बड़े देश स्वार्थ छोड़कर, स्वच्छ ऊर्जा की आपूर्ति श्रृंखला को सशक्त बनाएं : मोदी

दुबई 01 Dec, (एजेंसी)-प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वैश्विक समुदाय का आज आह्वान किया कि जलवायु लक्ष्यों को हासिल करने के लिए उन्हें स्वार्थ प्रेरित सोच के अंधेरे से बाहर निकलना होगा और ऊर्जा संक्रमण, न्यायपूर्ण, समावेशी एवं समानतापूर्ण बनाने के लिए दूसरे देशों को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण सुलभ करके स्वच्छ ऊर्जा की आपूर्ति श्रृंखला को सशक्त बनाना होगा। मोदी ने यहां संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की अध्यक्षता में आयोजित विश्व जलवायु कार्रवाई शिखर सम्मेलन (सीओपी-28) में विशेष संबोधन में इस आह्वान के साथ ग्रीन क्रेडिट पहल की घोषणा की और सभी देशों से इससे जुड़ने की अपील भी की। इस मौके पर संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुटेरस भी मौजूद थे।

प्रधानमंत्री ने विश्व नेताओं को दो टूक शब्दों में नसीहत देते हुए कहा, “पिछली शताब्दी की गलतियों को सुधारने के लिए हमारे पास बहुत ज्यादा समय नहीं है। मानव जाति के एक छोटे हिस्से ने प्रकृति का अंधाधुंध दोहन किया। लेकिन इसकी कीमत पूरी मानवता विशेषकर ग्लोबल साउथ के निवासियों को चुकानी पड़ रही है। सिर्फ मेरा भला हो, ये सोच, दुनिया को एक अंधेरे की तरफ ले जाएगी। इस हॉल में बैठा प्रत्येक व्यक्ति, प्रत्येक राष्ट्राध्यक्ष बहुत बड़ी जिम्मेदारी के साथ यहां आया है। हम में से सभी को अपने दायित्व निभाने ही होंगे। पूरी दुनिया आज हमें देख रही है, इस धरती का भविष्य हमें देख रहा है। हमें सफल होना ही होगा।” मोदी ने कहा, “हमें निर्णायक होना होगा। हमें संकल्प लेना होगा कि हर देश अपने लिए जो जलवायु लक्ष्य तय कर रहा है, जो संकल्प कर रहा है, वो पूरा करके ही दिखाएगा। हमें एकता से काम करना होगा। हमें संकल्प लेना होगा कि हम मिलकर काम करेंगे, एक दूसरे का सहयोग करेंगे, साथ देंगे। हमें वैश्विक कार्बन बजट में सभी विकासशील देशों को उचित शेयर देना होगा। हमें अधिक संतुलित होना होगा। हमें ये संकल्प लेना होगा कि अनुकूलन, शमन, जलवायु वित्तपोषण, प्रौद्योगिकी, हानि और क्षति इन सब पर संतुलन बनाते हुए आगे बढ़ें। हमें महत्वाकांक्षी हाेना होगा। हमें संकल्प लेना होगा कि ऊर्जा संक्रमण, न्यायपूर्ण, समावेशी एवं समानतापूर्ण हो। हमें नवान्वेषी बनना होगा। हमें ये संकल्प लेना होगा कि नवान्वेषी तकनीक का लगातार विकास करें। अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर दूसरे देशों को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण करें। स्वच्छ ऊर्जा की आपूर्ति श्रृंखला को सशक्त करें।”

उन्होंने कहा, “ इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी का अध्ययन है कि इस तरह से हम 2030 तक प्रति वर्ष 2 अरब टन कार्बन उत्सर्जन कम कर सकते हैं। आज मैं इस फोरम से एक और, पर्यावरण के अनुकूल, प्रभावी एवं सकारात्मक पहल का आह्वान कर रहा हूँ। यह है ग्रीन क्रेडिट्स इनीशिएटिव। यह कार्बन क्रेडिट की वाणिज्यिक मानसिकता से आगे बढ़कर, जन भागीदारी से कार्बन सिंक बनाने का अभियान है। मैं उम्मीद करता हूं कि आप सब इससे जरूर जुड़ेंगे।”

