एआईसीटीई ने करवाया हिंदी पखवाड़े के पुरस्कार वितरण समारोह

नई दिल्ली, 06 अक्टूबर (एजेंसी)। ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) ने विद्यार्थियों को हिंदी के महत्व को समझाने के उद्देश्य से 15 दिन चलने वाले हिंदी पखवाड़े का आयोजन 14 सितंबर हिंदी दिवस के अवसर पर किया। एआईसीटीई ने हिंदी पखवाड़े के पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन 05 अक्टूबर को किया जिसमे बतौर विशिष्ट अतिथि प्रख्यात साहित्यकार  मनोज ‘भावुक’ उपस्थित हुए।  मनोज ‘भावुक’ ने इस हिंदी पखवाड़े के दौरान अपने संबोधन में कहा कि हिंदी की वजह से ही हम संवाद कर पा रहे हैं वर्ना अपने ही आँगन में गूँगे-बहरों की तरह रहते। हिंदुस्तान के तमाम राज्यों को जोड़ती है हिंदी। बातचीत में शुद्ध हिन्दी की मांग नहीं होनी चाहिए। दरअसल हिंदी बोलियों के समूह की भाषा है। बोलियों का विकास हिंदी का विकास है।

हिंदी की लड़ाई अंग्रेजी से है, बोलियों से नहीं। इसलिए हिंदी को उसके बोलियों के साथ फलने-फूलने दिया जाना चाहिए। इससे पहले एआईसीटीई के चेयरमैन प्रोफेसर टी. जी. सीताराम, वाइस चेयरमैन डॉ. अभय जेरे, सदस्य सचिव प्रोफेसर बी आर काकड़े, सलाहकार डॉ. आर के सोनी, डॉ. ममता रानी अग्रवाल और मुख्य अतिथि श्री मनोज ‘भावुक’ ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

विशिष्ट अतिथि श्री मनोज ‘भावुक’ ने हिन्दी के विकास व गिरमिटिया देशों में उसकी यात्रा, तकनीकी शिक्षा और हिंदी, बतौर टेक्नोक्रेट अपने अफ्रीका व यूरोप प्रवास के अनुभव को साझा करते हुए अपनी प्रसिद्ध हिन्दी कविता खिलने दो खूशबू पहचानो, बस तुम अच्छे लगते हो, वसंत आया, पिया न आए गाकर युवाओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। सभागार में उपस्थित पूर्वाञ्चल के लोगों की मांग पर श्री मनोज ‘भावुक’  ने अपनी भोजपुरी गजलें- सूरज खड़ा बा सामने आ रात हो गइल और रंग चेहरा के बा उड़ल काहे / चोर मन के धरा गइल बा का  भी सुनाईं।

एआईसीटीई चेयरमैन प्रोफेसर टी. जी. सीताराम ने तकनीकी शिक्षा के लिए हिन्दी के महत्व को रेखांकित करते हुए श्री प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अनेक योजनाओं का जिक्र किया और अपने भाषण का समापन इस वादे के साथ किया कि अगले वर्ष अपनी हिन्दी को और बेहतर करके वे सभी से मिलेंगे।

इस अवसर पर डॉ. आर के सोनी ने हिंदी पखवाड़ा संबंधी रिपोर्ट पेश की और हिन्दी पखवाड़ा में आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के 110 विजेताओं को एआईसीटीई चेयरमैन प्रोफेसर टी. जी. सीताराम और विशिष्ट अतिथि मनोज भावुक के हाथों पुरस्कृत कराया गया।

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