अपने-अपने सीमा क्षेत्रों में कर सकेंगे गश्त
श्रीनगर 30 Oct, (एजेंसी)। पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत और चीन के बीच सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी हो गई। इस प्रक्रिया के बाद दोनों देशों के सेनाओं ने एक-दूसरे की स्थिति का सत्यापन और बुनियादी ढांचे को खत्म करना शुरू कर दिया।
सूत्रों ने बताया कि देपसांग मैदानों और डेमचोक में अस्थायी ढांचों को हटाने का काम लगभग पूरा हो चुका है और दोनों पक्षों की ओर से कुछ हद तक सत्यापन भी हो चुका है। सत्यापन प्रक्रिया भौतिक रूप से और मानव रहित हवाई वाहनों (यूएवी) का उपयोग करके की जा रही है।
इस समझौते के बाद दोनों देशों के सैनिक अपनी पिछली तैनाती वाली जगहों से पीछे हटकर तैनात हो गए हैं। अप्रैल 2020 से अब तक विवाद वाली जगहों पर 10 से 15 सैनिकों की छोटी टुकड़ियां गश्त करेंगी।
बता दें कि साढ़े चार साल पहले चीनी घुसपैठ के बाद से भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सैन्य गतिरोध बना हुआ है।
इस मुद्दे पर भारत ने पिछले हफ्ते चीन के साथ डेपसांग प्लेन्स और डेमचोक में सैनिकों की गश्त को लेकर समझौता किया था। उसके चार दिन बाद दोनों देशों ने विवादित जगहों से अपने सैनिकों को वापस बुला लिया है। बीजिंग ने भी इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि इस समझौते के बाद चीनी और भारतीय सैनिकों ने अपने-अपने काम सुचारू रूप से शुरू कर दिए हैं।
सेना के सूत्रों ने बताया कि सत्यापन प्रक्रिया पूरी होने के बाद समझौते के अनुसार अगले दो दिनों में गश्त शुरू हो जाएगी। दोनों पक्षों को पहले से सूचित कर दिया जाएगा ताकि आपसी विवाद की स्थिति दोबारा पैदा न हो।
उल्लेखनीय है कि भारतीय सैनिक अब डेपसांग के मैदानों में विवादित स्थानों पर गश्त कर सकेंगे। समझौते से पहले चीनी सैनिक भारतीय सीमा बल को गश्त करने के लिए उन क्षेत्रों में पहुंचने से रोक रहे थे। भारतीय सैनिक अब डेमचोक में ट्रैक जंक्शन और चारडिंग नाला पर गश्त कर सकेंगे।
हालांकि, साल 2020 में आपसी विवाद के बाद बड़ी संख्या में भारतीय सैनिक लद्दाख पहुंच गए थे। अब भारतीय सैनिक तब तक वहीं रहेंगे जब तक चीन के साथ सीमा पर गश्त को लेकर व्यापक सहमति नहीं बन जाती।
रक्षा सूत्रों ने कहा, “जब तक आपसी विश्वास और सत्यापन का माहौल स्थापित नहीं हो जाता, तब तक निकट भविष्य में लद्दाख से किसी भी सैनिक के पीछे हटने की कोई योजना नहीं है।”
सूत्रों ने बताया कि अरुणाचल प्रदेश में भी इसी तरह की व्यवस्था पर काम किया जा रहा है, जहां यांग्त्से, असाफिला और सुबनसिरी घाटियों में दोनों देशों के सैनिकों के बीच विवाद पैदा हो गया था।
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