दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने विधानसभा में कैग की दूसरी रिपोर्ट पेश की

Delhi Chief Minister Rekha Gupta presented the second CAG report in the Assembly

नई दिल्ली  28 Feb, (Final Justice Digital News Desk/एजेंसी) । दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने शुक्रवार को विधानसभा में स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ी नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की दूसरी रिपोर्ट पेश की।

मुख्यमंत्री ने कैग की दूसरी रिपोर्ट पेश करते हुए कहा कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली सरकार से संबंधित भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक का सार्वजनिक स्वास्थ्य अवसंरचना और स्वास्थ्य सेवाओं का प्रबंधन पर निष्पादन लेखा परीक्षक प्रतिवेदन वर्ष-2024 संख्या नंबर 3 की प्रतियां सदन पटल पर प्रस्तुत करती हूं।

मुख्यमंत्री की तरफ से कैग की दूसरी रिपोर्ट पेश किए जाने के बाद विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने इसकी प्रतियों को सदन के अन्य सदस्यों को वितरित करने का निर्देश दिया।

इसके बाद इस कैग रिपोर्ट पर भाजपा नेता हरीश खुराना ने भाषण दिया। उन्होंने अपने भाषण में पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधा।

उन्होंने कहा कि पूर्व की सरकार ने कभी भी विधानसभा में कैग रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की। लेकिन, मैं मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता का धन्यवाद करना चाहूंगा कि उन्होंने स्वास्थ्य से संबंधित कैग रिपोर्ट प्रस्तुत करके संवैधानिक बाध्यताओं को पूरा किया।

उन्होंने आगे कहा कि हमारी सरकार ने स्वास्थ्य को हमेशा अपना प्राथमिक विषय बनाया। स्वास्थ्य के साथ किसी भी प्रकार का समझौता हमें स्वीकार नहीं है। यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत के हर राज्य में एम्स जैसे अस्पतालों का निर्माण हो रहा है, ताकि भारत का कोई भी नागरिक स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित नहीं रहे। हमारी सरकार स्वास्थ्य के क्षेत्र में बहुत काम कर रही है, जिसके लिए मैं प्रधानमंत्री मोदी का धन्यवाद करना चाहता हूं।

उन्होंने कहा कि दिल्ली की पूर्व की सरकार ने दावे तो बहुत किए थे। लेकिन, आज तक जमीन पर उनका कोई भी काम नहीं दिखा। कैग रिपोर्ट दिल्ली की पूर्व की सरकार के पोल को खोलती है।

उन्होंने कहा कि कैग रिपोर्ट से यह साफ जाहिर होता है कि दिल्ली की पूर्व की सरकार ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में वित्तीय अनियमितताएं बरती हैं। रिपोर्ट के अंदर यह बताया गया है कि 11 साल के शासन में दावे तो बहुत किए गए, लेकिन सिर्फ तीन अस्पताल ही बनाए गए हैं। यह कैग रिपोर्ट की पहली सच्चाई है।

उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी अस्पताल से संबंधित काम शुरू तो किसी और सरकार में हुआ था, लेकिन खत्म किसी दूसरी सरकार ने किया। लेकिन, इसमें पूरे पांच साल का विलंब हुआ। इसकी वजह से फाइनल कॉस्ट में 314 करोड़ की वृद्धि हुई।

अब यह क्यों वृद्धि हुई? यह सब जानते हैं कि अगर जानबूझकर किसी परियोजना में देरी की जा रही है, तो निश्चित तौर पर यह भ्रष्टाचार की ओर इंगित करता है। इसी तरह का विलंब बुराड़ी अस्पताल में भी हुआ। इसमें छह साल का विलंब हुआ है और यह सबकुछ केजरीवाल सरकार की वजह से हुआ।

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दिल्ली विधानसभा स्पीकर विजेंद्र गुप्ता का आतिशी को जवाब

आश्चर्य विपक्ष को सदन के नियमों की जानकारी नहीं

नई दिल्ली 28 Feb, (Final Justice Digital News Desk/एजेंसी) । दिल्ली विधानसभा में आम आदमी पार्टी (आप) के विधायकों के निलंबन को लेकर नेता प्रतिपक्ष आतिशी ने स्पीकर विजेंद्र गुप्ता को पत्र लिखा था। इसके अगले दिन शुक्रवार को विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने उनकी चिट्ठी का जवाब दिया। उन्होंने इस चिट्ठी में आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों को विधानसभा में एंट्री नहीं देने पर भी जवाब दिया।

विजेंद्र गुप्ता ने दिल्ली की पूर्व सीएम आतिशी को जवाब देते हुए चिट्ठी में लिखा, ”आपका दिनांक 28.02.2025 को लिखा पत्र प्राप्त हुआ है, जिसमें आपने विपक्षी विधायकों के निलंबन और उन्हें विधानसभा परिसर में प्रवेश न दिए जाने के संबंध में अपनी चिंता व्यक्त की है। यह अत्यंत आश्चर्यजनक है कि विपक्ष सदन में कार्य संचालन से संबंधित नियमों और विनियमों से अनभिज्ञ है, विशेष रूप से तब जब यही राजनीतिक दल पिछले 12 वर्षों तक सरकार में था। अतः, स्थिति को स्पष्ट करने के लिए हाल की घटनाओं का एक क्रमवार विवरण प्रस्तुत कर रहा हूं।”

”24 फरवरी, 2025 को जब अध्यक्ष का चुनाव संपन्न हुआ, यह एक गरिमामयी प्रक्रिया होनी चाहिए थी। परंतु, दुर्भाग्यवश विपक्षी सदस्यों द्वारा नारेबाजी और व्यवधान उत्पन्न कर इस प्रक्रिया को बाधित किया गया। इस अशोभनीय आचरण के बावजूद, मैंने संयम बरतते हुए किसी भी विधायक के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं की, ताकि हमारी नई विधानसभा अवधि की शुरुआत लोकतांत्रिक समावेशन की भावना से हो।

25 फरवरी, 2025 को, जब माननीय उपराज्यपाल ने उ‌द्घाटन भाषण दिया, विपक्षी विधायकों ने पुनः व्यवधान उत्पन्न किया, जिससे उपराज्यपाल अपने संबोधन को गरिमापूर्ण ढंग से पूरा नहीं कर सके। यह आचरण पांचवीं अनुसूची (आचार संहिता नियमावली) के स्पष्ट उल्लंघन के अंतर्गत आता है, विशेष रूप से निम्नलिखित प्रावधान के तहत यदि कोई सदस्य उपराज्यपाल के सदन में उपस्थित रहते हुए उनके अभिभाषण को बाधित करता है, चाहे वह भाषण, बिंदु-विशेष उठाने, वाकआउट करने या किसी अन्य माध्यम से हो, तो इसे उपराज्यपाल के प्रति अनादर एवं सदन की अवमानना माना जाएगा और इसे अनुशासनहीन आचरण की श्रेणी में रखकर आवश्यक कार्रवाई की जा सकती है।”

उन्होंने लिखा, ”इस स्थापित नियम का पालन करते हुए तथा संसदीय प्रक्रियाओं के अनुरूप, एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया और बहुमत से पारित हुआ, जिसके तहत सदन के कार्य में व्यवधान डालने वाले 21 विधायकों को तीन दिनों के लिए निलंबित किया गया। यह निर्णय मनमाना नहीं था, बल्कि संसदीय नियमों और पूर्व मिसालों पर आधारित था। विधानसभा परिसर में प्रवेश के संबंध में विधानसभा के नियमों में “सदन के परिसीमन” की व्यापक परिभाषा दी गई है, जिसमें निम्नलिखित क्षेत्र सम्मिलित हैं, विधानसभा कक्ष, लॉबी, गैलरी, विधानसभा सचिवालय द्वारा उपयोग किए जा रहे कक्ष, अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष के कक्ष, समिति कक्ष, विधानसभा पुस्तकालय, अध्ययन कक्ष, दलों के कक्ष, विधानसभा सचिवालय के अधिकारियों के नियंत्रण में रहने वाले सभी परिसर एवं इन तक जाने वाले मार्ग तथा ऐसे अन्य स्थान, जिन्हें अध्यक्ष समय-समय पर निर्दिष्ट कर सकते हैं।”

स्पीकर विजेंद्र गुप्ता ने पत्र में आतिशी को आगे लिखा, ”इसके अलावा, नियम 277, बिंदु 3 (डी) स्पष्ट रूप से कहता है, जो सदस्य सदन की सेवा से निलंबित किया गया है, उसे सदन के परिसर में प्रवेश करने और सदन एवं समितियों की कार्यवाही में भाग लेने से प्रतिबंधित किया जाएगा। यह स्पष्ट है कि जब कोई सदस्य निलंबित होता है, तो उसे इन परिसीमित क्षेत्रों में प्रवेश से वंचित किया जाता है, जो कि एक स्थापित संसदीय परंपरा है।

विधानसभा के गंभीर विषयों से ध्यान भटकाने का प्रयास, मुझे यह कहने में अत्यंत खेद है कि दिल्ली की जनता से जुड़े गंभीर मुद्दों, विशेष रूप से कैग (सीएजी) रिपोर्ट्स पर चर्चा करने के बजाय, विपक्ष ने सदन में व्यवधान उत्पन्न करने का मार्ग अपनाया। ये रिपोर्ट्स उस अवधि से संबंधित हैं जब आपकी पार्टी सत्ता में थी और आपने वरिष्ठ मंत्री तथा अंततः मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया था।

कैग की संवैधानिक भूमिका बढ़ावा देना है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने भी अपने निर्णयों में कैग की भूमिका को संविधान की मूल संरचना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना है। यह तथ्य प्रमाणित है कि वर्ष 2017-18 के बाद से कैग रिपोर्ट्स विधानसभा में प्रस्तुत नहीं की गई, जबकि तत्कालीन विपक्ष (जिसका नेतृत्व उस समय के नेता प्रतिपक्ष कर रहे थे) ने राष्ट्रपति, विधानसभा अध्यक्ष, मुख्यमंत्री, वित्त मंत्री और मुख्य सचिव तक इस विषय पर कई अभ्यावेदन भेजे थे।”

