ब्रेड खाली पेट खाना सेहत के लिए हो सकता है नुकसानदायक

*जानिए किन बीमारियों का बढ़ जाता है खतरा

20.03.2024  – भागमभाग जिंदगी में अधिकतर लोगों खाने-पीने का एकदम ख्याल नहीं रहता है. सुबह कुछ भी खाकर ऑफिस या स्कूल पहुंचना ही टारगेट रहता है. ऐसे में अधिकतर घरों में फटाफट नाश्ते में ब्रेड का काफी ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं खाली पेट ब्रेड खाना कितना ज्यादा नुकसानदायक साबित हो सकता है.

खासकर व्हाइट ब्रेड को दूध या चाय के साथ खाने से गंभीर नुकसान हो सकते हैं. ब्लड में बढ़ सकता है शुगर का लेवलखाली पेट ब्रेड खाने से डायबिटीज की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है. इसलिए अगर आपको पहले से ही डायबिटीज है तो खाली पेट ब्रेड तो एकदम न खाएं. खासकर व्हाइटड ब्रेड काफी तेजी से पचता है जिसके कारण यह ग्लूकोज में बदल जाता है. यह ब्लड में शुगर के लेवल को बढा देता है.

इस ब्रेड में कार्बोहाइड्रेट्स भी काफी ज्यादा होता है. खाली पेट क्यों नहीं खाना चाहिए ब्रेड?एक रिपोर्ट के मुताबिक ब्रेड में फोलेट, फाइबर, आयरन, विटामिन बी होता है. लेकिन खाली पेट ब्रेड काफी ज्यादा नुकसानदायक साबित हो सकता है. व्हाइट ब्रेड, मल्टी ग्रेन्स हो या ब्राउन ब्रेड सभी सेहत के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है.

कई डाइटिशियन ब्रेड को ब्रेकफास्ट में शामिल करने के लिए भी कहते हैं इसलिए हम इसे एकदम खराब नहीं बोल सकते हैं. बढ़ सकता है वजनअगर आप खाली पेट ब्रेड खाते हैं तो इससे आपका वजन बढ़ सकता है. क्योंकि यह ओवरइटिंग को बढ़ावा देती है. साथ ही इसमें ब्रेड और कार्ब्स काफी ज्यादा होते हैं. जिससे शरीर की कैलोरी बढ़ सकती है.

यह शरीर की कैलोरी को बढ़ाने के साथ-साथ वजन भी बढ़ा सकता है. इसलिए अगर आप अपना वजन कंट्रोल करना चाहते हैं तो ब्रेड भूल से न खाएं. आंत और कब्ज की बीमारीखाली पेट ब्रेड खाने से आंत और कब्ज से जुड़ी बीमारी हो सकती है क्योंकि ब्रेड में मैदा काफी ज्यादा मात्रा में होता है. इससे आंत से जुड़ी दिक्कत हो सकती है. इसे खाने से पेट साफ नहीं होता है. इसलिए अगर कब्ज से बचना है तो ब्रेड न खाएं.

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बच्चों को बनाना है इंडिपेंडेंट और कॉन्फिडेंट तो उनसे जरूर करवाएं घर के ये छोटे-छोटे काम

03.01.2023 (एजेंसी)  –  बच्चों से घर के काम करवाने चाहिए या नहीं. अक्सर इस बात को लेकर हर किसी की अलग-अलग सोच होती है. लेकिन अगर एक्सपर्ट्स की सलाह माने तो बच्चों को घर का काम जरूर करवाना चाहिए, क्योंकि ये उनके लिए फायदेमंद होता है. डॉक्टर्स का भी मानना है कि बच्चों से घर के काम करवाने से उनका कॉन्फिडेंस बढ़ता है उन्हें नई-नई चीजें सीखने का मौका मिलता है.

जानिए बच्चों से घर के कौन-कौन से काम करवाने चाहिए…बच्चों के घर के काम करवाने के फायदेएक्सपर्ट्स के मुताबिक, घर के कामों में योगदान देने से बच्चों का कॉन्फिडेंस बढ़ता है. उनमें ये विश्वास बढ़ता है कि वे कुछ भी कर सकते हैं. इससे फैमिली और घर में भी उनका योगदान बढ़ता है. बच्चे जिम्मेदार बनते हैं.

ये छोटे-छोटे काम आगे चलकर उनकी लाइफ में काम आते हैं.घर के काम करने से बच्चों का बढ़ता है कॉन्फिडेंसअगर पैरेंट्स अपने बच्चे का कॉन्फिडेंस बढ़ाना चाहते हैं, तो उससे घर के काम करवाने चाहिए. इससे उन्हें परिवार में अपनी जिम्मेदारी महसूस होती है और परिवार का महत्व समझते हैं. हालांकि, छोटे बच्चों से कौन-कौन से काम करवाने चाहिए, ये भी मैटर करता है.बच्चों से घर के कौन-कौन से काम करवाने चाहिएकपड़े सेट करवा सकते हैं.पौधों में पानी डालने को कह सकते हैं.

अपना बिस्तर ठीक करने को कह सकते हैं.खाना खाने के बाद बर्तन उठाना, टेबल साफ करनाखाने के लिए टेबल लगानाखेलने के बाद खिलौनों को सही जगह पर रखनाजूतों को शू रैक में रखवानाकिराने का सामान खरीदने में हेल्प लेनाघर के पालतू जानवरों को खाना खिलाने में मदद लेना.पैरेंट्स को क्या करना चाहिएजब आपका बच्चा घर के छोटे-मोटे काम करना शुरू करता है,

तो आप उसमें दिलचस्पी दिखाएं और उसकी कोशिश को नजरअंदाज न करें। घर के काम जब खत्म हो जाएं, तो आप उसके साथ पार्क में घूमने जाएं, उसके साथ थोड़ा समय बिताएं और उसे कहानी सुनाएं। इस मामले में आप अपने बच्चे से किसी परफेक्शन की उम्मीद न करें बल्कि उसकी हर छोटी कोशिश की भी सराहना करें। इस तरह आपका बच्चा आत्मविश्वास से भरपूर, जिम्मेदार और आत्मनिर्भर बनेगा.

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मेडिटेशन करते समय संगीत सुनने से मिल सकते हैं ये फायदे

04.08.2023 (एजेंसी)  –  मेडिटेशन यानी ध्यान लगाना एक अद्भुत अभ्यास है, जो तनाव और चिंता से मुक्त जीवन जीने में मदद कर सकता है। यह आपको अंदर से बाहर तक तरोताजा महसूस करने में भी मदद करता है।हालांकि, क्या आप जानते हैं कि अगर मेडिटेशन का अभ्यास संगीत सुनते हुए किया जाए तो इससे आपको कई तरह के स्वास्थ्य लाभ मिल सकते हैं।इसके लिए संगीत हल्का और मधुर होना चाहिए। तेज आवाज में और भड़कीला संगीत सुनने से बचें।तनाव को दूर करने में है सहायकमेडिटेशन करते समय संगीत सुनने का सबसे बड़ा लाभ यही है कि इससे तनाव और चिंता के स्तर में कमी आती है।

तनाव दुनिया की सबसे आम मानसिक समस्याओं में से एक है। अगर काम का बोझ बहुत अधिक है तो खुद को अक्सर तनावग्रस्त महसूस करना बहुत स्वाभाविक है।हालांकि, जब आप मेडिटेशन के दौरान सुखद और मधुर संगीत सुनेंगे तो आप शांत महसूस करेंगे और धीरे-धीरे तनाव भी दूर होने लगेगा।भावनाओं का संतुलन रखे बरकरारभावनात्मक संतुलन बनाए रखना बहुत महत्वपूर्ण है।इसका कारण यह है कि आपको पता नहीं होता कि कब और कौन-सी परेशानी आपके सामने आ खड़ी हो जाए।ऐसे में एक संतुलित दिमाग बदलती परिस्थितियों से नहीं डरता, बल्कि उनका डटकर सामना करता है।

मेडिटेशन करते समय संगीत सुनने से आपको अपनी भावनाओं को संतुलित करने में मदद मिल सकती है। कई अध्ययनों के मुताबिक, जो लोग संगीत सुनते हुए मेडिटेशन करते हैं, वे भावनाओं से निपटने में बेहतर होते हैं।एकाग्रता क्षमता को बढ़ाने में करता है मददअगर आप रोजाना कुछ मिनट मेडिटेशन करते समय संगीत सुनते हैं तो इससे आपका ध्यान नहीं भटकेगा और एकाग्रता क्षमता में भी इजाफा होगा।

इस तरह से अगर आप कॉलेज या स्कूल के छात्र हैं तो आप बेहतर पढ़ाई कर पाएंगे और अगर कार्यस्थल पर आपका जीवन व्यस्त है तो आप नई और कठिन परियोजनाओं पर बेहतर ध्यान केंद्रित कर पाएंगे।इससे आपको हर तरह की परेशानी को सूझबूझ के साथ सुलझाने में भी मदद मिलेगी।नींद की गुणवत्ता में करें सुधारस्वस्थ और संतुलित जीवन के लिए नींद बहुत जरूरी है।

पर्याप्त और गुणवत्तापूर्ण नींद आपको जीवन में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने में भी सक्षम बनाती है।अगर आपको नींद लेने में दिक्कत होती है तो रोजाना कुछ मिनट संगीत सुनते हुए मेडिटेशन करें।इससे आप अधिक शांत व्यक्ति बन जाएंगे और बेहतर नींद लेंगे। रात की अच्छी नींद यह सुनिश्चित करेगी कि आप पूरी तरह से स्वस्थ भी हैं।

शरीर को ठीक करने में है प्रभावीमेडिटेशन से न केवल मानसिक घाव ठीक होते हैं, बल्कि शारीरिक घाव भी ठीक होते हैं।यह शरीर की कई बीमारियों को प्राकृतिक रूप से ठीक करने में मदद कर सकता है।ऐसे कई अध्ययन हैं, जो सर्जरी के बाद मेडिटेशन करते समय संगीत सुनने वालों के बीच बहुत सारे लाभ दिखाते हैं।अगर आप ऐसा कर सकें तो यकीनन इससे आपको कई लाभ मिलेंगे।

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शुगर का मीटर करना है डाउन तो स्नैक्स में खाएं ये 5 हेल्दी फूड

03.08.2023 (एजेंसी)  – डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जिसका कोई इलाज नहीं है. ये आपके जीवनभर आपके साथ ही रहेगी. हालांकि इसे सही खानपान और सही लाइफ़स्टाइल को फॉलो करके कंट्रोल में रखा जा सकता है. शुगर के मरीजों को खाने पीने में काफी परहेज होती है.

ऐसे में आज हम आपको उन पांच हेल्दी स्नैक्स की जानकारी दे रहे हैं जिन्में पोषक तत्व की भरपूर मात्रा होती है और इससे ब्लड शुगर लेवल पर भी ज्यादा असर नहीं पड़ता है…

पॉपकॉर्न -डायबिटीज के मरीज स्नैक्स में पॉपकॉर्न भी खा सकते हैं. इससे कई सारे फायदे मिलते हैं. पॉपकॉर्न का ग्लाइसेमिक इंडेक्स बहुत कम होता है, जो ब्लड शुगर को कम करने में मदद कर सकता है. इसमें स्वास्थ्य साबुत अनाज, कम कैलरी और भरपूर मात्रा में फाइबर होता है. इससे ब्लड शुगर कंट्रोल करने में मदद मिलती है.

बादाम- डायबिटीज के मरीज स्नैक्स में बादाम का सेवन कर सकते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक 30 ग्राम बादाम में 15 विटामिन और मिनरल होते हैं.रिसर्च में दावा किया गया है कि डायबिटीज से पीडि़त जिन लोगों ने 12 हफ्ते तक रोजाना बादाम खाए उनमें इन्सुलिन रेजिस्टेंस कम पाया गया और पैंक्रियास की एक्टिविटी में भी सुधार हुआ, जिससे ब्लड शुगर लेवल को मेंटेन रखने में मदद मिली. एक्सपर्ट के मुताबिक डायबिटीज के मरीज 1 दिन में 6 से 8 बादाम खा सकते हैं. बेहतर तरीका है कि रात में इसे पानी में भिगो दें और सुबह इनका छिलका उतारकर सेवन करें.

भुना चना-डायबिटीज के मरीजों के लिए भुना हुआ चना खाना भी फायदेमंद हो सकता है. चने में घुलनशील और घुलनशील दोनों तरह के फाइबर पाए जाते हैं. ये फाइबर ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में मददगार साबित होता हैं. चने का ग्लाइसेमिक इंडेक्स भी काफी कम यानी के 28 होता है. इसलिए भी ये डायबिटीज मरीजों के लिए हेल्दी फूड की लिस्ट में गिना जाता है.इसे खाने से ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल होता है.

एवोकाडो-एवोकाडो खाना भी काफी फायदेमंद हो सकता है. इसमें फाइबर और मोनो सैचुरेटेड फैटी एसिड ज्यादा होती है जिसे खाने के बाद ब्लड शुगर तेजी से कंट्रोल होता है. एवोकाडो का सेवन करने से कोलेस्ट्रॉल को भी कम करने में मदद मिलती है.

चिया सीड्स-डायबिटीज के मरीज चिया सीड्स से बने हलवे का सेवन कर सकते हैं. यह ब्लड शुगर को स्टेबलाइज करने में मदद करता है आपको बता दें कि चिया सीड में ओमेगा 3 फैटी एसिड, फाइबर और मैग्नीशियम का बड़ा स्रोत होता है. ये सभी पोषक तत्व डायबिटीज की जटिलताओं के जोखिम को कम करने में मदद कर सकते हैं.

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क्या सीढिय़ां चढ़ते वक्त हांफने लगते हैं आप? तो हो सकता है इन 5 में से 1 बीमारी ने बना लिया है शिकार!

03.08.2023 (एजेंसी)  – सांस चल रही है तो आदमी जिंदा है. इसलिए कभी खतरनाक बीमारी आपके शरीर में एंट्री करती है तो सबसे पहले तकलीफ लेने में होने लगती है. जैसे- अगर आपको सीढ़ी चढ़ते वक्त सांस फूलने लगता है या किसी भी तरह की असुविधा होती है. या पैदल चलने या छोटा-मोटा काम करने में आप परेशान हो जाते हैं और सांस फूलने लगती है तो यह खतरनाक बीमारी के गंभीर लक्षण हो सकते हैं

. हेल्थडायरेक्ट के मुताबिक फेफड़ों की बीमारी, दिल की बीमारी, लंग्स या हार्ट में इंफेक्शन, पैनिक अटैक और फेफड़ों की नस में ब्लॉकेज होने पर सांस लेने में तकलीफ होने लगती है और यही वजह है कि जब आप सीढ़ी या तेज चलते हैं तो सांस फूलने लगता है. सीने में किसी भी तरह की तकलीफ हो रही है तो तुरंत डॉक्टर से मिलेंसांस फूलने के साथ-साथ खांसी, घबराहत, सीने में दर्द या जकडऩ, सीने में दर्द होना, छींक आना, बंद नाक और गले में दर्द की वजह से आप असहज महसूस करने लगते हैं.

