विपक्ष द्वारा हिंसा-हत्या जैसे शब्दों का प्रयोग बंद होना चाहिए : भाजपा

नई दिल्ली ,18 जुलाई (Final Justice Digital News Desk/एजेंसी)। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता व राज्यसभा सांसद डॉ सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि  विपक्ष के द्वारा नरेन्द्र मोदी  के विरुद्ध हिंसा के लिए उकसाने वाली भाषा का प्रयोग निरंतर किया जा रहा है। भारतीय जनता पार्टी का मानना है कि मौत और हिंसा जैसे शब्दों का प्रयोग किसी भी राजनैतिक पार्टी के बयानों में नहीं होना चाहिए।

राहुल गांधी लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष बने हैं, तो उत्साह से उद्दंडता की ओर जाने की जगह उन्हें परिपक्वता का प्रदर्शन करना चाहिए। त्रिवेदी ने कहा कि आज देश के एक प्रमुख अंग्रेजी समाचार पत्र में एक सेवानिवृत्त वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने वर्तमान समय में विश्व में हो रही गतिविधियों और इससे भारत पर पड़ने वाले प्रभावों पर एक लेख लिखा है।

लगभग एक से डेढ़ वर्ष पहले जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो ऐबे जी की एक राजनैतिक कार्यक्रम में हत्या हुई थी और अभी कुछ दिन पहले ही अमेरिका में राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी पर भी जानलेवा हमला हुआ, जिससे वह बाल-बल बचे हैं। इस प्रकार की प्रवृत्तियां जो हिंसा और हत्या को बढ़ावा देती हैं, यह उन सभी बयानों से प्रेरित होती है, जहां राजनैतिक दल अपने तात्कालिक राजनैतिक स्वार्थ के लिए हिंसा और हत्या जैसे शब्दों का प्रयोग करते हैं।

चिंताजनक बात यह है की आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के विरुद्ध हिंसा के लिए उकसाने वाली भाषा पर प्रयोग निरंतर किया जा रहा है। कांग्रेस नेता एवं लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने आम चुनाव के दौरान और विगत वर्ष में अपमानजनक शैली में  प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी  के लिए मारना, डंडा मारना, इत्यादि जैसे शब्दों का प्रयोग किया और कहा है कि काफिले पर कुछ फेंका गया, तो कुछ और भी फेंका जा सकता है।

त्रिवेदी ने कहा कि दो वर्ष पहले  प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी  पंजाब दौरे पर थे, तब सुरक्षा घेरे को तोड़कर प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए एक बेहद खतरनाक स्थिति उत्पन्न की गयी थी। भारतीय जनता पार्टी स्पष्ट रूप से कहती है कि मौत और हिंसा जैसे शब्दों का प्रयोग किसी भी राजनैतिक पार्टी के बयानों में नहीं होना चाहिए।

क्या यह सत्य नहीं है कि कांग्रेस के कई नेताओं और पूर्व केंद्रीय मंत्रियों ने प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी  के लिए इस प्रकार की मौत और उस प्रकार की मौत के जैसे शब्दों के साथ-साथ कब्र खुदेगी, मर जा, सर फोड़ देंगे, जैसे शब्दों का प्रयोग किया है। यह सब बहुत लंबे समय से चला आ रहा है।  प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी  के लिए जिसने बोटी-बोटी काटने जैसे शब्दों का प्रयोग किया, उन्हें दूसरी पार्टी से लाकर कांग्रेस पार्टी का सांसद बनाया गया।  त्रिवेदी ने कहा कि किसी नेता के लिए ‘मौत’ शब्द का प्रयोग सबसे पहले सोनिया गांधी ने 2007 में ‘मौत के सौदागर’ कहकर किया था।

भारतीय जनता पार्टी ने आपातकाल के दौरान भी  इंदिरा गांधी के लिए मौत जैसे शब्द का प्रयोग नहीं किया था। राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ खिलवाड़ की राजनीति बहुत लंबे समय से हो रही है। जब कांग्रेस केंद्र में सत्ता में थी, तब भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के इतिहास का एक विचित्र उदाहरण “इशरत जहां केस” देखने को मिला।

