नईदिल्ली,01 मार्च (एजेंसी)। भारत ने बुधवार और गुरुवार को अपनी स्वदेशी मानव-पोर्टेबल वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली के दो सफल परीक्षण किए. इन मिसाइल्स को खासतौर पर शत्रु विमानों, ड्रोन और हेलीकॉप्टरों को बहुत कम दूरी पर नष्ट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. DRDO ने बहुत कम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली मिसाइलों का उड़ान परीक्षण किया, जिसकी मारक क्षमता 6 किमी तक है. बता दें कि डीआरडीओ ने ओडिशा तट से दूर एकीकृत परीक्षण रेंज, चांदीपुर से जमीन आधारित पोर्टेबल लॉन्चर से मिसाइलों का उड़ान परीक्षण किया. डीआरडीओ के एक अधिकारी ने इस बारे में तमाम महत्वपूर्ण जानकारी साझा की है…
अधिकारी ने बताया कि, ये परीक्षण विभिन्न अवरोधन परिदृश्यों के तहत उच्च गति वाले मानवरहित हवाई लक्ष्यों के खिलाफ किए गए थे. सभी परीक्षण उड़ानों के दौरान, मिशन के उद्देश्यों को पूरा करते हुए, लक्ष्यों को मिसाइलों द्वारा रोका और नष्ट कर दिया गया. वीएसएचओआरएडीएस को अनुसंधान केंद्र इमारत (आरसीआई) द्वारा डीआरडीओ प्रयोगशालाओं और भारतीय उद्योग भागीदारों के सहयोग से तैयार किया गया है.
इसपर ज्यादा जानकारी देते हुए अधिकारी ने बताया कि, वीएसएचओआरएडीएस मिसाइल में लघु प्रतिक्रिया नियंत्रण प्रणाली और एकीकृत एवियोनिक्स समेत कई नई प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल किया गया है, जिन्हें परीक्षणों के दौरान सफलतापूर्वक साबित कर दिया गया है.
इसकी खासियत बताते हुए अधिकारी ने बताया कि, डुअल-थ्रस्ट सॉलिड मोटर द्वारा संचालित मिसाइल, कम दूरी पर कम ऊंचाई वाले हवाई खतरों को बेअसर करने के लिए है. आसान पोर्टेबिलिटी सुनिश्चित करने के लिए लॉन्चर सहित मिसाइल के डिजाइन को अत्यधिक अनुकूलित किया गया है
देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ, सेना और उद्योग को सफल विकास परीक्षणों के लिए बधाई देते हुए कहा कि, आधुनिक प्रौद्योगिकियों से लैस यह नई मिसाइल सशस्त्र बलों को और अधिक तकनीकी बढ़ावा देगी. बता दें कि, पिछले साल जनवरी में राजनाथ सिंह की अगुवाई वाली रक्षा अधिग्रहण परिषद ने 1,920 करोड़ रुपये की लागत से डीआरडीओ द्वारा डिजाइन और विकास के तहत इन्फ्रारेड होमिंग वीएसएचओआरएडीएस मिसाइलों की खरीद के लिए आवश्यकता की स्वीकृति दी थी.
***************************