अमित शाह आज संसद में नए सिरे से पेश करेंगे 3 आपराधिक विधेयक, पुराने वापस लिए

नईदिल्ली,12 दिसंबर (एजेंसी)। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आज सदन में ब्रिटिशकालीन आपराधिक कानूनों को बदलने वाले 3 आपराधिक कानून विधेयकों को नए सिरे से पेश कर सकते हैं।इन विधेयकों को संसदीय स्थायी समिति की विभिन्न सिफारिशों के आधार पर फिर से तैयार किया गया है।इससे पहले सोमवार देर रात केंद्र सरकार ने लोकसभा में पेश किए जा चुके 3 नए आपराधिक कानून विधेयकों को वापस ले लिया था।

सूत्रों के अनुसार, गृह मंत्री शाह मंगलवार को संसद में भारतीय दंड संहिता, भारतीय न्याय संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेने वाले भारतीय न्याय संहिता विधेयक, 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक, 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023 के अलावा 2 अन्य विधेयक भी पेश कर सकते हैं।इनमें जम्मू-कश्मीर और पुदुचेरी की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशट सीटें आरक्षित करने के प्रस्ताव से संबंधित विधेयक भी शामिल हैं।

सूत्रों ने बताया है कि समिति की सिफारिशों के आधार पर 3 आपराधिक कानून विधेयकों में बदलाव करके इन्हें नए सिरे से बनाया गया है और शाह इन्हें आज शाम 5 बजे के आसपास 2 अन्य विधेयकों के साथ पेश करेंगे।उन्होंने बताया कि इन विधेयकों की जांच गृह मामलों की स्थायी समिति द्वारा की गई और 6 नवंबर को अपनाई गई रिपोर्ट में समिति ने गृह मंत्रालय को लगभग 50 संशोधनों का सुझाव दिया था।
बता दें कि संसदीय समिति ने नए आपराधिक विधेयकों में व्यभिचार (धारा 497) और समलैंगिक यौन संबंध (धारा 377) को अपराध के दायरे में रखने की सिफारिश की थी।समिति ने कहा था कि व्यभिचार को लिंग-तटस्थ करके अपराध बनाया चाहिए, वहीं गैर-सहमति के समलैंगिकों संबंधों को धारा 377 के तहत अपराध बनाया जाना चाहिए।इस पर प्रधानमंत्री कार्यालय  ने आपत्ति जताई थी क्योंकि ये दोनों सिफारिशें सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के खिलाफ हैं।

इससे पहले शाह ने 11 अगस्त को संसद के मानसून सत्र के अंतिम दिन लोकसभा में 3 नए आपराधिक कानून विधेयक पेश किए थे और कहा था कि इन विधेयकों का मकसद सजा नहीं, बल्कि न्याय दिलाना है।उन्होंने कहा था, ब्रिटिशकालीन कानूनों में प्रशासन की रक्षा और दंड देने विचार पर ध्यान केंद्रित था, न कि न्याय देने पर। उन्हें विदा करके 3 नए कानून भारतीय नागरिकों के अधिकारों की रक्षा की भावना लाएंगे।
बता दें कि नए विधयकों में राजद्रोह के कानून को खत्म कर दिया गया था। इससे पहले भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए में राजद्रोह का जिक्र था, लेकिन अब नए विधेयक में राजद्रोह का प्रावधान नहीं होगा।हालांकि, नए विधेयक की धारा 150 में राजद्रोह जैसा ही एक प्रावधान रखा था, लेकिन इसे एक नया रंग-रूप और नाम दिया गया। इसके अलावा इन विधेयकों में मॉब लिंचिंग जैसे अपराध में 7 साल की सजा लेकर मृत्युदंड का प्रावधान भी था।

******************************

 

Leave a Reply

Exit mobile version