जालंधर 09 June (एजेंसी): केंद्रीय सूचना और प्रसारण तथा युवा मामले एवं खेल मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा कि नई शिक्षा नीति 2020 (एनईपी-2020) भारतीय शिक्षा प्रणाली के लिए दिशानिर्देशों और सिफारिशों का एक व्यापक समन्वय है। इसका उद्देश्य विद्यार्थियों के लिए शिक्षा को अधिक समावेशी, आकर्षक और प्रासंगिक बनाना है। उन्होंने कहा कि यह विद्यार्थियों के सभी पहलुओं और क्षमताओं को विकसित करेगा और शिक्षा को अधिक विकासोन्मुख, उपयोगी और शिक्षार्थियों के लिए पूर्ण बनाएगा।
जालंधर के डॉ. अंबेडकर राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान में स्कूली शिक्षा में मौजूदा प्रगति विषय पर करवाए जा रहे तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन (आरएएसई-2023) में मुख्य अतिथि के रूप में अपने उद्घाटनी भाषण के दौरान ठाकुर ने कहा कि एनईपी-2020 स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों पर किसी भी मौलिक साक्षरता और स्कूली पाठ्यक्रम में संख्यात्मक सुधार और प्रारंभिक बचपन की देखभाल और शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करने के लिए सार्वभौमिक पहुंच सुनिश्चित करने की सोच के साथ तैयार की गई है। उन्होंने कहा कि एनईपी2020 केवल एक भाषा तक ही सीमित नहीं है बल्कि इसमें मातृभाषाऔर अन्य स्थानीय भाषाओं को भी मजबूत बनाने का प्रयास किया गया है।
तीन दिवसीय ‘शिक्षा महाकुंभ’ का विधिवत शुभारंभ केंद्रीय मंत्री द्वारा पारंपरिक दीप प्रज्वलित कर किया गया, इस अवसर पर डॉ विनोद कुमार कन्नौजिया (निदेशक एनआईटी) और विद्या भारती के वरिष्ठ पदाधिकारी और अन्य प्रतिष्ठित गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। इस शिक्षा महाकुंभ का समापन 11 जून, 2023 को होगा।
ठाकुर ने कहा कि नई शिक्षा नीति, जो भारतीय स्वतंत्रता के 34 वर्षों के बाद प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल मार्गदर्शन में लाई गई है। उसे अपने वातानुकूलित कमरों में बैठे कुछ पश्चिमी सोच वाले लोगों द्वारा तैयार नहीं किया गया हैं। वास्तव में, इसे व्यापक (सार्थक) बनाने के लिए देश भर के 6 लाख से अधिक लोगों के सुझावों को शामिल किया गया है।
उन्होंने कहा कि भारतीय शिक्षा में भारतीयता बहुत आवश्यक है जो स्वतंत्रता के उपरांत बनी शिक्षा नीति में नजर नहीं आई। उन्होंने कहा कि यह जानने के लिए उचित चर्चा की अत्यधिक आवश्यकता है कि आखिर हमें हमारा वास्तविक प्राचीन इतिहास क्यों नहीं पढ़ाया गया? उन्होंने कहा कि मुगलों और अंग्रेजों ने हमारी शिक्षा प्रणाली, संस्कृति और नैतिक मूल्यों को नष्ट कर दिया था, लेकिन अब भारतीय स्वतंत्रता के 75 वर्ष मनाते हुए हमें उस गुलामी की सोच से बाहर आना ही होगा।
उन्होंने प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए ‘पंच प्रण’ की याद दिलाते हुए कहा कि विकसित भारत दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़ें, गुलामी के किसी भी लक्ष्य से छुटकारा पाएं, भारत के इतिहास, एकता की शक्ति और नागरिकों के कर्तव्यों पर गर्व करें, भावी(आने वाली) पीढ़ियों को बेहतर भविष्य देने के लिए युवा देश के विकास के लिए कार्य करें। उन्होंने कहा कि दुनिया बेहतर भविष्य की उम्मीद के साथ भारत की ओर देख रही है और हमें खुद को साबित करना होगा जिसके लिए एनईपी-2020 मददगार साबित होगा। पी एम राइजिंग इंडिया स्कूलों के बारे में बताते हुए, उन्होंने कहा कि पूरे देश में 14500 ऐसे स्कूल खोले जाएंगे जो एनईपी की दृष्टि के अनुसार बच्चों को उनकी स्वयं की सीखने की प्रक्रिया में सक्रिय भागीदार बनाने के लिए एक समान, समावेशी और आनंदमय स्कूल के माहौल में उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि आने वाले वर्षों में अनुसूचित जनजातियों के लिए 740 एकलव्य स्कूल भी खोले जाएंगे, जिसमें आदिवासी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए 38800 से अधिक शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों के साथ 3.5 लाख छात्रों का पंजीकरण किया जाएगा। इससे पहले, केंद्रीय मंत्री ने एनआईटी परिसर में आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत तैयार किए जा रहे हैं स्पोर्ट्स एंड हेल्थ-केयर रिसर्च सैंटर की आधारशिला भी रखी।
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