कहीं खत्म न हो जाए गरीबों का रिजर्वेशन

वेदप्रताप वैदिक –
आजकल सर्वोच्च न्यायालय में मलाईदार परत (क्रीमी लेयर) को लेकर जोरदार बहस चल रही है। कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि क्रीमी लेयर का पैमाना सबके लिए एक-जैसा क्यों हो? उसने पूछा है कि 8 लाख रुपये की सालाना आमदनी की सीमा सब पर एक-जैसी क्यों थोपी गई है? ऊंची जातियों के गरीब लोगों को जो 10 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है, उसका आधार क्या है? गरीब पिछड़ों और गरीब अगड़ों को एक ही तुला पर क्यों तोला जा रहा है? सरकार ने संकेत दिए हैं कि वह 8 लाख रुपये की सीमा को बढ़ाकर 12 लाख करना चाहती है। यानी जिन परिवारों की आमदनी 1 लाख रुपये प्रतिमाह से कम है, उनके सदस्यों को सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण दिया जाए। यदि यह छूट दोनों वर्गों को समान रूप से दी जाएगी तो क्या अन्य पिछड़े वर्ग के साथ अन्याय नहीं होगा?
कमजोर आधार
अदालत का कहना है कि जो लोग सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े हुए हैं, क्या सरकार ने विस्तृत जांच करके मालूम किया है कि वे लोग ऊंची जातियों या सवर्णों की तरह ही वंचित हैं? क्या उनकी वंचना या गरीबी ऊंची जाति के लोगों की गरीबी और वंचना-जैसी ही है? सचाई तो यह है कि सरकार ने इस तरह का कोई भी व्यवस्थित अध्ययन अभी तक नहीं करवाया है। ऐसे में यही आशंका है कि कहीं सरकार ऊंची जातियों के इस 10 प्रतिशत आरक्षण को खत्म ही न कर दे।
यह आरक्षण 2019 में मोदी सरकार ने संविधान में 103 वां संशोधन करके स्वीकृत करवाया था। जब यह प्रावधान पहले कांग्रेस सरकार करवाना चाहती थी, तब सर्वोच्च न्यायालय ने इसे रद्द कर दिया और कहा कि संविधान आर्थिक पिछड़ेपन को मान्यता नहीं देता है। अब डर यह है कि सरकार कहीं इस प्रावधान को ही ताक पर न रख डाले। बीजेपी सरकार, जो जातीय वोटों पर कभी आधारित नहीं रही, उसने अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करते समय कुछ हफ्ते पहले अपने नए मंत्रियों की जातीय पहचान पर भी जोर दिया था। सरकार को ज्यादा सुविधा इसी हल में महसूस होगी कि वह 10 प्रतिशत का यह विशेष कोटा खत्म कर दे, क्योंकि आरक्षण के आर्थिक आधार को सिद्ध करना बड़ा पेचीदा मामला है। जो आर्थिक आधार एक राज्य में जीवन-यापन के लिए पर्याप्त है, वही दूसरे राज्य में अपर्याप्त हो सकता है। एक ही राज्य के दो जिलों में भी प्रति व्यक्ति आमदनी और खर्च में काफी अंतर हो सकता है। गांव और शहर तथा नगर और महानगर में भी काफी अंतर होता है। इसीलिए अकेले आर्थिक आधार पर आरक्षण की सीमा कैसे बांधी जा सकती है और यदि बांधी ही गई तो उसके दर्जनों संस्करण सरकार और लोगों को तंग करके रख देंगे।
