मुंबई की लोकल ट्रेन में सफर करने वाले यात्री डिजिटल ऐप्स का लाभ ले पाएंगे

सेंट्रल रेलवे (मुंबई डिवीजन) और दुनिया का पहला हाइपरलोकल एज क्लाउड प्लेटफॉर्म शुगरबॉक्स नेटवर्क्स के साथ लोकल ट्रेनों में यात्रियों को सफर के दौरान मनोरंजन उपलब्ध कराने के लिए हुये अनुबंध को मंजूरी मिल गई है। इसके लिए मध्य रेलवे ने शुगरबॉक्स कंपनी से हाथ मिलाया है, जो ट्रेनों में मनोरंजक कॉन्टेंट मुहैया कराएगी। रेलवे को यह कंपनी 5 साल में 8.17 करोड़ रुपये देगी। मध्य रेलवे की लोकल ट्रेनों में अब ऐसे डिवाइस लगाए गए हैं, जिससे यात्रियों का मनोरंजन होगा। यात्री अपने मोबाइल पर ही फिल्में, वेब सीरीज या सीरियल का लुत्फ बिना इंटरनेट का इस्तेमाल किए ही उठा सकेंगे। मध्य रेलवे के यात्री अपनी पूरी ट्रेन यात्रा के दौरान मांग पर प्रचलित व प्रासंगिक डिजिटल ऐप्स का भी लाभ ले पाएंगे।

शुगरबॉक्स नेटवर्क्स के को-फ़ाउंडर रोहित परांजपे के द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार ट्रेन के हर कोच में दो डिवाइस लगाए गए हैं, जो लोकल एरिया नेटवर्क के तौर पर काम करेंगे। ऐप पर लॉगिन करने के बाद यात्रियों को अपना  मोबाइल नंबर डालना पड़ेगा और ओटीपी मिलने के बाद उनका फोन कनेक्ट हो जाएगा। यात्रीगण कॉन्टेंट को डाउनलोड भी कर सकते हैं। मध्य रेलवे के महाप्रबंधक अनिल कुमार लाहोटी का मानना है कि यह साझेदारी आधुनिकतम प्रौद्योगिकी के ज़रिए अपने  यात्रियों को प्रदान किए जाने वाले सुविधाओं को बढ़ाने व मध्य रेलवे के भविष्य के लक्ष्यों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

प्रस्तुति – काली दास पाण्डेय

राज्यपाल श्री रमेश बैस और मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन ने वीर शहीद एसबी तिर्की के पार्थिव शरीर पर पुष्प चक्र अर्पित कर दी श्रद्धांजलि

*सीआरपीएफ के असिस्टेंट कमांडेंट और झारखंड निवासी श्री एसबी तिर्की कल

छत्तीसगढ़ के बीजापुर में उग्रवादियों के साथ मुठभेड़ में हुए थे शहीद

*राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने शहीद की वीरता को किया नमन

  दुख की इस घड़ी में परिजनों का ढाढ़स बंधाया

*शहीदों के परिजनों आश्रितों की सहायता के लिए कमेटी गठन

पर किया जा रहा विचार  –  श्री रमेश बैस, राज्यपाल

 *शहीद के परिजनों के साथ पूरी संवेदना है

 मदद के लिए सरकार हमेशा उनके साथ  खड़ी है – श्री हेमन्त सोरेन, मुख्यमंत्री

 रांची, राज्यपाल श्री रमेश बैस और मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन ने छत्तीसगढ़ के बीजापुर में कल उग्रवादियों के साथ मुठभेड़ में शहीद 168 बटालियन,   सीआरपीएफ के असिस्टेंट कमांडेंट एस बी तिर्की के पार्थिव शरीर पर पुष्प चक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी और उनकी वीरता को नमन किया । राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने शहीद के शोकाकुल परिजनों से मुलाकात कर उनका ढाढ़स बंधाया।  उन्होंने कहा कि शहीद के परिजनों की सहायता के लिए सरकार हमेशा खड़ी रहेगी ।

उग्रवादियों को मुंहतोड़ जवाब दे रहे हैं जवान

 राज्यपाल ने कहा कि देश की खातिर हमारा एक और वीर जवान शहीद हो गया ।सीआरपीएफ के असिस्टेंट कमांडेंट एसबी तिर्की की शहादत कभी व्यर्थ नहीं जाएगी। उग्रवादी जिस तरह कायराना हरकत कर रहे हैं, उसका उन्हें मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।  झारखंड और छत्तीसगढ़ में उग्रवादियों का सुरक्षा बल के जवान डटकर मुकाबला कर रहे हैं ।ऐसे में  अपने कर्तव्यों के निर्वहन के दौरान कभी-कभी जवान शहीद हो जाते हैं ।आगे ऐसी घटना नहीं हो, इसके लिए सभी ठोस कदम उठाए जाएंगे । राजपाल ने कहा कि शहीदों के परिजनों की सहायता के लिए कमेटी गठन पर सरकार द्वारा विचार किया जा रहा है। उन्होंने भगवान से दिवंगत आत्मा को शांति और अपने चरणों में जगह देने की कामना की।

इस घटना से मर्माहत जरूर हुए हैं, लेकिन मनोबल में नहीं आएगी कोई कमी

 मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड के एक और वीर  सपूत ने देश की रक्षा के लिए अपने को बलिदान कर दिया।उनकी शहादत पर हम सभी को गर्व है। उन्होंने कहा कि उग्रवादियों के इस तरह की कायराना हरकत से हम मर्माहत जरूर हुए हैं। हमने एक बार फिर अपने परिवार के एक सदस्य को खोया है, लेकिन इससे जवानों के मनोबल में कोई कमी नहीं आएगी। हमारे जवान और मजबूती तथा शक्ति के साथ ऐसे तत्वों को मुंहतोड़ जवाब देंगे। उग्रवादियों के नापाक इरादे को नेस्तनाबूद करेंगे ।मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी पूरी संवेदना शहीद के परिजनों के साथ है। उनकी मदद के लिए सरकार हमेशा उनके साथ खड़ी है। मुख्यमंत्री ने ईश्वर से दिवंगत आत्मा को शांति और शोकाकुल परिजनों को दुख सहन करने की शक्ति प्रदान करने की कामना ईश्वर की।

मुख्य सचिव श्री सुखदेव सिंहमुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री राजीव अरुण एक्का, एडीजी अभियान श्री संजय आनंद लाटकर, सीआरपीएफ के झारखंड सेक्टर के आईजी श्री राजीव कुमार समेत अन्य वरीय पदाधिकारी तथा शहीद की धर्मपत्नी श्रीमती पुष्पा मंजुला तिर्की एवं पिता श्री स्टीफन तिर्की और अन्य परिजनों ने पार्थिव शरीर पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी।

*लालमटिया डैम में एशियन वाटर बर्ड्स सेंसस 2022 के तहत हुई पक्षी गणना

*लालमटिया डैम में बर्ड वाचिंग की सुविधा विकसित कर

इको-टूरिज्म को दिया जाएगा बढ़ावा

लातेहार, लातेहार जिले के ललमटिया डैम में वन विभाग द्वारा एशियन वाटरबर्ड सेंसस 2022 के तहत एशियाई जल पक्षियों की गणना की गई। कार्यक्रम में उपायुक्त अबु इमरान मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। वन विभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रम में मुख्य रूप से स्थानीय वाटर बर्ड्स व माइग्रेटरी बर्ड्स की पहचान एवं गणना की गई। वन विभाग की टीम द्वारा पक्षियों की फोटोग्राफी की गयी l उपायुक्त लातेहार, अबु इमरान ने इस मौके पर कहा कि लातेहार जिला में देखने के लिए जंगल, पहाड़, जलप्रपात के अलावा विभिन्न प्रजातियों के सुन्दर पक्षी भी हैं l ठंड के मौसम में विभिन्न प्रजाति के प्रवासी पक्षी लातेहार जिला के जलाशयों को अपना आश्रय बनाते हैं l उन्होंने कहा कि लातेहार जिला में बर्ड वाचिंग एवं इको टूरिज्म की काफ़ी संभावना है l लातेहार में एशियन वाटरबर्ड्स सेंसस का आयोजन काफ़ी अच्छी पहल है l वन प्रमंडल पदाधिकारी रोशन कुमार ने प्रवासी एवं स्थानीय वाटर बर्ड्स की पहचान के संदर्भ में जानकारी दी l उन्होंने पर्यावरण के दृष्टिकोण से पक्षियों के महत्व के बारे में बताया l वहीं पक्षियों के प्रति लोगों में जागरूकता लाने एवं पक्षियों के संरक्षण की बात कही l

गणना के दौरान कॉमन किंगफिशर, रेड नेप्ड आईबिस, ओपन बिल स्टॉर्क, कॉमन कॉन्मोरेंट आदि प्रजातिया पाई गई।

मौके पर लालमटिया डैम में बर्ड वाचिंग टावर बनाने तथा इको टूरिज्म को विकसित करने पर चर्चा की गर्वl

इसके साथ ही उपायुक्त लातेहार अबु इमरान ने लालमटिया डैम के सौंदर्यीकरण कार्य का निरीक्षण किया l उन्होंने लालमटिया डैम में कैफ़ेटेरिया निर्माण हेतु स्थल का अवलोकन किया l

मौके पर डीपीओ संतोष कुमार भगत ,नजारत उपसमाहर्ता शिवेंंद्र कुमार सिंह, जिला मत्स्य पदाधिकारी दिव्या गुलाब बा एवं अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन ने कैथलैब का ऑनलाइन उद्घाटन किया

*मुख्यमंत्री  ने  कहा- स्वास्थ्य क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा निवेश हो

*मुख्यमंत्री बोले- राज्य में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने में

सरकारी के साथ निजी अस्पतालों का भी अहम योगदान

रांची, राज्य में स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार और बेहतर बनाने की दिशा में सरकार लगातार प्रयास कर रही है । लोगों को अपने ही राज्य में अच्छी चिकित्सीय सुविधाएं मिले, यह हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है । मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन ने आज सेंटेविटा अस्पताल, रांची के  कार्डियक यूनिट में कैथलैब का ऑनलाइन उद्घाटन करते हुए ये बातें कहीं। उन्होंने विश्व स्तरीय और अत्याधुनिक कैथलैब स्थापित करने के लिए अस्पताल प्रबंधन को बधाई और शुभकामनाएं दी।

 मरीजों को बड़े शहरों के बड़े अस्पतालों का रुख नहीं करना पड़े

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में ऐसी मजबूत स्वास्थ्य संरचना बनाने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि यहां के मरीजों को इलाज के लिए राज्य के बाहर के बड़े शहरों कि बड़े अस्पतालों का रुख नहीं करना पड़े।  इससे ना सिर्फ उनका अपने ही घर में बेहतर इलाज हो सकेगा, बल्कि इसमें होने वाले भारी भरकम खर्च से भी निजात मिलेगी। इसके अलावा दूरदराज के अस्पतालों में जाने से होने वाली विभिन्न परेशानियों से भी निजात मिलेगी।