इसलिए इन लक्षणों को हल्के में न लें बल्कि बिना समय गवाएं तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए. बदलते मौसम में खास ख्याल रखेंआजकल बहुत तेजी से मौसम बदल रहे हैं. ऐसे में सांस की बीमारी बहुत खतरनाक हो जाती है. इस वक्त वायरस और बैक्टीरिया का खतरा ज्यादा हो जाता है. जो आपकी सांस की नली में सूजन होने लगता है. स्मोकिंग या जंक फूड न खाएंस्मोकिंग, ड्रिंक, जंक फूड ज्यादा खाने से सांस की तकलीफ शुरू हो सकती है.

इसलिए फैट वाले फूड को छोड़ देना चाहिए. यह बीमारी को गंभीर बना सकते हैं. फेफड़ों को डिटॉक्स करने के लिए इन सब्जी और फल को डाइट में करें शामिलफेफड़ों को मजबूत बनाने के साथ-साथ डिटॉक्स करने के लिए जरूरी है एंटीऑक्सीडेंट्स और एंटीइंफ्लामेटरी फूड.

इसलिए अपनी डाइट में हल्दी, टमाटर, ख_े फल, कद्दू, सेब, चुकंदर को शामिल करें. फेफड़ों की सफाई करता है अगर बिना तकलीफ के सांस लेना है तो फेफड़ों की सफाई जरूर करें. इसलिए हर दिन अदरक, नींबू और शहद से बनी हर्बल टी पिएं. यह फेफड़ों की नसों को रिलैक्स करने के साथ-साथ गंदगी भी निकालता है.

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आई फ्लू क्या है? जानिए मानसून में इससे बचाव के 5 तरीके

31.07.2023 (एजेंसी)  –  देश में मानसून में आई फ्लू यानी कंजंक्टिवाइटिस के मामलों में वृद्धि देखी जा रही है। इसे गुलाबी आंख या लाल आंख के रूप में भी जाना जाता है।ऐसे में आंख से जुड़ी इस समस्या से बचाव के लिए लोगों को लगातार सतर्कता बरतने की सलाह दी जा रही है।

आइये आज हेल्थ टिप्स में हम आपको 5 ऐसे तरीके बताते हैं, जिनकी मदद से आई फ्लू के संक्रमण से बचा जा सकता है।

बारिश के मौसम में अधिक होती है यह समस्याआई फ्लू आंखों का संक्रमण है, जिसके कारण आंखों में लालिमा, दर्द और सूजन जैसी परेशानियां होती हैं। यह समस्या बारिश के मौसम में सबसे ज्यादा फैलती है और यह आमतौर पर गंदगी, धूल-मिट्टी आदि की वजह से होने वाली एलर्जी के कारण होती है।व्यक्तिगत स्वच्छता का ध्यान रखें आई फ्लू से बचाव के सबसे प्रभावी तरीकों में से एक व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखना है।इसके लिए नियमित रूप से अपने हाथों को साबुन और पानी से अच्छे से धोएं, खासकर सार्वजनिक वस्तुओं को छूने के बाद, भोजन के समय और शौचालय के इस्तेमाल के बाद।

अपने पास हैंड सैनिटाइजर हमेशा साथ में रखें और दूषित सतहों या रेलिंग वगैरह को छूने के तुरंत बाद इसका इस्तेमाल करें।ऐसा करने से आप इसके संक्रमण से बच सकते हैं।आस-पास साफ-सफाई रखना है जरूरी किसी भी तरह के संक्रमण से सुरक्षित रहने के लिए साफ-सफाई के टिप्स अपनाना बहुत जरूरी है।अगर आपके आस-पास गंदगी और धूल रहेगी तो इससे आंखों की जलन बढ़ सकती है और आई फ्लू होने की आशंका भी बढ़ जाती है।

इससे बचाव के लिए खासतौर पर बारिश के मौसम में नियमित रूप से अपने आस-पास की सतहों और चीजों को एंटी-बैक्टीरियल सॉल्यूशन से अच्छे से साफ करें।व्यक्तिगत वस्तुओं को साझा करने से बचें आई फ्लू दूषित व्यक्तिगत वस्तुओं जैसे तौलिया, रूमाल, आंखों के मेकअप और कॉन्टैक्ट लेंस से आसानी से फैल सकता है।मानसून के मौसम में इन वस्तुओं को दूसरों के साथ साझा करने से बचें। कोशिश करें कि आप इन वस्तुओं को अपने परिवार के सदस्यों के साथ भी साझा न करें क्योंकि इससे आई फ्लू का संक्रमण फैल सकता है।

इसके अलावा अगर कोई सदस्य बीमार हो गया है तो उसका सामान अलग कर दें और उससे दूरी बनाकर रखें।सेफ्टी चश्मे का इस्तेमाल करें मानसून के दौरान भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचना चाहिए, लेकिन किसी कारणवश अगर आपको बाहर जाना पड़ रहा है तो इस दौरान आंखों की सुरक्षा के लिए सेफ्टी चश्मे का इस्तेमाल करें।

इसके लिए आप बाहर निकलने से पहले काला चश्मा, सनग्लास या अन्य सेफ्टी चश्मा पहनें।इसकी मदद से आपकी आंखें वायुजनित कणों, धूल-मिट्टी और बैक्टीरिया से बची रहेंगी, जिससे संक्रमण होने का खतरा कम हो जाएगा।आंखों को छूने या रगडऩे से बचेंज्यादातर लोग आंखों में चुभन होने, जलन होने या धूल चले जाने पर तुरंत आंख रगडऩे लगते हैं।

ऐसा करने से आंखों को नुकसान होता है और इससे संक्रमण फैलने का खतरा भी बढ़ जाता है।अगर आपको अपना चेहरे धोना है या आंखें साफ करनी है तो हमेशा साफ और फिल्टर्ड पानी का इस्तेमाल करें। साथ ही आंखों को छूने से पहले सुनिश्चित करें कि आपके हाथ अच्छे से साफ हो।

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क्या आपको भी फोन कॉल उठाने में होती है झिझक? कहीं आप फोन एंग्जाइटी के शिकार तो नहीं

31.07.2023 (एजेंसी)  –  आज के दौर में जहां कम्युनिकेशन तकनीक तेजी से विकसित हो रहा है, हर किसी की दुनिया फोन के इर्द-गिर्द घूम रही है.हर काम आप एक फोन कॉल करके आराम से कर सकते हैं. ऐसे में कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनके लिए फोन कॉल चिंता का कारण भी बन जाता है. जी हां जब उनके फोन की बेल बजती है तो उन्हें घबराहट और चिंता होने लगती है. फोन उठाने से पहले वो 100 दफा सोचते हैं.

अगर आपके साथ भी ऐसा होता है तो ये एक तरह की समस्या है. इसे फोन कॉल एंग्जाइटी के नाम से जाना जाता है. आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से…फोन कॉल एंग्जाइटी क्या है?फ़ोन कॉल एंग्जाइटी, जिसे टेलीफ़ोबिया या टेलीफ़ोनिक चिंता के रूप में भी जाना जाता है.

एक अजीब तरह की चिंता होती है जिसे व्यक्ति फ़ोन कॉल करते या उठाते समय अनुभव करता हैं.इसमें फोन बजने पर हम सोचने लगते हैं कि फोन उठाना चाहिए या नहीं. ये फ़ोन कॉल एंग्जाइटी नॉर्मल, स्ट्रेस और तनाव का ही एक रूप है. इसमें व्यक्ति को फोन पर किसी से बात करने का मन नहीं करता है. व्यक्ति ये सोचने लगता है कि सामने वाला व्यक्ति फोन पर उससे किस तरह से बात करेगा.

फोन पर बात करते वक्त किसी तरह की असुविधा तो नहीं होगी वगैरा-वगैरा…फ़ोन कॉल एंग्जाइटी कई स्थितियों में पैदा हो सकती है*जॉब रिलेटेड फोन कॉल या फिर बिजनेस को लेकर क्लाइंट से इंपॉर्टेंट डिस्कशन को लेकर चिंतित महसूस करना*दोस्तों या परिवार के सदस्यों को मिलने या प्लान बनाने के लिए बुलाने के बारे में चिंतित महसूस करना.

*फ़ोन पर अपॉइंटमेंट लेते समय या सामान ऑर्डर करते समय अत्यधिक घबराहट होना.फ़ोन कॉल एंग्जाइटी के लक्षण

*फ़ोन कॉल की एंग्जाइटी से ग्रस्त व्यक्ति अक्सर कॉल करते या उठाते समय तेज़ दिल की धड़कन या सीने में तेज़ सनसनी का अनुभव करते हैं.

*अत्यधिक पसीना आना और हाथ या आवाज कांपना फोन कॉल चिंता से जुड़े सामान्य शारीरिक लक्षण हैं.*जिन लोगों को फोन कॉल एंजाइटी होती है उन्हें इस बात का डर लगा रहता है कि सामने वाला आपको नेगेटिव जज तो नहीं करेगा.

*फोन कॉल एंग्जाइटी के शिकार लोगों को बातें शुरू करने और खत्म करने में हिचकिचाहट होना भी शमिल है.

*कई बार फोन उठाने के कुछ देर बाद हम खामोश रहते हैं और कुछ भी बोल नहीं पाते हैं. ऐसे में हमें फोन उठाने से पहले इस खामोशी से गुजरने का डर लगा रहता है.

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लाल टमाटर से ज्यादा फायदेमंद है हरा टमाटर, सेहत के लिए होता है बेहद लाभकारी

28.06.2023(एजेंसी) – टमाटर हमारी रसोई का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. यह एक ऐसी सब्जी है जो किसी नी किसी रूप में खाने में इस्तेमाल की जाती है. दाल से लेके घर की हर सब्जी में लाल टमाटर का इस्तेमाल किया जाता है. बाजार में हर छोटे-छोटे ठेले पर लाल टमाटर भारी मात्रा में मिलता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि हरा टमाटर हमारी सेहत के लिए कितना फायदेमंद होता है? हरा टमाटर न केवल आपकी रोचकता बढ़ाता है, बल्कि इसको खाने से सेहत को भी कई लाभ होते हैं.

यह विटामिन, खनिज और पौष्टिक तत्वों से भरपूर होता है, जो आपकी शारीरिक और मानसिक सेहत को अच्छा करने में मदद करते हैं. लाल टमाटर खाने वाले हरे टमाटर का फायदा सुन के हैरान हो जाएंगे.असल में हरा टमाटर भी टमाटर का ही एक रूप है जो लाल टमाटर से थोड़ा अलग होता है. पोषण के मामले में हरे टमाटर का कोई जवाब नहीं. हरे टमाटर में विटामिन, फाइबर, प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन समेत कई पोषक तत्व पाए जाते हैं. हरे टमाटर में पाए जाने वाले पोषक तत्व आपको कई बीमारी से बचाने में सहायक भी होते हैं.

आंखों की रोशनी से लेके शरीर के इम्यून सिस्टम को मजबूत रखने में हरा टमाटर काफी फायदेमंद साबित हो सकता है. लाल टमाटर के मुकाबले हरा टमाटर थोड़ा खट्टा होता है. कुछ लोग तो हरे टमाटर का आचार बनाना भी पसंद करते हैं.

आइए जानते हैं हरा टमाटर खाने के फायदे.

1.यहां कुछ मुख्य तत्वों के साथ हरे टमाटर के फायदे हैं’. विटामिन सी का स्त्रोतहरा टमाटर विटामिन सी का एक अच्छा स्रोत है, जो आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है और संक्रमण से लडऩे में मदद करता है.

2. फोलिक एसिड की भरपूरताहरा टमाटर फोलिक एसिड की अच्छी मात्रा प्रदान करता है, जो गर्भवती महिलाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. यह गर्भावस्था के दौरान शिशु के निर्माण के लिए आवश्यक है और न्यूरोलॉजिकल विकास को बढ़ावा देता है.

3. लाइकोपीन का स्रोतहरे टमाटर में लाइकोपीन मौजूद होता है, जो इसे लाल रंग देता है. यह एक प्रकार का कारोटेनोइड है जिसे एक प्राकृतिक पिगमेंट के रूप में माना जाता है.

4. हड्डियों को मजबूत रखेअगर आपकी हड्डियां कमजोर हैं और आपको लगातार बॉडी में दर्द रहता है तो आपको हरे टमाटर का सेवन करना चाहिए. दरअसल, हरे टमाटर में भरपूर मात्रा में विटामिन पाया जाता है जो हड्डियों को मजबूत कर उनकी डेंसिटी बढ़ाता है.

5. ब्लड प्रेशर कंट्रोल करेहरे टमाटर के सेवन से आपका ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल रह सकता है. असल में हरे टमाटर में सोडियम की मात्रा कम और पोटेशियम की मात्रा ज्यादा होती है. जिस वजह से आपका ब्लड प्रेशर कंट्रोल में हो सकता है.

6. स्किन के लिए फायदेमंद आपके स्किन के लिए हरा टमाटर एक वरदान के रूप में साबित हो सकता है. हरे टमाटर में मौजूद विटामिन- सी आपकी स्किन को लंबे समय तक जवां बनाए रखेगा.

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आखिर क्यों बढ़ रही है युवा पीढ़ी में मेमोरी लॉस की समस्या?

28.06.2023 (एजेंसी) –  एक उम्र के बाद अक्सर हम किसी काम को करते समय भूल जाते हैं या याददाश्त कमजोर होने की परेशानी का सामना करते हैं. लेकिन आधुनिक जीवनशैली में युवा पीढ़ी के बीच मेमोरी लॉस की समस्या तेजी से बढ़ रही है. इसमें खराब लाइफस्टाइल मुख्य कारण हो सकता है. इसकी शुरुआत छोटी-छोटी चीजों से होती है और बाद में ना जाने किस हद तक आगे बढ़ जाती है. अगर आपके साथ भी ऐसा कुछ होता है तो आपको अपनी सेहत का थोड़ा सा ध्यान देने की जरूरत है. मेमोरी लॉस के पीछे कई कारण हो सकते हैं

आइए ऐसी ही कुछ सामान्य आदतों के बारे में जानते हैं, जिसके कारण लोगों को याददाश्त से संबधित दिक्कतें हो सकती हैं.

मेमोरी लॉस का कारण

1. तनावआधुनिक जीवनशैली में तनाव और दबाव काफी आम हो गए हैं. इसके कारण, युवा लोग अक्सर मानसिक तनाव का सामना करते हैं, जो मेमोरी कमजोर होने का कारण बन सकता है.

2. अनियमित और असंतुलित आहारबढ़ती हुई तेजी और बिजी जीवनशैली के कारण, युवा पीढ़ी अक्सर अनियमित और असंतुलित आहार का सेवन करती है. ऐसे में, उन्हें आवश्यक पोषक तत्वों की कमी हो सकती है, जो मेमोरी के लिए आवश्यक होते हैं.

3. नींद की कमीयुवा लोगों के बीच नींद की कमी भी आम हो गई है. अपर्याप्त नींद के कारण मेमोरी प्रभावित हो सकती है और याददाश्त में कमी हो सकती है.

4.. नशे की लतशराब और सिगरेट को युवा स्टेटस सिंबल से जोड़कर इसके आदी होते जा रहें हैं. शुरुआत में इसके प्रभाव के बारे में पता नहीं चलता है लेकिन धीरे-धीरे ब्रेन में डोपामाइन नामक न्यूरोट्रांसमीटर का स्त्रोत कम होने लगता है. डोपामाइन का मेन काम शरीर की कार्यप्रणाली को सही तरीके से चलाना है. ज्यादा शराब या सिगरेट पीने से डोपामाइन की कमी हो सकती है जिसकी वजह से याददाश्त कमजोर हो सकती है.

