अनामिका, अनुपमा और गोविंद को स्ट्रेंड्जा मेमोरियल टूर्नामेंट में रजत पदक

सोफिया, 27 फरवरी (एजेंसी)। भारतीय मुक्केबाजों अनामिका (50 किग्रा), अनुपमा (81 किग्रा) और गोविंद कुमार साहनी (48 किग्रा) को रविवार को यहां स्ट्रेंड्जा मेमोरियल टूर्नामेंट के अपने फाइनल मुकाबलों में शिकस्त के साथ रजत पदक से संतोष करना पड़ा।

गत राष्ट्रीय चैंपियन अनामिका को लाइटवेट फाइनल में चीन की ह्यू मेइयी के खिलाफ 1-4 के खंडित फैसले से हार झेलनी पड़ी।

गोविंद को भी कड़े मुकाबले में उज्बेकिस्तान के शोदियोरजोन मेलिकुजीव के खिलाफ खंडित फैसले में 1-4 से हार का सामना करना पड़ा।

दूसरी तरफ अनुपमा को ऑस्ट्रेलिया की एमा सुइ ग्रीनट्री ने तकनीकी दक्षता के आधार पर 5-0 के सर्वसम्मत फैसले से हराया।

भारतीय मुक्केबाजों ने टूर्नामेंट में तीन रजत और पांच कांस्य पदक सहित कुल आठ पदक जीते।

गोविंद और 2023 एशियाई अंडर-22 चैंपियनशिप के रजत पदक विजेता मेलिकुजीव के बीच मुकाबले में दोनों खिलाड़ी आक्रामक दिखे और दोनों ने एक दूसरे के शरीर पर कई मुक्के लगाए।

एशियाई चैंपियनशिप 2022 के कांस्य पदक विजेता गोविंद ने अपनी गति और तेज मुक्कों का इस्तेमाल किया लेकिन इस दौरान अपना गार्ड नीचे कर रहे थे जिसका फायदा विरोधी मुक्केबाज ने उठाया।

अनामिका ने आक्रामक शुरुआत की लेकिन मेइयी के मजबूत डिफेंस को नहीं भेद पाईं। चीन की खिलाड़ी ने पहला दौर सर्वसम्मत फैसले से जीता।

अनामिका ने पहले दौर की तुलना में दूसरे में बेहतर प्रदर्शन किया। अंतिम दौर में अनामिका बेहतर मुक्केबाज थीं। उन्होंने चीन की खिलाड़ी को कई मुक्के जड़े और पांच में से चार जज ने उनके पक्ष में फैसला दिया लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी।

लाइटहैवीवेट फाइनल में ग्रीनट्री ने अनुपमा को लय हासिल ही नहीं करने दी और शुरुआत से ही दबदबा बनाते हुए आसान जीत दर्ज। दोनों मुक्केबाजों के बीच बड़े अंतर को देखते हुए नतीजे का अंदाजा लगाया जा सकता था।

भारतीय मुक्केबाजी के हाई परफोर्मेंस निदेशक रह चुके और अब ऑस्ट्रेलिया की राष्ट्रीय मुक्केबाजी टीम के मुख्य कोच सेंटियागो नीवा को ग्रीनट्री की जीत का जश्न मनाते हुए देखा जा सकता था।

तीन भारतीय महिला मुक्केबाजों एस कलाइवानी (48 किग्रा), श्रुति यादव (70 किग्रा) और मोनिका (+81 किग्रा) ने कांस्य पदक जीते।
बिश्वामित्रा चोंगथाम (51 किग्रा) और 2021 विश्व युवा चैंपियन सचिन (54 किग्रा) ने भी अपने अभियान का अंत कांस्य पदक के साथ किया।

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