उन्होंने लिखा, ”इस संबंध में, माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय ने 24 जनवरी, 2025 को डब्ल्यूपी (सी) नं. 18021/2024 में स्पष्ट रूप से निर्णय दिया है, यदि सरकार को सौंपी गई कैग रिपोर्ट्स को अत्यधिक समय तक सार्वजनिक एवं विधायी समीक्षा से रोका जाता है, तो यह संवैधानिक व्यवस्था के विरुद्ध होगा।

यह न्यायिक निर्णय पारदर्शिता और जवाबदेही की संवैधानिक अनिवार्यता को रेखांकित करता है, जिसे निर्वाचित प्रतिनिधियों के रूप में हम सभी को बनाए रखना चाहिए। इस उच्च सदन के अध्यक्ष के रूप में, मेरा कर्तव्य है कि सदन की कार्यवाही कानून, संवैधानिक सिद्धांतों और संसदीय प्रक्रियाओं के अनुरूप संचालित हो। प्रत्येक सदस्य, चाहे वह सत्ता पक्ष से हो या विपक्ष से, उसका दायित्व है कि वह गंभीर चर्चा, रचनात्मक आलोचना और जनहित में सार्थक समाधान प्रस्तुत करें।”

उन्होंने अंत में लिखा, ”मैं आपसे, विपक्ष की नेता के रूप में, आग्रह करता हूं कि आप अपने सहयोगी विधायकों को इस सदन की गरिमा बनाए रखने और सदन में रचनात्मक सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए प्रेरित करें। दिल्ली की जनता एक जिम्मेदार एवं प्रभावी विधानसभा की हकदार है, जहां उनके मुद्दों पर गंभीर बहस और निर्णय लिए जाएं।”

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कर्नाटक सरकार ने बर्ड फ्लू को रोकने के लिए कदम उठाए

फार्म में मुर्गियों को मारने का आदेश दिया

चिक्काबल्लापुर 28 Feb, (Final Justice Digital News Desk/एजेंसी) । बेंगलुरू के निकट स्थित चिक्कबल्लापुर जिले में बर्ड फ्लू के प्रकोप को रोकने के लिए जिला प्रशासन ने कड़े कदम उठाए हैं। राज्य पशुपालन और पशु चिकित्सा विभाग ने शुक्रवार को चिक्कबल्लापुर के वरदाहल्ली गांव में एक पोल्ट्री फार्म में 350 मुर्गियों को मारने का आदेश दिया है।

जिला प्रशासन हाई अलर्ट पर है क्योंकि वरदहल्ली में मुर्गियों में एच5एन1 वायरस पाया गया है। डिप्टी कमिश्नर पी.एन. रविंद्र की अगुवाई में जिला प्रशासन ने आपात बैठक की और गांव से मुर्गियों के बाहर जाने पर रोक लगा दी गई। गांव की सभी सड़कों पर बैरिकेड लगाए गए हैं और गाड़ियों की कड़ी निगरानी की जा रही है ताकि मुर्गियों को बाहर न ले जाया जा सके।

शुरुआती जांच में पाया गया कि वरदाहल्ली के निवासी द्यामप्पा के घर पर 28 मुर्गियां मरी हुई मिली। गांव के अन्य घरों में भी मुर्गियों की मौत हो रही है। प्रशासन ने एक पोल्ट्री फार्म के तीन डेड चिकन के सैंपल जांच के लिए बेंगलुरू की सेंट्रल लैब भेजे। प्रयोगशाला परीक्षणों से सैंपल में एवियन इन्फ्लूएंजा की पुष्टि हुई। इसके बाद पोल्ट्री फार्म की सभी मुर्गियों को मारने का आदेश जारी कर दिया गया।

अधिकारियों ने गांव में घर-घर जाकर सर्वे किया और पूरे इलाके में सोडियम हाइपोक्लोराइट का छिड़काव किया। स्वास्थ्य विभाग भी ग्रामीणों की सेहत पर नजर रख रहा है।

इस बीच, खबर मिली है कि दो दिन पहले वरदाहल्ली के पोल्ट्री फार्म से लगभग 10,000 मुर्गियों को बेंगलुरू भेजा गया था, जहां इन्हें मीट की दुकानों और होटलों में बेचा गया हो सकता है। अधिकारी इस मामले की जांच कर रहे हैं और विक्रेताओं को सतर्क कर रहे हैं कि वे वरदाहल्ली से लाए गए मुर्गों की बिक्री न करें।

आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र में एवियन इन्फ्लूएंजा फैलने के बाद कर्नाटक सरकार ने सीमा पर निगरानी बढ़ा दी है। कर्नाटक पहले दावा कर चुका था कि राज्य में बर्ड फ्लू का कोई मामला नहीं है और वे पूरी सतर्कता बरत रहे हैं। राज्य में हर महीने करीब चार करोड़ ब्रॉयलर चिकन का उत्पादन होता है और यहां 73 ब्रीडर व 20,000 पोल्ट्री किसान हैं।

सीमा से सटे बेलगावी जिले में प्रशासन ने चिकन सैंपल की जांच शुरू कर दी है और महाराष्ट्र बॉर्डर पर चेकपोस्ट लगाए हैं। बर्ड फ्लू की खबरों के बाद पोल्ट्री किसानों को आर्थिक नुकसान हो रहा है क्योंकि लोग चिकन और अंडे खाने से बच रहे हैं।

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महाकुंभ के बाद सफाई अभियान में जुटे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

प्रयागराज,27 फरवरी (Final Justice Digital News Desk/एजेंसी)। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ 2025 के समापन के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने मंत्रियों के साथ सफाई अभियान में जुट गए हैं।

गुरुवार को महाकुंभ समापन समारोह में पहुंचे योगी ने सबसे पहले मेला क्षेत्र में झाडू लगाकर सफाई की और कूड़े को हटाया। इसके बाद उन्होंने अरैल घाट पर पहुंचकर गंदगी को हटाया।

इस दौरान उनके साथ उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और बृजेश पाठक भी मौजूद थे। उन्होंने सभी के साथ अरैल घाट पर पूजा-अर्चना भी की।

मुख्यमंत्री योगी गोरखपुर से प्रयागराज हेलीकॉप्टर से पहुंचे थे। उनका हेलीकॉप्टर दिल्ली पब्लिक स्कूल के ग्राउंड में उतरा था। यहां उनके स्वागत के लिए उपमुख्यमंत्री मौजूद थे।

मुख्यमंत्री योगी प्रयागराज में 11 जनवरी से 26 फरवरी तक चले महाकुंभ मेले को सफल बनाने के लिए कर्मचारियों, अधिकारियों और संस्थाओं का सम्मान करेंगे।

बता दें कि 45 दिन के मेले में करीब 66 करोड़ श्रद्धालुओं ने स्नान किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी समापन पर अपने विचार साझा किए हैं।

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महाकुंभ के समापन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संदेश, जनता से मांगी माफी?

नईदिल्ली,27 फरवरी (Final Justice Digital News Desk/एजेंसी)। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ 2025 का महाशिवरात्रि पर अंतिम स्नान के साथ समापन हो गया। इस मौके पर करोड़ों श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई।

महाकुंभ के समापन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को ब्लॉग लिखकर अपने विचारों को साझा किया और किसी असुविधा के लिए माफी मांगी है।

उन्होंने ब्लॉग के कुछ अंश एक्स पर भी साझा किए हैं, जिसमें उन्होंने लिखा, महाकुंभ संपन्न हुआ…एकता का महायज्ञ संपन्न हुआ।

प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स पर लिखा, महाकुंभ संपन्न हुआ…एकता का महायज्ञ संपन्न हुआ। प्रयागराज में एकता के महाकुंभ में पूरे 45 दिनों तक जिस प्रकार 140 करोड़ देशवासियों की आस्था एक साथ, एक समय में इस एक पर्व से आकर जुड़ी, वो अभिभूत करता है! महाकुंभ के पूर्ण होने पर जो विचार मन में आए, उन्हें मैंने कलमबद्ध करने का प्रयास किया है…।

उन्होंने लिखा कि महाकुंभ में श्रद्धालुओं की उपस्थिति केवल रिकॉर्ड नहीं बल्कि संस्कृति-विरासत की सशक्त नींव है।

उन्होंने ब्लॉग में लिखा, मैं जानता हूं, इतना विशाल आयोजन आसान नहीं था। मैं प्रार्थना करता हूं मां गंगा से…मां यमुना से…मां सरस्वती से…हे मां हमारी आराधना में कुछ कमी रह गई हो तो क्षमा करिएगा…। जनता जनार्दन, जो मेरे लिए ईश्वर का स्वरूप है, श्रद्धालुओं की सेवा में भी अगर हमसे कुछ कमी रह गई हो, तो मैं जनता जनार्दन का भी क्षमाप्रार्थी हूं। श्रद्धा से भरे जो करोड़ों लोग प्रयाग पहुंचकर इस एकता के महाकुंभ का हिस्सा बने।

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वक्फ विधेयक के 14 बदलावों को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी

संसद सत्र में लाया जाएगा

नईदिल्ली,27 फरवरी (Final Justice Digital News Desk/एजेंसी)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में वक्फ संशोधन विधेयक के 14 बदलावों को मंजूरी दे दी गई है। अब इसे आगामी संसद सत्र में पेश किया जाएगा।

मंत्रिमंडल ने पिछले सप्ताह हुई बैठक में संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की रिपोर्ट के आधार पर प्रस्तावित 23 में से 14 बदलावों को स्वीकार किया है।

विधेयक को 10 मार्च से शुरू होने वाली संसद सत्र में दोबारा से पेश किया जाएगा।

जेपीसी ने 13 फरवरी को बजट सत्र के दौरान संसद में वक्फ विधेयक को लेकर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, जिस पर विपक्षी सांसदों ने काफी हंगामा किया था।

विपक्षी सांसदों का कहना था कि उन्होंने विधेयक में 44 संशोधन प्रस्तावित किए थे, जिनमें से सभी को खारिज कर दिया गया, जबकि भाजपा और उनके सहयोगी दलों के प्रस्तावित 23 संशोधनों को मंजूरी दे दी गई।

संसद में मतदान के बाद 23 में 14 बदलावों को मंजूरी मिल गई।

भाजपा सांसद जगदंबिका पाल की अगुवाई वाली छ्वक्कष्ट के समक्ष कुल 66 बदलावों प्रस्तावित थे, जिनमें 23 सत्तारूढ़ भाजपा और 44 विपक्षी सांसदों के थे।