स्वास्थ्य सुविधाओं में लगातार हो रही बढ़ोतरी

मुख्यमंत्री ने कहा कि चाहे सरकारी अस्पताल हो या निजी, यहां अत्याधुनिक चिकित्सीय सुविधाओं में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। विशेषकर रांची में अब गंभीर से गंभीर बीमारियों के समुचित इलाज के लिए बेहतर सुविधाएं उपलब्ध हो रही है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी ज्यादा से ज्यादा निवेश हो, इसके लिए सरकार के द्वारा तमाम कदम उठाए जा रहे हैं।

 

 स्वास्थ्य क्षेत्र में कई चुनौतियों से निपटना है

मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में लगातार कई चुनौतियां आ रही हैं, जिससे निपटना है। उन्होंने कहा कि पिछले 2 वर्षों से कोविड-19 महामारी से लगातार हम जंग कर रहे हैं ।अपने सीमित संसाधनों तथा बेहतर प्रबंधन के माध्यम से इस महामारी को काफी हद तक काबू में करने में कामयाब रहे हैं। इसमें चिकित्सकों और चिकित्सक कर्मियों की काफी अहम भूमिका रही है ।उन्होंने यह भी कहा कि चुनौतियां अभी खत्म नहीं हुई है। लिहाजा, स्वास्थ संसाधनों को लगातार बढ़ाया जा रहा है। इस दिशा में सरकार पूरी तत्परता और संवेदनशीलता के साथ काम कर रही है।

इस मौके पर मुख्यमंत्री के सचिव श्री विनय कुमार चौबे के अलावा राज्यसभा सांसद श्री धीरज साहू, सेंटेविटा  अस्पताल के निदेशक श्री अमित साहू के अलावा कई चिकित्सक ऑनलाइन मौजूद थे।

देवा थिएटर ग्रुप के तत्वाधान में फ्री डेमो एक्टिंग क्लास का शुभारंभ

नवोदित प्रतिभाओं को प्रकाश में लाने के उद्देश्य से आदर्श नगर मुम्बई में स्थापित देवा थिएटर ग्रुप के द्वारा त्रयमासिक कैमरा एक्टिंग वर्कशॉप की शुरुआत की गई है। इस एक्टिंग वर्कशॉप का संचालन झारखंड की धरती से जुड़े अभिनेता देवानंद पासवान करते है। बॉलीवुड के चर्चित फिल्मकार राज कुमार हिरानी की फिल्म ‘पी के’ जैसी कई हिंदी फीचर फिल्मों में अभिनय का जलवा बिखेर चुके अभिनेता देवानंद पासवान को बॉलीवुड में देवा भाई के नाम से जाना जाता है। मुम्बई में अभिनय का प्रशिक्षण देने वाली कई संस्थान चल रहे हैं परंतु देवा थिएटर ग्रुप द्वारा संचालित इस वर्कशॉप की खास बात यह है कि यहाँ प्रतिदिन फ्री डेमो एक्टिंग क्लास और फ्री शो रील की व्यवस्था भी की गई है। साथ ही साथ कोर्स के दौरान प्रशिक्षुओं को मानवीय संवेदनाओं से जुड़ी तथ्यों से भी अवगत कराया जाता है ताकि  भूमिका के अनुरूप पात्र जीवंत हो सके। 90 के दशक से ही देवा भाई स्टेज और फिल्म जगत में अपने अभिनय प्रतिभा के बदौलत विशिष्ट छवि कायम कर चुके हैं।

बकौल अभिनेता देवा नवोदित कलाकारों में मानवीय संवेदनाओं को आत्मसात कर कैरेक्टर में डूबने की चाहत को जगाना ही मेरा मूल उद्देश्य है ताकि पात्र मुखर हो कर स्क्रीन पर नज़र आ सके साथ ही साथ डायलॉग से जुड़े शब्दों का भाव भी अभिनय के क्रम में उभर कर सामने आए। इसके लिये हमने शॉर्ट टर्म कोर्स के लिए सहज, सरल व व्यवहारिक पाठ्यक्रम तैयार किया है।

प्रस्तुति – काली दास पाण्डेय

सोलर सिंचाई का महिला किसानों को मिल रहा लाभ

*बंजर भूमि तक पहुंची अविरल जलधार

*किसानों को मिल रहा बहुफसलीय खेती का लाभ

*ग्रामीण महिलाओं की आय दोगुनी करने की दिशा में हो रहा कार्य

 *जोहार परियोजना वरदान बन कर आया

रांची, (By Divya Rajan) सोलर पंप माउंटेड साइकिल इकाइयों से झारखण्ड के दूरस्थ क्षेत्रों में सिंचाई की सुविधा सुनिश्चित हो रही है। खूंटी के कर्रा स्थित सांगोर गांव की बाहलेन अब आसानी से अपने खेतों तक पानी पहुंचा पा रही हैं। यहां की 33 महिलाएं उच्च मूल्य कृषि के तहत सब्जियों की खेती कर रही हैं। झारखण्ड में छोटे एवं सीमांत किसानों के खेतों तक सिंचाई की सुविधा पहुंचाने के मुश्किल कार्य को सोलर पंप माउंटेड साइकिल के जरिए आसान बनाया गया है। जिन खेतों तक साधारण पंप से पानी पहुंचाना मुश्किल होता था, आज जोहार परियोजना के माध्यम से उत्पादक समूह की महिलाएं साईकिल आधारित सोलर पंप से छोटे–छोटे खेतों तक आसानी से सिंचाई सुविधा उपलब्ध करा रही है। साईकिल आधारित सोलर पंप सिंचाई की ऐसी आधुनिक व्यवस्था है जिसकी मदद से किसान सोलर प्लेट और पंप को साइकिल की तरह अपने खेत और नजदीकी जलाशयों तक आसानी से ले जाते हैं। बाहलेन बताती हैं, इस सोलर पंप के माध्यम से किसान अपने-अपने खेतों की सिंचाई आसानी से कर पा रहे हैं। पहले पटवन के लिए डीज़ल पंप का उपयोग करना पड़ता था, जिससे खेती में लागत बढ़ जाती थी। साइकिल आधारित सोलर पंप की मदद से किसान दिन के सात घंटे का पटवन बिना किसी खर्च के कर पा रहे हैं।

 

किसानों को मिल रहा सीधा लाभ

राज्य के 988 उत्पादक समूहों को चलंत सोलर पंप एवं 650 सोलर लिफ्ट सिंचाई उपकरण उपलब्ध कराया गया है, जिसके माध्यम से लगभग 19,650 किसानों को सीधा लाभ मिल रहा है। सोलर चलंत पंप गाँव और खेत के दुर्गम रास्तों पर भी ले जाया जा सकता है। इससे किसानों को रबी आदि की फसलों को सिंचित करने में मदद मिल रही है। आगामी 6 महीनों में कुल लिफ्ट इकाइयों की संख्या बढ़ा कर 1310 करने की योजना है। इसके एवज में 1200 इकाइयों का पंजीकरण व स्थल निरीक्षण कर अनुमोदित किया जा चुका है। वहीं आगामी 6 महीने में कुल सिंचित भूमि बढ़ा कर 20 हज़ार हेक्टेयर तक ले जाने का लक्ष्य रखा गया है।

जोहार परियोजना वरदान बन कर आया

खूंटी के मुरहू प्रखंड स्थित पंचघाघ जलप्रपात से सटे कोलोम्दा गांव के उत्पादक समूह की 46 महिला किसान अग्रणी किसान हैं, लेकिन खेती योग्य ज़मीन होते हुए भी उपज ज्यादा नहीं हो पाती थी। उत्पादक समूह की सदस्य राधिका देवी बताती हैं कि हम वर्षों से ही खेती-बाड़ी पर निर्भर रहे हैं। हम सभी पारंपरिक ढंग से खेती करते आ रहे हैं। सिंचाई की समस्या से बहुफसलीय खेती नहीं कर पा रहे थे। लेकिन, अक्टूबर 2020 में जोहार परियोजना हमारे लिए वरदान बन कर आयी। समुदाय आधारित लिफ्ट सिंचाई इकाई की शुरुआत की गई है, इस सिंचाई इकाईं के जरिए बदलाव अब दिखने लगा है। लिफ्ट सिंचाई के आने से हम आसानी से तीन फसल ले पा रही हैं। इस तरह खेती में उत्पादकता बढ़ाने एवं किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी के लिए जोहार परियोजना मील का पत्थर साबित हो रहा है। किसानों को सिंचाई सुविधा से जोड़कर फसल उत्पादन क्षमता एवं आमदनी में बढ़ोतरी करने के लिए सोलर आधारित सिंचाई की सुविधा से राज्य के किसानों को जोड़ा जा रहा है। इस पहल की खासियत है कि सिंचाई के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण, सिंचाई इकाईं का उपयोग भूगर्भ जल की निकासी के लिए न करके आस-पास के सतही जलस्रोतो के जरिए सिंचाई की सुविधा बहाल की जाती है, ताकि भूगर्भ जलस्तर बरकरार रहे।

करीब 19650  किसानों को मिल रही सौर लिफ्ट सिंचाई की सुविधा

जोहार परियोजना के तहत ग्रामीण महिलाओं की आय दोगुनी करने की दिशा मे कार्य किये जा रहे है, इसी कड़ी में उत्पादक समूह से जुड़ी महिला किसानों को उच्च मूल्य कृषि से भी जोड़ा जा रहा है, ताकि अच्छी उपज और बड़े बाजार व्यवस्था के जरिए उनकी आमदनी में वृद्धि हो सके। किसान पूरे साल खेती कर सके, इसके लिए परियोजना के तहत सिंचाई की सुविधा भी उपलब्ध कराई जा रही है। उत्पादक समूह से जुड़े किसानों को 90 प्रतिशत अनुदान पर सोलर लिफ्ट सिंचाई उपलब्ध कराया गया है। राज्य भर में अब तक 650 इकाइयों को वाटर यूजर ग्रुप के माध्यम से सफलतापूर्वक संचालित किया जा रहा है। करीब 650 इकाइयों से कुल 8745 हेक्टेयर (लगभग 21,600 एकड़) खेत में सिंचाई के लिए सालों भर पानी की उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है।

जोहार परियोजना अंतर्गत उत्पादक समूहों के जरिए महिलाओं का वाटर यूजर ग्रुप बनाकर पानी की कमी वाले इलाकों में सिंचाई की सुविधा मुहैया कराई जा रही है। सोलर आधारित लिफ्ट सिंचाई इकाई एवं साइकिल माउंटेड सोलर पंप ग्रामीण महिलाओं के वाटर यूजर ग्रुप को उपलब्ध कराया गया है। राज्य के करीब 20 हजार किसान परिवारों को इस पहल के जरिए सिंचाई की सुविधा उपलब्ध करायी गयी है।

 

भूख न लगने की समस्या से परेशान है

*तो इन घरेलू उपायों को जरूर अपनाएं

सही समय पर भोजन ग्रहण करना बहुत ही जरूरी है, लेकिन इससे भी ज्यादा जरूरी है पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थो यानी संतुलित भोजन का सेवन करना। वहीं, कुछ लोग भूख न लगने से भी परेशान रहते हैं जिससे स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पडऩा शुरू हो जाता है। इसलिए आज हम आपको कुछ ऐसे घरेलू उपायों के बारे में बताएंगे, जिनसे आप जल्द ही भूख न लगने की समस्या से निजात पा सकते हैं। आइए जानें।

