गंगटोक 28 फरवरी, (एजेंसी)। केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण अपने सिक्किम दौरे के दूसरे दिन भारत-चीन सीमा के करीब उत्तरी सिक्किम में एक दूरस्थ बस्ती लाचेन के लिए रवाना हो गई हैं। उनके दोपहर बाद सीमावर्ती गांव पहुंचने की उम्मीद है।
उत्तरी सिक्किम के लिए रवाना होने से पहले सुबह गंगटोक में एक नाबार्ड आउटरीच कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीतारमण ने कहा कि वाइब्रेंट विलेज योजना के तहत लाचेन की उनकी यात्रा, सीमावर्ती आबादी के लिए कनेक्टिविटी सेवाओं, बुनियादी ढांचे और अन्य सार्वजनिक सुविधाओं की उपलब्धता की जांच करना है।
लाचेन गंगटोक से लगभग 124 किमी दूर 9400 फीट की ऊंचाई पर है और वहां पहुंचने में आमतौर पर लगभग पांच घंटे लगते हैं। यह अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए एक प्रमुख पर्यटन स्थल है और पवित्र गुरुडोंगमार झील (17,000 फीट) के मार्ग के रूप में भी है।
गंगटोक में अपने संबोधन में सीतारमण ने कहा कि केंद्र द्वारा वाइब्रेंट विलेज नीति के तहत सीमावर्ती गांवों के विकास पर जोर दिया जा रहा है, जो अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं के बहुत करीब हैं। उन्होंने कहा कि इस बजट में और विशेष रूप से पिछले बजट में हमने यह सुनिश्चित किया है कि व्यक्तिगत लाभ के अलावा सड़क, इंटरनेट, उचित स्कूल और वेलनेस सेंटर जैसी सामान्य सुविधाएं इन जीवंत गांवों तक पहुंचें।
सीतारमण ने कहा कि इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि इन दूरस्थ सीमावर्ती गांवों के युवा संपर्क और सार्वजनिक सुविधाओं की कमी के कारण कहीं और पलायन न करें। उन्होंने कहा कि मंत्रियों को बहुत स्पष्ट रूप से कहा गया है कि हममें से प्रत्येक को एक सीमावर्ती गांव का दौरा करना है जो एक जीवंत गांव है और यह सुनिश्चित करना है कि सभी सुविधाएं केवल कागज पर नहीं, बल्कि जमीन पर हों।
सीतारमण ने कहा, मैंने लाचेन में समय बिताकर देखूंगा कि सीमावर्ती गांव को सभी सुविधाएं मिल रही हैं या नहीं।
मुझे यह भी एहसास है कि एक यात्रा में लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सकता और इसलिए मुझे फिर से यहां आना होगा। सीमावर्ती गांवों को बेहतर ढंग से सुसज्जित किया जाना चाहिए। वहां के युवाओं को ऐसे गांव सिर्फ इसलिए नहीं छोडऩा चाहिए कि वहां बुनियादी ढांचे और कनेक्टिविटी की कमी है।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने भी भाग लिया। केंद्रीय वित्तमंत्री ने वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से दक्षिणी सिक्किम के यांगंग शहर के पास धप्पर को भालेढुंगा चट्टान से जोडऩे वाले बहुप्रतीक्षित रोपवे का शुभारंभ किया।
भालेधुंगा चोटी लगभग 3,300 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और हिमालय श्रृंखला का 360 डिग्री मनोरम ²श्य प्रस्तुत करती है। बेस से क्लिफ तक पहुंचने में लगभग छह घंटे की ट्रेकिंग लगती है।
अब 3.5 किमी लंबी रोपवे सेवा के साथ केवल 13 मिनट में चोटी की चोटी तक पहुंचा जा सकता है।
यात्री रोपवे परियोजना, जो 2016 में शुरू हुई थी, का निर्माण 209.57 करोड़ रुपये की लागत से किया गया था, जिसमें पीएम-डेवाइन से 57.82 करोड़ रुपये की गैप फंडिंग थी। इससे क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
इससे पहले, सुबह में केंद्रीय वित्तमंत्री ने एमजी मार्ग पर नाबार्ड की एक प्रदर्शनी का दौरा किया, जिसमें स्थानीय हस्तशिल्प और हथकरघा को बढ़ावा देने वाले स्थानीय उद्यमी पहुंचे थे।
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