5. मोबाइल का अधिक प्रयोगकम्यूटर और मोबाइल का अधिक प्रयोग भी मेमोरी लॉस की वजह हो सकती है. इससे निकलने वाली रेज ब्रेन के सिस्टम को बिगाड़ सकती है. ऐसे में मेलोट्रिनिन नामक न्यूरोट्रांसमीटर का स्त्राव बहुत कम हो जाता है जिससे उनमें अनिद्रा की दिक्कत होने लगती है जो आगे चलकर याददाश्त को कमजोर करती है.

6. जंक फूड है जिम्मेदार जंक फूड ज्यादातर ऊपर से तैयार किया जाता है और इसमें पोषक तत्वों की कमी होती है. इसमें विटामिन, मिनरल, एंटीऑक्सिडेंट्स और दूसरे पोषक तत्व, जो दिमाग के लिए जरूरी होते हैं, बहुत कम मात्रा में पाए जाते हैं. ऐसे पोषक तत्वों की कमी दिमाग को सही तरीके से काम करने को असमर्थ कर सकती है. जंक फूड ज्यादातर व्यंगान, चीनी, तेल और आपके लिए हानिकारक फैट्स से भरा होता है जो की मोटापा का कारण भी हो सकता है.

इस तरह बनाए अपनी याददाश्त तेज

1. विटामिन- बी का ध्यान रखें

2. पॉलीफेनोल का ध्यान रखें

3. बेसिल सीड्स खाएं

4. मैग्नीशियम मेमोरी को बनाएगा शार्प

5. ब्रेन से जुड़ी एक्सरसाइज करें

6. हर्ब्स और मसालों से बढ़ाएं याददाश्त

7. मेडिटेशन रहेगा मददगारये सभी तरीका आपकी मेमोरी को ठीक करने में बेहतर साबित हो सकते हैं.

इस बात का खास ध्यान दें कि अपनी डाइट में किसी भी प्रकार का बदलाव करने से पहले एक्सपर्ट की राय जरूर लें.

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क्या आपके घुटने जवानी में ही देने लगे हैं जवाब, दिनचर्या में शामिल करें ये योग

26.06.2023 (एजेंसी)  – पहले के समय में घुटनों के दर्द की समस्या को उम्र से जोड़कर देखा जाता था। उम्र बढऩे के साथ जोड़ों और घुटनों का दर्द होना आम बात हैं। लेकिन आजकल यह समस्या जवानी में भी देखने को मिल रही हैं। जी हाँ, वर्तमान में कई युवा 30 की उम्र पार करते ही अर्थराइटिस या गठिया का शिकार हो जाते हैं। शुरुआत में ही इस पर ध्यान न दिया जाए तो आपका शरीर आने वाले समय में दूसरों के सहारे रहने पर मजबूर कर देगा। इसलिए आज इस कड़ी में हम आपको कुछ ऐसे योगासन के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हें दिनचर्या में शामिल करते हुए घुटनों को मजबूती प्रदान करने की जरूरत हैं।

योग करने से पैरों का रक्त संचार बेहतर होता है और घुटनों के दर्द से राहत मिलती है। रोजाना योग करें ताकि घुटने मजबूत हों और पैरों में होने वाले असंतुलन को कम किया जा सके। आइये जानते हैं इन योगासन के बारे में…वीरासनघुटनों के दर्द के लिए योग में शामिल पहला नाम वीरासन का है। यह योग शरीर और मन दोनों को शक्ति दे सकता है। इसके लिए सबसे पहले समतल जमीन पर योग मैट बिछा लें।

अब योग मैट पर आप घुटनों के बल बैठ जाएं। अपने हाथों को सामान्य तरीके से अपने घुटनों पर रखें। अब अपने दोनों घुटनों को करीब लाएं। ऐसे करने से दोनों पैरों के बीच दूरी बन जाएगी। ध्यान रहे, दूरी इतनी होनी चाहिए कि दोनों पैरों के बीच आराम से आपके नितम्ब (हिप्स) आ सके। अब अपने दोनों टखनों को जांघों से बाहर की तरफ रखें। फिर धीरे-धीरे अपने नितम्ब को जमीन पर रखने की कोशिश करें। अगर पहली बार कोई यह योग मुद्रा कर रहा है, तो हिप्स के नीचे छोटा तकिया रख सकते हैं। जब आप पूरी तरह वीरासन योग मुद्रा में आ जाए, तो इसी मुद्रा में कम से कम 30 सेकंड तक रहने की कोशिश करें। फिर धीरे-धीरे सामान्य मुद्रा में आएं। इस पूरी प्रक्रिया को अपनी सुविधा के अनुसार दो से तीन बार दोहराएं।

धनुरासन

धनुरासन एक ऐसा आसन है जो ना केवल घुटनों के दर्द को खत्म करता है बल्कि इससे पीठ दर्द तनाव और मांसपेशियों की खिंचाव भी दूर होती है। इतना ही नहीं ये बंद नसों को भी खोलता है जिससे शरीर में फुर्ती बन जाती है। धनुरासन करने के लिए पहले पेट के बल सीधे लेट जाएं उसके बाद शरीर के अगले हिस्से को थोड़ा थोड़ा ऊपर उठाएं और पीछे से दोनों पैरों को ऊपर उठाएं और अपने आगे वाले दोनों हाथों से पीछे वाले पैरों के पंजों को पकड़ें, गर्दन को भी जितना हो सके ऊपर की ओर खींचे और धनुष का आकार ले लें। नियमित रूप से इस योग को करने से शरीर में दर्द से जुड़ी सारी परेशानियां दूर होती है।

त्रिकोणासन

इस योगासन के अभ्यास से मांसपेशियों का दर्द कम होता है। त्रिकोणासन करने के लिए सीधे खड़े हो जाएं। अब पैरों के बीच करीब दो फीट की दूरी रखें और लंबी गहरी सांस लेते हुए शरीर को दाईं ओर झुकाएं। फिर बाएं हाथ को ऊपर की ओर ले जाएं। अपनी नजरें भी बाएं हाथ की उंगलियों पर टिकाएं। कुछ देर इस मुद्रा में रहे और फिर सामान्य अवस्था में आ जाएं। अब दूसरी ओर से ये प्रक्रिया अपनाएं।

मलासन

इस आसन में मल त्याग करने की मुद्रा में बैठने का प्रयास किया जाता है। इसे अंग्रेजी में गारलैंड पोज कहा जाता है। माना जाता है कि मलासन पैरों में रक्तसंचार को बेहतर बनाने के साथ-साथ पीठ और कमर के लिए भी उपयोगी हो सकता है। इसके लिए सबसे पहले किसी साफ और शांत जगह पर योग मैट बिछा लें। अब उस पर सीधे खड़े हो जाएं। फिर दोनों पैरों के बीच थोड़ी दूरी बनाएं। उसके बाद दोनों हाथों को प्रार्थना की मुद्रा में ले आएं। हाथों को प्रार्थना की मुद्रा में रखते हुए सीने के सामने लाएं। ध्यान रहे इस दौरान आपके हाथ सीधे रहने चाहिए। अब धीरे-धीरे नीचे बैठें, यह मुद्रा मलत्याग करने की स्थिति जैसी होती है। इस स्थिति में आने के बाद सांस छोड़ते हुए आगे की ओर थोड़ा झुकें। ध्यान रहे, इस अवस्था में आने के बाद दोनों कोहनियों को दोनों जांघों के बीच 90 डिग्री एंगल पर रखें। अब थोड़ी देर इस अवस्था में रहकर सामान्य तरीके से सांस लेते रहें। फिर धीरे-धीरे सामान्य अवस्था में आने के बाद सीधे खड़े हो जाएं।

गरुड़ासन

गरुड़ासन को अंग्रेजी में ईगल पोज भी कहा जाता है। यह आसन घुटनों को मजबूत बनाने और दर्द को दूर करने के लिए एक बेहद फायदेमंद योग है। इस आसन को करने के लिए जमीन पर सीधा खड़े हो जाएं। इसके बाद दाएं घुटने को मोड़ें फिर बाएं पैर पर खड़े होने का प्रयास करें। फिर दाएं पैर को बाएं के सामने घुमाते हुए पीछे की ओर लेकर जाएं। इस दौरान दाईं जांघ बाईं पर रखें। इस मुद्रा में दोनों हाथों को आगे की ओर लेकर जाएं। दोनों बाजुओं की कोहनी को मोड़कर क्रॉस करें। हाथों को क्रॉस करने के दौरान दाएं बाजू को बाएं पर रखें।

जानु चक्रासन

इस आसन के लिए दंडासन में बैठें। अब दाहिने घुटने को मोड़ें और हिप्स के पास ले आएं। अब अपने हाथों को घुटनों या जांघ के नीचे ले जाकर लॉक कर लें। अब अपने पैर को ऊपर उठाते हुए बड़े से बड़ा गोला बनाएं। प्रयास करें की आपकी रीढ़ की हड्डी सीधी रहे। ध्यान रखें कि आप अपनी क्षमता के अनुसार ही पैर को मूव करें। आप अपने पैर को पहले क्लॉकवाइज और फिर एंटी-क्लॉक वाइज घुमाएं। पैर को ऊपर ले जाते हुए सांस लें और नीचे ले जाते हुए छोड़ें। अब अपने दूसरे पैर से भी यही प्रक्रिया दोहराएं। आप इसे 10 से 15 बार करें।

पर्श्वोत्तनासन

इस योग को पिरामिड पोज कहा जाता है। पर्श्वोत्तनासन का अभ्यास करने के लिए दाहिने पैर को आगे बढ़ाकर 45 डिग्री एंगल बना ले। अब आगे की ओर झुकते हुए हाथो को नीचे जमीन पर सटा लें। घुटनों को मोड़े नहीं। इस अवस्था में कुछ देर रहने के बाद सामान्य अवस्था में आ जाएं। अब यही प्रक्रिया बाएं पैर को आगे बढ़ाकर करें। आप इसे 10 से 15 बार करें।

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क्या आप भी कर रहे किसी और के इयरफोन का इस्तेमाल… ये आदत कहीं गंभीर समस्या का कारण ना बन जाए!

26.06.2023 (एजेंसी) – आज के इस दौर में हम सब इयरफोन के इतने आदी हो चुके हैं कि अगर हम अपना इयरफोन कहीं भूल जाते हैं तो किसी और का इस्तेमाल करने लगते हैं. ऐसा करना आपके लिए घातक साबित हो सकता है. जी हां, दूसरे का इयरफोन इस्तेमाल करने से आप बेहरेपन के शिकार हो सकते हैं. तो अगर आप भी ऐसा कुछ कर रहें हैं तो सावधान हो जाइए. क्या कहते हैं जानकारइयरफोन को लेकर डब्ल्यूएचओ ने दावा किया है कि इयरफोन के ज्यादा इस्तेमाल के कारण दुनिया भर में लगभग 100 करोड़ युवाओं की सुनने की क्षमता पर बुरा असर पड़ता है.

इसके साथ ही स्टडी में बताया गया है कि अगर कोई भी इंसान दो घंटे से ज्यादा और 90 डेसिबल से अधिक इयरफोन में तेज आवाज में गाना सुनता है तो उसे सुनने में दिक्कत हो सकती है. सिर्फ इतना ही नहीं इयरफोन के ज्यादा इस्तेमाल से आपको दिल की बीमारियां भी हो सकती है और दिमाग पर इसका नेगेटिव असर पड़ सकता है. इन्फेक्शन का खतरा ऑनलाइन जर्नल ऑफ़ हेल्थ एंड एलाइड साइंसेज में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चलता है कि इयरफोन का बराबर इस्तेमाल करना कान में बैक्टीरिया की संख्या को बढ़ा सकता है. कान में मौजूद मैल सिर्फ चिपचिपा नहीं होता बल्कि उसमें अत्यधिक बैक्टीरिया भी पाया जाता है.

ओआरएल हेड नेक नर्सिंग के एक अध्ययन ने ये साबित भी कर दिया कि अगर आपने किसी के साथ इयरफोन शेयर कर लिया तो इन्फेक्शन का खतरा बढ़ सकता है और ये एक इंसान से दूसरे इंसान तक फैल सकता है. इयरफोन में लगी रबड़ गंदगी को आसानी से निकलने नहीं देती है और उसी में फंसी रहती है जिसकी वजह से बैक्टीरिया बनने लगता है.

कानों में माइक्रोबियल फ्लोरा आमतौर पर स्यूडोमोनस और स्टेफिलोकोकस होते हैं. इसीलिए जब आप किसी के साथ इयरफोन शेयर करते हैं तो बैक्टीरिया आपके कान में फैल सकता है और संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है. इसके अलावा अगर आपके कान में किसी भी प्रकार की चोट या कट लगा है तो आपको कई तरह के स्किन इन्फेक्शन हो सकता है.

इयरफोन से हो सकते हैं ये सारे भी खतरेंइसके अलावा जब आप आपने इयरफोन को बहुत सारे जगहों पर देते हैं तो इससे उसमें जर्म्स लग सकते हैं. किसी और का इयरफोन इस्तेमाल करने से आपको फंगस, ब्लैकहैड्स और स्पॉट जैसी समस्याएं हो सकती है. इसलिए अपने इयरफोन को समय-समय पर साफ करते रहें, ताकि इन्फेक्शन से बचा जा सके.

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क्या आप भी बिना प्यास लगे जबरदस्ती पीते हैं पानी? जान लें ये फायदेमंद है या नुकसानदायक

20.06.2023 (एजेंसी)  – पानी पीना फायदेमंद होता है लेकिन कुछ लोग बिना प्यास लगे ही पानी पीते हैं. बिना यह जाने कि यह फायदेमंद है या नुकसानदायक. दरअसल, शरीर के लिए सबसे जरूरी तत्व पानी ही है. यह खनिज, विटामिन, अमीनो एसिड और ग्लूकोज को अवशोषित करने में शरीर की हेल्प करता है. टॉक्सिक पदार्थों और वेस्ट प्रोडक्ट को भी शरीर से बाहर निकालने में यह हेल्प करती है. अगर बॉडी में पानी की कमी हो जाए तो कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं. इसलिए खूब पानी पीना चाहिए लेकिन कुछ लोग जो जरूरत से ज्यादा ही पानी पीते हैं.

आइए जानते हैं इसको लेकर डॉक्टर क्या कहते हैं…क्या ज्यादा पानी पीने से कोई फायदा हैहेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक, गर्मी के दिनों में रोजाना 2 से 3 लीटर पानी पीना चाहिए. इससे शरीर हाइड्रेटेड रहता है और कई तरह का खतरा भी दूर रहता है. आमतौर पर जब हमारे शरीर को पानी की जरूरत होती है तो वह प्यास के जरिए इसके संकेत देता है. बिना प्यास पानी पीने का कोई फायदा नहीं होता है.

जबरदस्ती पानी पीते हैं तो शरीर को इसका कोई बेनिफिट नहीं मिलता है उल्टे इससे नुकसान हो सकता है. इसलिए प्यास लगने पर ही पानी पीना चाहिए.खूब पानी पिएं लेकिन सिर्फ ये लोगडॉक्टर के मुताबिक, कम पानी पीना डिहाइड्रेशन ही नहीं किडनी स्टोन का खतरा भी बना देता है. अगर किसी को किडनी स्टोन की समस्या है तो उसे दिनभर में कम से कम 3 लीटर पानी पीना चाहिए. इससे स्टोन यूरिन के जरिए बाहर आ सकता है.

हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक, करीब 80 प्रतिशत लोगों का किडनी स्टोन पानी और फ्लूड से पेशाब के रास्ते बाहर आ जाता है. इसलिए किडनी स्टोन के मरीज पानी पीने से परहेज न करें. हालांकि, जबरदस्ती पानी पीने से भी बचना चाहिए. थोड़ा-थोड़ा कर पानी पी सकते हैं.पानी पीने के फायदे

1. गर्मियों में पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से शरीर फ्रेश और एक्टिव रहता है.

2. पानी ब्रेन फंक्शन को मेंटेन रखने का काम करता है और सिरदर्द की समस्या दूर करने में मदद करता है.

3. कब्ज की समस्या है तो पानी पीना फायदेमंद हो सकता है. पानी पीने से डाइजेशन सिस्टम बेहतर होता है.

4. पर्याप्त पानी पीना फिजिकल और मेंटल हेल्थ के लिए बेहतर हो सकता है.

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क्या आप भी हैं गले की खराश और दर्द से परेशान, राहत पाने के लिए आजमाएं ये घरेलू उपाय

20.06.2023 (एजेंसी)  –   मौसम में बदलाव के कारण कभी-कभी हमें गले में खराश और दर्द महसूस होता है. गले में खराश आना एक आम समस्या होती है, इसके चलते हमें खाना निगलने और पानी पीने में परेशानी भी हो सकती है. गले में हो रहे पेन और इचिंग का कारण टॉन्सिल्स साबित होते हैं. गला खराब होने की वजह से जुखाम होने की संभावनाए बढ़ जाती है. जिसकी वजह से शरीर का तापमान बढ़ सकता है और वो बुखार का रूप ले लेता है.

आइए जानते हैं सेर थ्रोट की वजह और इससे बचने के कुछ घरेलू उपाय. अपोलो स्पेक्टरा अस्पताल के ई एन टी स्पेशलिस्ट डॉ हरिहरा मूर्ति का कहना है कि अधिकतर टॉनसिल्स के बनने से गले में दर्द और खराश जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं. उनका कहना है कि नोज़ ग्रोथ और नेज़ल प्रॉब्लम की वजह से आपको गले में खराश का सामना करना पड़ सकता है. जानते हैं कि सोर थ्रोट होने का कारण क्या है.

1. मुंह से सांस लेनाडॉ हरिहरा मूर्ति के अनुसार रात को सोते समय स्नोरिंग के कारण लोग मुंह से सांस लेने लगते हैं, इससे गले में जमने वाले बैक्टिरीया से भी गला दर्द या खराश होने की समस्या हो सकती है.

2. गले में ड्राईनेस होना डॉ मूर्ति बताते हैं कि सफिशेंट पानी या लिक्विड चीजे ना खाने से गले में रूखापन आने लगता है. जो गले में दर्द का कारण बन सकता है.

3. वायरल इंफेक्शनमौसम में बदलाव आने के कारण शरीर पर संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है. शरीर कमजोर होने के कारण ये संक्रमण आसानी से शरीर पर अटैक करता है. जो बढ़ते बढ़ते गले में खराश, सिरदर्द और बुखार का कारण बन जाता है.

4. चिल्लाना या तेज आवाज में बात करना जब आप नॉर्मल आवाज में बात करते हैं तो आपकी वॉइस बॉक्स एक रिद्म में काम करता है लेकिन किसी भी तरह के तनाव के कारण जब आप जोर-जोर से चिल्ला के बात करते हैं तो आपको गले में दर्द महसूस होता है. गले में सूजन होने के कारण भी दर्द महसूस हो सकता है. सोर थ्रोट होने के क्या लक्षण होते हैं?हर बीमारी की तरह सोर थ्रोट होने पर भी कुछ लक्षणों का अनुभव कर सकते हैं, जिसमें मुख्य रूप से शामिल है’. गले के आस-पास खुजली होना2. आवाज में बदलाव आना3. आवाज भारी होना या गला बैठ जाना4. बोलते समय गले में दर्द महसूस होना

5. गले में खिचखिट होना गले में खराश के घरेलू उपचारगले में खराश को ठीक करने के लिए कुछ घरेलू नुस्खों का इस्तेमाल किया जा सकता है

जैसे’. गुनगुने पानी से गराराएक गिलास पानी को गर्म करके उसमें नमक डाल लें. फिर उस पानी से गरारा करें. इससे गले में होने वाले दर्द से आराम मिल सकता है.

2. गर्म पानी का सेवन करेंअगर आपको गले में खराश हो रहा है तो नॉर्मल या ठंडा पानी पीने के बजाए गर्म पानी पीएं. इससे गले की खिचखिच दूर होगी और दर्द में भी आराम मिलेगा.

3. नींबू पानी का सेवन करें खराश होने पर नींबू पानी का सेवन करें, इसको पीने से आपके गले में नमी बनी रहेगी और खराश की समस्या नहीं होगी.

4. अदरक का सूप अदरक में एंटी-बैक्टीरियल गुण मौजूद होते हैं जिससे दर्द और सूजन से राहत मिलती है. यह गले के दर्द में काफी फायदेमंद साबित होता है. अदरक को चाय में भी डालकर पीने से काफी आराम मिलता है.कब करें डॉक्टर से संपर्क अगर आपके गले की खराश एक सप्ताह से पुराना हो चुका है और अभी तक घरेलू नुस्खों से कोई फायदा नहीं हो रहा है या गले में खराश के लक्षण गंभीर हो रहें हैं तो ऐसे में आपको डॉक्टर यानी ईएनटी विशेषज्ञ से परामर्श करना चाहिए. डॉक्टर आपके लक्षणों के मुताबिक उसका उपचार बताएंगे. खराश को लंबे समय तक नजरअंदाज करना और ज्यादा दिन तक घरेलू नुस्खे पर डिपेंड रहना उचित नहीं है.

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इन तरीकों से जमाये घर पर बाजार जैसा दही, स्वाद बेमिसाल

27.05.2023 (एजेंसी)  – गर्मी के मौसम में आहार में ऐसी चीजों को शामिल करना चाहिए जो शरीर को ठंडक प्रदान करती हों। आप घर पर अपने परिजनों को कई प्रकार के ठंडे पेय पदार्थ पिला सकती हैं। इन पेय पदार्थों में आपको ठंडी लस्सी को शामिल करना चाहिए। लस्सी वो भी घर की जमी हुई दही की। अक्सर महिलाओं को शिकायत रहती है कि घर पर दही बाजार जैसा नहीं जमता है। कई लोगों के वैसा गाढ़ा दही नहीं जम पाता है जैसा बाजार में हलवाई के पास मिलता है। कुछ लोगों के दही जमाने में कुछ ना कुछ कमी रह जाती है। कभी इसमें खटास ज्यादा आती है तो कभी पानी ज्यादा रह जाता है। लेकिन रोज बाजार से तो दही लाने से रहे। आज हम अपने पाठकों को कुछ ऐसे उपाय बताने जा रहे हैं जिनकी मदद से आप घर पर भी बाजार जैसा गाढ़ा दही जमा सकेंगे।

आइए डालते हैं एक नजर इन उपायों पर— जोरन का करें इस्तेमालसबसे पहले दूध को अच्छी तरह से उबाल लें और ठंडा करें। जब दूध गुनगुना हो तो इसमें थोड़ा सा दही यानी कि जोरन डालें और अच्छी तरह से मिलाएं। अब इसे ढक दें और रातभर छोड़ दें। सुबह दही जम जाएगा तो इसे एक घंटे के लिए फ्रिज में रख दें।मिल्क पाउडर का करें इस्तेमालसबसे पहले दूध को उबालकर थोड़ा सा ठंडा करें। अब एक बाउल में चार पांच चम्मच मिल्क पाउडर लें और उसमें दही मिलाएं।

उसे दो बर्तन की मदद से अच्छी तरह से फेटें। ऐसा करने से दही बिल्कुल भी खट्टा नहीं होता है और दही में मौजूद पानी सूख हो जाता है। इसे किसी कपड़े से ढक कर रातभर छोड़ दें।माइक्रोवेव ओवन का करें इस्तेमालअगर आप कम समय में दही जमाना चाहते हैं तो आप माइक्रोवेव ओवन का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। पहले माइक्रोवेव को 180 डिग्री पर दो मिनट के लिए प्री हीट करें और बंद कर दें। अब गुनगुने दूध में जोरन या जामन डालकर ढकें और माइक्रोवेव में उस बर्तन को रखें।

ओवन चलाने की जरूरत नहीं है। ऐसा तीन से चार घंटे तक रहने दें। दही जम जाएगा। इसे आप फ्रिज में रख सकते हैं।मिर्च का करें इस्तेमालजी हां, आप दही जमाने के लिए मिर्च का प्रयोग कर सकते हैं। सबसे पहले दूध उबालें और उसे ठंडा करें। गुनगुना दूध हो तो उसमें कुछ सूखी साबुत लाल मिर्च बिना तोड़े दूध में डालें। दरअसल, सूखी लाल मिर्च में लैक्टोबैसिल्ली नाम का एक प्रकार का बैक्टीरिया होता जो दूध जमने में मदद करता है। आप इस दूध से थोड़ा सा दही बनाएं और अब इस दही से और दही बनाएं। दूसरा दही इससे बहुत थिक बनेगा। यह जोरन के रूप में बहुत बढिय़ा काम करता है।

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स्थापत्य एवं वास्तुकला का बेजोड़ नमूना है उदयपुर, झीलों को देखने आते हैं पर्यटक

27.05.2023 (एजेंसी)  भारतीय राज्य राजस्थान के दक्षिणी भाग में, उदयपुर समुद्र तल से 598 मीटर ऊपर स्थित एक शहर है। राजस्थान में छुट्टियां बिताने के लिए यह सबसे अच्छी जगह है। उदयपुर का मनमौजी शहर झीलों, शानदार महलों, समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और चटपटे स्वादिष्ट व्यंजनों का केंद्र है।उदयपुर के किलों और महलों को किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है। उदयपुर के शाही आकर्षण को देखने के लिए दुनिया भर से पर्यटक उदयपुर आते हैं। लुभावनी वास्तुकला राजस्थान के महाराजाओं की शाही जीवन शैली की झलक देती है। उदयपुर के किलों और महलों की भव्यता इसे राजस्थान के शीर्ष पर्यटन स्थलों में से एक बनाती है।

उदयपुर में यात्रा करने के लिए कुछ सबसे लोकप्रिय किले और महल हैं सिटी पैलेस, जग मंदिर महल, फतेह प्रकाश पैलेस, ताज लेक पैलेस, बागोर की हवेली आदि। तो, परिवार की छुट्टी के साथ-साथ दोस्तों के साथ छुट्टियां मनाने के लिए, उदयपुर सबसे बेहतरीन विकल्प है।उदयपुर, निश्चित रूप से आपके शरीर और आत्मा को फिर से जीवंत कर देगा क्योंकि कई झीलें इस शहर को सुशोभित करती हैं। इसी खास वजह से उदयपुर को पूरब का वेनिस भी कहा जाता है। उदयपुर की झीलें आकर्षण और मंत्रमुग्धता की कविता हैं जो युगों से पर्यटकों को लुभाती रही हैं।

उदयपुर का सिटी पैलेससिटी पैलेस की स्थापना 16वीं शताब्दी में आरम्भ हुई। इसे स्थापित करने का विचार एक संत ने राजा उदयसिंह द्वितीय को दिया था। इस प्रकार यह परिसर 400 वर्षों में बने भवनों का समूह है। यह एक भव्य परिसर है। इसे बनाने में 22 राजाओं का योगदान था। इस परिसर में प्रवेश के लिए टिकट लगता है। बादी पॉल से टिकट लेकर आप इस परिसर में प्रवेश कर सकते हैं। परिसर में प्रवेश करते ही आपको भव्य त्रिपोलिया गेट दिखेगा। इसमें सात आर्क हैं। ये आर्क उन सात स्मवरणोत्सैवों का प्रतीक हैं जब राजा को सोने और चांदी से तौला गया था तथा उनके वजन के बराबर सोना-चांदी को गरीबों में बांट दिया गया था।

इसके सामने की दीवार अंगद कहलाती है। यहां पर हाथियों की लड़ाई का खेल होता था। इस परिसर में एक जगदीश मंदिर भी है। इसी परिसर का एक भाग सिटी पैलेस संग्रहालय है। इसे अब सरकारी संग्रहालय घोषित कर दिया गया है। वर्तमान में शम्भूक निवास राजपरिवार का निवास स्थानन है। इससे आगे दक्षिण दिशा में फतह प्रकाश भवन तथा शिव निवास भवन है। वर्तमान में दोनों को होटल में परिवर्तित कर दिया गया है।पिछोला झीलपिछोला झील उदयपुर के पश्चिम में पिछोली गांव के निकट इस झील का निर्माण राणा लखा के काल (14वीं शताब्दी के अंत) में पीछू चिडि़मार बंजारे ने करवाया था। महाराणा उदयसिंह द्वितीय ने इस शहर की खोज के बाद इस झील का विस्तार कराया था।

झील में दो द्वीप हैं और दोनों पर महल बने हुए हैं। एक है जग निवास, जो अब लेक पैलेस होटल बन चुका है और दूसरा है जग मंदिर, उदयपुर। दोनों ही महल राजस्थानी शिल्पकला के बेहतरीन उदाहरण हैं, इन्हें नाव द्वारा जाकर देखा जा सकता है।इस झील पर चार द्वीप है—1. जग निवास, जहाँ पर लेक पैलेस बना हुआ है।2. जग मंदिर, जहाँ पर इसी नाम से महल बना हुआ है।3. मोहन मंदिर, जहाँ से राजा वार्षिक गणगौर उत्सव को देखते थे।4. अरसी विलास, एक छोटा द्वीप जो पहले गोलाबारूद गोदाम था, एक छोटा महल भी है।

यह उदयपुर के महाराणा द्वारा झील से सूर्यास्त का आनंद लेने के लिए बनाया गया था।यह झील मीठे पानी की कृत्रिम झील है। इस झील का मनोरम दृश्य इतना सुंदर है कि यह बरबस ही पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। इस झील के किनारे दूध तलाई स्थित है। झील के तट पर एक नटनी का चबूतरा है और समीप ही हवालाग्राम या शिल्पग्राम है, उत्तर में अमर कुंड स्थित है इसी में राजस्थान की प्रथम सौर ऊर्जा संचालित नाव चलाई गई।सज्जनगढ़ मानसून पैलेसमानसून पैलेस, जिसे सज्जन गढ़ पैलेस के रूप में भी जाना जाता है, भारत के राजस्थान के उदयपुर शहर में फतेह सागर झील के दृश्य के साथ एक पहाड़ी महलनुमा निवास है।