भारतीय व्यंजनों में इस्तेमाल किए जाने वाला धनिया भूख बढ़ाने में है मददगार

आधा कप धनिया (पत्तेदार) और आवश्यकतानुसार पानी। इस्तेमाल करने का तरीका: सबसे पहले मिक्सी में धनिए की पत्तियां और पानी डाल लें, फिर मिश्रण को ग्राइंड करके जूस बना लें। अब इस जूस का खाली पेट सेवन करें। समस्या से जल्द निजात पाने के लिए एक हफ्ते तक रोज सुबह इस जूस का सेवन करें। फायदा: धनिए की पत्तियां एंटीइंफ्लेमेटरी गुणों से समृद्ध होती हैं, जो पाचन क्रिया में सुधार कर भूख को बढ़ाने में सहायक हैं।

अजवाइन के साथ गुनगुने पानी का सेवन

एक चम्मच अजवाइन और एक गिलास गुनगुना पानी। इस्तेमाल करने का तरीका: सबसे पहले हाथ में अजवाइन लें और गुनगुने पानी के साथ उसका सेवन झट से कर लें। समस्या से जल्द निजात पाने के लिए दिन में एक ही बार इस उपाय का इस्तेमाल करें। फायदा: अजवाइन एंटी-फ्लैटुलेंस के रूप में काम करने के अलावा पाचन एंजाइमों के स्राव में भी मदद करता है, जो भूख को उत्तेजित करने का काम करते हैं।

भूख न लगने की समस्या से जल्द निजात दिलाता है मेपल सिरप

आधा कप आर्गेनिक मेपल सिरप, नींबू के रस की पांच-छह बूंदें और पांच कप पानी। इस्तेमाल करने का तरीका: एक पैन में पानी और मेपल सिरप डालकर कुछ मिनट गर्म कर लें। फिर मिश्रण को ठंडा कर उसमें नींबू का रस मिलाएं। अब किसी एयरटाइट कंटेनर में इस मिश्रण को स्टोर कर लें और जरूरत पडऩे पर दो-दो चम्मच पिएं। फायदा: यह उपाय पाचन क्रिया और इम्यून सिस्टम को मजबूत कर भूख बढ़ाने में मदद करता है।

पाचन स्वास्थ्य को ठीक कर भूख बढ़ाने में कारगर है आंवले के जूस का सेवन

20-30 एमएल आंवले का रस और आधा कप पानी। इस्तेमाल करने का तरीका: आंवला का जूस बाजार में आसानी से मिल जाता है, बस आपको आधे कप पानी में 20-30 एमएल आंवला का रस डालकर उसका सेवन करना है। समस्या से जल्द निजात पाने के लिए एक हफ्ते तक रोज सुबह इस जूस का सेवन करें। फायदा: आंवला विटामिन-सी और गैस्ट्रोप्रोटेक्टिव जैसे गुणों से समृद्ध होता है, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत करने के साथ-साथ भूख बढ़ाने में भी मददगार है।  (एजेंसी)

*मैरिटल रेप या वैवाहिक दुष्कर्म के सवाल पर अदालत में..

*महिलाएं घर में शारीरिक संबंधों के नाम पर हिंसा झेलने को मजबूर हैं

*पति-पत्नी के जिन संबंधों को बिल्कुल निजी माना जाता है

*वहां कानून, वकील, सरकार और स्वयंसेवी समूह घुसे चले आ रहे हैं

*न्याय की कसौटी पर खरा भी उतरे कानून

– क्षमा शर्मा –
मैरिटल रेप या वैवाहिक दुष्कर्म के सवाल पर इन दिनों अदालत में बहस चल रही है। बताया जा रहा है कि महिलाएं घर में शारीरिक संबंधों के नाम पर हिंसा झेलने को मजबूर हैं। इसलिए मैरिटल रेप के खिलाफ कानून बनना चाहिए। पत्नी अगर सहमत न हो तो पति को संसर्ग नहीं करना चाहिए। बहस के दौरान माननीय न्यायाधीश ने कहा भी कि पत्नी की कंसेंट या सहमति पर जरूरत से ज्यादा जोर दिया जा रहा है।
अफसोस कि पति-पत्नी के जिन संबंधों को बिल्कुल निजी माना जाता है, वहां कानून, वकील, सरकार और स्वयंसेवी समूह घुसे चले आ रहे हैं। विवाह यदि दो लोगों के बीच हुआ है, तो तीसरी पार्टी आखिर उनके बीच क्यों घुसना चाहती है। वैसे भी यह कैसे पता चलेगा कि पति ने पत्नी के साथ जबर्दस्ती की। मैरिटल रेप के पक्ष में कानून बनाने वाले कहेंगे कि इसे पत्नी के कहे से माना जाएगा। यानी कि पत्नी ही पहली और आखिरी गवाह और प्रमाण होगी। पति के कहे या न कहे के कोई मायने नहीं होंगे। पत्नी के कहते ही पति को अपराधी मान लिया जाएगा। कुछ लोग पत्नी को अनपेड सेक्स वर्कर कह रहे हैं। एक शादी और इतनी तरह की मुसीबतें तो क्या ऐसा दिन दूर नहीं, जब लड़के शादी ही नहीं करेंगे। मेरे एक परिजन बहुत पहले इंग्लैंड में थे। उन्होंने बताया था कि वहां बड़ी संख्या में लोग शादी ही नहीं करते हैं।
हम परिवार नाम की संस्था को शायद सिरे से खत्म करना चाहते हैं। इसके बरक्स यह देखना दिलचस्प है कि एक ओर यूरोप और अमेरिका में बड़ी संख्या में लोग परिवार की वापसी के बारे में बातें कर रहे हैं। कोरोना महामारी के बाद यहां के लोग मनुष्य या ह्यूमन रिसोर्स की जरूरत और महत्व को अधिक महसूस कर रहे हैं। यह ह्यूमन रिसोर्स परिवार के सदस्यों के रूप में ही अधिक से अधिक मिल सकता है। और एक हम हैं कि परिवार किस तरह टूटे, किस तरह उसे एक यूनिट के रूप में रहने ही नहीं दिया जाए, इसकी जुगत भिड़ा रहे हैं। पश्चिमी विचार जिन अतियों से कराह रहा है, हम उनकी तरफ सिर के बल दौड़ रहे हैं। कानून की आड़ लेकर असली निशाना परिवार ही है। परिवार अगर हो तो किसी तीसरे को घर में घुसने में दिक्कत होती है। तीसरी पार्टी अक्सर आपके घर में जब घुसती है तब किसी अच्छे विचार या शुभकामनाओं के साथ नहीं, बल्कि तोड़-फोड़ के लिए ही। दो बिल्लियों की लड़ाई में तीसरी पार्टी बंदर की क्या भूमिका होती है, वह कहानी तो आपने सुनी ही होगी। परिवार में पत्नी को देवी और पति को राक्षस मानने की सोच अगर है, तो परिवार बसाने की क्या जरूरत। परिवार एक-दूसरे की सहायता और बढ़ोतरी के लिए होने चाहिए, न कि सतत् युद्ध में रहने के लिए। स्त्रीवादी सोच के तहत महिलाओं को अधिकार मिलें, उनकी प्रगति हो, यह तो अच्छी बात है, लेकिन इसी सोच के तहत परिवार में लगातार युद्ध की स्थिति हो, तो यह ठीक नहीं है। तब उस स्थिति को चुनना ही क्यों चाहिए। वह विचार सीधे हमारे बेडरूम में घुसा चला आ रहा है, जिसकी जड़ें कहीं ओर हैं।
पति को देवता मानना या खलनायक मानना दोनों ही तरह की सोच अतिवादी सोच है। इन दिनों आपने देखा होगा कि पत्नी की मत्यु चाहे जिस कारण से हुई हो, पुलिस और पत्नी के घर वाले सबसे पहला शक पति और उसके घर वालों पर करते हैं। उन्हें ही पकड़ा जाता है। स्त्रीवादी विमर्शों ने कुछ ऐसा रूप धरा है कि जिस घर में स्त्री रहती है, वहीं उसके सबसे अधिक दुश्मन बताए जाते हैं। इसीलिए सबसे पहले उन्हीं पर शक किया जाता है, उन्हें ही पकड़ा जाता है। महिला ने अगर आत्महत्या की हो, तो सौ में से सौ बार उसे दहेज हत्या कह दिया जाता है। अदालतें कह भी चुकी हैं कि हर आत्महत्या दहेज हत्या नहीं होती है। मगर कौन सुनता है।
यदि हम स्त्री के मानव अधिकार और कानूनी अधिकारों की बातें करते हैं, तो पुरुषों के मानव अधिकार और कानूनी अधिकारों को क्यों भूल जाते हैं। क्या पुरुष पैदाइशी खलनायक होते हैं। क्या उन्हें पैदा ही नहीं होना चाहिए। क्या उनका जीवन फूलों से भरा है, वहां कोई कष्ट नहीं। एनसीआरबी के आंकड़ों को देखें, तो हर साल छियानवे हजार पुरुष आत्महत्या करते हैं। इतनी बड़ी संख्या होने के बावजूद इस बारे में कोई चर्चा तक नहीं होती। इन आत्महत्याओं का कारण पारिवारिक दबाव, कलह बताया जाता है।
अपने देश में स्त्री कानून बेहद एकपक्षीय हैं। वे स्त्री के अधिकारों की बातें करते हैं और अपनी मूल प्रवृत्ति में तानाशाहीपूर्ण हैं। वे दूसरे पक्ष को अपनी बात कहने तक की आजादी नहीं देते। ऐसे जेंडर बायस कानून क्यों होने चाहिए। अदालतें अपने न्याय में स्त्री और पुरुष का भेद क्यों करें। वे सभी को न्याय देने के लिए होती हैं। इसलिए कानूनों को जेंडर न्यूट्रल होना चाहिए। जांच एजेंसियों की मानें तो दहेज प्रताडऩा संबंधी कानून, यौन प्रताडऩा और दुष्कर्म इनका बहुत दुरुपयोग भी हो रहा है। बड़ी संख्या में ऐसी शिकायतें झूठी भी पाई जाती हैं। लेकिन चर्चा अक्सर उस समय होती है, जब किसी अपराध और अपराधी का जिक्र होता है। कितने लोग अपराधी थे ही नहीं, उन्हें झूठा फंसाने की कोशिश की गई- इस पर चर्चा नहीं होती।
यदि मैरिटल रेप या वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध की श्रेणी में लाया जाएगा तो इसके खतरे भी यही हैं कि इसे साबित कैसे किया जाएगा। क्या पत्नी की गवाही और उसे सत्यवादी हरिश्चंद्र मान लेना, उसी के आधार पर पति को सजा देना मानवीयता और मानवीय अधिकारों के खिलाफ नहीं होगा। सिर्फ स्त्रीवादी संगठनों की ही नहीं, इस मसले पर पुरुषों के लिए जो संगठन काम करते हैं, उनकी भी सुनी जानी चाहिए।
न्याय का तकाजा है कि कानून किसी के भी प्रति अन्याय न करे। वह सताई गई स्त्री और सताए गए पुरुष दोनों को न्याय दे। इस घिसे-पिटे विचार के दिन लद गए हैं कि पुरुषों के साथ भला कौन अन्याय करता है। कानून का आतंक किसी भी समस्या को हल नहीं करता।
लेखिका वरिष्ठ पत्रकार हैं।

