भोपाल,11 अप्रैल (एजेंसी)। मध्य प्रदेश में भाजपा मिशन 2023 को बिल्कुल भी आसान नहीं मान रही है। पार्टी के रणनीतिकारों ने प्रदेश की विधानसभा सीटों को विभिन्न श्रेणी में बांटा है। सूत्रों के अनुसार भाजपा के रणनीतिकार मानते हैं कि मध्य प्रदेश में 160 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां उसे कांग्रेस से बराबरी का मुकाबला करना पड़ेगा।
भाजपा ने आकांक्षी सीटों की संख्या 124 से बढ़ाकर 160 कर ली है। इसमें सिंधिया समर्थकों की 21 सीटें भी शामिल हैं जिन्हें 2020 के बाद उपचुनावों में पार्टी ने जीता था। भाजपा सिंधिया समर्थकों की सीटों को इसलिए संघर्षपूर्ण मानती है क्योंकि यहां निष्ठावान भाइपाइयों और सिंधिया समर्थकों में संघर्ष दिनों दिनब ढ़ रहा है। ऐसे में आपसी घमासान का लाभ कांग्रेस को मिल सकता है।
इसी वजह से ग्वालियर चंबल अंचल और अन्य स्थानों की सिंधिया समर्थकों की सीटों को भी कठिन सीटों में माना गया है। 2018 के विधानसभा चुनव में भाजपा को 109 और कांग्रेस को 114 सीटें मिली थीं। बाद में हुए 31 विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 21 सीटें जीती। पार्टी ने पहले 124 सीटों को आकांक्षी सीटों के रूप में चिह्नित किया था बाद में यह आंकड़ा घटकर 103 कर दिया गया, लेकिन सूत्रों के अनुसार भाजपा प्रदेश में 160 विधानसभा सीटों को कठिन और चुनौतीपूर्ण मान रही है।
इसका मतलब यह है कि पार्टी के लिए इस समय केवल 70 विधानसभा सीटें अनुकूल हैं। यहसीटें वह है जहां भाजपा पिदले तीन या उससे अधिक बार से चुनाव में हारी नहीं है। जाहिर है भाजपा के रणनीतिकार इस बार मुकाबला बेहद कठिन मान रहे हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 41 फीसदी और कांग्रेस को 40.9 फीसदी मत मिले थे।
भाजपा केवल 4337 वोटों का कारण सात सीटों पर हार गई थी। इस कारण उसे सत्ता गंवानी पड़ी थी। पिछले चुनाव में 18 सीटें ऐसी थी जहां भाजपा एक हजार के लगभग अंतर से हारी। 30 सीट ऐसी थी जहां पार्टी को तीन हजार से कम मतों से पराजय का मुंह देखना पड़ा। 45 सीटों पर कांग्रेस और भाजपा के बीच तीन से पांच हजार वोटों का अंतर या यह सभी सीटें भाजपा हार गई थी।
2018 के विधानसभा चुनाव में ग्वालियर दक्षिण ऐसी सीट थी जहां कांग्रेस के प्रवीण पाठक ने भाजपा उम्मीदवार को मात्र 121 मतों से हराया था। इसी तरह सुवासरा सीट पर भाजपा 350 मतों से हारी थी।
कुल मिलाकर सात सीटें ऐसी थी जहां भाजपा 500 से कम मतों से हारी थी। पार्टी ने क्षेत्र के अनुसार तथा पिछले चुनाव के रिकार्ड के आधार पर मध्यप्रदेश की विधानसभा सीटों को विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया है। पार्टी उसी हिसाब से अपनी रणनीति बना रही है।
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