जेपीसी में एनडीए के कुल 16 सांसद हैं, जबकि विपक्ष के 10 हैं। इनके बीच बदलावों के मतदान में एनडीए के 16 सांसदों ने 23 बदलावों के पक्ष में मतदान किया, जबकि विपक्ष के 44 संशोधन पर बहुमत नहीं मिला।

एनडीए के 23 बदलावों को संसद में पेश किया गया, जिसमें 14 को मंजूरी मिली।

विधेयक में वक्फ बोर्डों के प्रशासन के तरीके में कई बदलाव का प्रस्ताव है, जिसमें गैर-मुस्लिम और कम से कम 2 महिलाओं को शामिल करने की बात है।

केंद्रीय वक्फ परिषद में (संशोधन पारित हुए तो) एक केंद्रीय मंत्री, 3 सांसद, 2 पूर्व न्यायाधीश, 4 मशहूर लोग, वरिष्ठ सरकारी अधिकारी शामिल होंगे, जिनमें किसी का इस्लामी धर्म से होना आवश्यक नहीं।

नए मियम में वक्फ काउंसिल भूमि पर दावा नहीं कर सकती और दान की सीमा तय की गई है।

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दिल्ली विधानसभा: बीजेपी विधायक ने नजफगढ़ का नाम बदलने का सदन में रखा प्रस्ताव

नई दिल्ली,27 फरवरी (Final Justice Digital News Desk/एजेंसी)। बीजेपी विधायक नीलम पहलवान ने दिल्ली विधानसभा में नजफगढ़ का नाम बदलने का प्रस्ताव रखा। उन्होंने सदन में कहा कि नजफगढ़ का नाम बदलकर नाहरगढ़ किया जाना चाहिए। नीलम यहीं से विधायक हैं।नीलम पहलवान का यह बयान उस समय आया जब दिल्ली विधानसभा में सत्र चल रहा था। विधायक ने इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि नजफगढ़ का नाम बदलकर नाहरगढ़ रखने से न केवल क्षेत्र की पहचान मजबूत होगी, बल्कि यह स्थान एक नई दिशा में तरक्की करेगा।उन्होंने सदन में कहा, औरंगजेब ने इसका नाम नाहरगढ़ से बदलकर नजफगढ़ रखा था।

1857 की लड़ाई में राजा नाहर सिंह ने लड़ाई लड़के नजफगढ़ क्षेत्र को दिल्ली प्रांत में शामिल करवाया था, लेकिन कई कागजी कार्रवाई होने के बावजूद भी आज तक नाम नहीं बदला गया। नजफगढ़ का नाम बदलने की हमने कई बार अपील की। हमारे सांसद जब प्रवेश वर्मा थे, तब भी हमने कई बार इनके माध्यम से कोशिश की कि नजफगढ़ का नाम नाहरगढ़ रखा जाए।

नीलम पहलवान के बाद दक्षिणी दिल्ली के आरके पुरम से बीजेपी विधायक अनिल शर्मा ने भी अपनी विधानसभा के अन्तर्गत आने वाले गांव महोमदपुर का नाम बदलने की मांग की और कहा कि महोमदपुर का नाम माधवपुरम रखा जां।बता दें कि इससे पहले दिल्ली में हुए विधानसभा चुनाव में मुस्तफाबाद विधानसभा से जीतकर आए भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार मोहन सिंह बिष्ट ने इलाके का नाम बदलने की मांग की थी। उन्होंने इसकी जगह शिवपुरी या शिव विहार नाम सुझाया था।

मोहन सिंह बिष्ट ने से बात करते हुए कहा, एक तरफ 58 फीसदी लोग हैं, दूसरी तरफ 42 फीसदी। विधानसभा का नाम 42 फीसदी वाले लोगों की पसंद का कैसे हो सकता है? यह 58 फीसदी लोगों के साथ अन्याय है। यह उन बहुसंख्यक लोगों के साथ अन्याय है। मैं इस विधानसभा का नाम बहुसंख्यकों के नाम पर करवाऊंगा। विधानसभा के गठन के बाद जैसे ही पहला सत्र चालू होगा, वैसे ही मैं यह प्रस्ताव लाऊंगा कि मुस्तफाबाद विधानसभा का नाम बदलकर शिवपुरी या शिव विहार विधानसभा रखा जाएगा।

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आतिशी का भाजपा पर आरोप, कहा-तानाशाही की हदें पार कर दी

नई दिल्ली,27 फरवरी (Final Justice Digital News Desk/एजेंसी)। आम आदमी पार्टी (आप) की विधायक आतिशी ने भाजपा पर आरोप लगाया है कि पार्टी ने सत्ता में आने के बाद तानाशाही की सारी हदें पार कर दी हैं। आतिशी ने सोशल मीडिया पर इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि भाजपा सरकार ने जय भीम के नारे लगाने के कारण तीन दिन के लिए आम आदमी पार्टी के विधायकों को दिल्ली विधानसभा से निलंबित कर दिया।

आतिशी ने आगे कहा, आज भी भाजपा ने लोकतांत्रिक तरीके से चुने गए विधायकों को विधानसभा परिसर में प्रवेश तक नहीं करने दिया। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ कि चुने हुए प्रतिनिधियों को विधानसभा परिसर में घुसने से रोका गया हो।उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा की तानाशाही न केवल विधानसभा की कार्यवाही को प्रभावित कर रही है, बल्कि यह लोकतंत्र के बुनियादी मूल्यों का भी उल्लंघन कर रही है।

दरअसल, तीन दिनों के लिए शुरू हुए दिल्ली विधानसभा सत्र के दूसरे दिन ही दिल्ली के उपराज्यपाल के अभिभाषण के दौरान आम आदमी पार्टी की नेता आतिश समेत अन्य विधायकों ने जमकर हंगामा शुरू कर दिया था। उन्होंने दिल्ली विधानसभा में मुख्यमंत्री के कमरे और सचिवालय में अन्य मंत्रियों के कमरों से बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर की फोटो हटाने को लेकर भाजपा पर आरोप लगाने शुरू कर दिए और जमकर नारेबाजी भी शुरू कर दी।

जिसके बाद आतिशी और उनके साथी विधायकों को एक के बाद एक दिल्ली विधानसभा से तीन दिनों के लिए निलंबित कर दिया गया। अब आतिशी का कहना है कि अपने तानाशाही रवैये के चलते भाजपा सरकार ने उन्हें विधानसभा से तो निलंबित कर दिया है, लेकिन विधानसभा के परिसर में भी घुसने पर रोक लगा दी है। सदन में कैग रिपोर्ट पर चर्चा होनी है और इस रिपोर्ट को लेकर लगातार हंगामा जारी है।

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गुजरात के चार दिवसीय दौरे पर राष्ट्रपति मुर्मू, नर्मदा आरती में होंगी शामिल

गांधीनगर,27 फरवरी (Final Justice Digital News Desk/एजेंसी)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू अपने तीन राज्यों के दौरे के आखिरी चरण में बुधवार को गुजरात पहुंचीं। राष्ट्रपति मध्य प्रदेश से वडोदरा पहुंचीं। यहां से वह स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पर श्रद्धांजलि अर्पित करने और गुजरात के केवडिय़ा में नर्मदा आरती देखने के लिए एकतानगर रवाना हुईं।

स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का निर्माण भारत के लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल को श्रद्धांजलि देने के लिए किया गया है। वे स्वतंत्र भारत के पहले गृह मंत्री थे और उन्होंने देश की 562 रियासतों को एकजुट करके भारत गणराज्य का निर्माण किया था।31 अक्टूबर 2018 को गुजरात के केवडिय़ा में सतपुड़ा और विंध्याचल पहाडिय़ों की सुंदर पृष्ठभूमि में दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा – स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का उद्घाटन किया गया।182 मीटर (करीब 600 फीट) ऊंची यह प्रतिमा स्वतंत्र भारत के निर्माता सरदार वल्लभभाई पटेल को समर्पित है।

नर्मदा नदी के ऊपर बनी यह विशाल प्रतिमा गुजरात के लोगों की ओर से उस नेता को श्रद्धांजलि है, जिन्होंने हमेशा लोगों के कल्याण को पहले रखा।27 फरवरी को राष्ट्रपति केवडिय़ा में एकता कौशल विकास केंद्र का दौरा करेंगी और अहमदाबाद में राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान के 44वें दीक्षांत समारोह में हिस्सा लेंगी।28 फरवरी को राष्ट्रपति गांधीनगर में राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय के तीसरे दीक्षांत समारोह में हिस्सा लेंगी।

उसी दिन वह भुज स्थित स्मृतिवन भूकंप स्मारक का दौरा करेंगी।1 मार्च को राष्ट्रपति यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल धोलावीरा का दौरा करेंगी, जो अपनी प्राचीन हड़प्पा सभ्यता के अवशेषों के लिए प्रसिद्ध है।अपनी यात्रा के पहले चरण में राष्ट्रपति मंगलवार को बिहार के पटना मेडिकल कॉलेज के शताब्दी समारोह में शामिल हुईं थीं।

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जीएसटी, सीमा शुल्क मामलों में प्राथमिकी न होने पर भी अग्रिम जमानत मांग सकता है व्यक्ति: न्यायालय

नई दिल्ली,27 फरवरी (Final Justice Digital News Desk/एजेंसी)। उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि अग्रिम जमानत का प्रावधान माल एवं सेवा कर (जीएसटी) अधिनियम और सीमा शुल्क कानून पर लागू होता है और व्यक्ति प्राथमिकी दर्ज नहीं होने पर भी गिरफ्तारी से पहले जमानत के लिए अदालतों का रुख कर सकता है.

प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश और न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी की पीठ ने सीमा शुल्क अधिनियम, जीएसटी अधिनियम में दंड प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर पिछले साल 16 मई को फैसला सुरक्षित रखा था. याचिकाओं में कहा गया है कि ये प्रावधान दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और संविधान के अनुरूप नहीं हैं.

प्रधान न्यायाधीश ने फैसला सुनाते हुए कहा कि दंड प्रक्रिया सहिंता (सीआरपीसी) और उसके बाद बने कानून-भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) के प्रावधान अग्रिम जमानत जैसे मुद्दों पर सीमा शुल्क और जीएसटी अधिनियमों के तहत भी आरोपी पर लागू होंगे.