पंजाबी फिल्म ‘मैं वियाह नहीं करोना तेरे नाल’ 4 मार्च को रिलीज होगी

डायमंड स्टार वर्ल्डवाइड मूवीज द्वारा निर्मित और जंगली म्यूजिक द्वारा संगीतबद्ध, पंजाबी फिल्म ‘मैं वियाह नहीं करोना तेरे नाल’ 4 मार्च 2022 को सिनेमाघरों में रिलीज होगी। पिछले दिनों इस फिल्म का पोस्टर और टीजर जारी किया जा चुका है साथ ही साथ इस फिल्म का टाइटल ट्रैक रिलीज़ रिलीज हो चुका है। इस रोमांटिक पेप्पी सॉन्ग में प्यार भरी नोकझोंक के साथ गुरनाम भुल्लर और सोनम बाजवा की केमिस्ट्री कमाल लग रही है।

रूपिंदर इंद्रजीत द्वारा लिखित और निर्देशित इस फिल्म की कहानी एक कैनेडा के युट्यूबर  के इर्द-गिर्द घूमती है, जो पहली बार पंजाब आता है और उसे पंजाब की एक गाँव की लड़की से प्यार हो जाता है, जो उसे भारतीय लोक कला संस्कृति की अहमियत को समझने में मदद करती है। पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री के बहुचर्चित शख्सियत गुरनाम भुल्लर और सोनम बाजवा अभिनीत ‘मैं वियाह नहीं करोना तेरे नाल’ के मार्फत इस जोड़ी ने अपने प्रशंसकों का  वेलेंटाइन डे वीक खास बनाने की ठानी है।

प्रस्तुति – काली दास पाण्डेय

एक्ट्रेस अदिति शंकर बनीं सिंगर

मशहूर डायरेक्टर शंकर की बेटी एक्ट्रेस अदिति शंकर अब सिंगर भी बन गई हैं। जी हाँ, अभिनेत्री, जो एक योग्य डॉक्टर भी है, ने अब निर्देशक किरण कोर्रापति की आगामी तेलुगु फिल्म घनी में रोमियो जूलियट नामक युगल गीत गाया है, जिसमें वरुण तेज मुख्य भूमिका में हैं।

अभिनेत्री ने ट्विटर कहा कि उन्हें मौका देने के लिए संगीत निर्देशक थमन को धन्यवाद।

अदिति ने कहा, मेरी गायन की शुरूआत! इसे आप सभी के साथ साझा करने के लिए बहुत इंतजार किया। एक और सपना सच हुआ। संगीत निर्देशक थमन सर, मुझ पर भरोसा करने और मुझे यह अवसर देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। आशा है कि आप लोगों को यह पसंद आएगा।
अदिति निर्देशक मुथैया की तमिल फिल्म विरुमन में एक अभिनेत्री के रूप में अपनी शुरूआत करेंगी, जिसमें कार्थी मुख्य भूमिका में हैं। फिल्म का निर्माण सूर्या के 2डी एंटरटेनमेंट ने किया है।

संजना संघी की उलझे हुए का ट्रेलर रिलीज

 11 फरवरी को आएगी फिल्म

अभिनेत्री संजना संघी अपनी सुंदरता और स्टाइल को लेकर लाइम लाइट में रहती हैं। वह बहुत जल्द अपनी शॉर्ट फिल्म उलझे हुए में नजर आएंगी। फिल्म वैलेंटाइन वीक में 11 फरवरी को अमेजन मिनी टीवी पर रिलीज होगी। फिल्म में संजना और अभय वर्मा लीड रोल में नजर आएंगे। यह एक रोमांटिक ड्रामा है, जिसका ट्रेलर आज रिलीज कर दिया गया है। ट्रेलर में प्यार, रिलेशनशिप और रोमांस का छौंक लगाया गया है।
अमेजन मिनी टीवी के यूट्यूब हैंडल पर उलझे हुए का ट्रेलर जारी किया गया है। ट्रेलर के शुरुआत में ही सेक्स और डेटिंग की बातें धड़ल्ले से की जाती हैं। संजना ने फिल्म में रसिका की भूमिका निभाई है। वहीं, अभय को वरुण की भूमिका में देखा गया है। संजना और अभय की शुरुआत में काफी नोकझोंक होती है। धीरे-धीरे उनके बीच प्यार पनपने लगता है। इसमें दिखाया गया है कि कैसे दोनों के बीच लव केमिस्ट्री आगे बढ़ती है।
ट्रेलर में डेटिंग के साथ-साथ ब्रेकअप को भी दिखाया गया है। इसमें पड़ताल की गई है कि मौजूदा दौर में रिश्ते बनते-बिगड़ते रहते हैं। संजना और अभय के बीच एक किसिंग सीन की झलक भी दिखी है। दोनों ने अपने अंदाज से प्रभावित किया है।
सबसे खास बात यह है कि इस फिल्म को लोग अमेजन के शॉपिंग ऐप पर मुफ्त में देख पाएंगे। इसके लिए कोई सब्सक्रिप्शन की जरूरत नहीं होगी। फिल्म का निर्देशन सतीश राज ने किया है। यह अमेजन प्राइम की एक शॉर्ट फिल्म है, जिसे विशेष रूप से वैलेंटाइन वीकेंड के लिए बनाया गया है। इसकी कहानी एक जवान लड़की के इर्दगिर्द घूमती है, जो प्यार में अपनी पसंद को ढूढऩे की कोशिश करती हैं।
फिल्म उलझे हुए को इम्तियाज अली की बेटी इदा अली ने लिखा है। अहाब जाफरी के लॉकडाउन शॉर्ट्स स्टूडियो द्वारा फिल्म का निर्माण किया गया है। फिल्म को लेकर निर्देशक सतीश राज ने भी अपना अनुभव साझा किया है। उन्होंने कहा, फिल्म उलझे हुए एक ऐसी प्रेम कहानी है, जिससे दर्शक अपने आप को जोड़ सकेंगे। फिल्म को विश्वसनीय कलाकारों द्वारा बनाया गया है और यह आधुनिक रोमांस की नब्ज को पकड़ती है।
संजना ने फिल्म रॉकस्टार से बतौर बाल कलाकार अभिनय की दुनिया में कदम रखा था। यह फिल्म 2011 में रिलीज हुई थी। उन्हें हिन्दी मीडियम और फुकरे रिटर्न्स जैसी फिल्मों में सहायक भूमिका में देखा गया था। मुकेश छाबड़ा की दिल बेचारा से संजना लोगों के बीच चर्चा में आईं। अब जल्द ही संजना फिल्म ओम: द बैटल विन में अपनी मौजूदगी दर्ज कराएंगी। इस फिल्म में वह आदित्य रॉय कपूर के साथ इश्क फरमाती दिखेंगी। (एजेंसी)

रोजमर्रा के कई कामों को आसान बना सकते हैं फेस प्राइमर से जुड़े ये हैक्स

फेस प्राइमर एक तरह का मेकअप प्रोडक्ट है, जिसकी मदद से मेकअप बेस तैयार किया जाता है, लेकिन इसका इस्तेमाल सिर्फ यही तक सीमित नहीं है। अगर आपके पास कोई ऐसा फेस प्राइमर है, जो एक्सपायर हो चुका या फिर जिसका आप इस्तेमाल नहीं करते हैं तो उसे फेंकने के बजाय आप उसका इस्तेमाल विभिन्न तरीकों से कर सकते हैं। आइए आज आपको फेस प्राइमर से जुड़े कुछ अद्भुत हैक्स के बारे में बताते हैं।

मेकअप साफ करने के आए काम

रात को सोने से पहले अगर मेकअप न साफ किया जाए तो इससे त्वचा का स्वास्थ्य प्रभावित होता है। अगर आपके पास मेकअप रिमूवर नहीं है तो आप मेकअप हटाने के लिए फेस प्राइमर का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए मेकअप वाले चेहरे पर थोड़ा सा फेस प्राइमर लगाकर थोड़ी मसाज करें। इसके बाद अपने चेहरे को टिश्यू पेपर से पोंछ लें और अंत में अपना चेहरा पानी से धो लें।

बतौर शेविंग क्रीम करें इस्तेमाल

कई लोग शेविंग क्रीम खत्म होने पर साबुन का इस्तेमाल करने लगते हैं, लेकिन इससे त्वचा रूखी लगने लगती है। इस काम के लिए फेस प्राइमर का इस्तेमाल करना फायदेमंद हो सकता है क्योंकि इससे त्वचा मॉइश्चराइज होती है। इसके अलावा, इसकी मदद से ब्लेड से त्वचा के कटने का डर भी नहीं रहता। इसके लिए शेविंग करते समय फेस प्राइमर को अपनी दाढ़ी वाले हिस्से पर लगाएं, फिर रेजर से अनचाहे बालों को साफ करें।

स्टीकर को आसानी से निकालें

अगर किसी नए बर्तन या किसी अन्य चीज पर लगे स्टीकर को निकालना काफी मुश्किल हो रहा है तो आप इस काम को आसान बनाने के लिए फेस प्राइमर का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए सबसे पहले स्टीकर वाली जगह पर थोड़ा फेस प्राइमर लगाकर उसे कुछ मिनट के लिए ऐसे ही छोड़ दें। ऐसा करने से स्टीकर्स की पकड़ कमजोर हो जाएगी, फिर आप चुटकियों में इस स्टीकर को निकाल सकेंगे।

उंगली में फंसी हुई अंगूठी को आसानी से निकालें

अगर कोई अंगूठी उंगली में फंस जाती है तो हम उसे बाहर निकालने के चक्कर में जबरदस्ती से खींचते हैं, जिसके कारण उंगली में चोट लग जाती है। हालांकि, अब आपको ऐसा कुछ करने की जरूरत नहीं है क्योंकि फेस प्राइमर की मदद से आप यह काम बड़ी ही आसानी से कर सकते हैं। इसके लिए बस अपनी अंगूठी वाली उंगली पर थोड़ा फेस प्राइमर लगाएं, फिर अंगूठी को निकालें। यकीनन इससे झट से अंगूठी निकल जाएगी।
बता दें कि मार्केट में फेस प्राइमर की कीमत 150 रूपये से शुरू होकर 1000 रूपये तक है। हालांकि, फेस प्राइमर का चयन अपनी त्वचा के प्रकार के अनुसार ही करें क्योंकि गलत प्राइमर कई तरह की त्वचा संबंधित समस्याओं का कारण बन सकता है।  (एजेंसी)

