पांटून पुल घोटाले पर मुख्यमंत्री ने लिया संज्ञान, जांच के दिए आदेश

प्रयागराज 08 अगस्त (एजेंसी)। महाकुम्भ में लोक निर्माण विभाग की तरफ से पांटूनों के निर्माण और ढुलाई में की गई गड़बड़ी की लीपापोती पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गंभीर हैं। जांच में विलंब होने के बाद शासन की ओर से लोक निर्माण विभाग विकास के प्रमुख अभियंता और विभागाध्यक्ष को पत्र भेजकर तत्काल आख्या मांगी है।मामले विद्युत यांत्रिक खंड के अधिशासी अभियंता पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए हैं।

बता दें कि महाकुम्भ 2025 के लिए पांटूनों का निर्माण लंबे समय से शुरू हुआ है। इस क्रम में आरोप लगाया गया कि अफसरों ने लापरवाही से दूसरे ठेकेदारों को काम दिया। आरोप है कि जिन्हें काम दिया गया न तो लोक निर्माण विभाग में पंजीकृत हैं और न ही उन्होंने निविदा के साथ विभाग की शर्तों को लगाया था। अफसरों ने नियम की अनदेखी कर ऐसी एजेंसी को काम दिया, जिसने बढ़े हुए टेंडर पर बोली लगाई थी। मामले की कई चरणों में शिकायत हुई। 22 अगस्त 2022 को पहली और 29 मार्च 2023, 25 मई 2023, 20 जून 2023 को दूसरी, तीसरी और चौथी बार शिकायत की गई। इस शिकायत में अधिशासी अभियंता पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं।

लंबे समय से अफसर इस जांच को पूरा नहीं कर रहे हैं। पिछले दिनों शासन के विशेष सचिव आशुतोष कुमार द्विवेदी ने प्रमुख अभियंता लोक निर्माण विभाग विकास को पत्र लिखकर जांच आख्या मांगी है। पत्र में इस बात का स्पष्ट उल्लेख है कि प्रकरण मुख्यमंत्री के आदेश से आच्छादित है। ऐसे में जांच में शीघ्रता करें।

मिली जानकारी के अनुसार विद्युत यांत्रिक खंड में वित्तीय अनियमितता की यह शिकायत भाजपा कानूनी और विधि विभाग के जिला संयोजक भोलानाथ पांडेय ने मुख्य अभियंता से की थी। इसमें उन्होंने एक्सईएन दिनेश कुमार पर चहेती फर्मों को करोड़ों रुपये का लाभ पहुंचाने समेत कई गंभीर आरोप लगाए थे। इसी तरह इंजीनियर इन चीफ को दिए पत्र में कहा गया था कि विद्युत यांत्रिक खंड में मनमाफिक फर्मों से स्वीकृत बजट के विपरीत न्यूनतम दर पर निविदा डलवाकर शेष धनराशि डकार ली गयी है।

बताते है कि उच्च न्यायालय के कोर्ट नं. आठ, 10 और 18 में कराए गए विद्युतीय कार्यों में आगणित धनराशि के सापेक्ष 10 प्रतिशत न्यूनतम रेट पर निविदा डालकर शेष धनराशि का सप्लाई आर्डर के माध्यम से फर्जी भुगतान कर दिया गया था। इतना ही नहीं, कोरोना काल में वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान निलंबित एक्सईएन दिनेश यादव के कार्यकाल का वैरिएबल रेफ्रिजरेंट फ्लो (वीआरएफ), वैरिएबल रेफ्रिजरेंट वाल्यूम (वीआरवी) एसी का अनुबंध गठित कर चहेती फर्म को फर्जी भुगतान किया गया था।

इसी तरह उच्च न्यायालय में नेटवर्किंग के कार्य में भी मानक को ताक पर रखकर लाखों रुपये का गोलमाल किया गया और एग्रीमेंट के तहत गारंटी वारंटी के दस्तावेज नहीं सौंपे गए थे। ऐसे में इन कार्यों से जुड़ी निविदा के अनुबंधों के अलावा कार्यों से संबंधित अभिलेखों की जांच कराने की मांग की थी। जिससे भ्रष्टाचार पर लगाम कसी जा सके।

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