सोशल मीडिया में यह दिलचस्प पोस्ट देखने को मिली कि कांग्रेस को जो लड़ाई अदालत में लडऩी चाहिए वह सड़क पर लड़ रही है और जो लड़ाई सड़क पर लडऩी चाहिए वह ट्विटर पर लड़ रही है। सचमुच ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस कहीं की लड़ाई कहीं लड़ रही है। राहुल गांधी को प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने नेशनल हेराल्ड मामले में हुई कथित गड़बड़ी के बारे में पूछताछ के लिए बुलाया तो पूरी कांग्रेस पार्टी सड़क पर उतर गई।
ध्यान रहे यह मामला काफी पुराना है और कांग्रेस सर्वोच्च अदालत तक जा चुकी है इस मामले को खारिज कराने के लिए। लेकिन अदालत से भी राहत नहीं मिली। यह मामला भी सुब्रह्मण्यम स्वामी का शुरू किया हुआ, जिन्होंने कभी सोनिया गांधी के साथ जयललिता को बैठा कर अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार गिरवाई थी। इसलिए यह सरकार के राजनीतिक बदले वाला बहुत सरल मामला नहीं है।
तभी जब कांग्रेस के सारे बड़े नेता सड़क पर उतरे तो उसका यह मैसेज गया कि कांग्रेस के नेता सिर्फ एक परिवार के प्रति समर्पित हैं। उनकी निष्ठा अवाम से नहीं, परिवार से है। दूसरे, भाजपा को भी यह कहने का मौका मिला कि भ्रष्टाचार के मामले में नेहरू-गांधी परिवार का बचाव करने के लिए कांग्रेस पार्टी आंदोलन कर रही है। सचमुच कांग्रेस को यह लड़ाई अदालत में लडऩी है।
कांग्रेस को याद रखना चाहिए कि कैसे गुजरात दंगों के लिए बनी एसआईटी ने गुजरात के तब के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से घंटों पूछताछ की थी। मोदी चुपचाप एसआईटी के दफ्तर गए थे और पूछताछ में शामिल हुए थे।
अगर कांग्रेस राहुल की ईडी के सामने पेशी के विरोध में सड़क पर उतरने की बजाय उत्तर प्रदेश में लोगों के घरों पर चल रहे बुलडोजर के विरोध में सड़क पर उतरती या महंगाई, गरीबी और बेरोजगारी के मुद्दे पर इस तरह सड़क पर उतर कर संघर्ष करती तो उससे आम लोग ज्यादा कनेक्ट होते। लेकिन इस तरह की सारी लड़ाई कांग्रेस पार्टी ट्विटर पर लड़ रही है।
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