संगीत जगत की कोकिला आदरणीय लता दीदी

विकास कुमार –
रंगमंच एवं संगीत की दुनिया से प्रत्येक व्यक्ति प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित होता है। भारत का शास्त्रीय संगीत केवल भारत में ही नहीं अपितु पूरे विश्व में अपनी अमिट छाप बनाए हुए हैं। भारतवर्ष में बहुत से संगीतकार हुए जिन्होंने अपनी पहचान अपने स्वर संधान के परिप्रेक्ष्य में स्थापित किया। संगीत को प्रत्येक प्रकार के उत्सव धर्मिता में गायन करने की प्रथा भारतीय समाज में ही नहीं ,अपितु वैश्विक विकसित समाजों में भी इसकी परंपरा स्थापित है। वैवाहिक संबंधों, शैक्षणिक उत्सवों, खेल जगत एवं कोई भी शुभ कार्य करने के लिए विविध प्रकार के संगीत का प्रचलन होता है। संगीत की दुनिया में कोकिला के नाम से प्रसिद्ध आदरणीय लता मंगेशकर दीदी का 92 वर्ष की उम्र में, निधन की खबर केवल भारत के व्यक्तियों को ही नहीं अपितु वैश्विक समुदाय को स्तब्ध कर दिया। इनकी मृत्यु की खबर सुनकर सभी ने यही कहा की दुनिया में अब कोई दूसरी लता नहीं बन सकती है।इनका जन्म 29 सितंबर, 1929 को करहाना ब्राह्मण दादा और गोमतंक मराठा दादी के परिवार में, मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में हुआ था। उनके पिताजी का नाम पंडित दीनानाथ मंगेशकर था जो एक रंगमंच के गायक एवं कलाकार थे। अपने परिवार में एक भाई और चार बहनों में यह सबसे बड़ी थी। जिनमे भाई हृदयनाथ मंगेशकर और बहनों में उषा मंगेशकर, मीना मंगेशकर और आशा भोसले थी। बचपन में ही लता जी का संगीत के और सर्वाधिक रुझान था । इन्होंने नव वर्ष की उम्र में अपने पिता के साथ ‘सौभाद्र’ नाटक में नारद का किरदार निभाया था इस नाटक में उन्होंने पासना बढऩा या मना नाम का गाना गाया था। बचपन से ही इनकी संगीत के क्षेत्र में सर्वाधिक रुचि थी परंतु इनके पिता जी यह नहीं चाहते थे कि वह संगीत के क्षेत्र में अपना कैरियर बनाएं। इसीलिए लता जी को बचपन में संगीत क्षेत्र से जुडऩे के लिए कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। प्रारंभ में छोटे-छोटे काम मिलते थे और छोटी नाट्य शालाओं में गायन करती थी। इनका सर्वाधिक हौसला बढ़ाने का कार्य इनकी बहन आशा भोसले ने किया। यद्यपि जन्म तो इनका इंदौर में हुआ था परंतु बचपन से ही यह महाराष्ट्र में पली बडी। इसलिए संगीत और अभिनय के इनको अवसर प्राप्त होते रहे। 1942 में पिता की मृत्यु के बाद (जब लता सिफऱ् तेरह साल की थीं), लता को पैसों की बहुत किल्लत झेलनी पड़ी और काफी संघर्ष करना पड़ा। उन्हें अभिनय बहुत पसंद नहीं था लेकिन पिता की असामयिक मृत्यु की कारण से पैसों के लिये उन्हें कुछ हिन्दी और मराठी फिल्मों में काम करना पड़ा। अभिनेत्री के रूप में उनकी पहली फिल्म पाहिली मंगलागौर (1942) रही, जिसमें उन्होंने स्नेहप्रभा प्रधान की छोटी बहन की भूमिका निभाई। बाद में उन्होंने कई फि़ल्मों में अभिनय किया जिनमें, माझे बाल, चिमुकला संसार (1943), गजभाऊ (1944), बड़ी माँ (1945), जीवन यात्रा (1946), माँद (1948), छत्रपति शिवाजी (1952) शामिल थी। बड़ी माँ, में लता ने नूरजहाँ के साथ अभिनय किया और उसके छोटी बहन की भूमिका निभाई आशा भोंसलेने। उन्होंने खुद की भूमिका के लिये गाने भी गाये और आशा के लिये पार्श्वगायन किया।उन्होंने अपना पहला गाना मराठी फिल्म ‘किती हसल’ (1942) के लिए गाया था। इन्होंने 20 से अधिक भाषाओं में 30,000 से अधिक गाने गाए हैं जो हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के लिए सर्वाधिक गाए हुए गाने हो सकते हैं। 1980 के बाद से फिल्मों में अधिक गाने नागा कर स्टेज शो की ओर इनका ध्यान आकर्षित हुआ। स्टेज शो में भी इनको खूब लोकप्रियता मिली और दर्शकों ने खूब पसंद किया। इनके द्वारा गाया हुआ गाना ‘ऐ मेरे वतन के लोगों जरा आंख में भर लो पानी’ आज भी जब गणतंत्रता दिवस या स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर सुना जाता है तब वहां पर खड़े हुए संपूर्ण समुदायों के लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं। क्लासिकल म्यूजिक में लता जी ने ठुमरी राग में अधिक गाने गाए हैं जिसमें ‘नदिया किनारे हेराई आई कंगना’ आदि खूब पसंद किए जाते हैं। लता जी संगीत क्षेत्र की एक मात्र व्यक्तित्व हैं जिनके जीवित में उनके नाम से उसी क्षेत्र में पुरस्कार दिए जाते हैं। यही कारण रहा कि कई विधाओं में तथा संगीत के समस्त क्षेत्रों में उनको विभिन्न प्रकार के पुरस्कारों से नवाजा गया। जिसमें 5 से अधिक (1958,1962,1965,1969,1993, तथा 1994) फिल्म फेयर पुरस्कार, तीन बार (1972,1975, एवं 1990) राष्ट्रीय पुरस्कार, 1969 में पदम भूषण, 1974 में गिनीज बुक रिकॉर्ड, 1989 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार, 1993 में फिल्म फेयर का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार, 1996 में स्क्रीन का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार, 1997 में राजीव गांधी पुरस्कार, 2001 में नूरजहां पुरस्कार एवं 2001 में ही भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से उन्हें पुरस्कृत किया गया। लता जी के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने संगीत को जिया है। यह धारणा उन समस्त महापुरुषों के लिए अवश्य होती है जो उस क्षेत्र में अपना नाम करते हैं और अपना संपूर्ण जीवन उसी क्षेत्र के लिए न्यौछावर कर देते हैं। छह दशकों में उन्होंने जो नाम और जो काम संगीत के दुनिया के लिए किया है उनके जाने के पश्चात उसकी भरपाई शायद कभी हो सकेगी! इनके जैसे संगीतकार दुनिया में कभी-कभी ही जन्म लेते हैं। यद्यपि, इनका शरीर इस भौतिक दुनिया में उपस्थित नहीं रहेगा परंतु इनके आवाज के कारण यह दुनिया सदैव इन्हें याद रखेगी और जब भी इनके द्वारा गाए हुए गाने सुने जाएंगे तब यही होगा कि भारत में एक कोकिला ऐसी भी थी। इनकी आवाज सदैव भारतीय संगीत और संगीत प्रेमियों के बीच अमर रहेगी। ऐसे महान व्यक्तित्वों के योगदान सदैव आम जनमानस के बीच प्रेरणात्मक तथ्य बनकर अमर रहते हैं। आने वाली आगामी पीढिय़ां संगीत के क्षेत्र में आदरणीय लता दीदी से सदैव प्रेरणा लेती रहेंगी और याद करेंगे की एक संगीत के क्षेत्र में ऐसी भी गायिका थी।
(लेखक केंद्रीय विश्वविद्यालय अमरकंटक में रिसर्च स्कॉलर हैं एवं राजनीति विज्ञान में गोल्ड मेडलिस्ट है)

झारखण्डी शिल्प और व्यंजनों को बढ़ावा देगी सरकार

*झारखण्ड की संस्कृति, इतिहास, विरासत और व्यंजनों का  बनायेगा

कल्चरल टूरिज्म

रांची, झारखण्ड की समृद्ध और विविध सांस्कृतिक विरासत को देखने और संजोने का मौका देने में पर्यटन नीति मील का पत्थर साबित होगी। इसके लिए राज्य सरकार एकीकृत आदिवासी परिसर विकसित करेगी। जिसके तहत पर्यटकों को एक ही स्थान पर झारखण्ड की संस्कृति, इतिहास और विरासत का दीदार होगा, वही विविध व्यंजनों के रसास्वादन का लुत्फ़ भी मिलेगा।यह कॉकटेल कल्चरल टूरिज्म पर्यटकों को परोसेगा। इस कॉकटेल में स्थानीय नृत्य, गीत और संगीत को भी शोकेस किया जाएगा। इस पर्यटन पैकेज का मकसद पर्यटकों को राज्य की सांस्कृतिक विविधता और जीवंतता का अनुभव देकर आकर्षित करना है।

 शिल्प और व्यंजनों को बढ़ावा

 पर्यटन नीति के तहत कल्चरल टूरिज्म के जरिये स्थायी आजीविका को बढ़ावा देने और स्वरोजगार पैदा करने के लिए शिल्प और व्यंजनों में झारखण्ड की समृद्ध विरासत को साथ लेकर चलने की योजना है। राज्य के हस्तशिल्प की समृद्ध परंपरा और उद्योग विभाग के अनुरूप निवेश के अवसर को बढ़ावा दिया जाएगा। फूड फेस्टिवल के माध्यम से क्षेत्रीय व्यंजनों को नया आयाम मिलेगा। पर्यटन सूचना केंद्र, होटल, हवाई अड्डा, रेलवे स्टेशन और अन्य महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्थानों पर झारखण्ड के हस्तशिल्प प्रदर्शित किए जायेंगे। राज्य और राज्य के बाहर विभिन्न पर्यटन प्रदर्शनियों के माध्यम से हस्तशिल्प और क्षेत्रीय खानपान को बढ़ावा देने के प्रयास किए जाएंगे।

 संस्कृति और परम्परा से अवगत होंगे पर्यटक

 पर्यटकों को यहां की परम्परा और संस्कृति से अवगत कराने के लिए विभिन्न मेलों और त्योहारों, पारंपरिक जीवन शैली, रीति-रिवाजों, पोशाक और खानपान से रूबरू कराने की योजना पर सरकार कार्य कर रही है। सरकार झारखण्ड में आयोजित होने वाले मेलों और त्योहारों को पर्यटन के रूप में विकसित करने का प्रयास करेगी। पूरे राज्य में महत्वपूर्ण स्थलों को पर्यटन के लिहाज से विकसित करने के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रमों का एक कैलेंडर तैयार किया जाएगा।

भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर), संगीत नाटक अकादमी, क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्रों और अन्य संगठनों को झारखण्ड में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मानकों के विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। विभिन्न पर्यटन क्षेत्रों में अंतरराज्यीय सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होंगे, ताकि अन्य राज्यों और विदेशों में सांस्कृतिक कार्यक्रमों को बढ़ावा और राज्य के कलाकारों को एक्सपोजर प्रदान किया जा सके। होटलों में सम्मेलन आयोजित कर झारखण्ड की संस्कृति, नृत्य, कला संस्कृति को बढ़ावा देने हेतु प्रोत्साहित किया जायेगा।

