसी ने प्रकाशन उद्योग के बदलते परिप्रेक्ष्य पर अपने दृष्टिकोण साझा किए और तकनीकी प्रगति को अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “इस डिजिटल युग में प्रकाशकों के पास पढ़ने के अनुभव को बदलने का एक अनूठा अवसर है। यह परंपरा और नवीनता(इनोवेशन) के बीच सही संतुलन खोजने के बारे में है।

नेशनल बुक ट्रस्ट के निदेशक लेफ्टिनेंट कर्नल युवराज मलिक ने दुनिया भर में पढ़ने की संस्कृति को बढ़ावा देने की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए प्रकाशकों की सराहना की। उन्होंने कहा, “आज एक खास दिन है। मैं हर एक व्यक्ति की दो कारणों से सराहना करता हूं। पहला, ज्ञान का खजाना तैयार करने के लिए, अक्सर जानकारी के दस्तावेजीकरण में प्रकाशकों के महत्वपूर्ण योगदान पर लोगों का ध्यान नहीं जाता। दूसरा, प्रकाशक को व्यापारी की नजर से नहीं देखना चाहिए।

विश्व स्तर पर 10 व्यक्तियों के एक समूह की कल्पना करें और इसमें कोई संदेह नहीं है कि सभी 10 पुस्तक पाठक होंगे।कॉन्फ्रेंस दिल्ली हाईकोर्ट के माननीय जस्टिस जसमीत सिंह राजपूत के समापन भाषण के साथ समाप्त हुई। उन्होंने अपने भाषण में कहा, “प्रकाशकों की भूमिका पाठकों और लेखकों को जोड़ने वाली होती है इसलिए लेखकों के दृष्टिकोण के साथ पाठकों की रुचियों का तालमेल अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस संदर्भ में प्रकाशक एक महत्वपूर्ण पुल के रूप में काम करते हैं, जो दोनों को सहजता से जोड़ता है।

फेडरेशन ऑफ इंडियन पब्लिशर्स ने कार्यक्रम की सफलता में योगदान देने के लिए सभी प्रतिभागियों और उपस्थित लोगों के प्रति आभार व्यक्त किया।

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