शिमला,01 मार्च (एजेंसी)। हिमाचल प्रदेश की विधानसभा स्पीकर ने कांग्रेस के 6 बागी विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी है।स्पीकर ने दल-बदल विरोधी कानून के प्रावधानों का हवाला देते हुए बागी विधायकों को तत्काल प्रभाव से अयोग्य घोषित कर दिया है।दूसरी ओर, कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने अपने इस्तीफे पर नया बयान दिया है। सिंह ने कहा कि उन्होंने अपना इस्तीफा वापस नहीं लिया है और अंतिम फैसला लेना अभी बाकी है।
स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा, विधायकों ने चुनाव तो कांग्रेस पार्टी से लड़ा, लेकिन पार्टी व्हिप का उल्लंघन किया और वोट नहीं दिया। मैंने सभी पक्षों को सुना। सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के पिछले फैसलों को ध्यान में रखते हुए फैसला लिया गया है। 30 पन्नों का फैसला है। बजट सत्र के व्हिप के आधार पर फैसला लिया गया है। राज्यसभा चुनाव का व्हिप इस फैसले का पार्ट नहीं है।
जिन विधायकों को अयोग्य घोषित किया गया है, उनमें धर्मशाला से विधायक सुधीर शर्मा, लाहौल और स्पीति से विधायक रवि ठाकुर, सुजानपुर से विधायक राजेंद्र सिंह राणा, गगरेट से विधायक चैतन्य शर्मा, कुटलेहड़ से विधायक देवेंदर भुट्टो और बड़सर से विधायक इंदर दत्त लखनपाल शामिल हैं।इन सभी ने राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग करते हुए कांग्रेस उम्मीदवार अभिषेक मनु सिंघवी की जगह भाजपा के उम्मीदवार हर्ष महाजन को वोट किया था।
आज सुबह मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कांग्रेस विधायकों को नाश्ते पर बुलाया था, जिसमें पार्टी के 40 में से 26 विधायक ही पहुंचे।विक्रमादित्य सिंह समेत मोहन लाल बरागटा, नंद लाल और स्वास्थ्य मंत्री धनी राम शांडिल्य मुख्यमंत्री आवास पर नहीं पहुंचे। शांडिल्य स्वास्थ्य कारणों की वजह से शामिल नहीं हुए और विक्रमादित्य सिंह मंत्री पद से इस्तीफा दे चुके हैं।हालांकि, 2 और विधायकों के न आने की वजहों पर संशय बना हुआ है।
सिंह ने कहा, इस्तीफा वापस लेने और इसे स्वीकार करने के लिए दबाव नहीं डालने के बीच अंतर है। जब तक केंद्रीय पर्यवेक्षकों के प्रयासों से कोई अंतिम परिणाम सामने नहीं आ जाता, मैं अपने इस्तीफे पर जोर नहीं दूंगा। हमारी पर्यवेक्षकों के साथ कई दौर की चर्चा हो चुकी है। उन्हें हालात के बारे में पूरी जानकारी दी गई है। जब तक कोई फैसला नहीं लिया जाता, मैं इस्तीफे पर जोर नहीं दूंगा।
हिमाचल की 68 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 35 था। अब 6 विधायकों को अयोग्य घोषित किए जाने के बाद बहुमत का आंकड़ा 32 हो गया है। कांग्रेस के पास अब 34 विधायक हैं, लेकिन उनमें से 4 आज मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए नाश्ते में नहीं पहुंचे हैं।दूसरी ओर भाजपा के पास खुद के 25 विधायक हैं और उसे 3 निर्दलीय विधायक भी समर्थन कर रहे हैं। कांग्रेस के लिए आंकड़े अभी भी राहत देने वाले नहीं हैं।
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