अभी वास्तव में आर्थिक आधार पर आरक्षण मांगने वालों की संख्या 10 प्रतिशत से कम ही रही है। यह आरक्षण दो साल पहले शुरू हुआ था। अभी भी ऊंची जातियों के गरीब लोगों को आरक्षण की यह कला पूरी तरह आकर्षित नहीं कर सकी है लेकिन ज्यों-ज्यों समय गुजरेगा, यह मांग 10 प्रतिशत से भी ज्यादा बढ़ सकती है। अगड़ी जातियों के ये गरीब लोग शिक्षित और जागरूक ज्यादा होते हैं। वे अपने विशेषाधिकारों के लिए नया राजनीतिक अभियान भी छेड़ सकते हैं। इस समय देश में अनुसूचितों और पिछड़ों की संख्या देश के अगड़ों से कई गुना ज्यादा है। जो सरकार लोकप्रिय बने रहना चाहती है और वोट-प्राप्ति ही जिसकी प्राणवायु है, वह देश की बहुसंख्या को खुश रखने के लिए जो कुछ कर सकती है, जरूर करेगी।
हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि अगड़ों को जब पिछड़ों के बाद 10 प्रतिशत का आरक्षण दिया गया तो उनके पैरों में काफी चुभीली जंजीरें बांध दी गई थीं। अगड़ों की आठ लाख रुपये की वार्षिक आय में उनका वेतन जोड़ा जाता रहा है जबकि पिछड़ों को जो वेतन मिलता है, वह नहीं जोड़ा जाता है। यदि वे किसान हैं तो उनकी खेती की आय भी नहीं जोड़ी जाती है। पिछड़ी जातियों में मालदार किसानों की भी कमी नहीं है। अदालत के जोर देने पर यह संभव है कि सरकार दोनों वर्गों को दी जा रही सुविधाओं और रियायतों पर शीघ्र ही पुनर्विचार करे और अदालत के सामने आरक्षण का नया नक्शा पेश कर दे।
यहां मूल प्रश्न यह है कि यह जातीय आरक्षण और गरीबी-आरक्षण कब तक चलता रहेगा? यह तो ठीक है कि सदियों से चले आ रहे जातीय भेदभाव से भारतीय जनता को मुक्त करने के लिए ही हमारे संविधान निर्माताओं ने आरक्षण का प्रावधान किया था लेकिन स्वयं डॉ. आंबेडकर की इच्छा के विपरीत यह अल्पकालिक दवाई भारत की सर्वकालिक खुराक बन गई है। इसमें मु_ीभर लोगों को आरक्षण का झांसा देकर करोड़ों गरीबों को जस का तस सड़ते रहने के लिए मजबूर कर दिया है। मेहनतकश मजदूर लोग, वे किसी भी जाति या मजहब के हों या किसी भी गांव या शहर के हों, गरीबी का नरक भोगने के लिए विवश हैं।
गाढ़ा होता जातिवाद
नौकरियों और शिक्षा में जातीय आरक्षण ने हमारे देश में जातिवाद के जहर को पहले से भी गाढ़ा कर दिया है। कोई भी पार्टी जातिवाद का सहारा लिए बिना चुनाव की वैतरणी पार नहीं कर सकती। जातिवाद के जहर से भारत के सभी धर्म त्रस्त हैं। जो धर्म, जातियों को मानते ही नहीं, उनमें भी जातीय ऊंच-नीच का भाव जीवित है। भारत ही नहीं, मैंने भारत के पड़ोसी देशों में भी देखा है कि जातिवाद ने उनके सामाजिक जीवन को डस रखा है। यदि भारत में शिक्षा और चिकित्सा लगभग मुफ्त कर दी जाए और वह सबको समान रूप से उपलब्ध हो तो नौकरियों में जातीय आरक्षण की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। जिन्हें पिछड़ा और अनुसूचित कहते हैं, वे लगभग 100 करोड़ लोग कुछ ही वर्षों में भारत को एक महाशक्ति और महासंपन्न राष्ट्र में परिवर्तित कर सकते हैं।

कॉमन रूम : कानून है फिर भी लड़नी पड़ रही हक की लड़ाई

देवेन्द्रराज सुथार –
