दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने श्री गुरु हरगोबिंद साहिब जी का प्रकाश पर्व श्रद्धापूर्वक मनाया

गुरु साहिब ने श्री अकाल तख्त साहिब की स्थापना सिखों की शक्ति के स्रोत के रूप में की : कालका, काहलों

जत्थेदार साहिब की नियुक्ति के लिए पारदर्शी व्यवस्था स्थापित करने की अपील

नई दिल्ली, 5 जून (एजेंसी)। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने सिखों के छठे गुरु श्री हरगोबिंद साहिब जी का प्रकाश पर्व श्रद्धा व उत्साह के साथ मनाया।इस मौके पर विभिन्न गुरुद्वारों में गुरमति समागम आयोजित हुए, मुख्य समागम गुरुद्वारा मजनू का टीला में आयोजित हुआ, जिसमें बड़ी संख्या में संगत शामिल हुई। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी के अध्यक्ष सरदार हरमीत सिंह कालका और महासचिव सरदार जगदीप सिंह काहलों ने संगत को प्रकाश पर्व पर बधाई दी और कहा कि मीरी-पीरी के मालिक गुरु हरिगोबिंद साहिब जी ने यह संकल्प लिया था कि वह ऐसा तख्त बनाएंगे जो किसी के अधीनस्थ नहीं होगा, निरपक्ष होगा तथा समूचा पंथ सजदा करेगा। उसके बाद श्री अकाल तख्त साहिब की स्थापना हुई। श्री अकाल तख्त साहिब हमारी शक्ति का स्रोत है जिससे हर सिख को जीवन शक्ति प्राप्त होती है।

उन्होंने कहा कि तत्कालीन सरकारों ने श्री अकाल तख्त साहिब को कमजोर करने का प्रयास किया। जहां सरकारों द्वारा वैश्विक स्तर पर कमजोर करने का प्रयास किया वहीं हमारे अपनों ने भी सामाजिक तौर इसे कमज़ोर किया। उन्होंने कहा कि कभी श्री अकाल तख्त साहिब के हुक्मनामे पर समूचा पंथ एकजुट होता था जबकि आज हुक्मनामे पर किंतु-परंतु किया जाता है। उन्होंने कहा कि सिंह साहिब की नियुक्ति के लिए कोई नियम नहीं है। सत्तापक्ष जत्थेदार साहिब को अपनी इच्छा से नियुक्त या हटा देता है।

इस मर्यादा को बदलना होगा और जत्थेदार की नियुक्ति के लिए निष्पक्ष मानक व पारदर्शी व्यवस्था लानी होगी। वैसे बहुत सारी जत्थेबंदियां बन गई हैं लेकिन हम सबकी शक्ति का स्रोत अकाल तख्त साहिब ही है। हमे इसके प्राचीन गौरव को पुनर्स्थापित करने के लिए मिल कर काम करना चाहिए।

सरदार कालका और सरदार काहलों ने कहा कि जहां पहले पांच गुरु साहिबानों ने गुरबाणी की रचना की, वहीं गुरबाणी का प्रचार व प्रसार भी किया तथा सज्जण ठग व वली कंधारी जैसों को सही मार्ग दिखाया, पीड़ितों के कष्ट दूर किए व अत्याचार के खिलाफ गुरूबाणी के माध्यम से प्रचार किया। पांच गुरु साहिबान ने गुरुबाणी से समाज का कल्याण किया तथा कभी भी सरकार में हस्तक्षेप नहीं किया इसके बावजूद गुरु अर्जन देव जी को मुगल शासन द्वारा शहीद किया गया।जब छठी पातशाही ने गुरुगद्दी संभाली तो उनके पास दो तलवारें थीं। एक पीरी की तलवार जो भक्ति की तलवार थी तो दूसरी मीरी की शक्ति तलवार। जहां भक्ति होगी वहीं शक्ति भी होगी। गुरु साहिब ने यह निर्णय भी किया कि जिस क्रूर मुगल शासन ने पंचम पातशाह को शहीद किया उसके खिलाफ तलवार उठाई जाएगी। गुरु साहिब ने संगत को आदेश जारी कर दिया कि जब गुरु दरबार में संगत आए तो शस्त्र व घोड़े साथ लेकर आएं।

दिल्ली के झूठ व फरेब के तख्त के बरक्स उन्होंने श्री अकाल तख्त साहिब की स्थापना की जहां से जुल्म के खिलाफ आवाज़ उठाई जाएगी व पीड़ितों को इन्साफ दिलाया जाएगा।उन्होंने कहा कि सरकार के निमंत्रण पर जब गुरु हरगोबिंद साहिब दिल्ली पहुंचे तो जहांगीर ने उन्हें इस्लामी रूप से प्रभावित करने की कोशिश की लेकिन वह सफल नहीं हुआ। इसके बाद जहांगीर ने फैसला किया कि गुरु साहिब को ग्वालियर के किले में बंद कर दिया जाए।जब गुरु साहिब ग्वालियर के किले में पहुंचे तो वहां दीवान सजाये जाने लगे व गुरूबाणी-कीर्तन होने लगा। जब साईं मियां मीर व अन्यों ने मुगल शासन पर दबाव बनाया तो गुरु साहिब को ग्वालियर से रिहा करने का निर्णय जहांगीर को लेना पड़ा। उस समय 52 राजाओं को गुरु साहिब ने किले से आज़ाद करवाया था।

उन्होंने कहा कि बंदी छोड़ दिवस इसलिए मनाया जाता है क्योंकि उन्होंने बंदी बने हुए 52 राजाओं को आज़ाद करवाया। गुरु साहिब जब गुरु की नगरी अमृतसर पहुंचे तो संगतों ने दीपमाला कर इस दिन को मनाया।इस मौके पर उन्होंने यह भी बताया कि कमेटी ने गुरु हरिकृष्ण स्कूलों के कर्मचारियों के वेतन का 55 करोड़ पिछले डेढ़ साल में जारी कर दिया है और अब कोई बकाया नहीं है। इस अवसर पर उन्होंने धर्म प्रचार कमेटी व उनके अध्यक्ष सरदार जसप्रीत सिंह करमसर को बधाई दी जिन्होंने आज से बच्चों के लिए गुरमति शिविर आयोजित किए हैं। उन्होंने बताया कि हर बच्चे की यही इच्छा होती है कि वह गुरमुखी से जुड़े। गुरुमति शिविरों में गुरुओं व उनके इतिहास के बारे में पुस्तिकाएं भी दी जा रही हैं। इन शिविरों में लगभग 8 हजार बच्चे भाग ले रहे हैं।

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