कोयला खदानों से उत्पन्न जल संकट से निपटने के लिए कारगर कदम उठाये केन्द्र सरकार : सांसद, नीरज ड़ॉगी

जयपुर ,19 दिसंबर(एजेंसी)। राज्यसभा सांसद नीरज ड़ॉगी ने सदन में पूरक प्रश्न के तहत केन्द्रीय कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी से पूछा कि प्रस्तावित कोयला परियोजनाओं में से लगभग 90 फीसदी खदानें उच्च-जोखिम वाले जल क्षेत्रों में स्थित है, जिससे ऐसे क्षेत्रों में पानी की कमी हो जायेगी। इन क्षेत्रों में नई कोयला परियोजनाओं के कारण संभावित जल संकट को कम करने के लिये केन्द्र सरकार क्या कदम उठा रही है ?

प्रत्युत्तर में कोयला मंत्री ने सदन में कहा कि खदानों से निकलने वाले जल का खदानों एवं विभिन्न कार्यों में उपयोग किया जाता है। परन्तु मंत्री द्वारा खदानों के कारण भूमिगत जल की कमी से निपटने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा किये जाने वाले उपायों की जानकारी नही दी गई।

सांसद ड़ॉगी ने केन्द्र सरकार से आग्रह किया कि देश में प्रस्तावित 90 फिसदी खदानं उच्च जोखिम वाले जल क्षेत्रों में स्थित है, इसके कारण पानी की कमी सें संभावित जल संकट को कम करने के लिए सरकार द्वारा कारगर कदम उठायें जाने चाहिए।

डाँगी द्वारा सदन में अन्य प्रश्न उठाते हुए सकल घरेलू उत्पाद में एमएसएमई और कुटीर उद्योगों के द्वारा देश में रोजगार सृजन एवं कार्यों के निष्पादन में सुधार और कुटीर उद्योगों के विकास के लिये केन्द्र सरकार से सुधारात्मक उपाय किये जाने की मांग की। उन्होंने विगत तीन वर्षों में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम तथा कुटीर उद्योग का देश के घरेलू उत्पाद और रोजगार सृजन में केन्द्र सरकार के योगदान की जानकारी चाही।

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम राज्यमंत्री द्वारा प्रत्युत्तर में अखिल भारतीय सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में एमएसएमई सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) वर्ष 2018-19 में 30.50 प्रतिशत, 2019-20 में 30.50 प्रतिशत एवं 2020-21 में 26.83 प्रतिशत रही जो 2018-19 की तुलना में गिरावट को दर्शाता है। इसी प्रकार अखिल भारतीय निर्यात में एमएसएमई से संबंधित उत्पादों में भी 07 प्रतिशत की गिरावट बताई गई है।
सांसद डाँगी ने अखिल भारतीय सकल घरेलू उत्पाद एवं अखिल भारतीय निर्यात में एमएसएमई में आई गिरावट की पूर्ति करते हुए केन्द्र सरकार से इस ओर ध्यान देते हुए इसे बढाने की मांग की।

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