पिछले दिनों कोलकाता पुलिस में इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा का विज्ञापन निकला तो पल्लवी ने इस परीक्षा में बैठने का मन बना लिया। जब उसने आवेदन पत्र डाउनलोड किया तो उसमें जेंडर के केवल दो ही कॉलम थे एक पुरुष और दूसरा महिला। मजबूरन उनको हाईकोर्ट की शरण में जाना पड़ा।
अपने वकील के जरिए उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की और 2014 के ट्रांसजेंडर एक्ट और सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए अपनी दलील रखी। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के अधिवक्ता से इस मामले पर राय पेश करने को कहा। अगली तारीख पर राज्य सरकार के अधिवक्ता ने हाईकोर्ट को बताया कि सरकार आवेदन के प्रारूप में पुरुष और महिला के साथ-साथ ट्रांसजेंडर कॉलम रखने के लिए सहमत हो गई है। अब पल्लवी पुलिस अफसर बनें या ना बनें, उन्होंने भारत भर के ट्रांसजेंडर्स के लिए एक खिड़की तो खोल ही दी है।
ऐसे ही पुलिस में भर्ती होने वाली देश की पहली ट्रांसजेंडर और तमिलनाडु पुलिस का हिस्सा पृथिका यशिनी की ऐप्लिकेशन रिक्रूटमेंट बोर्ड ने खारिज कर दी थी, क्योंकि फॉर्म में उनके जेंडर का विकल्प नहीं था। ट्रांसजेंडर्स के लिए लिखित, फिजिकल परीक्षा या इंटरव्यू के लिए कोई कट-ऑफ का ऑप्शन भी नहीं था। इन सब परेशानियों के बावजूद पृथिका ने हार नहीं मानी और कोर्ट में याचिका दायर की। उनके केस में कटऑफ को 28.5 से 25 किया गया। पृथिका हर टेस्ट में पास हो गई थी, बस 100 मीटर की दौड़ में वह 1 सेकेंड से पीछे रह गई। मगर उनके हौसले को देखते हुए उनकी भर्ती कर ली गई। मद्रास हाईकोर्ट ने 2015 में तमिलनाडु यूनिफॉर्म्ड सर्विसेज रिक्रूटमेंट बोर्ड को ट्रांसजेंडर समुदाय के सदस्यों को भी मौका देने के निर्देश दिए। इस फैसले के बाद से प्रवेश फॉर्म के जेंडर में तीन कॉलम जोड़े गए।
तमिलनाडु में ही क्यों, राजस्थान में भी यही हुआ था। जालोर जिले के रानीवाड़ा इलाके की गंगा कुमारी ने वर्ष 2013 में पुलिस भर्ती परीक्षा पास की थी। हालांकि, मेडिकल जांच के बाद उनकी नियुक्ति को किन्नर होने के कारण रोक दिया गया था। गंगा कुमारी हाईकोर्ट चली गईं, और दो साल के संघर्ष के बाद उन्हें सफलता मिली। ये फैसले बताते हैं कि जरूरत इस बात की है कि समाज के हर व्यक्ति का नजरिया बदले नहीं तो कुर्सी पर विराजमान अधिकारी अपने नजरिए से ही समुदाय को देखेगा।
2011 की जनगणना के अनुसार हमारे देश में लगभग पांच लाख ट्रांसजेंडर्स हैं। अक्सर इस समुदाय के लोगों को समाज में भेदभाव, फटकार, अपमान का सामना करना पड़ता है। अधिकांश लोग भिखारी या सेक्स वर्कर के रूप में अपनी जिंदगी गुजारने को मजबूर हैं। 15 अप्रैल, 2014 को सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने थर्ड जेंडर को संवैधानिक अधिकार दिए और सरकार को इन अधिकारों को लागू करने का निर्देश दिया। उसके बाद 5 दिसंबर, 2019 को राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद थर्ड जेंडर के अधिकारों को कानूनी मान्यता मिल गई।