इसका नाम मेवाड़ राजवंश के महाराणा सज्जन सिंह (1874’884) के नाम पर सज्जनगढ़ रखा गया है, जिनके लिए इसे 1884 में बनाया गया था। महल शहर की झीलों, महलों और आसपास के ग्रामीण इलाकों का मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है। यह मुख्य रूप से मानसून के बादलों को देखने के लिए बनाया गया था; इसलिए, इसे लोकप्रिय रूप से मानसून पैलेस के रूप में जाना जाता है। कहा जाता है कि महाराणा ने इसे अपने पैतृक घर चित्तौडगढ़़ का नजारा लेने के लिए पहाड़ी की चोटी पर बनवाया था। पहले मेवाड़ शाही परिवार के स्वामित्व में था, अब यह राजस्थान सरकार के वन विभाग के नियंत्रण में है और हाल ही में इसे जनता के लिए खोल दिया गया है। महल सूर्यास्त का एक सुंदर दृश्य प्रदान करता है।इसके निर्माता महाराणा सज्जन सिंह ने मूल रूप से इसे पांच मंजिला खगोलीय केंद्र बनाने की योजना बनाई थी।

महाराणा सज्जन सिंह की अकाल मृत्यु से योजना रद्द हो गई। इसके बाद इसे मानसून महल और शिकार लॉज में बदल दिया गया। उदयपुर के ठीक बाहर, अरावली पहाडिय़ों में ऊँचा, महल शाम को रोशन होता है, जिससे सुनहरी नारंगी चमक मिलती है। महल का उपयोग 1983 की जेम्स बॉन्ड फिल्म ऑक्टोपसी में निर्वासित अफगान राजकुमार कमाल खान के निवास के रूप में किया गया था।जग मंदिरजग मंदिर पिछोला झील में एक द्वीप पर बना एक महल है। इसे लेक गार्डन पैलेस भी कहा जाता है। महल भारत के राजस्थान राज्य के उदयपुर शहर में स्थित है। इसके निर्माण का श्रेय मेवाड़ राज्य के सिसोदिया राजपूतों के तीन महाराणाओं को जाता है। महल का निर्माण 1551 में महाराणा अमर सिंह द्वारा शुरू किया गया था, महाराणा कर्ण सिंह (1620’628) द्वारा जारी रखा गया और अंत में महाराणा जगत सिंह प्रथम (1628’652) द्वारा पूरा किया गया। इसका नाम अंतिम महाराणा जगत सिंह के सम्मान में जगत मंदिर रखा गया है। शाही परिवार ने महल का उपयोग गर्मियों के रिसॉर्ट और पार्टियों के आयोजन के लिए आनंद महल के रूप में किया।जग मंदिर पिछोला झील (निकटवर्ती पिछोली गाँव के नाम पर) के दक्षिणी छोर पर दो प्राकृतिक द्वीपों में से एक में स्थित है।

झील को शुरू में 15 वीं शताब्दी में एक स्थानीय बंजारा आदिवासी सरदार द्वारा धाराओं के पार अनाज ले जाने के लिए बनाया गया था। महाराणा उदय सिंह द्वितीय के शासनकाल के दौरान, 1560 में, दो धाराओं में बांधों का निर्माण करके झील का काफी विस्तार किया गया था। उस समय महाराणा ने झील के बीच में द्वीपों पर जग मंदिर और लेक पैलेस (जग निवास होटल) भी बनवाया था। उदयपुर शहर अपने सिटी पैलेस और अन्य स्मारकों और मंदिरों के साथ झील की परिधि पर बनाया गया था।बागोर की हवेली संग्रहालयउदयपुर में एक हवेली है। यह गंगोरी घाट पर पिछोला झील के तट पर है। मेवाड़ के प्रधानमंत्री अमर चंद बडवा ने इसे अठारहवीं शताब्दी में बनवाया था। महल में सौ से अधिक कमरे हैं, जिनमें वेशभूषा और आधुनिक कला के प्रदर्शन हैं।

अंदरूनी हिस्सों में कांच और दर्पण हवेली का काम है। यह रानी के कक्ष की दीवारों पर मेवाड़ चित्रकला का बेहतरीन नमूना है। रंगीन कांच के छोटे-छोटे टुकड़ों से बने दो मोर कांच के काम के उदाहरण हैं।अमरचंद बडवा, एक सांध्य ब्राह्मण, जो 1751 से 1778 तक मेवाड़ के प्रधानमंत्री थे, ने क्रमश: महाराणा प्रताप सिंह द्वितीय, राज सिंह द्वितीय, अरी सिंह और हमीर सिंह के शासनकाल में इस हवेली का निर्माण किया था। अमरचंद की मृत्यु के बाद, भवन मेवाड़ी शाही परिवार के अधिकार क्षेत्र में आ गया और बागोर की हवेली पर तत्कालीन महाराणा के रिश्तेदार नाथ सिंह का कब्जा था। 1878 में, सज्जन सिंह के प्राकृतिक पिता, बागोर के महाराज शक्ति सिंह ने हवेली का विस्तार किया और ट्रिपल-धनुषाकार प्रवेश द्वार का निर्माण किया। यह 1947 तक मेवाड़ राज्य के कब्जे में रही। स्वतंत्रता के बाद, राजस्थान सरकार ने इसका उपयोग किया लेकिन इसकी सार-सम्भाल सही तरीके से नहीं हुई, लगभग चालीस वर्षों में हवेली की स्थिति बहुत खराब हो गई। अंतत: सरकार को हवेली पर अपनी पकड़ छोडऩे के लिए राजी किया गया और 1986 में इसे पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र को सौंप दिया गया था।

एकलिंग जी मंदिरएकलिंगजी उदयपुर जिले में एक हिंदू मंदिर परिसर है। यह मेवाड़ की पूर्व राजधानी यानी नागदा के पास कैलाशपुरी गाँव गिरवा तहसील, उदयपुर में स्थित है। एकलिंगजी को मेवाड़ रियासत का शासक देवता माना जाता है और महाराणा उनके दीवान के रूप में शासन करते हैं।एकलिंगजी के मूल मंदिर का निर्माण 8वीं शताब्दी के शासक बप्पा रावल ने किया था। दिल्ली सल्तनत के शासकों द्वारा आक्रमण के दौरान मूल मंदिर और मूर्ति को नष्ट कर दिया गया था। सबसे पुरानी मौजूदा मूर्ति हमीर सिंह 14वीं शताब्दी द्वारा स्थापित की गई थी, जिन्होंने मुख्य मंदिर का व्यापक जीर्णोद्धार भी किया था। राणा कुंभा (15वीं शताब्दी) ने विष्णु मंदिर के निर्माण के अलावा, मंदिर का पुनर्निर्माण किया। उनका 1460 का शिलालेख उन्हें एकलिंग का निजी नौकर के रूप में वर्णित करता है।15वीं सदी के अंत में मालवा सल्तनत के गियाथ शाह ने मेवाड़ पर हमला किया और एकलिंगजी के मंदिर को तबाह कर दिया।

कुंभा के बेटे राणा रायमल 1473’509 ने उसे हरा दिया और उसे पकड़ लिया, और उसकी रिहाई के लिए फिरौती प्राप्त की। इस फिरौती के साथ, रायमल ने मंदिर परिसर के अंतिम प्रमुख पुनर्निर्माण का संरक्षण किया और वर्तमान मूर्ति को मुख्य मंदिर में स्थापित किया।मूल रूप से, मंदिर संभवत: पशुपत संप्रदाय का था और बाद में नाथ संप्रदाय की हिरासत में था। 16वीं शताब्दी में, यह रामानंदियों के नियंत्रण में आ गया।जगदीश मंदिरउदयपुर के मध्य में शाही महल के ठीक बाहर एक बड़ा हिंदू मंदिर है। यहाँ 1651 से लगातार पूजा हो रही है। एक बड़ा पर्यटक आकर्षण, मंदिर को मूल रूप से जगन्नाथ राय का मंदिर कहा जाता था, लेकिन अब इसे जगदीश मंदिर कहा जाता है। यह उदयपुर का एक प्रमुख स्मारक है।जगदीश मंदिर एक ऊंचे चबूतरे पर बना है और 1651 में बनकर तैयार हुआ था।

यह एक दो मंजिला मंडप (हॉल) को एक दो मंजिला संधारा (एक ढकी हुई एंबुलेंस के साथ) गर्भगृह से जोड़ता है। मंडप में पिरामिड समवर्ण (बेलरूफ) के भीतर एक और मंजिल है, जबकि गर्भगृह के ऊपर खोखले गुच्छेदार शिखर में दो और गैर-कार्यात्मक कहानियां हैं। मुख्य मंदिर तक पहुँचने के लिए, 32 संगमरमर की सीढिय़ाँ चढऩी पड़ती हैं। जगदीश मंदिर हिंदू आइकनोग्राफी का सबसे सुंदर उदाहरण है, जिसमें हाथ से नक्काशीदार पत्थर की तीन मंजिलें हैं, जिसमें लगभग 79 फीट ऊंची एक मीनार है और यह उदयपुर का सबसे बड़ा मंदिर है।

कई शहरपनाह (शहर की दीवार) से निकलने वाली गलियाँ जगदीश मंदिर पर मिलती हैं। मंदिर में सबसे खूबसूरत घटना वार्षिक रथ यात्रा है। इसे 1651 में महाराणा जगत सिंह ने बनवाया था। जगदीश मंदिर महा मारू या मारू-गुर्जर वास्तुकला का एक शानदार उदाहरण है, सुंदर और अलंकृत नक्काशी से सजाया गया है। सिटी पैलेस से थोड़ी दूर चलने पर आप इस मंदिर तक पहुंच जाएंगे। मंदिर के गर्भगृह में भगवान जगन्नाथ की एक मूर्ति है, जो भगवान विष्णु या भगवान कृष्ण की है, जो एक ही काले पत्थर से उकेरी गई है, जो चार भुजाओं, फूलों और सज्जा के साथ देदीप्यमान है। भगवान गणेश, सूर्य, देवी शक्ति और भगवान शिव को समर्पित चार छोटे मंदिर, मुख्य मंदिर के चारों ओर एक घेरा बनाते हैं, जिसमें भगवान विष्णु की मूर्ति है। ऐसा कहा जाता है कि 1651 में भवन के निर्माण के लिए अनुमानित रुपये 1.5 मिलियन खर्च किए गए थे।फतेह सागर झीलफतेह सागर उदयपुर स्थित एक सुंदर झील है।

इसका निर्माण महाराणा फतेहसिंह द्वारा करवाया गया था। पिछोला झील से यह झील जुड़ी हुई है। यह पिछोला झील से डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। नाशपाती के आकार की यह एक ख़ूबसूरत और कृत्रिम झील है। फतेहसागर झील उदयपुर की चार प्रसिद्ध झीलों में से है, जिसे शहर का गौरव माना जाता है।राजस्थान के उदयपुर जिले में स्थित इस मीठे पानी की झील का निर्माण मेवाड़ के शासक जयसिंह ने 1678 ई. में करवाया था। कुछ वर्षों बाद यह झील अतिवृष्टि होने के कारण नष्ट हो गई। तब इसका पुर्नर्निमाण 1889 में महाराजा फतेहसिंह ने करवाया तथा इसकी आधार शिला ड्यूक ऑफ कनॉट द्वारा रखी गई थी, जो महारानी विक्टोरिया के पुत्र थे। अत: इस झील को फतेहसागर झील कहा गया। पिछोला झील और रंग सागर झील से फतह सागर झील एक नहर के द्वारा जुड़ी हुई है।

अपने सुंदर नीले पानी और हरे-भरे परिवेश की वजह से इस झील को दूसरा कश्मीर के रूप में जाना जाता है। इस झील में टापू है, जिस पर नेहरू उद्यान बना हुआ है। झील में सौर वैद्यशाला भी बनी है, जिसे अहमदाबाद संस्थान ने 1975 में बनवाया था। यह भारत की पहली सौर वैद्यशाला है। इसी झील के समीप बेल्जियम निर्मित टेलिस्कोप की स्थापना सूर्य और उसकी गतिविधियों के अध्ययन के लिए की गई।

फतेहसागर झील से उदयपुर को पेय जल की आपूर्ति की जाती है। उदयपुर के देवाली नामक गांव में स्थित होने के कारण इसे देवाली तालाब भी कहा जाता है। रामप्रताप पैलेस फतेहसागर झील के तट पर ही स्थित है।सहेलियों की बारीसहेलियों की बारी (आंगन या दासियों का बगीचा) भारतीय राज्य राजस्थान के उदयपुर में एक प्रमुख उद्यान और एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। यह शहर के उत्तरी भाग में स्थित है और इसमें फव्वारे और कियोस्क, एक कमल पूल और संगमरमर के हाथी हैं।

इसे राणा संग्राम सिंह ने बनवाया था। यहां एक छोटा संग्रहालय भी है जिसमें भारतीय इतिहास के बारे में काफी जानकारी है।सहेलियों की बाड़ी को अड़तालीस युवतियों के समूह के लिए रखा गया था। यह उद्यान फतेह सागर झील के तट पर स्थित है, इसे 1710 से 1734 के बीच महाराणा संग्राम सिंह ने शाही महिलाओं के लिए बनवाया था। किंवदंती के अनुसार, बगीचे को स्वयं राजा ने डिजाइन किया था और उन्होंने इस उद्यान को अपनी रानी को उपहार में दिया था। विवाह में रानी के साथ 48 दासियां थीं।

उन सभी को कचहरी के राजनीतिक षडय़ंत्रों से दूर सुखद क्षण प्रदान करने के लिए यह उद्यान बनाया गया था। यह बगीचा शाही महिलाओं के आराम करने का लोकप्रिय स्थान हुआ करता था। रानी अपनी दासियों और सखियों के साथ यहां घूमने आती थीं और फुरसत में अपना समय व्यतीत करती थीं।छुट्टियों के लिए उदयपुर जाने का सबसे अच्छा समयउदयपुर एक उष्णकटिबंधीय जलवायु का आनंद लेता है।

अरावली पर्वतमाला और झीलों की उपस्थिति उदयपुर के मौसम को राजस्थान के अन्य राज्यों की तुलना में सहने योग्य और सुखद बनाती है। उदयपुर घूमने का सबसे अच्छा समय सर्दियों का होता है। गर्मियों की चिलचिलाती गर्मी के अभाव में सर्दियों के दौरान पर्यटन स्थलों का भ्रमण बिल्कुल आनंददायक होता है।

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खाली पेट चाय पीना है स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक

21.03.2023 – (एजेंसी)  –  भारत के नागरिक चाय को सिर्फ एक पेय नहीं, बल्कि एक भावना की तरह मानते हैं। वैसे तो भारतीय चाय प्रेमी कभी भी और कहीं भी चाय पी सकते हैं, लेकिन उनके लिए सुबह की चाय की बात ही अलग है। हालांकि, इस पेय को सुबह खाली पेट पीने से स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है।

आइए आज हम आपको खाली पेट चाय पीने से होने वाले दुष्प्रभाव के बारे में जानते हैं।

पोषक तत्वों के अवशोषण को रोक सकती है चायसुबह सबसे पहले चाय पीने से अन्य पोषक तत्वों का अवशोषण बाधित हो सकता है। कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि खाली पेट चाय का सेवन आयरन और कैल्शियम जैसे पोषक तत्वों के अवशोषण में बाधा उत्पन्न कर सकता है। दरअसल, चाय में कैटेचिन नामक यौगिक मौजूद होते हैं, जो इन खनिजों को बांध सकते हैं और शरीर द्वारा इन्हें ठीक से अवशोषित होने से रोक सकते हैं।

खाली पेट चाय पीने से हो सकती हैं पाचन संबंधी परेशानीचाय में टैनिन नामक यौगिक होते हैं। इस कारण खाली पेट इसके सेवन से पाचन तंत्र काफी हद तक बिगड़ सकता है। अगर कोई इंसान खाली पेट चाय ज्यादा पी ले तो उसे गैस की समस्या और पेट फूलने की शिकायत भी हो सकती है।

