वाराणसी 08 Oct, (Final Justice Digital News Desk/एजेंसी) । उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वाराणसी में शक्ति के पर्व नवरात्रि पर शिव की आराधना की। भारत सेवाश्रम संघ में मां दुर्गा पूजा के बाद सीएम योगी ने काशी विश्वनाथ दरबार और काल भैरव मंदिर में भी दर्शन-पूजन किया। मुख्यमंत्री ने विशालाक्षी मंदिर में भी दर्शन किया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शारदीय नवरात्रि की पंचमी तिथि पर सोमवार को वाराणसी पहुंचे। यहां उन्होंने समीक्षा बैठक की और उसके बाद विकास योजनाओं का स्थलीय निरीक्षण भी किया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने काशी विश्वनाथ के दरबार में पूजा अर्चना कर उत्तर प्रदेश की खुशहाली की प्रार्थना की। उन्होंने बाबा के गर्भगृह में षोडशोपचार पूजन किया। वहीं काशी कोतवाल बाबा काल भैरव के चरणों में भी हाजिरी लगाई। इसके बाद विशालाक्षी मंदिर में भी दर्शन कर लोक कल्य़ाण और सुखी-समृद्ध उत्तर प्रदेश की कामना की।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी का दौरा जल्द ही प्रस्तावित है। इस दौरान प्रधानमंत्री कई योजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण करेंगे। इसके पहले सीएम योगी आदित्यनाथ ने स्थलीय निरीक्षण करते हुए तैयारियों का जायजा लिया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वाराणसी में सोमवार को कहा कि, हिंदू धर्म किसी का अंत नहीं चाहता। वह ‘अहिंसा परमो धर्मः’ की बात कहता है, लेकिन वह ‘धर्म हिंसा तथैव च’ की भी बात करता है। यानी अहिंसा परम धर्म है, लेकिन राष्ट्र-धर्म की रक्षा और निर्दोषों को बचाने के लिए हिंसा करनी पड़े तो यह धर्मसम्मत है। यह अपील भारत का शास्त्र करता है।
सीएम योगी ने कहा कि ‘अहिंसा परमो धर्मः’ का पक्ष कहता है कि हम सेवा के कार्य से जुड़ें। दीन-दुखियों की सेवा के लिए जीवन समर्पित करें, लेकिन एकता-अखंडता को कोई चुनौती देगा और सीमाओं का अतिक्रमण करेगा, तो राष्ट्र की सुरक्षा-संप्रभुता, देश की रक्षा के लिए धर्म सम्मत हिंसा के पक्षधर भी हैं, जो जनता को सुरक्षा प्रदान कर सके और भारत को एक भारत-श्रेष्ठ भारत रख सके।
सीएम योगी ने कहा कि लोक कल्याण के लिए जाति, मत, मजहब से जुड़े महापुरुषों का सम्मान होना चाहिए। कोई व्यक्ति किसी महापुरुष, योगी-सन्यासी के खिलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग करता है, तो वह दंड का भागी बनता है, उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए, लेकिन विरोध का मतलब तोड़फोड़ या लूटपाट नहीं है। यह कतई स्वीकार नहीं किया जा सकता।
*****************************
Read this also :-