अदालत ने कहा कि जीएसटी और सीमा शुल्क अधिनियमों के तहत संभावित गिरफ्तारी का सामना करने वाले व्यक्ति प्राथमिकी दर्ज होने से पहले भी अग्रिम जमानत का अनुरोध करने के हकदार हैं. विस्तृत फैसले का इंतजार है. इस मामले में मुख्य याचिका राधिका अग्रवाल ने 2018 में दायर की थी.

अदालत ने जीएसटी अधिनियम की धारा 69 (गिरफ्तारी की शक्ति से निपटने) में अस्पष्टता के बारे में भी चिंता व्यक्त की और कहा कि यदि आवश्यक हो तो यह स्वतंत्रता को मजबूत करने के लिए कानून की व्याख्या करेगा, लेकिन नागरिकों को परेशान नहीं होने देगा.

एक सुनवाई के दौरान, सीजेआई खन्ना ने यह भी कहा कि विचाराधीन कानून (कानूनों) ने गिरफ्तारी की प्रतिबंधित शक्तियां प्रदान की हैं: कभी-कभी हम यह मानने लगते हैं कि गिरफ्तारी तक जांच पूरी नहीं हो सकती. यह कानून का उद्देश्य नहीं है. यह गिरफ्तारी की शक्ति को प्रतिबंधित करता है. यह आगे बताया गया कि एक अधिकारी की गिरफ्तार करने की शक्ति गिरफ्तार की आवश्यकता से अलग है.

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तेलंगाना सुरंग हादसा: फंसे हुए 8 लोगों तक पहुंचने के लिए बचाव अभियान तेज किया गया

नागरकुरनूल,27 फरवरी (Final Justice Digital News Desk/एजेंसी)। श्रीशैलम सुरंग नहर परियोजना हादसे के छठे दिन बचाव अभियान में जुटे कर्मियों को सफलता नहीं मिली है. इस अभियान में जुटे अधिकारियों ने यह भी साफ नहीं किया है कि सुरंग में फंसे लोगों को बाहर निकालने में और कितना वक्त लगेगा. हालांकि, उन्हें बचाने के लिए युद्धस्तर पर प्रयास जारी है.

कहा जा रहा कि सुरंग में खराब पड़ी टीबीएम मशीन बचाव अभियान में बाधा बनी है. ये मशीन सुरंग में फंसे लोगों और बचावकर्मियों के बीच में है जिससे उनके आगे बढऩे का रास्ता बंद है. अब इस मशीन को ही काटने का काम किया जा रहा है. इसे काट कर टुकड़ों में सुरंग से बाहर निकाला जाएगा. इसके बार रास्ता साफ होने पर बचाव दल आगे बढ़ेंगे.

नागरकुरनूल के पुलिस अधीक्षक वैभव गायकवाड़ ने कहा कि सुरंग में कन्वेयर बेल्ट के क्षतिग्रस्त हिस्से की मरम्मत दिन में कर दी जाएगी, ताकि मलबे का परिवहन आसान हो सके. जब अधिकारी से पूछा गया कि क्या गैस कटर ने काम करना शुरू कर दिया है, तो उन्होंने कहा कि यह पहले ही हो चुका है. गैस काटने वाली मशीनें अंदर भेज दी चली गई है. रात में भी उन्होंने कुछ काटने का काम किया.

तेलंगाना के मंत्री उत्तम कुमार रेड्डी ने बुधवार को कहा कि अंदर लगी टीबीएम को गैस कटर से टुकड़ों में काटकर निकाला जाएगा. इसके बाद सेना, नौसेना, रैट माइनर्स और एनडीआरएफ की टीमें अपनी सुरक्षा से समझौता किए बिना लापता आठ लोगों को बचाने के लिए एक और गंभीर प्रयास करेगी. एक सवाल के जवाब में एसपी ने कहा कि वह इस बात का जवाब नहीं दे सकते कि फंसे हुए लोगों का आज पता चल पाएगा या नहीं.

रिपोर्ट के अनुसार सुरंग के काम में लगे कुछ मजदूरों ने डर के कारण जगह छोडऩे की बात कही है. एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि श्रीशैलम लेफ्ट बैंक नहर परियोजना पर 800 लोग काम कर रहे हैं. इनमें से 300 स्थानीय हैं जबकि बाकी झारखंड, ओडिशा और यूपी जैसे राज्यों से हैं.

एसएलबीसी परियोजना की ठेकेदार कंपनी जेपी ग्रुप के संस्थापक अध्यक्ष जयप्रकाश गौड़ ने बुधवार को इस घटना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि कठिन कार्यों के दौरान दुर्घटनाएं हो सकती हैं. इस सुरंग को खोदने का काम एक प्राइवेट कंपनी को सौंपा गया था.

फंसे हुए लोगों की पहचान मनोज कुमार (यूपी), श्री निवास (यूपी), सनी सिंह (जम्मू-कश्मीर), गुरप्रीत सिंह (पंजाब) और संदीप साहू, जेगता जेस, संतोष साहू और अनुज साहू के रूप में हुई है. ये सभी झारखंड के रहने वाले हैं. आठ लोगों में से दो इंजीनियर, दो ऑपरेटर और बाकी चार मजदूर हैं.

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पीएम मोदी ने महाकुंभ को बताया एकता का महायज्ञ, सीएम योगी ने जताया आभार

लखनऊ,27 फरवरी (Final Justice Digital News Desk/एजेंसी)। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ के समापन के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक लेख लिखकर इसे देश की एकता का महाकुंभ बताया। इसके बाद सीएम योगी ने पीएम का आभार जताया।सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपने पोस्ट में सीएम योगी ने कहा, आदरणीय प्रधानमंत्री जी, यह आपके यशस्वी मार्गदर्शन का ही सुफल है कि एकता, समता, समरसता का महायज्ञ महाकुंभ-2025, प्रयागराज भव्यता-दिव्यता के साथ सुरक्षा-स्वच्छता-सुव्यवस्था के नवीन मानक गढ़कर आज संपन्न हो गया है।

विगत 45 पुण्य दिवसों में पूज्य साधु-संतों समेत 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालु पावन त्रिवेणी में आस्था की डुबकी लगाकर कृतार्थ हुए हैं। सकल विश्व को सभी जन एक हैं का अमृत संदेश देने वाला यह मानवता का महोत्सव वसुधैव कुटुंबकम के पुण्य भाव के साथ संपूर्ण विश्व को एकता के सूत्र में पिरो रहा है। आपका मार्गदर्शन एवं शुभेच्छाएं हम सभी को सदैव नई ऊर्जा प्रदान करती हैं, हार्दिक आभार प्रधानमंत्री जी! हर हर-गंगे, भगवान बेनी माधव की जय!पीएम मोदी ने एक्स पोस्ट में कहा , महाकुंभ संपन्न हुआ…एकता का महायज्ञ संपन्न हुआ। प्रयागराज में एकता के महाकुंभ में पूरे 45 दिनों तक जिस प्रकार 140 करोड़ देशवासियों की आस्था एक साथ, एक समय में इस एक पर्व से आकर जुड़ी, वो अभिभूत करता है!

महाकुंभ के पूर्ण होने पर जो विचार मन में आए, उन्हें मैंने कलमबद्ध करने का प्रयास किया है।इसके अलावा पीएम मोदी ने एक लेख लिखकर सीएम योगी की तारीफ की।पीएम मोदी ने लिखा, श्रद्धा से भरे जो करोड़ों लोग प्रयाग पहुंचकर इस एकता के महाकुंभ का हिस्सा बने, उनकी सेवा का दायित्व भी श्रद्धा के सामर्थ्य से ही पूरा हुआ है।

यूपी का सांसद होने के नाते मैं गर्व से कह सकता हूं कि योगी जी के नेतृत्व में शासन, प्रशासन और जनता ने मिलकर, इस एकता के महाकुंभ को सफल बनाया। केंद्र हो या राज्य हो, यहां ना कोई शासक था, ना कोई प्रशासक था, हर कोई श्रद्धा भाव से भरा सेवक था। हमारे सफाई कर्मी, हमारे पुलिसकर्मी, नाविक साथी, वाहन चालक, भोजन बनाने वाले, सभी ने पूरी श्रद्धा और सेवा भाव से निरंतर काम करके इस महाकुंभ को सफल बनाया।

विशेषकर, प्रयागराज के निवासियों ने इन 45 दिनों में तमाम परेशानियों को उठाकर भी जिस तरह श्रद्धालुओं की सेवा की है, वह अतुलनीय है। मैं प्रयागराज के सभी निवासियों का, यूपी की जनता का आभार व्यक्त करता हूं, अभिनंदन करता हूं।

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भारत में क्रिप्टो रेगुलेशन पर असमंजस: वैश्विक नीतियों के बीच भारत कब तय करेगा अपना रुख?