तानिया श्रॉफ के आगे फेल है बॉलीवुड एक्ट्रेस

 इतनी ख़ूबसूरत परी पर फिदा है अहान शेट्टी

बॉलीवुड अभिनेता सुनील शेट्टी के बेटे अहान शेट्टी, जिन्होंने हाल ही में बहुप्रतीक्षित फिल्म तड़प के माध्यम से अभिनय की शुरुआत की, को फिल्म में उनके प्रदर्शन के लिए प्रशंसा मिल रही है। फिल्म के निर्देशक मिलन लुथरिया हैं और अहान तारा सुतारिया के साथ काम करते हैं, जिन्होंने स्टूडेंट ऑफ द ईयर 2 से बॉलीवुड में अपनी शुरुआत की। तड़प 2018 की तेलुगु फिल्म आरएक्स 100 का हिंदी रीमेक है।
अहान ने बॉलीवुड में ऐसे समय में डेब्यू किया है, जब नेपोटिज्म के कॉन्सेप्ट ने आग पकड़ ली है। स्टार किड्स को उनके प्रदर्शन के लिए ट्रोल किया जा रहा है, और लोग उन्हें भाई-भतीजावाद का उत्पाद कह रहे हैं, लेकिन इस नवोदित कलाकार ने अपने प्रदर्शन से सभी का मुंह बंद कर दिया।
फिल्म में उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के अलावा, उनकी प्रेमिका तानिया श्रॉफ के साथ उनके रिश्ते को हम बी-टाउन में टॉक ऑफ द टाउन कहते हैं। आइए आपको अहान और तानिया के रिश्ते के बारे में कुछ रोचक जानकारियों से रूबरू कराते हैं।
ऐसा कम ही होता है जब करियर की शुरुआत से पहले ही कोई नवागंतुक निजी संबंधों के लिए सुर्खियों में आ गया हो। डेटिंग की अफवाहों पर ज्यादातर एक्टर्स बयान देते हैं कि उनका फोकस सिर्फ काम पर है, अहान-तानिया का रिश्ता काफी मैच्योर लगता है।
तानिया का जन्म 29 मार्च 1997 को मुंबई, महाराष्ट्र में जयदेव श्रॉफ और रोमिला श्रॉफ के घर हुआ था। उनके पिता एक जाने-माने उद्योगपति हैं। वह यूपीए लिमिटेड के वैश्विक सीईओ हैं। तानिया का एक छोटा भाई भी है जिसका नाम वरुण है। वह पेशे से मॉडल और फैशन डिजाइनर हैं। जब वह सिर्फ 7 साल की थीं, तब उनके माता-पिता अलग हो गए थे।
तानिया अपने कमाल के फैशन सेंस के लिए जानी जाती हैं और कई बार कई मैगजीन के कवर पेज पर छाई रहती हैं। उसने विभिन्न फैशन ब्रांडों के लिए कई विज्ञापन किए। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा अमेरिकन कॉलेज ऑफ़ बॉम्बे में की और लंदन कॉलेज ऑफ़ फैशन से फैशन डिजाइनिंग में स्नातक की डिग्री प्राप्त की।  (एजेंसी)

अनोखी आकृतियों से गहराया ब्रह्मांड का रहस्य

मुकुल व्यास –
हमारा ब्रह्मांड विचित्रताओं और रहस्यों से भरपूर है। इसके बारे में बहुत-सी चीजें अभी तक अज्ञात हैं। खगोल वैज्ञानिक निरंतर इन रहस्यों से पर्दा उठाने की कोशिश करते रहते हैं। इस क्रम में उन्होंने कुछ ऐसी अनोखी संरचनाओं का पता लगाया है, जिनके बारे में पहले नहीं सुना गया था। इन संरचनाओं में हजारों प्रकाश वर्ष दूर तक फैली पट्टी, पटाखों की लडिय़ों जैसी आकृतियां और प्रचंड ऊर्जा छोडऩे वाले पिंड शामिल हैं। खगोल वैज्ञानिकों ने हाल ही में पृथ्वी से 55000 प्रकाश-वर्ष दूर एक हाइड्रोजन की लंबी पट्टी खोजी है। उनका कहना है कि यह हमारी मिल्की-वे यानी आकाशगंगा की सबसे बड़ी संरचना है। मैगी नामक हाइड्रोजन की यह विशाल पट्टी 3900 प्रकाश वर्ष लंबी और 130 प्रकाश वर्ष चौड़ी है। यह करीब 13 अरब वर्ष पहले बनी थी। जर्मनी के मैक्स प्लांक एस्ट्रोनॉमी इंस्टिट्यूट के खगोल वैज्ञानिकों के नेतृत्व में एक अंतर्राष्ट्रीय दल ने यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के गाइया उपग्रह की मदद से इस संरचना की नाप-जोख की है।
इस अध्ययन के एक सह-लेखक जुआन सोलेर को एक वर्ष पहले इस संरचना के अस्तित्व के कुछ संकेत मिल गए थे। उन्होंने अपने देश कोलंबिया की सबसे लंबी नदी के नाम पर इस संरचना का नाम मैगी रखा। आंकड़ों के प्रारंभिक विश्लेषण में मैगी को पहचानना संभव हो गया था लेकिन वर्तमान अध्ययन से ही यह साबित हुआ कि यह एक लंबी पट्टी है। बिग बैंग अथवा ब्रह्मांडीय महाविस्फोट के करीब 380000 वर्ष बाद हाइड्रोजन का निर्माण हुआ था। मिल्की-वे का गठन उससे एक अरब साल पहले हुआ था। हाइड्रोजन ब्रह्मांड में सबसे ज्यादा पाया जाने वाला पदार्थ है। लेकिन इस गैस को डिटेक्ट करना बहुत ही दुष्कर कार्य है। इस संदर्भ में हाइड्रोजन की लंबी पट्टी की खोज बहुत ही रोमांचक है।
इस अध्ययन के प्रथम लेखक जोनास सैयद ने कहा कि पट्टी की लोकेशन से इस खोज में मदद मिली। हम अभी यह नहीं जानते कि ये पट्टी वहां कैसे बनी लेकिन यह मिल्की-वे के समतल करीब 1600 प्रकाश वर्ष तक फैली हुई है। इसकी वजह से हाइड्रोजन से होने वाले विकिरण को पृष्ठभूमि में आसानी से देखा जा सकता है। इससे पट्टी को देखना संभव हो जाता है। मैगी का गहराई से विश्लेषण करने के बाद वैज्ञानिकों ने पाया कि पट्टी में कुछ बिंदुओं पर गैस आकर मिलती है। ये संभवत: वे क्षेत्र हैं जहां गैस जमा होकर बड़े बादलों में तब्दील होती है। शोधकर्ताओं का ख्याल है कि ऐसे क्षेत्रों में आणविक गैस मॉलिक्यूल के रूप में परिवर्तित होती है। नया अध्ययन एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
मिल्की-वे में हाइड्रोजन की पट्टी को खोजने में गाइया उपग्रह का बहुत बड़ा योगदान है। यह उपग्रह इस समय मिल्की-वे आकाशगंगा का त्रिआयामी नक्शा तैयार कर रहा है। अपने मिशन के दौरान उसने इसकी संरचना, गठन और विकास के बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारियां दी हैं। इस उपग्रह को दिसंबर, 2013 में भेजा गया था। तब से यह पृथ्वी की कक्षा से करीब 16 लाख किलोमीटर की दूरी पर सूरज की परिक्रमा कर रहा है। अपनी यात्रा के दौरान वह मिल्की-वे की तस्वीरें खींच रहा है और छोटी आकाशगंगाओं के तारों की पहचान कर रहा है जिन्हें काफी समय पहले हमारी आकाशगंगा द्वारा निगल लिया गया था। गाइया के मिशन के दौरान हजारों पिंडों का पता चलने की उम्मीद है जो अभी तक खोजे नहीं गए हैं। इनमें निकटवर्ती तारों के इर्द-गिर्द घूमने वाले ग्रह, पृथ्वी के लिए खतरा बनने वाले क्षुद्रग्रह और सुपरनोवा विस्फोट शामिल हैं। इस मिशन से भौतिक-खगोलविदों को अंतरिक्ष में डार्क मैटर (अदृश्य पदार्थ) के वितरण के बारे में नई जानकारियां मिलने की उम्मीद है। समझा जाता है कि यह पदार्थ ब्रह्मांड को जोड़े हुए है।
ब्रह्मांड से आने वाली रेडियो तरंगों की निगरानी करने वाले खगोल वैज्ञानिकों के एक दूसरे दल को एक ऐसे रहस्यमय पिंड का पता चला है जो प्रचंड ऊर्जा उत्सर्जित कर रहा है। ऐसी कोई चीज पहले कभी नहीं देखी गई थी। इस फिरकते हुए पिंड का पता मार्च, 2018 में चला था लेकिन इसकी पुष्टि आंकड़ों के विस्तृत विश्लेषण के बाद हाल ही में हुई है। पृथ्वी से करीब 4000 प्रकाश वर्ष दूर स्थित इस पिंड से हर 18 मिनट में तीव्र विकिरण निकल रहा था। उन क्षणों में यह ‘ब्रह्मांडीय प्रकाश स्तंभÓ की तरह रेडियो तरंगों का सबसे चमकदार स्रोत बन गया था, जिसे पृथ्वी से भी देखा जा सकता था। खगोल वैज्ञानिकों का ख्याल है कि यह या तो किसी ढह चुके तारे का अवशेष है या कुछ और है।
दरअसल, तारे के अवशेष भी दो तरह के हो सकते हैं। या तो यह अवशेष किसी न्यूट्रॉन तारे का है या एक प्रबल चुंबकीय क्षेत्र वाले एक छोटे तारे (वाइट ड्वार्फ स्टार) का है। इस खोज का विवरण नेचर पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। इस अध्ययन की प्रमुख लेखक और ऑस्ट्रेलिया के कर्टिन विश्वविद्यालय की खगोल भौतिकविद नताशा हर्ले-वॉकर ने कहा कि हमारे पर्यवेक्षण के दौरान यह पिंड कुछ-कुछ घंटों में प्रकट होता रहा और गायब होता रहा। यह हमारे लिए अप्रत्याशित घटना थी। कर्टिन विश्वविद्यालय के शोधकर्ता टायरोन डोहर्टी ने पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया स्थित मर्चिसन वाइडफील्ड टेलीस्कोप की मदद से इस अनोखे पिंड की खोज की।
इस बीच, मिल्की-वे के मध्य भाग की टेलीस्कोप से ली गई तस्वीर में करीब 1000 रहस्यमय लडिय़ों का पता चला है जो अंतरिक्ष में लटकती हुई प्रतीत होती हैं। 150 प्रकाश वर्ष तक फैली हुई ये लडिय़ां, जोड़ों या झुंड में हैं और हार्प वाद्य यंत्र के तारों की तरह समान दूरी पर स्थित हैं। अमेरिका की नार्थ वेस्टर्न यूनिवर्स यूनिवर्सिटी के खगोल वैज्ञानिक फरहद यूसफ-जादेह ने सबसे पहले अस्सी के दशक में मिल्की-वे में चुंबकीय लडिय़ों का पता लगाया था। तब से इनकी उत्पत्ति को लेकर एक बड़ा रहस्य बना हुआ था अब टेलीस्कोप से ली गई नई तस्वीर में दस गुणा ज्यादा लडिय़ां दिखाई दे रही हैं। नई जानकारी से इन लडिय़ों के रहस्य को सुलझाने में मदद मिलेगी।
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।