इसके अलावा खाली पेट चाय पीने से पेट में अधिक एसिड पैदा हो सकता है, जो अन्य पाचन संबंधी परेशानियों में योगदान दे सकता है। डिहाइड्रेशन की समस्या चाय में डियूरेटिक होता है। इसकी वजह से आपको बार-बार पेशाब जाना पड़ सकता है। अगर बार-बार पानी का सेवन ना किया जाए तो इसकी वजह से डिहाइड्रेशन की समस्या हो सकती है। इससे बचाव के लिए अपने दिन की शुरुआत चाय की जगह पानी से करें। हालांकि, कॉफी या अल्कोहल जैसे अन्य पेय पदार्थों की तुलना में चाय का डियूरेटिक प्रभाव बहुत ही कम होता है।

सिर में हो सकता है दर्द ज्यादातर लोग सिरदर्द को दूर भगाने के लिए चाय का सेवन करते हैं, लेकिन अगर आप इसका सेवन खाली पेट करेंगे तो यह बिल्कुल विपरीत काम कर सकती है। कुछ लोग चाय में मौजूद कैफीन के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। इस कारण खाली पेट चाय पीने से उन्हें सिर में दर्द और चिंता या दिल की धड़कन में तेजी जैसे अन्य लक्षणों का अनुभव हो सकता है।

समय के साथ दांत भी हो सकते हैं खराब जैसा की हमने आपको ऊपर बताया कि चाय में टैनिन नामक यौगिक होते हैं। यह मुंह में प्रोटीन और अन्य पदार्थों को बांधते हैं और समय के साथ दांत को खराब कर सकते हैं। इसके जोखिम को कम करने के लिए खाली पेट चाय बिल्कुल ना पीएं और इसका सेवन कम मात्रा में ही करने की कोशिश करें। इसके अलावा चाय पीने के बाद अपने मुंह को पानी से धोएं या दांतों को ब्रश जरूर कर लें।

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गर्मियों में अपनी त्वचा का इस तरह से रखें ध्यान, चेहरे पर आएगी चमक

21.03.2023 (एजेंसी)  –  चिलचिलाती गर्मी त्वचा को प्रभावित कर सकती है। इससे टैनिंग, ड्राई पैच, ओवरएक्टिव सिबेसियस ग्लैंड्स, सनबर्न, पिगमेंटेशन, ब्लेमिश और मुंहासें जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए इस मौसम में आपको अपनी त्वचा का खास ख्याल रखने की जरूरत होती है। बदलते मौसम के साथ आपको अपनी त्वचा की देखभाल के उत्पादों और रूटीन को भी अपडेट करने की जरूरत है।

आइए आज हम आपको गर्मियों के दौरान त्वचा की देखभाल करने के कुछ तरीके साझा करते हैं।

फेसवॉश को बदलेंगर्मियों के दौरान जलवायु गर्म और आर्द्र होती है। इस वजह से चेहरा अधिक तेल का उत्पादन करता है, इसलिए आपको अपने फेसवॉश को उसी के अनुसार बदलना होगा। तैलीय त्वचा वालों के लिए गर्मियों में सैलिसिलिक एसिड वाला फोमिंग फेसवॉश का उपयोग करना सही रहेगा।

यदि आपकी त्वचा रूखी है तो आपको लालिमा और चकत्ते का अनुभव हो सकता है, इसलिए माइल्ड फेसवॉश का इस्तेमाल करें।

मिश्रित त्वचा वाले जेल-आधारित फेसवॉश का इस्तेमाल कर सकते हैं।

सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना भी है महत्वपूर्ण हर मौसम में सनस्क्रीन लगाना जरूरी है। सनस्क्रीन त्वचा को हाइड्रेट करने के साथ ही सूरज की हानिकारक यूवी किरणों से बचाकर रखने में काफी मदद कर सकती है। लाभ के लिए अपनी त्वचा के प्रकार के अनुसार 50 या फिर 30 एसपीएफ़ युक्त सनस्क्रीन खरीदें और धूप में निकलने से 15 मिनट पहले इसे त्वचा पर लगाएं।

अगर आप घर से बाहर हैं तो अपने चेहरे पर हर दो से तीन घंटे बाद सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें। त्वचा को हाइड्रेट रखने की करें कोशिश गर्मियों में त्वचा को अंदर से हाइड्रेट करने के लिए अपनी त्वचा की देखभाल के दिनचर्या में हायलूरोनिक एसिड और रेटिनॉल से युक्त प्रोडक्ट्स को शामिल करना लाभदायक हो सकता है।

ऐसे प्रोडक्ट्स त्वचा की मरम्मत करने, त्वचा को हाइड्रेट, चमक बढ़ाने और मॉइस्चराइज रखने में काफी मदद कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, रोजाना ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं और होममेड फलों के जूस का सेवन करें।

एक्सफोलिएट जरूर करें गंदगी, डेड स्किन सेल्स और अन्य अशुद्धियां त्वचा की कोमलता को कम करने और मुंहासों को उभारने का मुख्य कारण मानी जाती हैं, इसलिए इनसे राहत पाना बहुत जरूरी है। इसके लिए त्वचा को एक्सफोलिएट करना बेहतर हो सकता है।

हालांकि, अधिक एक्सफोलिएशन त्वचा को नुकसान पहुंचा सकता है, इसलिए हफ्ते में ज्यादा से ज्यादा दो बार ही त्वचा को हल्के हाथों से एक्सफोलिएट करें। इसके लिए आप कॉफी, शहद और चीनी का मिश्रण बनाकर इस्तेमाल कर सकते हैं। कम मेकअप करेंगर्मियों के दौरान कम मेकअप करना चाहिए क्योंकि इस मौसम में हैवी मेकअप करने से चेहरे पर दाने या फिर खुजली की समस्या हो सकती है।

इसके लिए आप एक मॉइस्चराइजर, एक कंसीलर और एक न्यूड शेड की लिपस्टिक का इस्तेमाल कर सकते हैं। साथ ही क्रीम या बहुत अधिक चमकदार चीजों का इस्तेमाल न करें क्योंकि ऐसी चीजें आपको पसीने से तर कर देगीं। इसके अतिरिक्त, अपनी डाइट में पोषक तत्वों से भरपूर खान-पान की चीजें शामिल करें।

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चर्चाओं के बीच : यूट्यूबर मंजीत 

21.03.2023  –  सोशल मीडिया पर इनदिनों कई सारे फिटनेस ऍप्स उपलब्ध हैं और वीडियो क्रिएटर्स भी हैं जो अपने वीडियो के जरिये लोगों में सेहत के प्रति जागरूकता पैदा करने की दिशा में सक्रिय हैं। उनमें से एक हरयाणवी यूटूबर मंजीत हैं जो अपने विभिन्न फिटनेस वीडियो को लेकर केवल देश ही नहीं बल्कि दुनियाभर में जाने जाते हैं।

‘फिट मंजीत’ (Fit manjeet) यूट्यूब चैनल पर सेहतउपयोगी वीडियो की बढ़ती लोकप्रियता की वजह से मंजीत सोशल मीडिया पर छाए हुए हैं और जिस तरह उनकी फैंस की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है ऐसा अनुमान हम लगा सकते हैं कि वह अब जल्द ही फिटनेस के मसीहा बन जायेंगे। न केवल लोगों को दिखने के लिए बल्कि निजी जीवन में भी मंजीत लोगों को अच्छी सेहत का महत्व समझने की पूरी कोशिश में लगे रहते हैं।

शारीरिक स्वस्थ्य के लिए हम में से कितने लोग सजग हैं, ऐसा सवाल किया जाये तो भाग दौड़ की ज़िंदगी में उलझे काफी कम ही लोग मिलेंगे जो वाकई में अपनी सेहत के लिए गंभीरता के साथ कुछ करते नजर आते होंगे। कुछ समय पहले ही कोरोना महामारी ने हमें कुछ ऐसी सबक दी है जिसे कभी भुला नहीं जा सकता। सिर्फ सेहत का ध्यान न देने के वजह से हमने न जाने कितने अपनों को खोया है।

कोरोना ने एक और बड़ी सबक यह दी कि बीमारी अमीर गरीब देख कर भी नहीं आती, वह जब आती है तो सभी पर कहर बरसाती है। आज के भागदौड़ के जीवन में हम अक्सर अपने शरीर की देखभाल में बहुत कम ही वक़्त दे पाते हैं लेकिन सोशल मीडिया पर मंजीत जैसे लोग हैं जो हमें अपनी सेहत का ख्याल रखने की प्रेरणा देते हैं।

बकौल मंजीत हर अच्छे चीज की शुरुआत घर से होनी चाहिए। हेल्थ एजुकेशन के प्रति मैं बचपन से ही सजग था। इसी वजह से फिटनेस को ही अपना करियर बनाया

और इसका अच्छा रिस्पांस भी मुझे मिला, जब भी कोई मुझे कहता है कि मुझसे प्रेरणा लेकर उनकी सेहत में बदलाव हुआ है तो मुझे काफी सुकून मिलता है।

प्रस्तुति : काली दास पाण्डेय 

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मेकअप का जरूरी हिस्सा हैं ब्लश, स्किन टोन के अनुसार करें इसका चुनाव

17.03.2023  –  मेकअप करना हर महिला को पसंद होता हैं जो उनके रूप को संवारने में मदद करता हैं। लेकिन इसके लिए जरूरी हैं कि आप मेकअप में कुछ जरूरी चीजों को शामिल करें। ऐसी ही एक हैं ब्लश जो मेकअप का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसे चाहे आप मेकअप के ऊपर लगाएं या सिफऱ् स्किनकेयर बेस लगाने के बाद, चिक्स पर लगाएं या चिक्सबोन पर, इसके जुड़ते ही आपके चेहरे पर एक अलग तरह की चमक आ जाती है और चेहरे का ग्लो बढ़ जाता है। यह एक रिफ्रेशिंग लुक देता है, लेकिन यह आपकी स्किन पर तभी अच्छा लगता है, जब आप सही तरह से इसका इस्तेमाल करें।

आज इस कड़ी में हम आपको बताने जा रहे हैं कि किस तरह की स्किन के लिए कौनसा ब्लश बेहतर रहेगा और इसे लगाने का सही तरीका क्या हैं।

आइये जानते हैं इनके बारे में…

फेयर स्किन टोनब्लशर फेस को आकर्षक बनाने के साथ चिक बोन को उभारने का काम भी करता है। ब्लशर का चुनाव हमेशा स्किन टोन के अनुसार करना चाहिए। इससे मेकअप फरफेक्ट लगता है। जैसे गोरी या पीली स्किन वालों को लाइट पिंक या पीच कलर का चुनाव करना चाहिए। पिंक कलर मेकअप को नेचुरल लुक देगा। वैसे तो गोरी रंगत वाले किसी भी लाइट कलर का चुनाव कर सकते हैं लेकिन ड्रेस और लिपस्टिक के कलर का चुनाव उनके मेकअप को आकर्षक लुक दे सकता है।

मीडियम स्किन टोनमीडियम स्किन टोन वाली महिलाओं के साथ सबसे अच्छी बात यह है कि अलग-अलग लुक को हासिल करने के लिए आप बहुत सारे शेड्स का इस्तेमाल कर सकती हैं। पिंक या पीच कलर आपकी स्किन को एक नेचुरल लुक देता है, वहीं अगर आप एक बोल्ड लुक क्रिएट करना चाहती हैं तो ऐसे में आप चमकीला गुलाबी रंग शेड को चुन सकती हैं। इस तरह आप कई तरह के कलर्स के साथ एक्सपेरिमेंट करके अपने मेकअप में डिफरेंट लुक्स क्रिएट कर सकती हैं।

डार्क स्किन टोनडार्क स्किन टोन वाली महिलाएं मेकअप और ब्लश को लेकर काफी कंफ्यूज रहती हैं। डार्क स्किन टोन की महिलाओं को ऐसे शेड्स का चुनाव करना चाहिए जो उनकी रंगत को निखार सके न कि डल और दबा हुआ दिखाए। डार्क स्किन वालों को बोल्ड कलर्स का चुनाव करना चाहिए। ये कलर वॉर्म अंडरटोन के साथ परफेक्ट लुक देते हैं। गालों को उभारने के लिए आरेंज कलर का भी चुनाव किया जा सकता है।ब्लश लगाने का सही तरीका फाउंडेशन का बेस तैयार करने के बाद ब्लश लगाना चाहिए। ब्लश के लिए एक अच्छा ब्लेंडिंग ब्रश होना चाहिए। ब्रश पर ब्लशर लें और गालों पर लगाने से पहले अपने हाथ पर डैब करें और उसके बाद इसे गालों पर लगाएं। इससे एक्सेस ब्लश हाथों पर रह जाएगा और गाल पर ब्लेंडिंग आसान होगी। ब्लशर लगाने के बाद उसे ब्रश से अच्छे से ब्लेंड करना न भूलें। ब्लशर हमेशा कान से गाल की तरफ लाएं। चिकबोन से नीचे लगाते हुए इसे कान की तरफ ही ब्लेंड करें।ब्लशर लगाते समय इन बातों का रखें ध्यान ब्लशर का यूज बहुत ज्यादा या गहरा न करें। ब्लश केवल आपके गालों को हाइलाइट करने के लिए होते हैं। यदि इसे ज्यादा लगाया जाए तो ये मेकअप को बिगाड़ सकता है। ब्लशर को हमेशा कान से नाक की ओर लाएं। चिकबोन से नीचे की ओर गालों के पास इसे लगाना चाहिए। एक अच्छा ब्रश इसे लगाने और ब्लेंड करने के लिए होना जरूरी है। बल्शर के साथ लगाएं ये चीजेंब्लशर लगा कर आप ये न सोचें की आपका मेकअप कंप्लीट हो गया।

ब्लशर के साथ चिकबोन के पास ऊपरी तरफ हाईलाइटर का प्रयोग जरूर करें। यदि ऐसा न किया जाए तो आपका चेहरा सपाट सा नजर आएगा। हाईलाइटर आपके फेस के उन हिस्सों को उभारता और शेप देता है, जिससे आपका मेकअप चेहरे पर ओवरपावर नहीं होने पाता। चिकबोन के ऊपरी हिस्से, माथे, नाक और ठुड्डी के पास हाईलाटर लगाने के बाद ही आपका मेकअप कंप्लीट होता है।  (एजेंसी)

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डिलीवरी के बाद अपनी डाइट में शामिल करें ये 10 आहार

17.03.2023 (एजेंसी) –  मां बनना किसी भी स्त्री के लिए किसी दूसरे जन्म से कम नहीं है। बच्चे को जन्म देना महिला के लिए एक ऐसा अनुभव होता है जिसे केवल महिला ही महसूस कर सकती है। महिलाओं के लिए डिलीवरी के बाद का समय काफी महत्वपूर्ण होता है। डिलीवरी के बाद महिला का शरीर बहुत ज्यादा कमजोर हो जाता है।