नई दिल्ली, 26 फरवरी (Final Justice Digital News Desk/एजेंसी)। यूरोप और ब्रिटेन में जहां क्रिप्टोकरेंसी के लिए स्पष्ट और ठोस नियामक ढांचे बनाए जा रहे हैं, वहीं भारत अब भी इस दिशा में अपनी नीति तय करने में पिछड़ता दिख रहा है। भारत की जी 20 अध्यक्षता के दौरान इस विषय पर चर्चा जरूर हुई, लेकिन अब तक कोई ठोस नीतिगत निर्णय नहीं लिया गया। दूसरी ओर, यूरोपीय संघ और यूनाइटेड किंगडम अपने क्रिप्टो बाजार को सुरक्षित और पारदर्शी बनाने के लिए प्रभावी नियम लागू कर रहे हैं।

यूरोपीय संघ का क्रिप्टो संपत्ति बाजार (एमआईसीए ) रेगुलेशन और ब्रिटेन की वित्तीय आचरण प्राधिकरण (एफसीए ) द्वारा जारी दिशानिर्देश बाजार स्थिरता, निवेशकों की सुरक्षा और नवाचार के बीच संतुलन बनाने की कोशिश कर रहे हैं। भारत के पास भी यह अवसर है कि वह अपनी वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए इस क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देने वाली नीति अपनाए।  यूरोपीय संघ का एमआईसीए   रेगुलेशन, जो दिसंबर 2024 से पूरी तरह लागू हो चुका है, अब तक का सबसे व्यापक क्रिप्टो नियमन माना जा रहा है। इसका उद्देश्य निवेशकों की सुरक्षा और बाजार में पारदर्शिता सुनिश्चित करना है।

इसके तहत क्रिप्टो सेवा प्रदाताओं के लिए लाइसेंस अनिवार्य कर दिया गया है ताकि धोखाधड़ी और इनसाइडर ट्रेडिंग पर रोक लगाई जा सके। एल्गोरिदमिक स्टेबलकॉइन्स पर प्रतिबंध और असेट-बैक्ड स्टेबलकॉइन्स के लिए सख्त रिजर्व नियम लागू किए गए हैं ताकि वित्तीय अस्थिरता से बचा जा सके।   ब्रिटेन की एफसीए भी क्रिप्टो बाजार के नियमन को लेकर सक्रिय है। एफसीए ने 2025 तक स्थिर मुद्रा, क्रिप्टो कस्टडी और बाजार में धोखाधड़ी जैसे मुद्दों पर चर्चा के लिए कंसल्टेशन पेपर जारी करने की योजना बनाई है। 2026 तक, वह इन विषयों पर अंतिम नीति तय कर लेगी। एफसीए का मुख्य फोकस यह सुनिश्चित करना है कि क्रिप्टो फर्में मजबूत वित्तीय स्थिति बनाए रखें, जोखिम प्रबंधन के सख्त नियमों का पालन करें और निवेशकों को उनके जोखिमों की पूरी जानकारी मिले।

इसके विपरीत, भारत में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर नीति अभी भी मुख्य रूप से टैक्स और मनी लॉन्ड्रिंग रोकने (एएमएल ) तक सीमित है। स्पष्ट नियमों के अभाव में निवेशकों को अनिश्चितता का सामना करना पड़ रहा है। कई क्रिप्टो एक्सचेंज उच्च लेनदेन शुल्क वसूल रहे हैं, और अगर किसी तकनीकी गड़बड़ी या धोखाधड़ी का मामला सामने आता है, तो निवेशकों के पास कानूनी संरक्षण का कोई ठोस साधन नहीं होता।

क्रिप्टो के विकेंद्रीकृत स्वरूप के कारण भारतीय नियामकों के लिए इसे नियंत्रित करना और भी चुनौतीपूर्ण बन गया है।   हाल ही में वज़ीरएक्स से जुड़े एक मामले ने इन चिंताओं को उजागर किया। दिल्ली हाईकोर्ट के एक जज ने सरकार की नियामक नीति पर सवाल उठाते हुए कहा, “अगर कोई डार्क वेब से आपके प्लेटफॉर्म को हैक कर ले, तो आप सिर्फ ‘माफ कीजिए’ कहकर नहीं बच सकते… क्या सरकार अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेगी?”

उन्होंने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की निष्क्रियता पर भी नाराजगी जताई और चेतावनी दी, “आप (आरबीआई) भले ही क्रिप्टो को नजरअंदाज करें, लेकिन यह देश की वित्तीय प्रणाली के लिए खतरा बन सकता है। आप इसे नियंत्रित करने के लिए क्या कदम उठा रहे हैं?” यह बयान दिखाता है कि भारत को क्रिप्टो से जुड़े मुद्दों पर स्पष्ट नीति की कितनी सख्त जरूरत है।

यूरोप और ब्रिटेन जहां तेजी से क्रिप्टो रेगुलेशन को मजबूत कर रहे हैं, भारत को भी अब अपने रुख को स्पष्ट करने की जरूरत है। यदि भारत डिजिटल एसेट्स के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाना चाहता है, तो उसे संतुलित और प्रभावी नियामक नीति अपनानी होगी। SEBI, RBI और क्रिप्टो इंडस्ट्री के विशेषज्ञों के बीच सहयोग से ऐसा नियामक ढांचा बनाया जा सकता है, जो न केवल वैश्विक सर्वोत्तम नीतियों के अनुरूप हो, बल्कि भारतीय बाजार की आवश्यकताओं को भी पूरा करे।

अगर नियामक स्पष्टता और सुरक्षा का अभाव बना रहा, तो यह क्षेत्र ठहराव का शिकार हो सकता है। लेकिन सही नीतियों के साथ, भारत क्रिप्टो की दुनिया में एक प्रभावशाली और अग्रणी रूप में उभर सकता है।

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रामदास आठवले ने महाकुंभ में उद्धव ठाकरे और राहुल गांधी के नहीं जाने को बताया हिंदुओं का अपमान

मुंबई ,26 फरवरी (Final Justice Digital News Desk/एजेंसी)। केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले ने महाकुंभ में उद्धव ठाकरे और राहुल गांधी के न पहुंचने को लेकर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि उद्धव ठाकरे और राहुल गांधी को कुंभ में स्नान करने जाना चाहिए था। उन्होंने वहां न जाकर हिंदुओं का अपमान किया है।

आठवले ने कहा कि महाकुंभ में 65 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने स्नान किया। यह अवसर 144 साल बाद आया था। यह उनका व्यक्तिगत निर्णय हो सकता है, लेकिन राहुल गांधी और उद्धव ठाकरे को स्नान करने जाना चाहिए था।

इन नेताओं को हिंदू वोटरों की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए था, खासकर जब वे खुद हिंदू हैं। उनका मानना है कि उद्धव ठाकरे, जो हमेशा हिंदुत्व की बात करते रहे हैं, का इस अवसर पर नहीं जाना गलत है और यह हिंदुओं का अपमान है।

उन्होंने कहा कि हिंदू वोटरों को इन नेताओं का बहिष्कार करना चाहिए और चुनावों में इन्हें सबक सिखाना चाहिए। मुस्लिम वोटरों को लुभाने के कारण वे महाकुंभ में नहीं गए, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि मुस्लिम वोट बीजेपी को भी मिलते हैं, इसलिए उन्हें यह कदम उठाने की जरूरत नहीं थी।

उन्होंने आगे कहा कि भाजपा का नेतृत्व देश को आगे बढ़ा रहा है और ये दोनों नेता मोदी के खिलाफ जो नाराजगी दिखा रहे हैं, उसका उन्हें कोई फायदा नहीं होगा।

दिल्ली में आम आदमी पार्टी द्वारा बीजेपी पर आरोप लगाए गए कि उन्होंने मुख्यमंत्री कार्यालय से डॉ. भीमराव आंबेडकर और भगत सिंह की तस्वीरें हटा दीं और उनकी जगह महात्मा गांधी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीरें लगाईं।

इस पर रामदास आठवले ने कहा कि बाबासाहेब आंबेडकर को सम्मान देने का काम नरेंद्र मोदी ने सबसे ज्यादा किया है। उन्होंने यह भी कहा कि बीजेपी ने कभी आंबेडकर की तस्वीर नहीं हटाई, और शायद यह काम आम आदमी पार्टी की सरकार ने किया होगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि जल्द ही आंबेडकर की तस्वीर फिर से लगाई जाएगी।

तेलंगाना सरकार द्वारा तेलुगु को स्कूलों में अनिवार्य विषय बनाने के मुद्दे पर आठवले ने कहा कि हिंदी का विरोध करना ठीक नहीं है, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि अगर तेलंगाना में तेलुगु को महत्व दिया जा रहा है तो यह भी ठीक है, जैसे महाराष्ट्र में मराठी भाषा को महत्व दिया जाता है।

आठवले ने देवेंद्र फडणवीस की तारीफ करते हुए कहा कि वह अच्छे कार्य कर रहे हैं, लेकिन एकनाथ शिंदे को फिक्सर कहना गलत है। उन्होंने कहा कि शिंदे एक अच्छे कार्यकर्ता रहे हैं और बालासाहेब ठाकरे ने उन्हें बड़ा सम्मान दिया था। उन्होंने यह भी कहा कि अगर उद्धव ठाकरे बीजेपी के साथ आते हैं, तो यह बहुत अच्छी बात होगी, लेकिन बीजेपी को उनकी जरूरत नहीं है, क्योंकि उनके पास बहुमत है।

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महाकुंभ की सुरक्षा-व्यवस्था और तकनीकी प्रबंधन बेमिसाल रही : डीजीपी प्रशांत कुमार

लखनऊ ,26 फरवरी(Final Justice Digital News Desk/एजेंसी)। उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) प्रशांत कुमार ने महाकुंभ 2025 के अंतिम स्नान को लेकर यूपी पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था और तकनीकी प्रबंधन को लेकर अपनी बातें साझा की।

उन्होंने बताया कि महाशिवरात्रि को प्रयागराज में आयोजित मुख्य स्नान में अनुमानित 82 से 85 लाख श्रद्धालुओं ने पुण्य स्नान किया और इस दौरान कुल श्रद्धालुओं की संख्या 65 करोड़ से अधिक हो चुकी है। इसके अतिरिक्त पूरे प्रदेश में जगह-जगह नदियों पर स्नान किया गया है। लोग शिवालयों में जल अर्पण कर रहे हैं। सभी जगह शांति बनी हुई है।

पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार ने  कहा कि प्रयागराज के अतिरिक्त वाराणसी और अयोध्या में अत्यधिक भीड़ देखी जा रही है। जहां भीड़ प्रबंधन स्थानीय अधिकारियों द्वारा किया जा रहा है। वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर में शिव को मानने वाले सात में से पांच अखाड़ों ने दर्शन कर लिए हैं। दो अखाड़ों के दर्शन दोपहर बाद में हैं।

उन्होंने बताया कि पूरे महाकुंभ के दौरान यूपी पुलिस ने यातायात प्रबंधन, भीड़ नियंत्रण, सुरक्षा और इसके साथ-साथ तकनीक के इस्तेमाल की अनूठी मिसाल पेश की है। यह प्रशंसनीय और अनुकरणीय है। यह अपने आप में अद्वितीय है, क्योंकि इतनी बड़ी संख्या में पूरे विश्व में कहीं भी लोग एकत्रित नहीं होते।

इस दौरान बिना किसी शस्त्र का प्रयोग किए हुए अपने व्यवहार और अपने सॉफ्ट स्किल के कारण इतने लोगों के साथ इंटरैक्ट करना अपने आप में बहुत बड़ी चुनौती थी। जिसे यूपी पुलिस ने अवसर के रूप में इस्तेमाल किया है।

