नई दिल्ली 20 April, (एजेंसी)-केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नशे को आने वाली पीढियों और देश के लिए बड़ी चुनौती बताते हुए कहा है कि सरकार 2047 तक नशामुक्त भारत का निर्माण करने के लिए प्रतिबद्ध है। शाह ने बुधवार को यहां आयोजित राज्यों और संघशासित प्रदेशों के एंटी-नारकोटिक्स टास्क फोर्स प्रमुखों के प्रथम राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा , “ नशामुक्त भारत आने वाली पीढ़ियों और देश के भविष्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि आज हम नशे के खिलाफ लड़ाई में एक ऐसे पड़ाव पर खड़े हैं कि यहां से दृढ़ संकल्प,सामूहिक प्रयासों, टीम इंडिया और व्यापक सरकार के अप्रोच के साथ आगे बढ़ेंगे तो हमारी विजय निश्चित है।” गृह मंत्री ने इस मौके पर एनसीबी की वार्षिक रिपोर्ट (विशेष संस्करण), 2022 और नशामुक्त भारत – राष्ट्रीय संकल्प पुस्तिका का विमोचन भी किया।
उन्होंने देश में अवैध खेती की पहचान और उसे नष्ट करने के लिए ‘मैप ड्रग्स’– मोबाइल एप और वेब पोर्टल का शुभारंभ भी किया। गृह मंत्री ने एनसीबी इंदौर क्षेत्रीय इकाई के कार्यालय परिसर का ऑनलाइन उद्घाटन भी किया। इस अवसर पर केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेन्द्र कुमार, गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय, केन्द्रीय गृह सचिव और एनसीबी के महानिदेशक एस एन प्रधान सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि अवैध खेती की पहचान के लिए एक एप लॉंच हुई है, एनसीबी की वार्षिक रिपोर्ट जारी हुई है और इसके साथ ही इंदौर के क्षेत्रीय कार्यालय का भी उद्घाटन हुआ है।
उन्होंने कहा कि ये सारे कदम नारकोटिक्स के खिलाफ हमारी लड़ाई को गति देने वाले साबित होंगे। श्री शाह ने कहा कि आने वाली पीढ़ियां हमारे देश के विकास की नींव होती हैं और नारकोटिक्स इन पीढ़ियों को खोखला कर देता है और अगर देश के विकास की नींव ही खोखली हो, तो इस पर एक मज़बूत देश की रचना नहीं हो सकती है। उन्होंने कहा कि नारकोटिक्स देश की युवा पीढ़ी को बर्बाद करने के साथ-साथ देश के अर्थतंत्र पर भी अपना दुष्प्रभाव डालता है। नारकोटिक्स की तस्करी देश के अर्थतंत्र के साथ-साथ नार्को टेरर के माध्यम से देश की सीमाओं और उनकी सुरक्षा में सेंध लगाने का काम करती है।
शाह ने कहा कि दुनिया के कई देश नारकोटिक्स के खिलाफ लड़ाई हार चुके हैं लेकिन भारत आज एक ऐसे पड़ाव पर है कि इस लड़ाई को हम 130 करोड़ की आबादी वाले देश के संकल्प के साथ जीत सकते हैं। उन्होंने कहा ,“ इस लड़ाई को हारने के तीन कारण हो सकते हैं- ये लड़ाई सिर्फ सरकार की लड़ाई नहीं है, बल्कि पूरी जनता की लड़ाई है, ये किसी एक विभाग की लड़ाई नहीं है, बल्कि सभी को मिलकर समान तीव्रता के साथ इसे लड़ना है, और, अप्रोच में गलती, हमारा लक्ष्य स्पष्ट होना चाहिए कि जो ड्रग्स का सेवन करता है वो पीड़ित है और जो ड्रग्स का कारोबार करता है वो गुनहगार है और हमें उससे कठोरता के साथ निपटना चाहिए। शाह ने कहा कि ये तीन चीज़ें अगर हम कर लेते हैं तो हम निश्चित रूप से विजय प्राप्त कर लेंगे।”
उन्होंने कहा कि इसके लिए गृह मंत्रालय ने एक रणनीति बनाई है जिसके तीन बिंदु हैं-संस्थागत संरचना की मजबूती, सभी नार्को एजेंसियों का समन्वय और विस्तृत जन-जागरूकता अभियान। श्री शाह ने कहा कि टीम इंडिया और सरकारों के दृष्टिकोणों को हमें साथ लेकर चलना चाहिए। उन्होंने कहा , “ इस लड़ाई को दलगत राजनीति और पॉलिटिकल आइडियोलॉजी से ऊपर उठकर लड़ना होगा। राज्य में सरकार चाहे किसी भी पार्टी की हो, ज़ीरो टॉलरेंस की अप्रोच के साथ सभी राज्य सरकारो को नशामुक्त भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आगे बढ़ना होगा।”
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि पिछले तीन वर्षों में नशे के खिलाफ लड़ाई के परिणाम उत्साहजनक रहे हैं। वर्ष 2006-2013 के बीच कुल 1257 मामले दर्ज़ किए गए थे जो 2014-2022 के बीच 181 प्रतिशत बढ़कर 3544 हो गए। इसी अवधि में कुल गिरफ्तारी की संख्या 1363 के मुक़ाबले लगभग 300 प्रतिशत बढ़कर 5408 हो गई। वर्ष 2006-2013 के दौरान 1.52 लाख किलोग्राम ड्रग्स जब्त की गई थी जो 2014-2022 के बीच दोगुना बढ़कर 3.73 लाख किलोग्राम हो गई। वर्ष 2006-2013 के दरम्यान 768 करोड़ रुपये मूल्य की ड्रग्स जब्त की गई थी जो 2014-2022 के बीच 25 गुना से अधिक बढ़ोतरी के साथ 22 हज़ार करोड़ रुपये हो गई। शाह ने कहा , “ हमें ‘बॉटम टू टॉप’ और ‘टॉप टू बॉटम’ के अप्रोच के साथ आगे बढ़ना होगा और नशे के पूरे नेटवर्क को ध्वस्त करना होगा। ” उन्होंने कहा कि नशे के खिलाफ लड़ाई कठिन ज़रूर है लेकिन हम सभी को 2047 में नशामुक्त भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए संकल्प करना होगा और आगे बढ़ना होगा।
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