इससे पहले अपने भारत की शुरुआत करते हुए श्री मोदी ने विश्व समुदाय का इस बात के लिए आभार ज्ञापन किया कि उनके द्वारा उठाए गए जलवायु न्याय, जलवायु वित्तपोषण औऱ ग्रीन क्रेडिट जैसे विषयों को सभी देशों ने निरंतर समर्थन दिया है। हम सभी के प्रयासों से ये विश्वास बढ़ा है कि विश्व कल्याण के लिए सबके हितों की सुरक्षा आवश्यक है, सबकी भागीदारी आवश्यक है। उन्हाेंने कहा कि आज भारत ने पारिस्थिकी एवं अर्थव्यवस्था के उत्तम संतुलन का उदाहरण विश्व के सामने रखा है। भारत में विश्व की 17 प्रतिशत आबादी होने के बावजूद, ग्लोबल कार्बन उत्सर्जन में हमारी हिस्सेदारी केवल चार प्रतिशत से भी कम है। भारत विश्व की उन कुछ अर्थव्यवस्थाओं में से एक है जो राष्ट्रीय विकास परिषद के लक्ष्यों को पूरा करने की राह पर है।

उन्होंने कहा कि उत्सर्जन तीव्रता सम्बन्धी लक्ष्यों को हमने 11 साल पहले ही हासिल कर लिया है। गैर जीवाश्मीय ईंधन के लक्ष्यों को हम निर्धारित समय से नौ साल पहले ही प्राप्त कर चुके हैं। और भारत इतने पर ही नहीं रुका है। हमारा लक्ष्य 2030 तक उत्सर्जन तीव्रता को 45 प्रतिशत घटाना है। हमने तय किया है कि गैर जीवाश्मीय ईंधन का हिस्सा हम बढ़ा कर 50 फीसदी करेंगे और, हम 2070 तक नेट ज़ीरो के लक्ष्य की तरफ भी बढ़ते रहेंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने अपनी जी-20 अध्यक्षीय काल में ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ की भावना के साथ जलवायु के विषय को निरंतर महत्व दिया है। सतत भविष्य के लिए, हमने मिलकर ग्रीन डेवेलपमेंट पैक्ट पर सहमति बनाई। हमने सतत विकास के लिए जीवनशैली के सिद्धांत तय किए। हमने वैश्विक स्तर पर नवीकरणीय ऊर्जा को तीन गुना करने की प्रतिबद्धता जताई। भारत ने वैकल्पिक ईंधन के लिए हाइड्रोजन के क्षेत्र को बढ़ावा दिया औऱ वैश्विक जैवईंधन गठबंधन भी स्थापित किया। हम मिलकर इस नतीजे पर पहुंचे कि जलवायु वित्तपोषण के लिए संकल्प को अरब से बढ़ा कर कई खरबों तक ले जाने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि ग्लासगो में भारत ने ‘द्वीपीय देशों’ के लिए टिकाऊ बुनियादी ढांचा पहल की शुरुआत की थी। भारत 13 देशों में इससे जुड़े प्रोजेक्ट्स तेजी से आगे बढ़ा रहा है। ग्लासगो में ही उन्होंने मिशन लाइफ– पर्यावरण के लिए जीवनशैली का विजन आपके सामने रखा था। उन्होंने कहा, “भारत, संयुक्त राष्ट्र के लिए जलवायु परिवर्तन की प्रक्रिया के प्रति प्रतिबद्ध है । इसलिए, आज मैं इस मंच से 2028 में सीओपी-33 शिखर सम्मेलन को भारत में आयोजित करने का प्रस्ताव भी रखता हूँ। मुझे आशा है कि आने वाले 12 दिनों में उत्सर्जन नियंत्रित करने के वैश्विक प्रयासों की समीक्षा से हमें सुरक्षित और उज्ज्वल भविष्य का रास्ता मिलेगा। कल, हानि एवं क्षतिपूर्ति निधि को क्रियान्वित करने का जो निर्णय लिया गया है उससे हम सभी की उम्मीद और बढ़ी है। मुझे विश्वास है, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की मेजबानी में, ये सीओपी 28 शिखर सम्मेलन, सफलता की नई ऊंचाई पर पहुंचेगा।

प्रधानमंत्री ने यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद और संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव एंतोनियो गुटरेस का विशेष रूप से आभार व्यक्त किया।

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