उन्होंने कहा कि रेलवे और अन्य एजेंसियों के साथ समन्वय बनाकर इसे संपन्न कराया गया है। रेलवे द्वारा मुख्य स्नान के दिन लाखों लोगों का आना सुनिश्चित कराया गया है। साथ ही सामान्य दिनों में रेलवे के जरिए दो से तीन लाख लोग अपने गंतव्य से आए और वापस भी गए। इस दौरान उनके साथ कोई घटना-दुर्घटना न हो, यह भी सुनिश्चित कराया गया है।

इसमें उत्तर प्रदेश पुलिस की एक अहम भूमिका रही है। बुधवार को 45 दिनों बाद महाकुंभ का समापन होगा। लेकिन, जो हमारे साथियों ने महाकुंभ शुरू होने से दो माह पहले कठिन वातावरण में रहकर इन सभी चीजों को सुनिश्चित कराया है, यह हम लोगों के लिए गौरव का क्षण है।

उन्होंने कहा कि इस दौरान जो विश्व में नवीनतम टेक्नोलॉजी है, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की तकनीक है, सभी का भरपूर इस्तेमाल किया गया, क्योंकि मुख्यमंत्री ने दिव्य-भव्य और डिजिटल महाकुंभ के बारे में परिकल्पना दी थी। इन सभी चीजों को चरितार्थ करने के लिए काफी मेहनत किया गया है। जिसके कारण जब कठिन स्थिति आई तो हमने बहुत अच्छे तरीके से उसे लागू किया।

हम लोगों ने इसकी बहुत कठिन ट्रेनिंग की है। अपने जवानों को सॉफ्ट स्किल और व्यवहार कैसे अच्छा रखा जाए, यह प्रशिक्षण की प्रक्रिया पिछले छह माह से चल रही थी। जिसका परिणाम है कि यह चीजें हुई हैं। हम लोगों ने एआई का इस्तेमाल भीड़ प्रबंधन सर्विलांस के लिए अधिक से अधिक किया है। ड्रोन और सीसीटीवी का इस्तेमाल भी किया।

डीजीपी ने बताया कि इसके अलावा भारत सरकार की अन्य एजेंसियों का भी बहुत बड़ा योगदान है। बहुत से थ्रेट आए थे, उनका भी समयबद्ध तरीके से निराकरण कराया गया। हमें पूरी तरह से गर्व है। मुझे पूरा भरोसा है कि मुख्यमंत्री इसे देखेंगे तो हमारे बहादुर साथियों की मेहनत व्यर्थ नहीं जाएगी। हमारे साथियों को इनकी सेवाओं के लिए तारीफ मिलेगी। उनकी सेवा का सम्मान किया जाएगा।

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महाकुंभ आए श्रद्धालुओं ने राष्ट्रीय एकात्मकता और राष्ट्र के प्रति समर्पण का संदेश दिया : सीएम योगी

गोरखपुर ,26 फरवरी(Final Justice Digital News Desk/एजेंसी)। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी प्रदेशवासियों, प्रयागराज महाकुंभ, बाबा विश्वनाथ धाम, अयोध्या में देश-दुनिया से आए श्रद्धालुओं और प्रदेश के सभी देवालयों-शिवालयों में उमड़े आस्थावानों को महाशिवरात्रि के पावन पर्व की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दी।

उन्होंने प्रयागराज महाकुंभ का विशेष उल्लेख करते हुए कहा है कि यहां अब तक लगभग 66 करोड़ श्रद्धालुओं ने राष्ट्रीय एकात्मकता और राष्ट्रीयता के प्रति समर्पण का संदेश पूरी दुनिया को दिया है।

महाशिवरात्रि पर बुधवार को गोरखपुर के प्रमुख शिवालयों के भ्रमण, दर्शन-पूजन और जलाभिषेक के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुक्तेश्वरनाथ मंदिर पर मीडिया से बातचीत में कहा कि आज महाशिवरात्रि है अर्थात देवाधिदेव महादेव की उपासना का विशेष दिवस। देवाधिदेव महादेव कल्याण के देवता हैं। वह सबके प्रति कल्याण का भाव रखते हैं।

उनकी कृपा दृष्टि से ही सभी व्यवस्था संचालित हो पाती है। महाशिवरात्रि पर प्रयागराज महाकुंभ में, बाबा विश्वनाथ के धाम काशी में और प्रदेश के अन्य सभी महत्वपूर्ण शिवालयों में श्रद्धालुजन भगवान भोलेनाथ के प्रति आस्था निवेदित कर रहे हैं। हर जगह भारी भीड़ है और श्रद्धालुजन अपार श्रद्धा भाव के साथ दर्शन-पूजन कर रहे हैं। यह आस्था भारत की एकात्मकता का प्रतीक है। मैं इस आस्था को नमन करता हूं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रयागराज महाकुंभ में अपार भीड़ है। 13 जनवरी से प्रारंभ हुआ महाकुंभ आज पूर्णाहुति को प्राप्त करेगा। लगभग 66 करोड़ श्रद्धालुजन मां गंगा, मां यमुना, मां सरस्वती की त्रिवेणी में पावन डुबकी लगाकर राष्ट्रीय एकात्मकता का नया संदेश दे रहे हैं। वसुधैव कुटुंबकम के भाव के साथ श्रद्धालु सभी को राष्ट्रीयता के प्रति समर्पित होने की नई प्रेरणा भी प्रदान कर रहे हैं।

दूसरी तरफ काशी विश्वनाथ धाम में भी लाखों की संख्या में श्रद्धालु जुटे हैं। पिछले डेढ़ महीने से अधिक समय से लगातार वहां पर 8 से 10 लाख श्रद्धालु प्रतिदिन बाबा विश्वनाथ धाम में दर्शन कर रहे हैं और आज तो महाशिवरात्रि भी है। अयोध्या धाम में भी यही स्थिति है। 8 से 10 लाख श्रद्धालु प्रतिदिन वहां श्रीरामजन्मभूमि पर प्रभु रामलला के दर्शन कर रहे हैं। अयोध्या में आज भी अपार भीड़ है।

उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी अन्य देवालयों जैसे गाजियाबाद में बाबा ददुग्धेश्वरनाथ धाम, बागपत में पुरा महादेवधाम, मेरठ के बाबा औघडऩाथ धाम, बाराबंकी के बाबा लोधेश्वरनाथ मंदिर, गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर, मानसरोवर मंदिर, मुक्तेश्वरनाथ मंदिर, नाथनगरी बरेली, गोंडा, बस्ती में बाबा भदेश्वरनाथ मंदिर, झारखंडी महादेव मंदिर, अयोध्या के नागेश्वरनाथ मंदिर, रुद्रपुर देवरिया के दुग्धेश्वरनाथ मंदिर, संतकबीरनगर के तामेश्वरनाथ मंदिर में भी श्रद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ी हुई है।

मुख्यमंत्री ने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि जिस लोक कल्याण के भाव की प्रेरणा देवाधिदेव महादेव से हम सबको प्राप्त होती है, उसी लोकमंगल की कामना से हम लोग अपने समाज और राष्ट्र के लिए समर्पण भाव से कार्य कर पाएंगे।

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कोलकाता में अवैध कॉल सेंटर पर छापेमारी, 1.18 करोड़ कैश के साथ 4 गिरफ्तार

कोलकाता 26 Feb, (Final Justice Digital News Desk/एजेंसी)  । कोलकाता के गार्डेन रीच थाना क्षेत्र में स्थित आयरन गेट रोड पर व्हाइट हाउस बिल्डिंग में एक बड़े साइबर अपराध नेटवर्क का पर्दाफाश हुआ है। मंगलवार को एक जांच टीम ने यहां छापेमारी की। मौके से चार लोगों को पकड़ा गया और लगभग 1.18 करोड़ रुपये का कैश तथा कुछ स्वर्णाभूषण जब्त किए गए।

कोलकाता पुलिस के संयुक्त सीपी (अपराध) के अनुसार, यह छापेमारी 25 फरवरी को की गई थी। मामले में आरोपितों पर आईटी एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया है। आरोपियों के खिलाफ बीएनएस की धारा 66/66सी/66डी/43 के तहत अपराध दर्ज किया गया, साथ ही अन्य धाराओं जैसे 61(2)/319(2)/318(4)/336(2)/336(3)/338/340(2) के तहत भी जांच की जा रही है। इन आरोपियों पर अवैध कॉल सेंटर चलाने का आरोप है, जिसमें लाखों की धोखाधड़ी करने का मामला सामने आया है।

छापेमारी के दौरान पुलिस को यहां से कई लैपटॉप, राउटर और अन्य दस्तावेज भी मिले, जो इस घोटाले में शामिल गतिविधियों को उजागर करने के लिए अहम साक्ष्य हो सकते हैं। गिरफ्तार किए गए आरोपियों में मुर्शील खान (28), जस्टिन पॉल (28), मोहम्मद शाहरुख (33), और खालिद यूसुफ खान (29) शामिल हैं। ये सभी आरोपी कॉल सेंटर के जरिए लोगों को धोखा देने के काम में लगे हुए थे।

गिरफ्तार किए गए आरोपियों को एलडी सीजेएम अदालत में पेश किया जाएगा, जहां पुलिस कस्टडी मांगी जाएगी। पुलिस अधिकारियों के अनुसार, यह गिरफ्तारी साइबर अपराध की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और आगे भी ऐसे अपराधों पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी।

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हरियाणा निकाय चुनाव से पहले बीजेपी का बड़ा फैसला : 78 नेता पार्टी से निकाले गए

चंडीगढ़ 26 feb, (Final Justice Digital News Desk/एजेंसी) । हरियाणा में निकाय चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने बड़ी कार्रवाई की है. पार्टी ने 78 बागी नेताओं को बाहर का रास्ता दिखा दिया है. इनमें गुरुग्राम से 44, मानेसर से 33 और पटौदी से 1 नेता शामिल हैं.

बागियों को सजा मिली है.

बीजेपी ने यह कदम उन कार्यकर्ताओं के खिलाफ उठाया है जो पार्टी का टिकट न मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे थे. जिला अध्यक्ष कमल यादव ने एक सूची जारी कर इसकी जानकारी दी. उन्होंने साफ किया कि पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल इन नेताओं को बीजेपी से 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया गया है.

