भारत को क्रिप्टो पॉलिसी की आवश्यकता,वैश्विक प्रतिस्पर्धा में..

वैश्विक प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए नीति में सुधार जरूरी

नई दिल्ली, 29  जनवरी (Final Justice Digital News Desk/एजेंसी)। वेब3 और क्रिप्टो तकनीक तेजी से विकास कर रही है, और भारत के पास इसे लेकर एक बड़ा अवसर है। हालांकि, G20 शिखर सम्मेलन की मेज़बानी करने और वैश्विक क्रिप्टो नियमन पर चर्चाओं का हिस्सा बनने के बावजूद, भारत की वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (VDAs) और वेब3 पर नीति अभी भी स्थिर बनी हुई है।

वहीं, बाकी G20 देश इस दिशा में कदम उठा रहे हैं। भारत के पास एक विशाल तकनीकी कौशल से लैस जनसंख्या और फिनटेक क्षेत्र में मजबूत पंख हैं, और क्रिप्टो उद्योग में भी अपार संभावनाएँ हैं। लेकिन बिना स्पष्ट नियमों के, भारत इस तेजी से बढ़ती डिजिटल अर्थव्यवस्था में पीछे रह सकता है। इसलिए, यह जरूरी है कि भारत जल्द से जल्द स्पष्ट नीति बनाकर इस क्षेत्र को संभाले, ताकि निवेश, नौकरियां और सुरक्षा बनी रहे।जब भारत इस मामले में देर कर रहा है, तब अन्य देश तेजी से कदम बढ़ा रहे हैं।

ब्राजील ने अपनी वित्तीय प्रणाली में ब्लॉकचेन को अपनाया है, जबकि अर्जेंटीना ने क्रिप्टो के लिए अपने टैक्स नियमों में सुधार किए हैं। यूरोपीय संघ ने अपनी क्रिप्टो नियामक नीति लागू कर दी है, और अमेरिका और ब्रिटेन भी इसके लिए अपनी तैयारी पूरी कर रहे हैं। दक्षिण कोरिया और जापान जैसे देशों में क्रिप्टो के लिए सुरक्षा और नियमन पहले ही लागू हो चुका है। सिंगापुर, हांगकांग और यूएई जैसे छोटे देशों ने भी इस क्षेत्र में तेजी से कदम उठाए हैं, और अब ये देशों के सबसे बड़े वेब3 केंद्र बन गए हैं।

भारत, वैश्विक क्रिप्टो अपनाने वाले देशों में से एक बड़ा नाम है। अगर सही नीति बनाई जाए, तो भारत का क्रिप्टो-टेक उद्योग 2030 तक $241 मिलियन तक पहुंच सकता है। लेकिन, भारत में लागू पुराने कर नियमों और जटिल प्रक्रियाओं के कारण, बहुत से ट्रेडर्स और कंपनियाँ विदेशों की ओर रुख कर रही हैं। उदाहरण के लिए, क्रिप्टो पर 1% TDS ने घरेलू ट्रेडिंग को प्रभावित किया है, और लोग विदेशी प्लेटफॉर्म्स की ओर बढ़ रहे हैं।

भारत सरकार ने G20 सम्मेलन पर ₹4,100 करोड़ खर्च किए हैं, लेकिन अगर क्रिप्टो के लिए सही नियम नहीं बनाए गए, तो यह निवेश बेकार हो सकता है। भारत को अब एक स्पष्ट और प्रभावी क्रिप्टो नीति की जरूरत है, ताकि वह एक डिजिटल अर्थव्यवस्था बना रह सके।भारत को क्रिप्टो पर प्रतिबंध लगाने के बजाय एक समझदारी से नियम लागू करने की जरूरत है।

इसका उद्देश्य: निवेशकों को धोखाधड़ी से बचाना, नवाचार को बढ़ावा देना, ताकि आर्थिक विकास हो सके, एक सरल और स्पष्ट कर प्रणाली बनाना, जो पूंजी पलायन को रोके, और क्रिप्टो को कानूनी ढांचे में समाहित करना, ताकि वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। दुनिया भर में वित्तीय कंपनियाँ क्रिप्टो एक्सचेंज-ट्रेडेड उत्पादों (ETPs) को लॉन्च कर रही हैं, जो इस बात का संकेत हैं कि क्रिप्टो अब मुख्यधारा का हिस्सा बनने जा रहा है।

भारत को अब जल्द से जल्द अपनी नीति बनानी होगी, ताकि वह एक सुरक्षित, विनियमित और समृद्ध डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दे सके।भारत का क्रिप्टो क्षेत्र विकास के लिए तैयार है, और इसके लिए बस एक स्पष्ट और समझदारी से बनाई गई नीति की जरूरत है। सही समय पर उठाया गया कदम भारत को इस क्षेत्र में एक मजबूत स्थान दिला सकता है और उसे वैश्विक अर्थव्यवस्था में अपनी स्थिति को मजबूत करने का अवसर मिलेगा।

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