रक्षा निर्माण को मिली नयी उड़ान

* 7 नई कंपनियों का उदय

*देह शिव बर मोहे ईहे, शुभ कर्मन ते कबहूं न डरूं

*रक्षा निर्माण को मिली नयी उड़ान

*रक्षा में आत्मनिर्भरता, भारत की रक्षा उत्पादन नीति की आधारशिला रही है

*इन नई कंपनियों में से अधिकांश के पास पर्याप्त कार्य आदेश होंगे

*ओएफबी के सभी लंबित कार्य आदेश,

जिनका मूल्य लगभग 65,000 करोड़ रुपये से अधिक है

– राजनाथ सिंह
किसी भी बड़े सुधार को शुरू करने और पूरा करने के लिए बहुत धैर्य, प्रतिबद्धता तथा संकल्प की आवश्यकता होती है। हितधारकों की प्रतिस्पर्धी आकांक्षाओं को पूरा करते हुए यथास्थिति में बदलाव के लिए सूक्ष्म संतुलित प्रयास की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कुशल मार्गदर्शन में, हमारी सरकार ऐसे मजबूत निर्णय लेने और महत्वपूर्ण सुधार करने में कभी नहीं हिचकिचाती है, जो लाभदायक होने के साथ-साथ राष्ट्र के दीर्घकालिक हित में हों।
रक्षा में आत्मनिर्भरता, भारत की रक्षा उत्पादन नीति की आधारशिला रही है। सरकार द्वारा हाल ही में आत्मनिर्भर भारत के आह्वान से इस लक्ष्य की प्राप्ति को और गति मिली है। भारतीय रक्षा उद्योग, मुख्य रूप से सशस्त्र बलों की जरूरतों को पूरा करता है और इसने बाजार तथा विभिन्न उत्पादों के साथ स्वयं को भी विकसित किया है। निर्यात में हाल की सफलताओं से प्रेरित होकर, भारत एक उभरते हुए रक्षा विनिर्माण केंद्र के रूप में अपनी क्षमता के अनुरूप कार्य करने के लिए तैयार है। हमारा लक्ष्य सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की सक्रिय भागीदारी के माध्यम से, निर्यात सहित बाजार तक पहुंच के साथ-साथ डिजाइन से लेकर उत्पादन तक में, भारत को रक्षा क्षेत्र के सन्दर्भ में दुनिया के शीर्ष देशों में स्थापित करना है।

