दिल्ली हाईकोर्ट ने अग्निपथ योजना से संबंधित याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रखा

नई दिल्ली ,15 दिसंबर(एजेंसी)।  दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को केंद्र की अग्निपथ योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं के तीन बैचों पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। अदालत ने वकीलों से छुट्टियों से पहले अपनी लिखित दलीलें पेश करने को कहा है। केंद्र ने कहा है कि वह अग्निवीरों की भूमिका, जिम्मेदारियों और पदानुक्रम पर एक हलफनामा दाखिल करेगा।

हाईकोर्ट ने भारतीय सेना में अग्निवीरों और नियमित सिपाहियों (सैनिकों) के लिए अलग-अलग वेतनमान के केंद्र सरकार के फैसले पर सवाल उठाया था, क्योंकि दोनों कैडरों का कार्यक्षेत्र समान है।

केंद्र का प्रतिनिधित्व करते हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि अग्निवीर नियमित कैडर से अलग कैडर है।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने जवाब में कहा, अलग-अलग कैडर जॉब प्रोफाइल का जवाब नहीं देते, सवाल काम और जिम्मेदारी का है।

हाईकोर्ट ने कहा, यदि जॉब प्रोफाइल समान है, तो आप अलग-अलग वेतन को कैसे उचित ठहरा सकते हैं? बहुत कुछ जॉब प्रोफाइल पर निर्भर करेगा। इस पर निर्देश प्राप्त करें और इसे एक हलफनामे पर रखें।

भाटी ने कहा कि अग्निवीरों के लिए नियम, शर्ते और जिम्मेदारियां सैनिकों से अलग होती हैं।

उन्होंने कहा, अग्निवीर कैडर को एक अलग कैडर के रूप में बनाया गया है। इसे एक नियमित सेवा के रूप में नहीं गिना जाएगा। चार साल तक अग्निवीर के रूप में सेवा करने के बाद यदि कोई स्वेच्छा से काम करता है और फिट पाया जाता है, तो उसे नियमित कैडर में भेज दिया जाएगा।

केंद्र ने कहा कि यह योजना जल्दबाजी में नहीं बनाई गई है, बल्कि युवाओं के मनोबल को बढ़ाने और अग्निवीरों की स्किल मैपिंग के लिए काफी अध्ययन के साथ तैयार की गई है।

एएसजी ने कहा कि अग्निवीर योजना पर फैसला लेने में पिछले दो वर्षो के दौरान बहुत कुछ किया गया है, जैसे कई आंतरिक और बाहरी परामर्श, कई बैठकें हुई। हितधारकों के साथ भी परामर्श किया गया।

भाटी ने यह भी तर्क दिया कि चूंकि भारतीय सशस्त्र बल दुनिया में सबसे अधिक पेशेवर सशस्त्र बल हैं, इसलिए जब वे इस तरह के बड़े नीतिगत फैसले ले रहे हों, तो उन्हें बहुत अधिक छूट दी जानी चाहिए।

इस योजना की शुरुआत के साथ देशभर में विरोध प्रदर्शन किए गए। बाद में इस योजना के तहत भर्ती प्रक्रिया और उम्मीदवारों की नियुक्ति को चुनौती देते हुए याचिकाओं के तीन बैच दायर किए गए।

युवाओं को भारतीय सेना में भर्ती करने के लिए बनाई गई इस योजना के तहत चार साल की अवधि के बाद चयनित उम्मीदवारों में से केवल 25

प्रतिशत को ही सेना में रखा जाएगा।
याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि चार साल के बाद बाकी 75 प्रतिशत उम्मीदवार बेरोजगार हो जाएंगे और उनके लिए कोई योजना भी नहीं है।

याचिकाकर्ताओं में से एक ने सोमवार को तर्क दिया था, छह महीने में मुझे शारीरिक सहनशक्ति विकसित करनी है और इन हथियारों का उपयोग करना सीखना है। छह महीने बहुत कम समय है। लगता है, हम राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करने जा रहे हैं।

इस बारे में भी तर्क दिए गए कि जब इनमें से एक चौथाई सेना में शामिल हो जाएंगे, तब क्या अग्निवीरों के चार साल के कार्यकाल को उनकी समग्र सेवा में गिना जाएगा? केंद्र की ओर से पेश ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि उन्हें इस बारे में निर्देश मिलेंगे।

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