होटल-रेस्टोरेंट खाने के बिल में नहीं लगा सकते सर्विस चार्ज

 HC ने जारी किए आदेश

नई दिल्ली 28 March, (Final Justice Digital News Desk/एजेंसी) : दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि होटल और रेस्टोरेंट खाने के बिल में सर्विस चार्ज को अनिवार्य रूप से नहीं जोड़ सकते। अदालत ने स्पष्ट किया कि ग्राहक अपनी इच्छा से सर्विस चार्ज का भुगतान कर सकते हैं, लेकिन इसे अनिवार्य नहीं किया जा सकता।

जस्टिस प्रतिभा एम सिंह ने यह फैसला नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (NRAI) और फेडरेशन ऑफ होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनाया।

इन याचिकाओं में केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) के दिशा-निर्देशों को चुनौती दी गई थी। हाईकोर्ट ने इन याचिकाओं को खारिज करते हुए रेस्टोरेंट एसोसिएशन पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है।

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, सीसीपीए ने उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा और गलत व्यापारिक प्रथाओं को रोकने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए थे।

 इन दिशा-निर्देशों के मुख्य बिंदु इस प्रकार थे:

* होटल या रेस्टोरेंट खाने के बिल में स्वतः या डिफ़ॉल्ट रूप से सर्विस चार्ज नहीं जोड़ेंगे।

* किसी अन्य नाम से भी सर्विस चार्ज नहीं लिया जा सकता।

* कोई भी रेस्टोरेंट या होटल ग्राहकों को सर्विस चार्ज देने के लिए बाध्य नहीं कर सकता। उन्हें यह स्पष्ट रूप से बताना होगा कि यह वैकल्पिक है।

* सर्विस चार्ज के भुगतान के आधार पर ग्राहकों के प्रवेश या सेवाओं पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया जाएगा।

* सर्विस चार्ज को खाने के बिल के साथ जोड़कर और कुल राशि पर जीएसटी लगाकर एकत्र नहीं किया जाएगा।

अपनी याचिका में, एनआरएआई ने तर्क दिया था कि ऐसा कोई कानून नहीं है जो रेस्टोरेंट को सर्विस चार्ज लगाने से रोकता हो और मौजूदा कानूनों में ऐसा कोई संशोधन नहीं किया गया है जो इसे अवैध ठहराए।

एसोसिएशन ने यह भी कहा था कि सीसीपीए के दिशा-निर्देशों को सरकार के आदेश के रूप में नहीं माना जा सकता और ये मनमाने तथा अस्थिर हैं, इसलिए इन्हें रद्द किया जाना चाहिए। हालांकि, हाईकोर्ट ने इन तर्कों को खारिज कर दिया।

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