*बिहार में जब-जब सत्ता की नींव हिलती है, तब-तब गिनती होती है : रुडी*
*प्रवासी कामगारों के लिए केंद्र से की नीति बनाने की मांग*
*सदन के माध्यम से राज्य सरकार से उनकी भी गणना कराने की मांग रुडी ने की*
*प्रवासी श्रमिकों की सुरक्षा, आकस्मिक परिस्थितियों में त्वरित वित्तीय सहायता की नीति बनाने की मांग*
नई दिल्ली, 13 फरवरी (एजेंसी) । बिहार की प्रगति और बिहारियों के उत्थान के लिए निरंतर प्रयासरत रहने वाले सारण सांसद और भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव प्रताप रुडी ने बिहार में जातीय गणना में राज्य से पलायित कामगारों गिनती और अन्य राज्यों में दूसरे राज्य के कामगारों की मौत का मामला लोकसभा में उठाया।
लोक महत्व के अविलम्बनीय मुद्दे के तहत सांसद ने केंद्र सरकार का ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा कि केंद्र सरकार द्वारा एक ऐसा नियम बनाना चाहिए कि एक राज्य के लोग जो दूसरे राज्य में रहते है, वहां मेहनत मजदूरी करते है या अन्य कार्य करते है वैसे कामगार जब वहां उनके साथ कोई दुर्घटना हो जाती है, उनकी मौत हो जाती है तो मौत की स्थिति में शव को उनके घर तक पहुंचाने की जिम्मेदारी संबंधित राज्य सरकार को होनी चाहिए।
रुडी ने कहा कि सरकार को दुर्घटना पर भी ऐसा नियमन बनाना चाहिए जिसे सभी राज्य मानें क्योंकि यह कार्य केंद्र सरकार ही कर सकती है। उन्होंने कहा कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक और गुजरात से असम तक सभी राज्य के लोग एक दूसरे राज्य में रहते है। किसी एक राज्य में केवल वहीं के निवासी नहीं रहते। ऐसी स्थिति में यह कानून बनना चाहिए जो समय की मांग है।
रुडी ने बिहार के जातीय गणना का विषय भी लोकसभा में उठाया। उन्होंने कहा कि बिहार सरकार की जब-जब नींव हिलती है तब वह मतदाताओं को आमजनता को जातिगत आग में झोंकती है।
जातीय गणना भी इसी का उदाहरण है लेकिन वह आंकड़ा कभी भी सच के करीब भी नहीं होगा, झुठा आंकड़ा होगा क्योंकि बिहार के 4 करोड़ से अधिक लोग राज्य से बाहर है जिनकी गणना नहीं होगी। लेकिन वो उस राज्य के मतदाता है।
उन्होंने सदन के माध्यम से बिहार सरकार से उनकी गणना कराने की मांग की। उन्होंने पत्रकारों से इस संदर्भ में कहा कि वर्तमान जो गणना बिहार सरकार करा रही है वह पूरी तरह से अवैज्ञानिक पद्धति से हो रहा है।
ऐसे में सत्तारूढ़ दल स्वार्थ सिद्धि के लिए किसी भी जाति के आंकड़े को ज्यादा और किसी को कम करके दिखा सकता है। यह आंकड़ा निश्चित रूप से संदेहास्पद होगा।
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