क्योंकि लगातार ब्लीडिंग, पेट पर लगे टाँके, बॉडी में दर्द के कारण महिला बहुत ज्यादा दिक्कत का अनुभव करती है। इसलिए डिलीवरी के बाद महिलाओं को डाइट का विशेष ध्यान रखना चाहिए। आहार के जरिए ही महिला का शरीर जल्दी रिकवर होता है और उसकी कमजोरी भी दूर होती है। ऐसे में आज हम आपको कुछ ऐसे आहार के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं जिन्हें डाइट में शामिल कर शरीर को ताकत दी जा सकती हैं।

आइये जानते हैं इन आहार के बारे में…

अखरोट अखरोट में एंटीऑक्सिडेंट, प्रोटीन, ओमेगा-3 फैटी एसिड का एक बड़ा स्रोत होता हैं, साथ ही अखरोट हृदय और मस्तिष्क के लिए भी सेहतमंद माना जाता हैं। एक नई माँ के लिए अखरोट खाना सबसे अच्छे प्रकार के नट्स में से एक हैं। अखरोट को रातभर भिगोकर रख दें और सुबह उठकर खाएं। यह काफी फायदेमंद होता है। सुबह खाली पेट भीगे हुए अखरोट खाने से आप कई बीमारियों से बच सकती हैं।

देसी घी प्रसव के बाद देसी घी का सेवन भी महिला के लिए बहुत फायदेमंद होता है। क्योंकि देसी घी पोषक तत्वों से भरपूर होता है। महिला रोटी पर लगाकर, हलवा बनाकर, सब्जियों में डालकर व् अन्य तरीको से घी का सेवन कर सकती है। नोर्मल डिलीवरी तुरंत बाद से ही महिला घी का सेवन शुरू कर सकती है लेकिन सिजेरियन डिलीवरी होने पर और नोर्मल डिलीवरी के दौरान टाँके आने पर महिला को एक बार डॉक्टर से राय लेने के बाद ही घी का सेवन शुरू करना चाहिए।

खसखस के लड्डूडिलीवरी के बाद शरीर में दर्द और सूजन की शिकायत रहती है तो आप खसखस का लड्डू घर में बनाकर खाएं। इसके सेवन से भी मांसपेशियों का दर्द दूर होता है और शरीर को तुरंत एनर्जी मिलती है। डिलीवरी के बाद खसखस के लड्डू, खसखस का सूप, खसखस का हलवा या इसे दूसरी चीजों में मिलाकर भी सेवन किया जा सकता है।

ओट्स प्रसव के बाद अगर आप अपनी डाइट में ऐसी चीजों को सेवन करना चाहती हैं, जो एनर्जी बूस्ट करे, तो ऐसे में आप ओट्स को अपने आहार का हिस्सा अवश्य बनाएं। आप इसे नाश्ते में खा सकती हैं। ओट्स जैसे होल ग्रेन फूड धीमी गति से रिलीज होने वाले कार्ब्स होते हैं, जो आपकी ऊर्जा के स्तर को स्थिर रखते हैं। इतना ही नहीं, ओट्स में कई तरह के पोषक तत्व होते हैं और यह शरीर में आवश्यक आयरन के स्तर को बनाए रखने में मददगार है। साथ ही, ओट्स आयरन, कैल्शियम और मैग्नीशियम से भी भरपूर होते हैं।गोंद के लड्डूयह मां के लिए बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है। इन दिनों मां अंदर से कमजोरी होती है।

गोंद के लड्डू मां को ताकत देते हैं। इसके साथ ही मां को स्तनपान कराना होता है। गोंद के लड्डू खाने से मां का दूध बढ़ता है, जिससे बच्चे को दूध की कमी नहीं होती है। आप रोजाना एक लड्डू दूध के साथ खाएं।

सेबये फल 12 महीने बाज़ार में उपलब्ध रहता है। ऐसे में अगर आप बहुत कमज़ोरी महसूस कर रही हैं, तो आपको तुरंत सेब खाना चाहिए। सेब खाने से शरीर में तुरंत ऊर्जा आती है। इसके अलावा, इसमें पर्याप्त एंटीऑक्सीडेंट गुण भी होते हैं। जो आपको कई और बीमारियों से बचाने का काम भी करता है। इसके साथ ही, यह आपके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।

सौंफ का पानी प्रसव के बाद डाइजेशन की समस्या रहती है और पेट में गैस बनना, कब्ज जैसी समस्या हो सकती है। पेट में जलन आदि भी रहती है। ऐसे में अगर रोज एक गिलास पानी में 1 चम्मच सौंफ को उबालकर इसे पिया जाए तो काफी राहत रहती है।

हरिराहर क्षेत्र में इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है। यह ड्राई फ्रूट्स, अदरक और आटे जैसी चीजें मिलाकर बनाया जाता है। इसे गर्म-गर्म खाया जाता है। डिलीवरी के बाद सवा महीने इसे जरूर खाना चाहिए। यह मां को रिकवर करने में मदद करता है। इसके सेवन से मां का दूध अच्छा आता है और बच्चे के स्वास्थ्य के लिए भी यह काफी लाभकारी होता है।

अजवाइन का पराठाडिलीवरी के बाद अजवाइन खाने से पेट की समस्या दूर रहती है और दर्द कम होता है। इसमें हीलिंग प्रॉपर्टीज होती हैं जो शरीर को अंदर से हील करने में मदद करती है। इसके अलावा गेंहू के आटे और अजवाइन में खूब फाइबर होता है जो पाचनक्रिया दुरुस्त रखने का काम भी करता है।

मूंग-मसूर की दालछिलके वाली मसूर की दाल स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होती है। खासकर डिलीवरी के बाद महिला को यह जरूर खानी चाहिए, क्योंकि यह आसानी से पच जाती है। इसमें फाइबर होता है, जो कि मां को कब्ज होने से बचाए रखता है। इसे खाने से न तो मां को दिक्कत होती और न ही शिशु को कोई परेशानी होती है। इसके विपरीत यह दाल खाने से मां का दूध बनता है, जो बच्चे के लिए लाभकारी है।

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त्वचा के लिए फायदेमंद है विटामिन और पोषक तत्वों से भरपूर टमाटर

12.03.2023 (एजेंसी)  –  जब त्वचा की देखभाल की बात आती है, तो आपको स्वस्थ और चमकदार त्वचा देने वाली सामग्री की तलाश में दूर-दूर जाने की ज़रूरत नहीं है। लगभग हर रसोई में आसानी से उपलब्ध और सभी को पसंद आने वाला टमाटर त्वचा के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसमें कई त्वचा-लाभदायक विटामिन और पोषक तत्व होते हैं जो आपको अपने सपनों की त्वचा दे सकते हैं।

लाइकोपीन से भरपूर, टमाटर में पाया जाने वाला एक एंटीऑक्सीडेंट, यह क्षतिग्रस्त त्वचा की मरम्मत कर सकता है और इसकी प्राकृतिक, स्वस्थ चमक को बहाल कर सकता है। इसके अम्लीय और कसैले गुण इसे तैलीय और मुहांसे वाली त्वचा वाली महिलाओं के लिए एक उत्कृष्ट सामग्री बनाते हैं।तेल कम करें टमाटर त्वचा को कई तरह से लाभ पहुंचाता है, यह सबसे लोकप्रिय है।

तैलीय और मुहांसे वाली त्वचा वालों में अत्यधिक तेल उत्पादन एक आम चिंता है। यह समग्र रूप में बाधा डाल सकता है और साथ ही आपके मेकअप को जगह पर रखना मुश्किल बना सकता है। अगर आप अपने चेहरे से तेल सोख कर थक चुके हैं तो इस प्राकृतिक तरीके को आजमाएं जिसमें टमाटर का इस्तेमाल शामिल है।

कैसे करें उपयोगएक टमाटर को आधा काटें और इसे पूरे चेहरे पर मलें। इसे 10’5 मिनट के लिए लगा रहने दें और फिर चिकनी, मुलायम और मैट जैसी दिखने वाली त्वचा पाने के लिए धो लें। नियमित उपयोग के साथ, यह अत्यधिक तैलीय त्वचा की समस्या का समाधान करेगा और आपकी त्वचा के प्राकृतिक पीएच स्तर को संतुलित करेगा।

मृत त्वचा को हटाता हैहमारी त्वचा पर्यावरण से गंदगी, तेल, प्रदूषण और अन्य हानिकारक चीजों को आकर्षित करती है और इससे आपकी त्वचा समय के साथ सुस्त और असमान दिखने लगती है। इस गंदगी से छुटकारा पाने के लिए नियमित सफाई ही काफी नहीं है क्योंकि यह त्वचा के रोमछिद्रों में फंस जाती है।

टमाटर में मौजूद एंजाइम मृत त्वचा कोशिकाओं की ऊपरी परत को हटाकर हल्के से त्वचा को एक्सफोलिएट करते हैं।कैसे करें उपयोगआपने टमाटर के गूदे में चीनी मिलाकर अपनी त्वचा पर लगाने के बारे में सुना होगा, हमारा सुझाव है कि आप इसे केवल बॉडी स्क्रब के रूप में उपयोग करें। आपके चेहरे की त्वचा संवेदनशील होती है और चीनी के दानों से आसानी से चिढ़ सकती है।

चेहरे की त्वचा के लिए टमाटर के फायदे पाने के लिए आप इसके गूदे को वैसे ही लगा सकते हैं।मुँहासे रोकता हैमुँहासे किशोरों और वयस्कों के बीच एक आम चिंता का विषय है, जबकि समस्या की जड़ तक पहुँचना महत्वपूर्ण है, कभी-कभी इससे छुटकारा पाने के लिए टमाटर के फायदों को भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

टमाटर में डीप क्लींजिंग एजेंट होते हैं और जैसा कि ऊपर बताया गया है, यह त्वचा के पीएच स्तर को भी ठीक करता है, इसलिए यह ब्रेकआउट को बहुत अच्छी तरह से रोक सकता है और मुंहासों को कम कर सकता है।कैसे करें उपयोगएक टमाटर से गूदा निकाल लें और उसमें टी ट्री एसेंशियल ऑयल की कुछ बूंदें मिलाएं और पूरे चेहरे पर लगाएं और 10’5 मिनट के लिए छोड़ दें फिर धो लें।

अपनी मुहांसे वाली त्वचा का इलाज करने के लिए सप्ताह में दो से तीन बार दोहराएं।त्वचा में निखार लाता हैजो लोग एक अच्छे स्किनकेयर रूटीन का पालन नहीं करते हैं या सनस्क्रीन लगाना छोड़ देते हैं, वे पा सकते हैं कि उनकी त्वचा सुस्त और असमान दिखती है। टमाटर के फायदे इस समस्या को ठीक करने में मदद कर सकते हैं। विटामिन सी, ई और बीटा कैरोटीन से भरपूर, टमाटर त्वचा की रंगत को निखारने के साथ-साथ त्वचा को चमकदार बनाता है और इसके प्राकृतिक रंग को प्रकट करता है।

कैसे करें उपयोगएक कटोरी में एक टमाटर का रस लें और पेस्ट बनाने के लिए पर्याप्त मात्रा में चंदन पाउडर के साथ थोड़ी मात्रा में हल्दी पाउडर मिलाएं। इस स्किन-ब्राइटनिंग पैक को अपने चेहरे पर लगाएं और सूखने तक आराम करें। मास्क धोएं और फर्क देखें!उम्र बढऩे के संकेतों में देरी करता हैऐसे शहर में रहना जहां प्रदूषण का स्तर बहुत अधिक है, आपकी त्वचा के स्वास्थ्य को कई तरह से प्रभावित कर सकता है। आपकी त्वचा को सुस्त और बेजान बनाने के अलावा, यह समय से पहले बुढ़ापा भी पैदा कर सकता है। जबकि हाइड्रेटेड रहना और स्वस्थ भोजन करना महत्वपूर्ण है, उम्र बढऩे के संकेतों से लडऩे वाले उत्पादों और सामग्रियों का उपयोग करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।

टमाटर विटामिन बी कॉम्प्लेक्स से भरे होते हैं जो उम्र बढऩे के शुरुआती लक्षणों का मुकाबला करते हैं।कैसे करें उपयोगटमाटर के गूदे और एवोकाडो को मैश करके पेस्ट बना लें। कुछ मिनट के लिए धीरे-धीरे पूरे चेहरे पर रगड़ें, फिर माइल्ड क्लींजर से धो लें।रोमछिद्रों को कसता हैबड़े, खुले रोमछिद्र आपको उम्रदराज दिखाते हैं। खुले छिद्र गंदगी, धूल और प्रदूषण को आकर्षित करते हैं जो बाद में त्वचा के तेलों के साथ मिल जाते हैं जिससे मुंहासे निकलते हैं।

टमाटर एक प्राकृतिक कसैले के रूप में काम करता है जो छिद्रों को सिकोडऩे में मदद करता है और ब्रेकआउट की घटना को कम करता है। यदि आपके रोमछिद्र बड़े हैं, तो अपनी त्वचा के लिए टमाटर के लाभों का उपयोग करके देखें।कैसे करें उपयोगबड़े पोर्स को सिकोडऩे के लिए एक टमाटर का गूदा लें और उसमें कुछ बूंदे नींबू के रस की मिलाकर अच्छे से मिलाएं और पूरे चेहरे पर लगाएं। 10’5 मिनट बाद गुनगुने पानी से धो लें।त्वचा की जलन से राहत दिलाता है.

