CBI ने आंध्र प्रदेश के CM जगन रेड्डी के चाचा को किया गिरफ्तार, पूर्व सांसद की हत्या से जुड़ा है मामला

नई दिल्ली 16 April, (एजेंसी) : केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो ने पूर्व सांसद विवेकानंद रेड्डी की हत्या के मामले में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी के चाचा वाईएस भास्कर रेड्डी को गिरफ्तार किया है। विवेकानंद रेड्डी आंध्र प्रदेश के दिवंगत मुख्यमंत्री वाईएस राजशेखर रेड्डी के भाई और आंध्र प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी के चाचा थे। यह गिरफ्तारी पूर्व सांसद विवेकानंद रेड्डी की हत्या के मामले में हुई है। वह पुलीवेंदुला इलाके में स्थित अपने घर में 15 मार्च 2019 को मृत पाए गए थे।

एसआईटी ने पहले इस मामले की जांच की और जुलाई 2020 में इसकी जांच सीबीआई को सौंप दी गई थी। सीबीआई की चार्जशीट के अनुसार, विवेकानंद रेड्डी, काडप्पा लोकसभा सीट से अपने या जगन मोहन रेड्डी की बहन शर्मिला या जगन की मां वाईएस विजयम्मा के लिए टिकट मांग रहे थे। जांच में पता चला कि 68 वर्षीय विवेकानंद रेड्डी के घर में किसी अज्ञात व्यक्ति ने घुसकर उनकी हत्या की थी। घटना के वक्त पूर्व सांसद अपने घर में अकेले थे। एसआईटी ने पहले इस मामले की जांच की और जुलाई 2020 में इसकी जांच सीबीआई को सौंप दी गई थी।

विवेकानंद रेड्डी की लोकसभा सीट कडापा से वाईएस अविनाश रेड्डी सांसद हैं, जो कि भास्कर रेड्डी के बेटे हैं। सीबीआई ने भास्कर रेड्डी को उनके पुलिवेंदुला इलाके में स्थित आवास से गिरफ्तार किया है। गिरफ्तारी की सूचना मिलते ही भास्कर रेड्डी के समर्थक भारी संख्या में उनके आवास पहुंच गए हैं।

सीबीआई भास्कर रेड्डी को हैदराबाद लेकर गई है, जहां उन्हें मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया। भास्कर रेड्डी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। बता दें कि भास्कर रेड्डी की गिरफ्तारी सुप्रीम कोर्ट के उस निर्देश के बाद हुई है, जिसमें कोर्ट ने सीबीआई को 30 अप्रैल तक मामले की जांच पूरी करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद ही सीबीआई ने मामले की जांच के लिए विशेष जांच टीम गठित की गई।

विवेकानंद रेड्डी की बेटी सुनीता रेड्डी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सीबीआई जांच की मांग की थी और किसी करीबी पर हत्या का शक जताया था। बीते साल नवंबर में सुप्रीम कोर्ट ने यह मामला हैदराबाद ट्रांसफर कर दिया था क्योंकि सुनीता रेड्डी ने याचिका दायर कर आशंका जताई थी कि आंध्र प्रदेश में मामले की निष्पक्ष जांच नहीं हो पाएगी।

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