लता मंगेशकर – सुरीले सुरों की मूरत के ओझल हो जाने के मायने

उमेश त्रिवेदी –
बानवे साल की उम्र में लता मंगेशकर का चले जाना न हैरान करता है, ना ही हतप्रभ करता है। घटनाक्रम ऐसा कुछ नही हैं, जिसका एहसास लोगों को पहले से नहीं था या जिसके लिए लोग मानसिक रूप से तैयार नही थे। नियति का यही तकाजा था, जिसे रोक पाना मेडिकल साईंस के सामर्थ्य से बाहर था। इसके बावजूद उनके चले जाने की खबर को दिमाग आसानी से जब्त नहीं कर पा रहा है। एक अजीबोगरीब गुमसुम चुप्पी हमारे जैसे कई लोगों के जहन में बरबस चस्पा हो गई है।
लता मंगेशकर के हमारे बीच सशरीर मौजूद होने के मायने के भिन्न थे। भले ही अर्से से उनकी आवाज खामोश थी, फिर भी उनकी आवाज की अनुगूंज में एक दिव्य और दैविक ऊर्जा थी, जो जिंदगी की धड़कनों को रवानी देती थी, समय के तकाजों को मुस्कराहटट देती थी। घर-आंगन में जब तक मां की आवाज हरकत मे रहती है, तब तक हर व्यक्ति की जिंदगी चहकती रहती है। सभी जानते है कि मां की आवाज के खामोश हो जाने के बाद आंगन कितने भुतहे और सूने हो जाते हैं? ममत्व और प्यार से सराबोर सुरों की प्रतिमूर्ति लता मंगेशकर का ओझल हो जाना घर-आंगन की रौनक को बियबान में तब्दील करने जैसा ही है। उनके असंख्य मुरीदों के दिलों के हालात भी एक अनचाहे सूनेपन की चपेट मे हैं। लोगो के दिलों मे अनवरत बहने वाले सुरों की निर्झर धारा में यह खलल रास नहीं आ रहा है। मन की गहराइयों में गीतों की स्वर-लहरियों का सिलसिला टूट सा रहा है। उनके अनगिनत गीतों के मुखड़ों की तरन्नुम मन की गहराइयों को भिगोने सी लगी है।
कहा जाता है चौबीस घंटे के समय-चक्र में कोई पल ऐसा नहीं होता है, जब लता मंगेशकर की आवाज खामोश होती हो। दुनिया में कहीं भी, किसी भी कोने मे लता मंगेशकर के गीतों का कोई रिकार्ड अवश्य बज रहा होता है। भारत की आजादी के बाद जन्में ज्यादातर लोगों की अभिव्यक्तियों ने लता मंगेशकर की सुर-लहरियों के सहारे उड़ाने भरी हैं। उनींदी आंखो से अनगिन मांओ ने उनकी लोरी को गुनगुनाया है, तो भाई-बहनों ने एक-दूसरे की रक्षा की कसमें खाईं है, हरी-भरी वादियों में प्रेमी-जोड़ो ने उनके प्रणय-गीतों के सहारे खुद को अभिव्यक्त किया है, तो आमजनों ने उनके गीतों के माध्यम से वतनपरस्ती का मूल-मंत्र सीखा है। वतन को लोगों ने आंखो मे पानी भरकर शहीदों को याद करने का सबक लता मंगेशकर से ही सीखा है।
जाने-अनजाने लता मंगेशकर अधिकांश भारतीयों की जिंदगी का हिस्सा थीं, जिनके साथ वो आशाओं की परवान चढ़ता था, निराशों से जूझता था, प्रेम-पत्र लिखता था, मां-बेटों के रिश्तों को प्राण देता था, विरहृ-गीतों को गुनगुनाता था, बादलों को उलाहने देता था, कौओं से अतिथियों का पता पूछता था, प्रणय के पलछिनों में चहकता था, सावन के हिंडोलों पर इतराता था, शादियों मे बाबुल की दुआओं को कबूल करता था। लता मंगेशकर अपने गीतों के जरिए आम लोगों की जिंदगी के हर पहलू को भिगोती रही हैं। लोगों की निजता और निजी जीवन में लता का सुरीला हस्तक्षेप एक अदभूत कथानक है, जो अपने आप में शोध का विषय हो सकता है। कवि प्रदीप व्दारा रचित गीत ‘ऐ मेरे वतन के लोगों ‘ सुनकर तो देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की आंखे भर आईं थीं, लेकिन इससे बड़ा सच यह है कि लता मंगेशकर ने अपने गीतों के जरिए असंख्य लोगों को हंसाया-रूलाया है।
उनकी शख्सियत का कोई भी तकनीकी पहलू अज्ञात नही हैं। लता ने अपनी जिंदगी के सफर में पांच साल रंगमंच किया, साठ सालों तक तीस हजार गीतों के साथ जिंदगी का सफरनामा लिखा और हमसे विदा हो गईं। लता मंगेशकर के जाने के बाद उनके बारे में औपचारिक और अनौपचारिक चर्चाओं का जलजला अथवा तूफान धीरे-धीरे थम जाएगा। जो लोग उन्हें जानते थे या जिन्हे वो जानती थी, उनकी प्रतिक्रियाओं में, बातों में लता मंगेशकर के बखान की औपचारिक परतों की मियाद मीडिया के गलियारों अथवा टीवी स्क्रीन के जरूरतों के हिसाब से छोटी-बड़ी हो सकती है, लेकिन लता मंगेशकर की संगीत-साधना का पक्ष उन्हें शाश्वत बनाता है। चौंसठ कलाओं की व्याख्या में संगीत को सर्वश्रेष्ठ कलाओं में गिना जाता है। इसे श्रेष्ठ इसलिए माना जाता है कि इस विधा में कलाकार और समाज के बीच सीधी संवाद और संप्रेषण होता है। कला और समाज के बीच संगीतमय संप्रेषण को सार्थक और सफल बनाने के लिए अथक साधना की आवश्यकता होती है। शास्त्रों में लिखा है कि चाहे संगीत हो, साहित्य हो, अथवा चित्रकारी, चौंसठ कलाओ में किसी भी कला के सफल सृजन के लिए कलाकार को मन से पवित्र, विशुध्द,निर्दोष, निस्पृह, निर्लिप्त होना जरूरी है। इन सभी शास्त्रोक्क गुणों ने लता मंगेशकर का मस्ताभिषक किया था। शायद इसीलिए वो आमजनों के दिलों में धड़कती थी।

थमा सुरों का करिश्मा

आखिर महामारी ने एक अनमोल भारत-रत्न हमसे छीन लिया। कोविड से संक्रमित होने के बाद वे करीब एक माह से मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती थीं। जिन लता मंगेशकर की वाणी में सरस्वती बसती थीं, उसी सरस्वती के दिन वसंत-पंचमी को वे वेंटिलेटर पर चली गईं। रविवार की सुबह उन्होंने आखिरी सांसें लीं। इस महान पार्श्व गायिका ने भारतीय फिल्म संगीत को नये आयाम दिये। तभी उन्हें ‘स्वर साम्राज्ञी’ व भारत की ‘सुर कोकिला’ जैसे न जाने कितने नाम से पुकारा जाता रहा। जिस लता को कभी औपचारिक शिक्षा का मौका नहीं मिला, उन्होंने 36 भारतीय भाषाओं में करीब आधी सदी तक हजारों गाने गाये। दरअसल, लता मंगेशकर के गाये गीत आम भारतीय के जीवन में रच-बस गये। उनके गाये गीतों को जहां संगीत विशेषज्ञों ने सराहा, वहीं आम आदमी उनसे सीधा जुड़ता रहा। उनकी आवाज की तुलना मोतियों तथा पारदर्शी क्रिस्टल से होती रही। उनके गाये गीतों ने करोड़ों भारतीयों के जीवन में खुशियां भरीं। भारत ही नहीं, पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में उन्हें वही सम्मान मिला। एक बार अमिताभ बच्चन से किसी पाकिस्तानी ने कहा- हम बहुत खुश हैं, सब कुछ है, मगर ताजमहल व लता मंगेशकर की कमी खलती है। उनके गाये गीत करोड़ों लोगों की जिंदगी का संगीत बने। तभी उनके निधन पर पूरा देश गमगीन है। दुनिया के तमाम देशों से उनके लिये श्रद्धांजलि संदेश आ रहे हैं।
लता मंगेशकर का जीवन शुरुआत से ही इतना सुखमय व सहज-सरल नहीं रहा। कामयाबी की ऊंचाइयां छूने से पहले उनका जीवन तकलीफ, तिरस्कार व संघर्ष भरा रहा। आर्थिक तंगी के बीच पिता दीनानाथ मंगेशकर का अवसान और पारिवारिक जिम्मेदारी का बोझ संभालना पड़ा लता को। शास्त्रीय संगीत विरासत में मिला, मगर वह दौर संगीत के जरिये घर चलाने लायक नहीं था। मराठी व हिंदी फिल्मों में मन मारकर अभिनय भी किया। अपनी आवाज को स्थापित करने के लिये बड़ा संघर्ष किया। गुलाम हैदर जैसे लोगों ने उन्हें समझाया कि पतली आवाज बताकर जो लोग आज तुम्हें खारिज कर रहे हैं, वे ही आने वाले कल में तुम्हारे मुरीद होंगे। लता को प्रेरित करने वाले गुलाम हैदर व नूरजहां कालांतर पाक चले गये, लेकिन उनकी भविष्यवाणी सच हुई। लता ने अपनी आवाज को संवारा, परिवार को उबारा और फिल्म संगीत की दुनिया में अपनी विशिष्ट जगह बनायी। निस्संदेह कल कई गायिकाएं आएंगी, लेकिन वे लता मंगेशकर नहीं हो सकतीं। सही मायनों में भारत रत्न! गीत के भाव और नजाकत को आवाज में पिरोने का हुनर सिर्फ लता के ही पास था। वर्ष 1989 में उन्हें दादा साहब फाल्के तथा 2001 में भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न मिला। मगर पुरस्कारों से बढ़कर वे करोड़ों भारतीयों के दिलों में राज करती रहीं। निस्संदेह लता मंगेशकर के सुरों के करिश्मे को शब्दों में बयां करना कठिन ही है। उन्हें सिर्फ गायिका या संगीत जगत का प्रतिनिधि चेहरा ही नहीं कहा जा सकता, बल्कि सही मायनों में वे भारतीयों के अवचेतन में रच-बस गई थीं। वे भारतीय काव्यधारा का हिस्सा थीं।

माननीय राज्यपाल श्री रमेश बैस ने स्वर कोकिला भारत रत्न लता मंगेशकर के निधन पर गहरा दुःख व शोक प्रकट किया  है

उन्होंने कहा कि लता जी ने अपने गायन से पूरे विश्व में अमिट पहचान स्थापित की। भारतीय संगीत में उनके अतुलनीय योगदान को सदा स्मरण किया जायेगा। प्रखर देशभक्त व प्रेरणादायी व्यक्तित्व लता जी का जाना पूरे देशवासियों एवं कला जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। राज्यपाल महोदय ने कहा कि पूरी दुनिया के संगीतप्रेमी आज उदास हैं। उनकी सुरीली आवाज हमेशा हमारे बीच गूंजती रहेगी। उन्होंने इस महान पुण्यात्मा के प्रति भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि ईश्वर शोकाकुल परिजनों एवं उनके असंख्य प्रशंसकों को इस दुःख को सहने की शक्ति प्रदान करें।