मेकअप और स्किन केयर उत्पादों में कुछ सामग्री त्वचा में जलन पैदा कर सकती हैं और मुंहासे रोधी उत्पादों के अत्यधिक उपयोग से भी आपकी त्वचा में निखार आ सकता है। टमाटर के लाभों में से एक यह है कि यह एंटी-इंफ्लेमेटरी यौगिकों से भरपूर होता है जो जलन को शांत करता है और त्वचा को शांत करता है।

कैसे करें उपयोगएक टमाटर का गूदा निकाल लें और उसमें ताजा खीरे का रस मिलाकर अच्छी तरह मिलाएं और पूरे चेहरे पर लगाएं। 15-20 मिनट बाद धो लें। हर दिन दोहराएं जब तक कि आपकी त्वचा शांत न हो जाए और जलन दूर हो जाए।

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महंगे शैम्पू का इस्तेमाल करने के बावजूद हो गए हैं दोमुंहे बाल

11.03.2023  –   खूबसूरत बाल न सिर्फ चेहरे की खूबसूरती बढ़ाते हैं बल्कि बालों की अच्छी सेहत की भी निशानी होते हैं। कई ऐसी लड़कियां होती हैं जिनके बाल तो काफी लंबे होते हैं लेकिन दोमुंहे होने की वजह से उन्हें कटवाना जरूरी हो जाता है। क्योंकि अगर अधिक दिनों तक आपके बालों में ये समस्या रह जाए तो ये आपके बालों के ग्रोथ को कम कर देती है और बाल का बढऩा रुक जाता है। इससे निजात पाने के लिए लड़कियां कई महंगे शैम्पू का इस्तेमाल भी करती हैं, लेकिन वे इतने कारगर साबित नहीं होते हैं। ऐसे में आज हम आपको कुछ ऐसे घरेलू नुस्खों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनके इस्तेमाल से दोमुंहे बालों की समस्या को कम किया जा सकता हैं।

आइये जानते हैं इन उपायों के बारे में…

अंडा बालों को पोषण देने और उन्हें दोमुंहा होने से रोकने के लिए अंडे की जर्दी को मास्क की तरह बालों पर लगाएं। इसके लिए आप अंडे की जर्दी में जैतून का तेल, नारियल का तेल या बादाम का तेल मिलाकर बालों पर लगाएं। अंडे की जर्दी को नींबू के रस के साथ भी बालों पर यूज किया जा सकता है।

मेयोनीज यदि आप वेजिटेरियन मेयोनीज का इस्तेमाल करते हैं, तो बेशक यह बालों को स्मूद करने का काम करेगा। यह विटमिन, प्रोटीन और फैटी एसिड से भरपूर होता है। फैटी एसिड होने की वजह से यह बालों में मॉइस्चर बनाए रखता है। साथ ही उन्हें नैचरली स्ट्रेट करता है। आप इसे सीधे बालों में हेयर मास्क की तरह लगा सकती हैं। मेयोनीज को 15 से 20 मिनट के लिए लगे रहने दें और फिर जेंटल शैंपू से स्कैल्प को अच्छे से क्लीन कर लें।

केलाकेले में पोटैशियम, जिंक, आयरन और विटामिन ए, सी और इ भरपूर मात्रा में पाया जाता है जो बालों को पोषण देने के साथ टूटने से बचाता है। एक पके केले को अच्छी तरह से मैश कर लें और बालों में लगाएं। आधे घंटे तक बालों पर रहने दें और फिर शैंपू से धो लें।

करी पत्तादोमुंहे बालों से छुटकारा पाने के लिए सबसे पहले आप लोहे के पैन में 3 बड़े चम्मच नारियल तेल को गर्म करें, फिर इसे 10 से 15 करी पत्ते को मिलाएं। अब रतनजोत पाउडर और आंवला पाउडर को भी मिक्स कर लें। इसके बाद इसे पूरी रात ढ़ककर रख दें और अगली सुबह इस मिक्सचर को छन्नी से छान लें और फिर हल्की आंच में गर्म कर लें। इस मिक्चर को बालों की जड़ों से लेकर टिप चक लगाएं और फिर ऐसे ही छोड़ दें। अगले दिन सुबह इसे साफ पानी और शैम्पू की मदद से लगाएं। हफ्ते में 2 बार इस प्रॉसेस को अपनाएंगे तो दोमूंहे बालों से निजात मिल जाएगी।

पपीतापपीते में पापेन नामक एंजाइम पाया जाता, जो डेड स्किन को हटाने का काम करता है। इसमें मौजूद विटमिन-ऐ, ई और बीटा कैरोटीन जैसे एंटीऑक्सिडेंट बालों को भीतर से स्वस्थ रखते हैं। इससे दो मुंहे बालों की परेशानी नहीं होती। हेयर मास्क बनाने के लिए अपने बालों की लेंथ के अनुसार एक पका हुआ पपीता लें। इसके छिलके निकालकर उसे मिक्सी में ब्लेंड कर लें। अब इस पेस्ट में आधा कप दही मिलाएं और 30 मिनट तक इसे बालों में रखें। अब सादे पानी से हेयर वॉश कर लें।

बीयरबीयर दोमुंहे बालों को कंट्रोल करने का काम करता है। इसमें मौजूद प्रोटीन और शुगर हेयर-फॉलिकल्स को मजबूत करने में मदद करता है। साथ ही ये एक बहुत अच्छा कंडीशनर भी है जिससे बालों में चमक आती है और वे घने भी बनते हैं।शहद दोमुंहे बालों से निजात पाने के लिए शहद और दही को मिक्स करें और बालों के नीचे वाले हिस्से पर लगाएं। इसे करीब आधे घंटे तक बालों पर रहने दें और फिर माइल्ड शैंपू के साथ वॉश कर लें।

मिल्क क्रीमखाने में क्रीमी फ्लेवर ऐड करने वाली मिल्क क्रीम बालों को प्रोटीन और कैल्शियम देते हुए उसे स्ट्रॉन्ग, शाइनी और सॉफ्ट बना सकती है। बेहतर परिणाम के लिए होममेड क्रीम का इस्तेमाल करें। इसके लिए 2 बड़े चम्मच को आधा कप दूध के साथ फेंट लें। अब इसे हल्के हाथों से बालों और उसकी जड़ों में लगाएं। थोड़ी देर बाद हल्के गुनगुने पानी से धो लें।

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नाखूनों को आकर्षक बनाता हैं नेलआर्ट, पार्लर जैसा लुक देने के लिए आजमाए ये टूल

(एजेंसी)  –  फैशन की परिभाषा और तरीका समय के साथ बदलता रहता है। जो फैशन कल था, वो आज नहीं है और जो फैशन आज है, वो आने वाले कल में नहीं होगा। ऐसे में आज के समय में नेलआर्ट का फैशन बहुत उभरकर सामने आया हैं। नाखूनों को आकर्षक बनाने के लिए ज्यादातर महिलाएं नेल आर्ट की मदद लेती हैं। इसके लिए महिलाएं पार्लर जाना पसंद करती हैं। लेकिन अगर आप चाहें तो घर में पर ही इससे जुड़ी आम चीजों का इस्तेमाल करके अपनी क्रिएटिविटी के अनुसार परफेक्ट नेल आर्ट बना सकती हैं।

आज इस कड़ी में हम आपको नेल आर्ट करने के कुछ टूल्स के बारे में बताने जा रहे हैं जो आपके किट में जरूर होने चाहिए।

आइये जानते हैं..

नेलपेंट रिमूवररिमूवर की जरुरत नेल पॉलिश को हटाने के लिए किया जाता है। इसके लिए नेल पॉलिश रिमूवर वाइप्स का इस्तेमाल कर सकती हैं। इन वाइप्स का आसानी से इस्तेमाल किया जा सकता है। आपको बता दें कि इसमें एसीटोन और एल्कोहल नहीं होता है।डॉटिंग टूल्सनेल आर्ट बनाने के लिए नेल आर्ट किट में डॉटिंग टूल्स का होना बेहद जरुरी है। यह नाखूनों पर डॉट बनाने में मदद करता हैं। यदि आप नेल आर्ट करना सीख रहे हैं, तो आपके लिए घर पर ऑन-फ्लीक नेल आर्ट बनाने के लिए एक डॉटिंग टूल का इस्तेमाल सबसे अच्छा तरीका हो सकता है।

आप या तो नेल पेन में निवेश कर सकते हैं या टूथपिक, बॉबी पिन, ऑरेंज स्टिक या पेंसिल जैसी नुकीली वस्तुओं का उपयोग कर सकते हैं, जो भी उपलब्ध हो।टोपकोट और बेसकोटअपनी नेल आर्ट किट में एक अच्छी क्वालिटी और जल्दी सूखने वाला टोपकोट जरूर शामिल करें।

टोपकोट की मदद से आप अपने नाखूनों पर शाइन ला सकती है। अपने नेल्स के हिसाब से बेसकोट शामिल करें। आपके नाखूनों को अगर कैल्शियम की जरुरत है तो कैल्शियम बिल्डर की मदद लें। इसके लिए नेल पेंट लगाने से पहले बेसकोट लगाना बिल्कुल ना भूलें।

स्ट्रिपिंग टेपअपने नेल आर्ट को आकर्षक बनाने के लिए सुपर पतली स्ट्रिपिंग टेप का प्रयोग करें। आप या तो इन मैटेलिक टेप्स का इस्तेमाल अपने नेल आर्ट को बनाने के लिए कर सकती हैं या सुपर स्ट्रेट लाइन्स बनाने के लिए और फिर इसे हटा सकती हैं। एक रंगीन स्ट्रिपिंग टेप उन सभी के लिए बहुत मददगार हो सकता है जो बिना गड़बड़ किए अपने नाखूनों पर ग्राफिक डिज़ाइन और सीधे किनारे बनाना चाहते हैं।

स्ट्रिपर ब्रशआप या तो किसी ब्यूटी स्टोर से स्ट्रिपर ब्रश ले सकती हैं या अपने नाखूनों पर जटिल विवरण और पतली रेखाएं बनाने के लिए पतले पेंट ब्रश का उपयोग कर सकती हैं। सुनिश्चित करें कि आपने अपने ब्रश को किसी अन्य रंग में डुबाने से पहले नेल पॉलिश रिमूवर से ठीक से साफ कर लिया है।

ट्वीजरनेल आर्ट करते हुए आपको कई चीजों की जरुरत होती है जिसे नेल आर्ट करते समय आप नाखूनों पर लगाती हैं। इन चीजों को लगाने के लिए आपको छोटी चिमटी या ट्वीजरकी जरूरत पड़ सकती है जिसकी मदद से भी आप इन सजाने की चीजों को अपने नाखूनों पर लगा सकती हैं।

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परेशान कर रही हैं पैरों की रूखी त्वचा, इन टिप्स की मदद से दूर होगी

10.03.2023 (एजेंसी)  –  सर्दियों में सर्द हवाएं स्किन की नमी को तेजी से चुरा लेती हैं। कई बार तो क्रीम और लोशन लगाने के बाद भी हाथ, पैर और चेहरे से रूखापन नहीं जाता। खासतौर से पैरों की रूखी त्वचा ज्यादा परेशान करती हैं और इससे खुजली की समस्या खड़ी हो जाती हैं। कई बार पैर सूज जाते हैं या फिर दरार दिखने लग जाती है और पैरों में रूखेपन की वजह से चलना भी मुश्किल हो जाता है। अगर आप भी विंटर के मौसम में इस समस्या से जूझ रहे हैं तो आज इस कड़ी में हम आपको कुछ ऐसे तरीके बताने जा रहे हैं जिनके इस्तेमाल से पैरों की रूखी त्वचा को दूर करने में मदद मिलेगी। तो आइये जानते हैं किस तरह सर्दियों में मुलायम और कोमल त्वचा पाने के लिए आपको त्वचा का ख्याल रखना चाहिए।स्क्रब से हटाएं डेड स्किन सेल्सअपने पैरों की रूखी त्वचा को खत्म करने के लिए आप घरेलू स्क्रब की मदद से सबसे पहले डेड स्किन सेल्स को हटाए। इसके लिए आप थोड़ा शहद, चीनी और गर्म पानी को एक साथ मिलाकर अपने पैरों पर लगाएं और अच्छी तरह से मसल कर डेड स्किन सेल्स को हटाए। यह आपके पैरों को मुलायम और चमकदार बना देगा और पैरों से डेड स्किन सेल्स भी निकल जाएंगे। इसके साथ ही आप मॉश्चराइजर का भी जरूर इस्तेमाल करें। इससे पैरों का रूखापन कम होता है।लें एलोवेरा की मदद एलर्जी के कारण भी पैरों की त्वचा ड्राय हो सकती है, इस समस्या को दूर करने के लिए आप एलोवेरा का इस्तेमाल करें। एलोवेरा जेल को आप पत्ते से निकालकर सीधे पैर पर एप्लाई करें और 20 मिनट बाद पैरों को धो लें। आपको खुजली, त्वचा की पीलिंग या क्रैक्स को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। अगर आपके पैरों का रूखापन किसी मेडिकल कंडीशन के कारण है तो आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। पैरों को रूखी त्वचा से बचाने के लिए आपको उसे सूरज की किरणों से बचाकर रखना चाहिए, यूवी रेज पैरों की त्वचा को रूखा बनाने का काम करते हैं।गर्म पानी मे रखें पैरपैरों से रूखेपन को कम करने के लिए आप यह घरेलू नुस्खा भी आजमा सकते हैं। एक कटोरा या टब में अच्छे से गर्म पानी लेकर उसमें नींबू और शैंपू डालकर करीब 30 मिनिट तक पैर रखें और मसले। ऐसा करने से भी डेड स्किन सेल्स निकल जाएंगे, पैरों की रूखी त्वचा से भी आपको छुटकारा मिलेगा और पैर मुलायम व साफ दिखेंगे। ऐसा करने से भी डेड स्किन सेल्स जल्दी अपनी जगह छोड़ देंगे।प्यूमिक स्टोन का इस्तेमाल प्यूमिक स्टोन प्राकृतिक लावा से बना पत्थर होता है, जो त्वचा की मृत कोशिकाओं को बहुत अच्छी तरह हटा देता है। पैरो में कड़े घट्टे (कैलस) हों तो उन्हें प्यूमिक स्टोन नर्म कर देता है। कैलस या त्वचा की मृत कोशिकाओं पर प्यूमिक स्टोन को सौम्यता से रगड़ें। सर्कुलर मोशन में और आगे-पीछे घुमाते हुए प्यूमिक स्टोन से अपनी त्वचा को साफ़ करें।मॉइश्चराइजर और तेल का करें इस्तेमालपैरों को रूखेपन से बचाने के लिए मॉइश्चराइजर का इस्तेमाल करना बहुत ज्यादा जरूरी है क्योंकि मॉइश्चराइजर सर्दियों में रूखी त्वचा और फटे हुए पैरों से छुटकारा दिलाने में काफी मददगार भूमिका अदा करते हैं। रूखी और सख्त त्वचा को मुलायम बनाने के लिए रोज रात में मॉइश्चराइजर का इस्तेमाल करना चाहिए। पैरों में मॉइश्चराइजर लगाकर मोजे पहनकर सोना चाहिए। मॉइश्चराइजर के अलावा आप नारियल तेल या बादाम तेल या फिर सरसों का तेल भी लगा सकते हैं। पैरों की अच्छे से मालिश जरूर करें क्योंकि इससे भी डेड स्किन सेल्स निकल जाते हैं। पैरों की त्वचा भी मुलायम होती है और रूखेपन से भी छुटकारा मिलता है।पहने मोजेविंटर सीजन रूखे पन से पैरों को बचाने के लिए मोजे पहना बहुत ज्यादा जरूरी है क्योंकि मोजे धूल मिट्टी को सीधे पैरों तक नहीं पहुंचने देते हैं। अगर आप ज्यादा देर तक खड़े हो रहे हैं या फिर कहीं बाहर जा रहे हैं तो आप कोशिश करेंगे की मोज़े जरूर पहने घर में चप्पल भी पहन कर रखें। साथी मोज़े भी जरूर पहने क्योंकि यहां आपको रूखेपन से भी बचाएंगे और पैरों को फटने से भी रुकेंगे।त्वचा को हाइड्रेट करेंआपको रोजाना पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन करना चाहिए। रोजाना 8 से 10 गिलास पानी का सेवन करें। पानी के अलावा भी आपको स्टार्च और चीनी मुक्त तरल पदार्थ का सेवन करना चाहिए। आप अपनी डाइट में नारियल पानी, नींबू पानी का इस्तेमाल कर सकते हैं। बहुत से लोग त्वचा में हाइड्रेशन के लिए जूस का सेवन करते हैं पर आपको बता दें कि जूस में फल के रेशे मौजूद नहीं होते हैं एक्सपर्ट्स के मुताबिक उसे आप चीनी का घोल कह सकते हैं। आपको उसे अवॉइड करना चाहिए। त्वचा को तरल पदार्थ और पानी से हाइड्रेशन मिलेगा तो त्वचा में रूखापन नहीं नजर आएगा।सही फुटवेयर का करें चयनविंटर सीजन में सही फूड अफेयर का चयन करना बहुत ही जरूरी है। वैसे तो आपको कोशिश करना चाहिए कि आप जूते या फिर पैरों को पूरी तरह से कवर करने वाले शूज पहने और हो सके तो मोजे भी जरुर पहनें। लेकिन अगर आप हिल्स या फिर सैंडल पहन रहे हैं तो आपको मॉइश्चराइजर लगाने के बाद ही फुटवियर पहनना चाहिए।

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