निकाय चुनाव में बीजेपी की सख्ती

बीजेपी ने पहले ही अपने नेताओं को आगाह कर दिया था कि कोई भी पार्टी लाइन के खिलाफ चुनाव न लड़े. इसके बावजूद कई कार्यकर्ताओं ने बगावत कर दी और निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया. इसी वजह से पार्टी ने कड़ा रुख अपनाते हुए सभी बागियों को पार्टी से बाहर करने का फैसला किया है।

इसका क्या असर होगा?

पार्टी में अनुशासन मजबूत होगा। भाजपा प्रत्याशियों की पकड़ मजबूत होगी। बागी नेता दूसरी पार्टियों के सदस्य या फिर निर्दलीय के तौर पर चुनावी मैदान में मजबूती से उतर सकते हैं। हरियाणा निकाय चुनाव से पहले भाजपा की इस कार्रवाई से साफ है कि पार्टी अनुशासनहीनता को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेगी। अब देखना यह है कि इन 78 नेताओं का राजनीतिक भविष्य क्या करवट लेता है।

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सामना में छपी सीएम फडणवीस की तारीफ, लिखा फिक्सरों पर कार्रवाई अच्छी बात

मुंबई 26 Feb,(Final Justice Digital News Desk/एजेंसी) । यूबीटी शिवसेना के मुख पत्र “सामना” में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की तारीफ की गई है। सामना में लिखा गया कि फडणवीस ने राज्य में शासन को अनुशासन में लाने के लिए कड़े कदम उठाए हैं।

पिछले तीन वर्षों में महाराष्ट्र की राजनीति में भ्रष्टाचार फैल गया था, जिससे राज्य का प्रशासन भ्रष्ट हो गया था। मुख्यमंत्री फडणवीस ने इस गंदगी को साफ करने का निर्णय लिया और इस कार्य की शुरुआत भी कर दी है।

सामना के अनुसार, मुख्यमंत्री फडणवीस ने न केवल भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई की, बल्कि मंत्रियों द्वारा किए जा रहे गलत कामों पर भी कड़ी नजर रखी। मंत्रियों के ‘पीए’ और ‘ओएसडी’ (ऑफिशियल सेक्युरिटी डिवीजन) नियुक्त करने के अधिकार को फडणवीस ने छीन लिया।

इससे पहले, शिंदे सरकार के दौरान कई मंत्री अपने निजी सहायकों को नियुक्त कर रहे थे, जो भ्रष्टाचार और दलाली में लिप्त थे। फडणवीस ने ऐसे 16 नामों को नकारा, जो शिंदे सरकार में मंत्री के ‘ओएसडी’ बनने के लिए भेजे गए थे। ये लोग फिक्सिंग और दलाली में शामिल थे और मुख्यमंत्री ने उन्हें सीधे तौर पर खारिज कर दिया।

सामना में यह भी उल्लेख किया गया कि इन 16 नामों में से 12 शिंदे गुट के मंत्रियों द्वारा दिए गए थे। इस पर सवाल उठाया गया कि मंत्रियों को ऐसे लोगों की आवश्यकता क्यों थी, जो भ्रष्टाचार और फिक्सिंग में शामिल हों। मुख्यमंत्री फडणवीस ने इन फिक्सरों को नियुक्ति से बाहर कर दिया, जो राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था को साफ और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।

इसके अलावा, माणिक कोकाटे जैसे कुछ मंत्रियों ने खुलकर स्वीकार किया कि मुख्यमंत्री फडणवीस ने उन्हें चेतावनी दी थी कि वह अच्छा काम करें और भ्रष्टाचार से बचें। फडणवीस का यह कदम राज्य में शासन व्यवस्था को सही दिशा में ले जाने के लिए महत्वपूर्ण है।

सामना में लिखा गया कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र में शासन में सुधार लाने के लिए कई कड़े और प्रभावी कदम उठाए हैं और उनकी भूमिका राज्य के प्रशासनिक सुधारों में महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

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बिहार: नीतीश कुमार करेंगे कैबिनेट का विस्तार

पटना 26 Feb, (Final Justice Digital News Desk/एजेंसी) । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भागलपुर रैली और बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से सीएम नीतीश कुमार की मुलाकात के बाद बिहार में कैबिनेट विस्तार को लेकर हलचल तेज हो चली है.

बीते दिन सीएम और नड्डा की बैठक में संभावित नामों पर चर्चा की गई. नड्डा से मुलाकात के बाद मंत्रिमंडल विस्तार पर सहमति बन गई. कैबिनेट विस्तार बुधवार शाम 4 बजे होगा. इस बीच बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है.

मौजूदा समय में बिहार सरकार में कुल 30 मंत्री हैं, जिनमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और दो उपमुख्यमंत्री शामिल हैं. बिहार विधानसभा की संरचना को देखते हुए, कैबिनेट में अधिकतम 36 मंत्री हो सकते हैं.

इसका मतलब यह है कि अभी भी छह पद खाली हैं, जिन्हें नए मंत्रियों से भरा जा सकता है. सूत्रों के मुताबिक तारकिशोर प्रसाद, संजय सरावगी, राजू यादव और अवधेश पटेल शपथ ले सकते हैं.

बीजेपी कोटे से कुल 5 मंत्रियों को कैबिनेट में जगह दी जा सकती है. साथ ही एक-दो लोगों को मंत्रिमंडल से हटाया भी जा सकता है. पार्टी नेताओं के अनुसार 30 सदस्यीय बिहार मंत्रिमंडल में BJP कोटे से दो उपमुख्यमंत्री सहित कुल 15 मंत्री हैं.

बिहार भाजपा अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने मंत्री पद से इस्तीफा देने पर कहा,” मैं राजस्व मंत्री पद से इस्तीफा देने जा रहा हूं। एक व्यक्ति एक पद बीजेपी का ये सिद्धांत हैं और मैं अपने आपको सौभाग्यशाली मानता हूं कि केंद्रीय नेतृत्व, पूरे बीजेपी का बागडोर और जिम्मेदारी मुझ पर विश्वास रखती है इसलिए मैं आज इस्तीफा दे रहा हूं। मंत्रिमंडल का जो ये विस्तार है वो मुख्यमंत्री का विशेष क्षेत्राधिकार होता है तो वही से पता चलेगा…मैं सम्राट चौधरी के यहां जा रहा हूं जहां पर बैठक है।

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महाशिवरात्रि: देशभर में श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़

बोल बम और हर-हर महादेव के जयकारों से गूंजे शिवालय

नई दिल्ली  26 Feb, (Rns) । महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर देशभर के शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ रहा है। बोम बम और हर हर महादेव के जयकारों से शिवालय गुंजायमान हो रहे हैं। काशी विश्वनाथ से लेकर हरिद्वार, गुजरात, हिमाचल प्रदेश  बिहार और झारखण्ड  तक श्रद्धालु अपने इष्टदेव भगवान शिव का लोग अभिषेक कर रहे हैं।

काशी में श्रद्धालुओं के लिए विशेष व्यवस्था है। काशी में महाशिवरात्रि के दौरान, मंगला आरती के बाद श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए सभी गेट खोले गए हैं, जिससे भक्तों को सुगमता से दर्शन का लाभ मिल रहा है। हालांकि, अखाड़ों की पेशवाई के दौरान तीन घंटे तक श्रद्धालुओं के दर्शन पर रोक रहेगी, जब नागा साधु संत काशी विश्वनाथ में जलाभिषेक करेंगे। मंदिर प्रशासन ने इस दौरान वीआईपी दर्शन पर भी रोक लगा रखी है।

मुंबई के वसई और नालासोपारा में महाशिवरात्रि की धूम है। विरार और नालासोपारा क्षेत्रों में तुंगारेश्वर महादेव मंदिर सहित कई प्राचीन शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लगी हुई हैं। सुबह से ही भक्तगण पूजा-अर्चना में लीन हैं और महादेव के जयकारे से वातावरण गूंज रहा है। सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की गई है, ताकि किसी अप्रिय घटना से बचा जा सके।

हरिद्वार में महाशिवरात्रि के अवसर पर कनखल स्थित दक्षेश्वर महादेव, तिलभांडेश्वर महादेव, दरिद्र भंजन और अन्य शिव मंदिरों में भक्तों की लंबी कतारें देखी जा रही हैं। भक्त बेलपत्र, दूध, दही, शहद, भांग, धतूरा और गंगाजल से भगवान शिव का अभिषेक कर रहे हैं। वहीं, कांवड़ यात्रा में आए श्रद्धालु हर की पैड़ी पर गंगा स्नान कर शिवालयों में जल चढ़ाते हुए देखे जा रहे हैं।

बिहार के मोतिहारी स्थित अरेराज का सोमेश्वर नाथ मंदिर भी महाशिवरात्रि के दौरान श्रद्धालुओं से भरा हुआ है। यहां नेपाल से भी भक्त जलाभिषेक के लिए पहुंच रहे हैं। मंदिर प्रशासन ने अर्घा सिस्टम (मंदिरों में इस सिस्टम के जरिए श्रद्धालु जल और फूल लेकर भगवान शिव को अर्पण करते हैं) लागू किया है, ताकि भगदड़ की घटना न हो।

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग और हिमाचल के नैना देवी मंदिर में पूजा-अर्चना गुजरात के द्वारका के पास स्थित नागेश्वर ज्योतिर्लिंग में भी महाशिवरात्रि के दिन भारी संख्या में भक्तों की भीड़ उमड़ी है। श्रद्धालु भगवान शिव की आरती में सम्मिलित होकर अपने जीवन की सभी मनोकामनाओं की पूर्ति की कामना कर रहे हैं।

हिमाचल प्रदेश के विश्वविख्यात नैना देवी मंदिर में भी महाशिवरात्रि के उपलक्ष्य में भव्य पूजा अर्चना का आयोजन किया जा रहा है। यहां पांडवों द्वारा स्थापित शिव मंदिर में श्रद्धालु पहुंचकर पूजा कर रहे हैं। इस अवसर पर भजन संध्या और शिव महापुराण की कथा का आयोजन किया गया है।

आचार्य पंकज अग्निहोत्री ने महाशिवरात्रि के महत्व पर चर्चा करते हुए कहा कि यह दिन भगवान शिव के दर्शन और पूजा के लिए विशेष है। उन्होंने बताया कि महाशिवरात्रि के दिन चार पहर की पूजा का विशेष महत्व है और जो भक्त इस दिन व्रत एवं पूजा करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