2014 के बाद से, भारत सरकार ने रक्षा क्षेत्र में कई सुधार किये हैं, ताकि निर्यात, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) और स्वदेशी उत्पादों की मांग को प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए एक अनुकूल तंत्र तैयार किया जा सके। आयुध निर्माणी बोर्ड, रक्षा मंत्रालय के अधीन था, जिसे 100 प्रतिशत सरकारी स्वामित्व वाली 7 नई कॉर्पोरेट संस्थाओं में बदलने का ऐतिहासिक निर्णय लिया गया, ताकि कार्य स्वायत्तता व दक्षता को बढ़ाया जा सके और नई विकास क्षमता तथा नवाचार को शुरू किया जा सके। इस निर्णय को निश्चित रूप से इस श्रृंखला का सबसे महत्वपूर्ण सुधार माना जा सकता है।
आयुध निर्माण संयंत्रों का 200 से भी अधिक वर्षों का गौरवशाली इतिहास रहा है। राष्ट्रीय सुरक्षा में उनका बहुमूल्य योगदान रहा है। उनका बुनियादी ढांचा और कुशल मानव संसाधन देश की महत्वपूर्ण रणनीतिक संपत्ति हैं। हालांकि, पिछले कुछ दशकों में, सशस्त्र बलों द्वारा ओएफबी उत्पादों की उच्च लागत, असंगत गुणवत्ता और आपूर्ति में देरी से संबंधित चिंताएं व्यक्त की गयी हैं।
आयुध निर्माणी बोर्ड (ओएफबी) की मौजूदा प्रणाली में कई खामियां थीं। आयुध निर्माणी बोर्ड के पास अपनी आयुध निर्माणियों (ओएफ) के भीतर सब कुछ उत्पादन करने की विरासत थी, जिसके परिणामस्वरूप आपूर्ति श्रृंखला प्रभावहीन थी और प्रतिस्पर्धी बनने तथा बाजार में नए अवसरों की खोज करने को लेकर प्रोत्साहन की कमी थी। आयुध निर्माणी बोर्ड द्वारा एक ही जगह विविध श्रेणी की वस्तुओं के उत्पादन में शामिल होने के कारण विशेषज्ञता का अभाव था।
सात नई कॉरपोरेट इकाइयां बनाने का यह निर्णय व्यापार प्रशासन के मॉडल में उभरने के लक्ष्य के अनुरूप है। यह नई संरचना इन कंपनियों को प्रतिस्पर्धी बनने और आयुध कारखानों को अधिकतम उपयोग के माध्यम से उत्पादक और लाभदायक परिसंपत्तियों के रूप में बदलने के लिए प्रोत्साहित करेगी; उत्पादों की विविधता के मामले में विशेषज्ञता को गहराई प्रदान करेगी; गुणवत्ता एवं लागत संबंधी दक्षता में सुधार करते हुए प्रतिस्पर्धा की भावना को बढ़ावा देगी और नवाचार एवं लक्षित सोच (डिजाइन थिंकिंग) के क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत करेगी।
सरकार ने इस फैसले को लागू करते हुए यह आश्वासन दिया है कि कर्मचारियों के हितों की रक्षा की जाएगी।
इन सात नई कंपनियों को अब सूचीबद्ध कर लिया गया है और उन्होंने अपना कारोबार शुरू भी कर दिया है। म्यूनिशन्स इंडिया लिमिटेड (एमआईएल), जोकि मुख्य रूप से विभिन्न क्षमता वाले गोला-बारूद और विस्फोटकों के उत्पादन से जुड़ी होगी और इसकी न सिर्फ मेक इन इंडिया के जरिए बल्कि मेकिंग फॉर द वर्ल्ड के माध्यम से भी तेजी से बढऩे की व्यापक संभावना है। बख्तरबंद वाहन कंपनी (अवनी) मुख्य रूप से टैंक और बारूदी सुरंग रोधी वाहन (माइन प्रोटेक्टेड व्हीकल) जैसे युद्ध में इस्तेमाल होने वाले वाहनों के उत्पादन में संलग्न होगी और इसके द्वारा अपनी क्षमता का बेहतर इस्तेमाल करते हुए घरेलू बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने की उम्मीद है। यही नहीं, यह नए निर्यात बाजारों का भी पता लगा सकती है। उन्नत हथियार एवं उपकरण (एडब्ल्यूई इंडिया) मुख्य रूप से तोपों और अन्य हथियार प्रणालियों के उत्पादन में संलग्न होगी और इसके द्वारा घरेलू मांग को पूरा करने के साथ-साथ उत्पाद विविधीकरण के माध्यम से घरेलू बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने की उम्मीद है। अन्य चार कंपनियों के साथ भी यही स्थिति रहेगी।
सरकार ने यह भी आश्वासन दिया है कि इन नई कंपनियों में से अधिकांश के पास पर्याप्त कार्य आदेश होंगे। ओएफबी के सभी लंबित कार्य आदेश, जिनका मूल्य लगभग 65,000 करोड़ रुपये से अधिक है, को अनुबंधों के जरिए इन कंपनियों को सौंप दिया जाएगा। इसके अलावा, विविधीकरण और निर्यात के जरिए कई क्षेत्रों में नई कंपनियों के फलने-फूलने की काफी संभावनाएं हैं। असैन्य इस्तेमाल के लिए दोहरे उपयोग वाले रक्षा उत्पाद भी इनमें शामिल हैं। इसी तरह आयात प्रतिस्थापन के जरिए भी नई कंपनियों का कारोबार बढऩे की व्यापक संभावनाएं हैं।
इस दिशा में एक नई शुरुआत कर दी गई है। वैसे तो आयुध कारखानों को पहले केवल सशस्त्र बलों की जरूरतों को ही पूरा करने की जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन नई कंपनियां अब उस तय दायरे से भी परे जा सकेंगी और देश-विदेश दोनों में ही नए अवसरों का पता लगाएंगी। पहले के मुकाबले कहीं अधिक कार्यात्मक एवं वित्तीय स्वायत्तता मिल जाने से ये नई कंपनियां अब आधुनिक कारोबारी मॉडलों को अपना सकेंगी और इसके साथ ही नई तरह के सहयोग सुनिश्चित कर सकेंगी।
वर्तमान में हम आत्मनिर्भरता और निर्यात के लिए देश की रक्षा उत्पादन क्षमताओं पर सुव्यवस्थित ढंग से विशेष जोर देने के लिए विभिन्न विशिष्ट क्षेत्रों पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। यह परिकल्पना की गई है कि इन नई कंपनियों के साथ-साथ सार्वजनिक क्षेत्र की मौजूदा कंपनियां देश में एक मजबूत ‘सैन्य औद्योगिक परिवेशÓबनाने के लिए निजी क्षेत्र के साथ मिलकर काम करेंगी। इससे हमें समय पर स्वदेशी क्षमता विकास की योजना बनाकर आयात को कम करने और इन संसाधनों को स्वदेश में ही बने रक्षा उत्पादों की खरीद में लगाने में काफी मदद मिलेगी। इसमें सफलता मिलने पर हमारी अर्थव्यवस्था में व्यापक निवेश आएगा और रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे।
हालांकि, इस दिशा में आगे विभिन्न तरह की चुनौतियां हैं। सदियों पुरानी परंपराओं और कार्य संस्कृति को रातों-रात बदलना वाकई मुश्किल है। मेरा यह मानना है कि यह एक बेहद जटिल परिवर्तन प्रक्रिया की शुरुआत है और हमारा मंत्रालय शुरुआती मुद्दों को हल करने एवं मार्गदर्शन करने के साथ-साथ इन नवगठित कंपनियों को व्यवहार्य या लाभप्रद व्यावसायिक इकाइयों में परिवर्तित करने के लिए हरसंभव सहायता प्रदान करेगा। मुझे विश्वास है कि नई कंपनियों के कर्मचारी और प्रबंधन एक नई संगठनात्मक संस्कृति के बीज बोएंगे, ताकि उनकी कंपनियों में व्यापक सकारात्मक बदलाव आए और उनका कारोबार काफी तेजी से बढ़ सके।

 

मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन ने राज्यवासियों को विजयादशमी की बधाई और शुभकामनाएं दी है

सभी के लिए ब्रॉडबैंड- पीएम गति शक्ति पहल का एक प्रमुख पहलू

नाले में गिरते लोग कुम्भकर्णी नीद में रांची नगर निगम अधिकारी

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Exit mobile version