नई दिल्ली, 22 दिसम्बर (एजेंसी)। हर पांच में से एक बिहारी बिहार के बाहर पलायन कर गये है। पलायन करने वालों में 90 प्रतिशत से अधिक संख्या पुरुषों की हैं। राज्य के बाहर होने वाली दुर्घटनाओं में भी यदि किसी दूसरे राज्य के श्रमिक मरते है तो मरने वालों में बिहारी ही शामिल होते है।
लोकसभा में नियम 377 के तहत बिहारी प्रवासी श्रमिकों की अन्य राज्यों में मौत का मुद्दा उठाने के बाद सदन के बाहर पत्रकारों से बातचीत करते हुए सारण सांसद सह भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव प्रताप रुडी ने उक्त बाते कही। सवालिया लहजे में उन्होंने पत्रकारों से कहा कि बिहारी श्रमिकों की मेहनत से कई राज्य अमीर हुए है और हो रहे है बावजूद, इसके बिहार क्यों पिछड़ा है यह ऐसा सवाल है जिसका उत्तर तलाशने की आवश्यकता है।
लोकसभा में लोकसभा में राजीव प्रताप रूडी ने कहा कि बिहारी आगे है पर बिहार पीछे क्यों? उन्होंने सदन को बताया कि हाल में, ऐसे मामलों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है जिनमें बिहार के प्रवासियों ने अन्य राज्यों में अपनी जान गंवाई है। बिहार की आबादी में आधे से अधिक परिवारों के ऐसे पुरुष सदस्य हैं जो रोजगार की तलाश में बाहर गए हैं।
रोजगार की तलाश में बाहर जाने वालों में सबसे ज्यादा सारण, मुंगेर, दरभंगा, कोसी, तिरहुत और पूर्णिया से है। उन्होंने कहा कि अकेले दिल्ली में मौजूद प्रवासियों में से 18 प्रतिशत प्रवासी बिहार से हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि बिहारी प्रवासियों की औसत आयु 32 वर्ष है जिनमें से 90 प्रतिशत से अधिक निजी कारखानों में काम करते हैं या अस्थायी श्रमिक के रूप में कार्यरत हैं।रुडी ने बताया कि ऐसी कई रिपोर्टों आई है जिसमें सबसे अधिक बिहार के प्रवासी श्रमिकों की मौत का उल्लेख किया गया है। कई उदाहरणों को लोकसभा में पेश करते हुए सांसद ने कहा कि 5 अगस्त 2022 को, जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों द्वारा एक बिहारी की हत्या कर दी गई और 2 अन्य घायल हो गए। मौतों के ऐसी भी दुखद मामलों की सूचना मिली है, जैसे इमारतों के गिरने से छपरा के तीन भाइयों की मौत हो गई, आग से हुई दुर्घटना में ग्यारह बिहारी श्रमिकों की मृत्यु हो गई, साथ ही सड़क दुर्घटनाओं में चार बिहारी मजदूरों की मौत हो गई।
उन्होंने कहा कि ये घटनाएं एक मजबूत सुरक्षा और सुरक्षा तंत्र की कमी को उजागर करते हैं। इस प्रकार की घटना न हो यह सुनिश्चित करने की तत्काल आवश्यकता है ताकि ऐसी दुखद घटनाओं में बिहार और देश भर के श्रमिकों के कीमती जीवन की क्षति न हो।
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