भरोसा टूटने से हरियाणा में हर रोज हड़ताल कर रहे सरकारी कर्मी : कुमारी सैलजा

अंबाला 17 Dec, (एजेंसी) । पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा ने कहाकि भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों का भरोसा पूरी तरह से खो चुकी है। भरोसा टूटने के कारण ही किसी न किसी महकमे के कर्मी हर रोज हड़ताल पर जा रहे हैं।

कर्मचारियों से चुनाव के वक्त किए वायदे 4 साल बीतने पर गठबंधन सरकार पूरे नहीं कर पाई है। ऐसे में मांगें मनवाने के लिए हड़ताल पर जाना कर्मचारियों की मजबूरी है, लेकिन इसका खामियाजा प्रदेश के आमजन को भुगतना पड़ रहा है।

मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि शहरी निकाय विभाग के सफाई कर्मियों की हड़ताल के कारण प्रदेश के शहरों में गंदगी के अंबार लगने शुरू हो गए हैं। हड़ताल लंबी चली तो शहरों में रह रहे लोगों का जीवन काफी मुश्किल हो सकता है, क्योंकि साफ-सफाई न होने व गंदगी के ढेर लगने से बदबू इनके लिए परेशानी का सबब बन सकती है।

इनके साथ ही नगर पालिका, नगर परिषद, नगर निगम का अन्य स्टाफ, जिसमें क्लर्क, ठेके पर लगे कर्मी भी हड़ताल पर होने से आम जनता के अन्य काम होने भी बंद हो गए हैं।

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहाकि इससे पहले ग्रामीण सफाई कर्मियों की हड़ताल लंबी चल चुकी है। उस समय गांवों में गंदगी ने जीना मुहाल कर दिया था। जबकि, अपनी मांगों के लिए आशा वर्कर्स का लंबा चला संघर्ष तो किसी से भी छिपा नहीं है।

ऐसा कोई दिन नहीं जाता। जब प्रदेश के अखबारों की सुर्खियां किसी न किसी कर्मचारी संगठन की हड़ताल या धरना न बनती हों। सरकार कर्मचारियों का विश्वास खो चुकी है और कर्मचारी अब सिर्फ चुनाव के इंतजार में हैं, ताकि इस सरकार को चलता किया जा सके।

कुमारी सैलजा ने कहाकि भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार अपने कर्मचारियों की मांगों को लगातार अनसुना कर रही है। मजबूरी में कर्मचारियों को सरकार तक आवाज पहुंचाने के लिए हड़ताल का सहारा लेना पड़ता है, इससे सरकारी दफ्तरों में कामकाज ठप हो जाता है और जनता के काम भी नहीं हो पाते।

गठबंधन सरकार को चाहिए कि उसने चुनाव के समय कर्मचारी संगठनों से जो भी वायदे किए थे, उन्हें बिना किसी देरी को पूरा करे। ताकि, कर्मियों के सामने हड़ताल पर जाने की नौबत ही न आए।

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हरियाणा रोडवेज में नए परमिट देने के विरोध में कर्मचारी यूनियन सभी डिपो पर प्रदर्शन करने कर चुकी है, लेकिन इनकी मांग को अनसुना किया जा रहा है। बिजली कर्मचारी भी अपने धरने-प्रदर्शन को चरणबद्ध तरीके से चला रहे हैं।

किसी कर्मचारी वर्ग के साथ सरकार ने वादाखिलाफी की है तो किसी की मांगों पर समय रहते विचार नहीं किया। किसी महकमे में निजीकरण के खिलाफ आवाज बुलंद हो रही है, तो कहीं पर कौशल रोजगार निगम के जरिए ठेके पर स्टाफ रखने पर नाराजगी है।

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