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महाकुंभ में 65 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी

महाकुंभ नगर 26 Feb, (Final Justice Digital News Desk/एजेंसी)  । तीर्थराज प्रयागराज की धरती पर बीते 13 जनवरी से आयोजित हो रहे दिव्य-भव्य और सांस्कृतिक समागम महाकुंभ ने बुधवार को महाशिवरात्रि के अंतिम स्नान पर्व पर 65 करोड़ का आंकड़ा पार कर कीर्तिमान गढ़ दिया है।

महाशिवरात्रि के अंतिम स्नान पर्व पर सुबह आठ बजे तक ही लाखों लोगों ने स्नान कर इस महारिकॉर्ड को स्थापित कर इस महाकुम्भ को संख्या के लिहाज से इतिहास के पन्नों में दर्ज करा दिया। कुम्भ ही नहीं, दुनिया के किसी भी आयोजन में आज तक एक साथ इतनी बड़ी संख्या में लोग नहीं जुटे हैं, जितने 45 दिनों के अंदर प्रयागराज में बनाए गए एक अस्थायी शहर में जुट गए। यह संख्या कई देशों की आबादी से भी कई गुना अधिक है।

65 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम में सनातन आस्था की पावन डुबकी लगाकर धार्मिक और सांस्कृतिक एकता की अद्वितीय मिसाल कायम कर दी है। 65 करोड़ श्रद्धालुओं के किसी एक स्थान पर जुटने का इतिहास में और कोई उदाहरण नहीं दिखाई देता। सनातन के प्रति श्रद्धालुओं की आस्था, दृढ़ निश्चय और विश्वास का ही यह फल है कि संगम तट पर इतना विशाल जनसमूह 45 दिनों में एकत्र हो गया।

यदि इस संख्या की दुनिया भर के देशों की आबादी से तुलना की जाए तो कई देशों की आबादी इसमें समा जाएगी। अमेरिका की दोगुनी से ज्यादा, पाकिस्तान की ढाई गुना से अधिक और रूस की चार गुनी से ज्यादा आबादी के बराबर श्रद्धालु यहां अब तक आ चुके हैं। यही नहीं, जापान की 5 गुनी आबादी, यूके की 10 गुनी से ज्यादा आबादी और फ्रांस की 15 गुनी से ज्यादा आबादी ने यहां आकर त्रिवेणी संगम में पावन डुबकी लगा ली है।

तीर्थराज प्रयागराज में आयोजित इस महाकुम्भ में संख्या के लिहाज से भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में सनातन धर्म को मानने वाले करोड़ों श्रद्धालु स्नान कर चुके हैं। यदि देश की कुल जनसंख्या से स्नानार्थियों की तुलना की जाए तो इसके अनुसार भी लगभग 50 प्रतिशत भारत ने त्रिवेणी संगम में डुबकी लगा ली है। वहीं अगर सनातन धर्मावलंबियों की बात करें तो देश के 60 प्रतिशत से ज्यादा और दुनिया के करीब 55 प्रतिशत सनातनी श्रद्धालुओं ने पावन स्नान कर लिया है।

45 दिन तक चले इस आयोजन में श्रद्धा की डुबकी लगाने के लिए दुनिया भर से श्रद्धालु जुटे हैं। 73 देशों के राजनयिकों के साथ भूटान नरेश नामग्याल वांगचुक समेत तमाम देशों के अतिथि यहां अमृत स्नान करने पहुंचे। यही नहीं, मां जानकी के मायके नेपाल के 50 लाख से अधिक लोग अब तक त्रिवेणी के पवित्र जल में स्नान कर महाकुम्भ के साक्षी बन चुके हैं।

इसके अलावा इटली, फ्रांस, यूके, पुर्तगाल, अमेरिका, इजराइल, ईरान, मॉरीशस समेत दुनिया के कोने-कोने से श्रद्धालु यहां पहुंचे हैं। मां गंगा, मां यमुना और अदृश्य मां सरस्वती के पवित्र संगम में श्रद्धा और आस्था से ओत-प्रोत साधु-संतों, श्रद्धालुओं, स्नानार्थियों और गृहस्थों का स्नान अब उस शिखर के भी पार पहुंच गया है, जिसकी महाकुम्भ से पहले ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उम्मीद जताई थी।

सीएम योगी ने पहले ही अनुमान जताया था कि इस बार जो भव्य और दिव्य महाकुम्भ का आयोजन हो रहा है वह स्नानार्थियों की संख्या का नया रिकॉर्ड स्थापित करेगा। उन्होंने शुरुआत में ही 45 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की संभावना जताई थी।

हालांकि, श्रद्धालुओं की संख्या सीएम योगी के अनुमान से भी आगे निकल गई। बीती 11 फरवरी को ही 45 करोड़ श्रद्धालुओं का आंकड़ा पार हो गया, जबकि 22 फरवरी को यह संख्या 60 करोड़ से भी ऊपर पहुंच गई। महाशिवरात्रि पर 65 करोड़ की संख्या पार कर इसने नया कीर्तिमान बना दिया।

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सेबी ने साइबर सुरक्षा में चूक के लिए आईसीसीएल पर लगाया 5.05 करोड़ रुपये का जुर्माना

मुंबई 26 FEb, (Final Justice Digital News Desk/एजेंसी) : भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने मंगलवार को साइबर सुरक्षा और सिस्टम ऑडिट से जुड़े नियमों का पालन करने में विफल रहने के लिए बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) की सहायक कंपनी इंडियन क्लियरिंग कॉरपोरेशन (आईसीसीएल) पर 5.05 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया।

SEBI imposes fine of Rs 5.05 crore on ICCL for cyber security lapses : सेबी ने दिसंबर 2022 से जुलाई 2023 के बीच आईसीसीएल का निरीक्षण किया और बाद में अक्टूबर 2024 में ‘कारण बताओ’ नोटिस जारी किया। निष्कर्षों की समीक्षा करने के बाद, बाजार नियामक ने आईसीसीएल के संचालन में कई उल्लंघन पाए। उल्लंघन में एक प्रमुख मुद्दा यह था कि आईसीसीएल ने अपने प्रबंधन या बोर्ड की किसी भी टिप्पणी के बिना सेबी को अपनी नेटवर्क ऑडिट रिपोर्ट पेश की।

नियमों के अनुसार, ऑडिट रिपोर्ट की पहले मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर संस्थानों के गवर्निंग बोर्ड द्वारा समीक्षा की जानी चाहिए और ऑडिट पूरा होने के एक महीने के भीतर सेबी को पेश करने से पहले उनकी प्रतिक्रिया शामिल की जानी चाहिए। सेबी ने यह भी पाया कि आईसीसीएल ने सॉफ्टवेयर क्लासिफिकेशन सहित आईटी एसेट्स की एक अप-टू-डेट इन्वेंट्री मेंटेन नहीं रखी थी। हालांकि, आईसीसीएल ने साल में दो बार साइबर ऑडिट किया, लेकिन इन ऑडिट में उठाए गए मुद्दों को समय पर हल नहीं किया गया। एक और बड़ा उल्लंघन आईसीसीएल की आपदा रिकवरी सिस्टम से जुड़ा था।

सेबी के दिशा-निर्देशों के अनुसार प्राइमरी डेटा सेंटर (पीडीसी) और आपदा रिकवरी साइट (डीआरएस) के बीच वन-टू-वन मैच की जरूरत होती है, लेकिन आईसीसीएल यह सुनिश्चित करने में विफल रहा। सेबी के अर्ध-न्यायिक प्राधिकरण, जी रामर ने आदेश जारी करते समय मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर संस्थानों पर डॉ. बिमल जालान समिति की 2010 की रिपोर्ट का हवाला दिया। नियामक ने आईसीसीएल को 45 दिनों के भीतर जुर्माना भरने का निर्देश दिया।

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महाकुंभ से लौटते समय सड़क हादसे का शिकार हुई राज्यसभा सांसद महुआ माजी

परिवार के चार लोग भी घायल

रांची 26 Feb, (Final Justice Digital News Desk/एजेंसी) – झारखंड से जेएमएम की राज्यसभा सांसद महुआ माजी, उनके पुत्र सोमवित माजी, बहू कृति श्रीवास्तव माजी और ड्राइवर भूपेंद्र बास्के एक सड़क हादसे में घायल हो गए हैं। सांसद प्रयागराज में कुंभ स्नान के बाद अपनी स्कॉर्पियो से रांची लौट रही थीं। यह हादसा झारखंड के लातेहार सदर थाना क्षेत्र में हुआ। सभी घायलों को इलाज के लिए रांची के ऑर्किड हॉस्पिटल में दाखिल कराया गया है। सभी की हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है।

बताया गया कि हादसा बुधवार को तड़के पौने चार बजे तब हुआ, जब गाड़ी चला रहे सांसद के पुत्र सोमवित माजी को झपकी आ गई और उन्होंने लातेहार में होटवाग नामक जगह पर एनएच-75 के पास खड़े एक ट्रक को टक्कर मार दी। सांसद ड्राइविंग सीट के ठीक पीछे बैठी थीं। डॉक्टरों के मुताबिक उनके बाएं हाथ की कलाई टूट गई है। छाती की हड्डियों में भी हल्का क्रैक आया है। सांसद के पुत्र सोमवित माजी ने बताया कि उन्हें हल्की चोट आई है और प्रारंभिक उपचार के बाद वे ठीक हैं। हादसे की सूचना मिलते ही लातेहार जिला पुलिस मौके पर पहुंची और एंबुलेंस के जरिए उन्हें तत्काल लातेहार सदर हॉस्पिटल लाया गया। प्रारंभिक उपचार के बाद सभी को रांची रेफर कर दिया। सबसे ज्यादा चोट सांसद को आई है।

सांसद के घायल होने की सूचना पर बुधवार को झारखंड मुक्ति मोर्चा के कई नेता, राज्य सरकार के मंत्री और कई अन्य लोग रांची ऑर्किड हॉस्पिटल पहुंचे हैं। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने भी उनके स्वास्थ्य लाभ की कामना की है। मरांडी ने सोशल मीडिया पर लिखा, “झामुमो की वरिष्ठ नेत्री एवं राज्यसभा सांसद महुआ माजी जी के सड़क दुर्घटना में घायल होने की सूचना प्राप्त हुई। ईश्वर से उनके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की प्रार्थना करता हूं।”

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