कुमारी लता मंगेशकर के निधन पर 2 दिवसीय राजकीय शोक

राँची,  गृह मंत्रालय, भारत सरकार के निदेशानुसार झारखंड सरकार, मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग (समन्वय) द्वारा सूचित किया गया है कि कुमारी लता मंगेशकर का निधन हो गया है। उनके सम्मान में भारत सरकार द्वारा दिनांक 06 फरवरी 2022 से दिनांक 07 फरवरी 2022 तक दो दिवसीय राजकीय शोक मनाने का निर्णय लिया गया है।

उक्त तिथि को झारखंड राज्य के उन सभी भवनों, जहाँ नियमित रूप से राष्ट्रीय ध्वज फहराये जाते  है, पर राष्ट्रीय ध्वज आधे झुके रहेंगें एवं किसी भी प्रकार के राजकीय समारोह का आयोजन नहीं किया जाएगा।

मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन ने स्वर कोकिला लता मंगेशकर जी के निधन पर गहरी संवेदना जताई,  कहा -देश के लिए अपूरणीय क्षति

*मुख्यमंत्री ने कहा- लता जी भले ही हमारे बीच नहीं है, लेकिन उनकी आवाज हमेशा हमारे दिलों पर राज करेगी

मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन ने भारतरत्न स्वर कोकिला लता मंगेशकर जी के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है ।  मुख्यमंत्री ने कहा कि लता जी के निधन से मर्माहत हूं।  यह देश और देशवासियों के लिए अपूरणीय क्षति है। आज हर किसी की आंखें नम है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने  विभिन्न भाषाओं में लगभग तीस हज़ार गानों को अपनी सुरीली आवाज दी थी । उनकी आवाज ही उनकी पहचान थी ।  आज उनके हमारे बीच नहीं होने से सुरों का एक कारवां थम सा गया है। लेकिन, वे अपनी आवाज से हमेशा हमारे दिलों में राज करेंगी। लता जी भले ही इस दुनिया में अब नहीं है, लेकिन उनके गाने हमेशा उनकी याद दिलाती रहेगी। परमात्मा दिवंगत पुण्यात्मा को अपने चरणों में स्थान दे एवं उनके असंख्य प्रशंसकों को दुख सहन करने की शक्ति प्रदान करें।

रुला गया लता दीदी का जाना

28 सितंबर 1929 दिन शनिवार को लता दीदी इंदौर की धरा पर अवतरित हुई थीं और संयोग ही है कि बसंत पंचमी 5 फरवरी 2022 दिन शनिवार को उनकी हालत बेहद नाजुक हो गई और वो कोमा में चली गईं उसके बाद 6 फरवरी रविवार को उनके निधन का समाचार हृदय को व्यथित कर गया। हुई आंखें नम और दिल भर आया। सरस्वती पूजा के अगले ही दिन सरस्वती का स्वर और गायन थम गया। जानकारी के अनुसार सुबह 8.12 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। आठ जनवरी को वह कोरोना संक्रमित हुई थीं। खराब स्वास्थ्य की समस्या से जूझ रहीं  92  वर्षीय लता जी पिछले करीब एक महीने से मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती थीं। अपने लगभग 78 साल के करियर में करीब 25 हजार गीतों को अपनी आवाज देने वाली लता मंगेशकर को कई पुरस्कारों और सम्मानों से नवाजा गया था। तीन बार उन्होंने राष्ट्रीय अवार्ड अपने नाम किया था। अपनी मधुर आवाज से लोगों को मोह लेने वाली लता मंगेशकर को प्रतिष्ठित भारत रत्न और दादा साहेब फालके अवार्ड से भी सम्मानित किया गया था। लता जी का निधन संपूर्ण कला जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। बॉलीवुड में आज सन्नाटा पसरा हुआ है। जिसकी वजह स्वर कोकिला लता मंगेशकर का यूं अचानकर इस दुनिया को अलविदा कहकर चले जाना है। स्वर कोकिला के निधन से आम हो या फिर खास हर किसी की आँख नम है।

प्रस्तुति – काली दास पाण्डेय

विलुप्त होते औषधीय पौधो को नया जीवन दे रही औषधीय वाटिका

*कोरोनाकाल में वरदान साबित हुई औषधीय वाटिका

 *राज्य में 17 जिलो के 35  प्रखंडों में 6500 दीदियां औषधीय वाटिका से जुड़ीं

 रांची, खूंटी के बिरहु बड़का टोली की अनिता सांगा ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि तुलसी , गिलोय , चिरोंजी, सतावर, घोडवार आदि औषधीय पौधों की नर्सरी उनकी आजीविका का साधन बन सकता है। नवीन आजीविका किसान उत्पादक समूह की सदस्य अनिता सांगा आज 50 से अधिक औषधीय पौधों की खेती कर कर रही हैं । पहले सिर्फ वनोपज आधारित आजीविका पर निर्भर अनिता सखी मंडल की महिलाओं के साथ मिल कर औषधीय पौधों और फलों की नर्सरी कर अच्छी आमदनी कर रही रही हैं। अनिता की नर्सरी के पौधे आज औषधीय वाटिका से जुड़ी सखी मंडल के दीदियों की इम्युनिटी बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। झारखण्ड स्टेट लाईवलीहुड प्रमोशन सोसाईटी के तहत औषधीय एवं सुगंधित पौधो की खेती की पहल से जुड़कर अनिता जैसी कई महिलाएं औषधीय पौध नर्सरी का संचालन कर रहीं हैं। वहीं हजारों महिलाएं अपने घरों में औषधीय वाटिका बनाकर अपने परिवार को स्वस्थ जीवन का उपहार दे रही हैं। इस पहल से एक ओर जहां ग्रामीण महिलाओं को औषधीय पौधे सस्ते दर पर नर्सरी के माध्यम से उपलब्ध हो रहे हैं, वहीं राज्य की जनजातीय चिकित्सा पद्धति होड़ोपैथी को पुनर्जीवित कर लोगों को प्राकृतिक उत्पादों के जरिए रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाने में वरदान साबित हो रहा है।

 *कोरोनाकाल में वरदान साबित हुई औषधीय वाटिका

 औषधीय वाटिका का लक्ष्य सखी मंडल की दीदियों के जरिए पुरातन प्राकृतिक उपायों से रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना एवं रोग निवारक उपायों को बढ़ावा देना है। इससे एक ओर जहां नेचुरोपैथी एवं होड़ोपैथी को पुनर्जीवित किया जा रहा है, वहीं गांव की महिलाएं आमदनी भी कर रही हैं। हज़ारीबाग जिले के दारु प्रखंड अंतर्गत पेटो गांव की आशा देवी पिछले डेढ़ साल से औषधीय वाटिका परियोजना से जुड़ कर न सिर्फ कोरोना के कठिन समय में कारगर तुलसी , गिलोय, हरसिंगार सहित 30  से ज्यादा औषधीय पौधों की खेती कर अपने परिवार और आसपास के लोगो की मदद की, बल्कि इन औषधीय पौधों की बिक्री के जरिए कुछ आमदनी भी कर लेती हैं।

 *17 जिलो के 35  प्रखंडों में 6500 किसानों के साथ चल रही परियोजना

 पिछले कुछ दशकों में होडोपैथी औषधीय पौधो की कमी के कारण विलुप्ति के कगार पर पहुंच गयी थी। ऐसे में झारखण्ड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाईटी ने महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना अंतर्गत औषधीय वाटिका पहल के जरिये प्राचीन औषधीय चिकत्सा प्रणालियों को पुनर्जीवित कर इसके संरक्षण को बढ़ावा दिया है। वर्तमान में परियोजना राज्य के 17 जिलों के 35  प्रखंडों में 6500 किसानों के साथ चलाई जा रही है। इसके अंतर्गत 30 से अधिक औषधीय और सुंगधित पौधों जैसे  हर्रा, बहेड़ा, करंज, कुसुम, लेमनग्रास  आदि को बढ़ावा दिया जा रहा  है, जो मुख्य रूप से औषधीय वाटिका के तहत उगाए जाते हैं। इसके अलावा वन आधारित औषधीय पौधों का वैज्ञानिक संग्रहण, खेती तथा सुगंधित पौधे को बढ़ावा देकर राज्य में आजीविका के नये अवसर उत्पन्न करने का प्रयास भी जोरो पर है।

 

सखी मंडल की बहनों को औषधीय पौधों की खेती से जोड़कर सशक्त अभिनव आजीविका का अवसर उपलब्ध कराया जा रहा है। अब तक करीब 10 औषधीय पौधो की नर्सरी का संचालन ग्रामीण महिलाओं के द्वारा किया जा रहा है। आने वाले दिनों में नेशनल मेडिसिनल प्लान्ट बोर्ड के साथ अभिसरण के जरिए 50 से ज्यादा नर्सरी की स्थापना का लक्ष्य है। इस पहल से करीब 11 हजार ग्रामीण परिवार औषधीय वाटिका से जुड़ेंगे, जिसका लाभ एक लाख से ज्यादा परिवारों को होगा।

माली में फंसे झारखण्ड के 33 श्रमिकों में से सात श्रमिकों की हुई झारखण्ड वापसी

*श्रमिकों को कंपनी द्वारा किया जायेगा वेतन का भुगतान

रांची, मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन के आदेश के बाद वेस्ट अफ्रीका के माली में फंसे गिरिडीह और हजारीबाग के 33 श्रमिकों में से सात श्रमिक दिलीप कुमार, छेदीलाल महतो, संतोष महतो, लालमणि महतो, इन्द्रदेव ठाकुर, लोकनाथ महतो और इन्द्रदेव प्रसाद की झारखण्ड वापसी हो गई। श्रमिकों के दूसरे समूह की रविवार को माली से रवाना होने की संभावना है।

 *ये था मामला

 जनवरी 2022 में सोशल मीडिया के माध्यम से श्रमिकों ने अपनी स्थिति से मुख्यमंत्री और श्रम मंत्री को अवगत कराया गया। मुख्यमंत्री को बताया गया कि वे सभी वर्ष 2021 से कल्पतरु पावर ट्रैन्ज़्मिशन लिमिटेड में फिटर के रूप में कार्यरत हैं। ठेकेदार ने उनका पासपोर्ट जब्त कर रखा है और वह भारत वापस आ चुका है। तीन महीने से ज्यादा हो गया है, लेकिन उन्हें वेतन नहीं दिया गया एवं उनके पास दो दिन का खाना ही बचा था। मामले पर संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री ने राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष को श्रमिकों की सुरक्षित वापसी का आदेश दिया। इसके बाद राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष द्वारा कंपनी के कंट्री हेड एवं मेनेजर से संपर्क कर उन्हें श्रमिकों की समस्या से अवगत कराते हुए उनके खाने की उचित व्यवस्था और वेतन का भुगतान करने को कहा गया।

 *हुआ समझौता

 मामले की गंभीरता को देखते हुए माली स्थित भारतीय दूतावास से संपर्क कर घटना से अवगत कराया गया। दूतावास द्वारा कंपनी, ठेकेदार एवं श्रमिकों के प्रतिनिधियों को दूतावास कार्यालय बातचीत के लिए बुलाया गया। इसके बाद तीनों पक्ष के प्रतिनिधि द्वारा दूतावास कार्यालय में समझौता पत्र में हस्ताक्षर किया गया और श्रमिकों की वापसी सुनिश्चित हुई।

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