उस समय की तत्कालीन कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए सरकार की दो एजेंसियां आईबी और सीबीआई ने कहा था कि इशरत जहां आतंकवादी है, लेकिन जैसे ही पता चला कि इस केस में तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री और वर्तमान प्रधानमंत्री आदरणीय श्री नरेन्द्र मोदी जी के खिलाफ हत्या की साजिश रची गयी थी, तब अचानक सीबीआई ने अपना हलफनामा बदल दिया और कहा कि इशरत जहां आतंकवादी नहीं है।

भारत के इतिहास में बिना किसी वजह के इस तरह का यू टर्न लेने का और कोई उदाहरण मौजूद नहीं है।  त्रिवेदी ने कहा कि जब केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आई और इशरत जहां मामले की फाइल तलब की गई, तो पता चला कि फाइल गायब हो गयी है।

संबंधित अधिकारियों के अनुसार, उन लोगों ने फाइल के ऊपर कुछ नहीं लिखा था, सिर्फ तत्कालीन गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने स्वयं वो नोट बदला था। उस समय सीबीआई ने अपना मत बदल दिया था, लेकिन आईबी ने अपना मत नहीं बदला था। दुनिया के इतिहास का यह एकलौता उदाहरण है कि जहां एक ही सरकार की दो एजेंसियां एक दूसरे के खिलाफ खड़ी थीं।

एक एजेंसी कह रही थी कि इशरत जहां आतंकी है और दूसरी एजेंसी कह रही थी कि वो आतंकी नहीं है। श्री नरेन्द्र मोदी जी की हत्या के इरादे के साथ किसी आतंकी को बचाने के लिए किस सीमा तक जाया जा सकता है, यह इसका दुखद उदाहरण है। 24 अक्टूबर 2013 को पटना में  नरेन्द्र मोदी  की रैली में सीरियल बम धमाके हुए और केन्द्र में कांग्रेस की सरकार थी। वहां  केंद्र सरकार की ओर से क्या सुरक्षा व्यवस्था की गयी थी?

उस वक्त   नरेन्द्र मोदी  के पास जेड प्लस सुरक्षा थी, उसी सभा में वर्तमान रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह, जो भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। दो ऐसे नेता, जिनके पास केन्द्र सरकार की जेड प्लस सुरक्षा हो, उनकी सुरक्षा के लिए केन्द्र की कांग्रेस सरकार ने वहां क्या व्यवस्था की थी।

त्रिवेदी ने कहा कि राहुल गांधी के पास भी जेड प्लस सुरक्षा है, वो कश्मीर जैसी संवेदनशील जगह पर अपनी बहन के साथ मधुर मनोभावों के साथ बर्फ के गोलों के साथ खेल का आनंद लिया, क्योंकि केन्द्र सरकार ने सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित की थी।

मणिपुर जैसी जगह पर भी उनकी यात्रा निकली और उनकी सुरक्षा की पूरी व्यवस्था सुनिश्चित की गयी। भारत की राजनीति में नेताओं के साथ प्रतिस्पर्धा अपनी जगह है, लेकिन प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी  के विरुद्ध राहुल गांधी ने जो ‘हिंसा’ और ‘हत्या’ जैसे जो शब्द बोले थे, उनका प्रयोग बंद होना चाहिए।

दुनिया में इसके दुखद परिणाम के कई उदाहरण दिखे हैं और भारत में भी इसके परिणाम खतरनाक हो सकते हैं। यदि राहुल गांधी लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष बने हैं तो अति उत्साह से उद्दंडता की ओर जाने की जगह, उन्हें परिपक्वता का प्रदर्शन करना चाहिए।

त्रिवेदी ने सभी राजनीतिक दलों से आग्रह करते हुए कहा कि मौत, हत्या, मारना-पीटना और कब्र खुदेगी जैसे शब्दों का प्रयोग बंद होना चाहिए, क्योंकि “लगेगी आग तो आएंगे घर सभी जद में, यहां पे सिर्फ हमारा मकान थोड़ी है”।

कांग्रेस के मन में  प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के प्रति हीन भावना, ईर्ष्या और कुंठा है लेकिन उस कुंठा को हिंसा और मौत जैसे शब्दों तक ले जाने से बचना चाहिए। ‘कागज का है लिबास चिरागों का शहर है, चलना संभल-संभल के क्योंकि तुम नशे में हो’। कांग्रेस हार को जीत मानने के उत्साह के नशे से बाहर आए और समझदारी का आचरण दिखाए।

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