*बधाई गीत भी मुसलमान गाते हैं*
मथुरा ,19 अगस्त (आरएनएस/FJ)।जन्माष्टमी विशेष: कान्हा की नगरी में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी सामाजिक सौहार्द का प्रतीक भी होती है। कान्हा की पोशाकों को तैयार करने में दिन रात मुस्लिम कारीगर लगे रहते हैं। पीढ़ी दर पीढ़ी उनके कारोबार चला आ रहा है। इस तरह मुस्लिम समाज के ये लोग वर्षों से सांप्रदायिक सौहार्द का संदेश समाज में दे रहे हैं। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अगले दिन गोकुल में नंदोत्सव मनाया जाता है। गोकुल में सुबह जब कान्हा की जन्म की खुशियां मनाई जाती हैं तो बधाई गीत भी मुसलमान गाते हैं और शहनाई भी मुसलमान ही बजाते हैं।
वर्षों से कन्हैया के जन्मोत्सव की तैयारियों में मुस्लिम लोग सांप्रदायिक सौहार्द का संदेश दे रहे हैं। अल्लाह के बंदे श्रद्धा के साथ कृष्ण के जन्मोत्सव के दिन ठाकुर जी के श्रंगार में पहनाई जाने वाली पोशाकों के निर्माण में जुटे रहते हैं। इन पोशाक की भारत के विभिन्न शहरों में ही नहीं विदेशों में भी मांग है। मुस्लिम समाज के यह लोग भगवान श्रीकृष्ण की पोशाक बनाने का काम अब से नहीं कर रहे। इनके पूर्वज भी इसी तरह भगवान श्रीकृष्ण के आभूषण बनाकर समाज में सौहार्द का संदेश देते रहे है।
एक मुस्लिम कारीगरों ने बताया कि 40 साल हो गये काम करते, विदेशों में भी जाती हैं हमारी मांग है, हम इस पर गर्व महसूस करता हूं, हमारी किस्मत है कि ठाकुर जी ने हमें अपने कपड़ों को सिलने पर लगा रहता है। यह संदेश यह पूरा भारत में जाना चाहिए, भाईचारा सीखना है तो हमारे वृंदावन से सीखें जो हमें पढ़ाते हैं वह गलत आदमी है।
बांकेबिहारी जी मंदिर भी जाते हैं वृंदावन में, पांच फुट के ठाकुर जी होंगे तो पोशाक सिलने में पूरा एक महीना लगात है। एक पोशाक में करीब पांच आदमी लगते हैं। हमें अच्छा लगता है, दिल को सुकून मिलता है, ठाकुर जी की पोशाक बनने में, भरत और भारत के बाहर के मंदिरों में हमारी पोशाक पहनाई जाती है।
100 से अधिक कारखाने हैं पोशाक तैयार करने के
मथुरा में पोशाक और मुकुट श्रृंगार का व्यवसाय फैला हुआ है। 100 से अधिक कारखानों में अधिकांश कारीगर मुस्लिम समाज के हैं, जो दिन-रात भगवान श्रीकृष्ण के पोशाक और श्रृंगार का सामान तैयार करने में जुटे हुए हैं, वह इन लोगों की रोजी रोटी का भी एक साधन है। कान्हा के जन्मोत्सव का इंतजार इन्हें बेसब्री से रहता है।
विदेशों में है भारी मांग
जन्माष्टमी से महीनों पहले से ही ये भगवान श्रीकृष्ण की पोशाकों को तैयार करने में लग जाते हैं। भगवान के मुकुट, गले का हार, पायजेब, बगल बंदी, चूडिय़ां, कान के कुंडल जैसे आभूषणों को तैयार किया जाता है। तैयार होने के बाद इन्हें विदेशों में भी भेजा जाता है। इन लोगों पर अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड कनाडा, नेपाल और अफ्रीका से भी ऑर्डर आते हैं।
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