महासतिया में अरविंद सिंह मेवाड़ पंचतत्व में विलीन

बहनों के गले लगकर रोए लक्ष्यराज, सिसकियों में डूबा शाही परिवार

उदयपुर ,17 मार्च(Final Justice Digital News Desk/एजेंसी)। सिटी पैलेस सोमवार को एक गहरे सन्नाटे में डूबा था। शंभू निवास के दरवाजे से जब अरविंद सिंह मेवाड़ की अंतिम यात्रा निकली, तो मानो पूरे राजमहल की दीवारों ने भी सिसकियों को महसूस किया।

राजपरिवार के इस चिराग के बुझने के साथ ही मेवाड़ की शाही परंपराओं में एक और दुखद अध्याय जुड़ गया। अरविंद सिंह मेवाड़ के अंतिम सफर में शहर के हर खास ओ आम ने शिरकत की। आयड़ स्थित महासतिया (जहां उदयपुर के राज परिवार के सदस्यों का होता है अंतिम संस्कार) में पंचतत्व में विलीन हो गए।

सुबह करीब 11 बजे शंभू पैलेस से जब पार्थिव देह महासतिया की ओर रवाना हुई, तो बड़ी पोल, जगदीश चौक, घंटाघर और बड़ा बाजार की गलियां गमगीन हो गईं। सफेद कपड़ों में लिपटे, आंखों में नमी लिए हर कोई इस क्षण का गवाह था। लक्ष्यराज सिंह, जो अपने पिता की अंतिम यात्रा में हर कदम उनके साथ थे, जैसे ही मुखाग्नि देने पहुंचे, उनकी आंखें छलक पड़ीं।

बहनों ने उन्हें गले लगाया, लेकिन उस आलिंगन में कितना सुकून था और कितना दर्द, यह केवल वही महसूस कर सकते थे जिनकी आंखों के सामने एक साया हमेशा के लिए ओझल हो चुका था।

नाथद्वारा विधायक विश्वराज सिंह मेवाड़ भी चाचा के अंतिम संस्कार में पहुंचे। शिव (बाड़मेर) के विधायक रविंद्र सिंह भाटी और वल्लभनगर के पूर्व विधायक रणधीर सिंह भिंडर भी वहां मौजूद थे। हर किसी की आंखों में सम्मान था, लेकिन साथ ही एक ऐसा दर्द भी, जो शब्दों से नहीं बयां किया जा सकता।

राजमहल की दीवारों में गूंजती यादें

चार महीने पहले सिटी पैलेस में पारिवारिक विवाद ने सुर्खियां बटोरी थीं। लेकिन आज, ये वही दीवारें सिर्फ एक ही बात कह रही थीं—रिश्ते अहम होते हैं, परंपराएं बनी रहती हैं, लेकिन अपनों का बिछडऩा सबसे बड़ा दुख होता है।

शहर के कई गणमान्य लोग, पूर्व क्रिकेटर अजय जडेजा, कवि और अभिनेता शैलेश लोढ़ा, ताज ग्रुप के ष्टश्वह्र पुनीत चटवाल और उदयपुर एसपी योगेश गोयल भी शोक जताने पहुंचे।

लेकिन सबसे भावुक पल तब आया, जब लक्ष्यराज सिंह ने अपनी बहनों को गले लगाकर रोना शुरू किया। यह केवल एक भाई का रोना नहीं था, बल्कि यह उस परिवार की भावनाओं का ज्वार था, जिसने अपने सबसे मजबूत स्तंभ को खो दिया था।

एक युग का अंत

रविवार 16 मार्च को, लंबे समय से बीमार अरविंद सिंह मेवाड़ का निधन हो गया। उनके पिता भगवत सिंह मेवाड़ और माता सुशीला कुमारी मेवाड़ की विरासत को वे अपने अद्वितीय अंदाज में आगे बढ़ा रहे थे।

बड़े भाई महेंद्र सिंह मेवाड़ का निधन भी कुछ ही महीने पहले हुआ था, और अब यह शाही परिवार एक और दु:ख से घिर गया।

राजमहल में अब भी उनकी यादें जिंदा रहेंगी, महल के आंगन में उनकी हंसी गूंजेगी, और उनकी विरासत हमेशा मेवाड़ की पहचान बनी रहेगी। लेकिन आज, सिटी पैलेस की हवाओं में बस एक ही आहट थी—विदाई की!

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