ऑफिस में अगर आप को भी आलस आते है तो कैसे फिट रहे

01.04.2022 – ऑफिस में  आलस आपकी फिटनेस को नुकसान पहुंचा सकती है। इसलिए, सभी रुके हुए कामों तथा समय पर दिए जाने वाले कामों के बीच इस बात का ध्यान जरूर रखें कि आपको अपने कार्यस्थल पर व्यायाम करने का मौका मिल सके। आलस को दूर करने के लिए कुछ हल्के-फुल्के व्यायाम कर सकते हैं इस आप को काफी आराम मिलेगा ।*चलते-फिरने रहने या सीढिय़ों पर उतरने-चढ़ते रहने की कोशिश करें।

इससे आपके पैरों की नसें काम करती रहेंगी।*अपनी एडिय़ों को उठाकर फिर इन्हें धीरे-धीरे जमीन पर वापस रखें। इससे आपके शरीर का निचला हिस्सा सामान्य रूप से काम करता रहेगा।* अपनी कुर्सी में उठते-बैठते रहने का व्यायाम करीब एक समय पर 10 बार करें। आप इसे दिन में तीन बार कर सकते हैं।* बैठे रहने के दौरान अपने पैरों के पंजों को हिलाने की कोशिश करें। हालांकि, इस दौरान आपकी एड़ी जमीन पर ही टिकी रहे।* कुर्सी पर ही बैठे रहने के दौरान अपने बाएं पैर को थोड़ा ऊपर उठाएं और इसे 90 डिग्री के कोण की तरह कुछ समय तक हवा में ही रखें, जब तक आप इसमें सहज हो सकें।* अपने कंधों को जितना हो सके, उतना ऊंचा उठाएं और इसके बाद इन्हें आगे-पीछे कर हिलाने की कोशिश करें। इस व्यायाम को दिन में लगभग 10 बार करें।* टाइपिंग करने के दौरान आपको जब भी अपनी उंगलियों में एक समय पर दर्द महसूस हो, उस दौरान अपने पंजों को खोलें और बंद करें।

यह उंगलियों के लिए काफी अच्छा व्यायाम है।* काम करते रहने के दौरान आपकी गर्दन को भी व्यायाम की जरूरत होती है। इसलिए आप अपनी गर्दन को 360 डिग्री के कोण पर घुमाएं और साथ ही नीचे-ऊपर भी करें। (एजेंसी)

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 सैनिक को बाईस वर्ष बाद सेना कोर्ट से मिली दिव्यांगता पेंशन

लखनऊ 31 March (आरएनएस) :  सैनिक को सेना कोर्ट लखनऊ ने उत्तराखण्ड के देहरादून निवासी सेना के पूर्व हवलदार देवबहादुर छेत्री मामले में भारत सरकार रक्षा-मंत्रालय को चौबीस साल बाद पचास प्रतिशत दिव्यांगता पेंशन देने का आदेश दिया. मामला यह था कि याची वर्ष 1998 में लेह-लद्दाख में सेवारत था जहाँ का तापमान माईनस चालीस डिग्री के लगभग रहता है, देश की सीमा की सुरक्षा में तैनात सैनिक बर्फीले तूफान का शिकार हो गया. उसकी आँख में बर्फ लग गई जिसके कारण उसके आँख की रौशनी चली गई, दोनों आँख लगभग समाप्त हो गई, कई बार आपरेशन के बावजूद उसमें रोशनी नहीं आई उसके बाद, सेना ने सैनिक को मेडिकल आधार पर डिस्चार्ज करते हुए कहा कि कहा कि आँख खराब होने के लिए सैनिक स्वयं जिम्मेदार है न कि सेना इसलिए इसका लाभ नहीं दिया जा सकता l

सेना से इस प्रकार निकाले जाने से क्षुब्ध सैनिक ने अपने अधिकार के लिए भारत सरकार रक्षा-मंत्रालय के सामने अपील कि जिसमें उसने कहा कि उसकी दोनों आँखें लगभग समाप्त हो चुकी हैं इसके बावजूद उसे दिव्यांगता पेंशन न देना गलत है लेकिन, भारत सरकार रक्षा-मंत्रालय ने यह कहते हुए उसकी अपील को ख़ारिज कर दिया कि इसके लिए भारत सरकार जिम्मेदार नहीं है इसलिए दिव्यांगता पेंशन नहीं दी जा सकती, उसके बाद पीड़ित ने अधिवक्ता विजय कुमार पाण्डेय के माध्यम से सशत्र-बल अधिकरण, लखनऊ में वाद दायर किया l

भारत सरकार रक्षा-मंत्रालय के अधिवक्ता ने इतने लंबे समय बाद मुकदमें की सुनवाई करने को कानून के विरुद्ध मानते हुए न्यायालय के सामने दलील दी कि न्याय उन्हीं के लिए है जो अपने अधिकारों के प्रति सजग हों ऐसे लोगों के लिए नहीं जो लंबे समय तक उदासीन रहें l इसका विरोध करते हुए याची के अधिवक्ता विजय कुमार पाण्डेय ने दलील दी कि विपक्षी का यह तर्क कोर्ट को गुमराह करने वाला है, पेंशन के मामलों में समय सीमा की बाध्यता को प्रभावी नहीं बनाया जा सकता, जिसे स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति उमेश चन्द्र श्रीवास्तव एवं अभयरघुनाथ कार्वे, वाईस एडमिरल (रि०) की खण्ड-पीठ ने सुनवाई के लिए वाद को स्वीकार कर लिया l

सुनवाई के दौरान विपक्षी भारत सरकार रक्षा-मंत्रालय द्वारा तर्क दिया गया कि आँख के खराब होने को सेना से नहीं जोड़ा जा सकता और याची की दिव्यांगता उस श्रेणी में नहीं आती की इसका लाभ याची को दिया जा सके इसलिए याची के वाद को जुर्माने के साथ ख़ारिज कर दिया जाए, जिसका जबर्दस्त विरोध करते हुए याची के अधिवक्ता विजय कुमार पाण्डेय ने कहा कि समुद्र से करीब छः हजार फीट ऊँचाई पर माईनस चालीस डिग्री तापमान में देश की सेवा करने वाले सैनिक को यह कहना कि इस बीमारी से सेना का कोई संबंध नहीं है स्वीकार करने योग्य नहीं है, और याची को दिए गए इलाज और आपरेशन से यह साबित होता है कि उसको यह बीमारी लेह-लद्दाख जैसे दुर्गम इलाके में हुई है और, उसकी दिव्यांगता को कानूनी परिधि के बाहर बताना तर्कसंगत नहीं है.

याची के अधिवक्ता विजय कुमार पाण्डेय की दलीलों को स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति उमेश चन्द्र श्रीवास्तव एवं वाईस एडमिरल (रि०) अभयरघुनाथ कार्वे की खण्ड-पीठ ने आठ प्रतिशत व्याज के साथ दिव्यांगता पेंशन देने का आदेश दिया और, निर्देशित किया कि याची का मेडिकल दुबारा कराया जाए जिससे उसकी दिव्यांगता को जाना जा सके और उस आधार पर उसे आगे पेंशन दी जा सके l

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