लैंगिकता पर सभी देशों में चर्चा होती है, उन्हें समान अधिकार और स्वतंत्रता दिए जाने की वकालत होती है। बावजूद इसके लिंग के आधार पर सभी को समान अधिकार और स्वतंत्रता अभी भी नहीं मिल पाई है। 2011 की जनगणना बताती है कि महज 38 प्रतिशत किन्नरों के पास नौकरियां हैं जबकि सामान्य जनसंख्या का प्रतिशत 46 है। 2011 की जनगणना यह भी बताती है कि केवल 46 प्रतिशत किन्नर साक्षर हैं, जबकि समूचे भारत की साक्षरता दर 76 प्रतिशत है। किन्नर समाज अत्याचार, शोषण, उत्पीडऩ का शिकार है। इनको नौकरी और शिक्षा पाने का अधिकार बहुत कम मिलता है। जीवन के सुअवसर प्राप्त न होने के कारण इन्हें अपने स्वास्थ्य की समुचित देखभाल करने में भी दिक्कत आती है।
विकास के इस दौर में किन्नर समाज आज भी हाशिए पर खड़ा है। किन्नर समुदाय के विकास की अनदेखी एक गंभीर विषय है। सभी समुदायों के हक तथा अधिकारों के बारे में चर्चा की जाती है, लेकिन किन्नर समुदाय के विषय में चर्चा तक नहीं होती। हर किन्नर पल्लवी जितने मजबूत मन का भी नहीं होता कि लड़कर अपना हक ले ले। सवाल है कि आखिर वह स्थिति कब आएगी जब समाज के सामान्य सदस्यों की तरह इन्हें भी सहजता से इनका हक उपलब्ध रहेगा।

ज्ञान विज्ञान – ब्रह्मांड की गहराई को देखेगी अब एक नई आंख

मुकुल व्यास –
अमेरिकी खगोल वैज्ञानिक एडविन हबल ने सबसे पहले यह सिद्ध किया था कि हमारी मिल्की-वे आकाशगंगा के आगे दिखने वाले अनेक ऑब्जेक्ट दरअसल दूसरी आकाशगंगाओं की मौजूदगी दर्शाते हैं। तब से खगोल वैज्ञानिक यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि सबसे पुरानी आकाशगंगाएं कितनी पुरानी हैं, उनका गठन कैसे हुआ और बाद में उनमें क्या बदलाव हुए?
हबल के नाम से मशहूर हो चुके नासा के टेलिस्कोप ने ब्रह्मांड के बारे में बहुत सी नई जानकारियां हमें दी हैं। लेकिन उसके बहुत से रहस्य अनसुलझे हैं, बहुत से सवालों के जवाब खोजे जाने बाकी हैं। खगोल वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि नए जेम्स वेब टेलिस्कोप से ब्रह्मांड में ज्यादा गहराई तक झांका जा सकेगा। यह टेलिस्कोप 22 दिसंबर को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। ब्रह्मांड में दूर तक झांकने के लिए इस टेलिस्कोप में बहुत बड़ा दर्पण लगाया गया है। यह दर्पण करीब 6 मीटर चौड़ा है। इस पर एक शेड लगा हुआ है जिसका आकार टेनिस कोर्ट के बराबर है। यह शेड सूरज के विकिरण को अवरुद्ध करेगा।
इसके अलावा टेलिस्कोप में चार पृथक कैमरे और सेंसर सिस्टम हैं। यह टेलिस्कोप एक सैटलाइट डिश की तरह काम करता है। किसी तारे या आकाशगंगा से आने वाली रोशनी टेलिस्कोप के मुख में प्रवेश करेगी और प्राथमिक दर्पण से टकराकर चार सेंसरों तक जाएगी। एक सेंसर प्रकाश को विभिन्न रंगों में विभक्त करेगा और हर एक रंग की ताकत को नापेगा। एक अन्य सेंसर प्रकाश की वेवलेंथ को नापेगा। जेम्स वेब टेलिस्कोप से वैज्ञानिक यह पता लगाने की कोशिश करेंगे कि हमारी मिल्की-वे आकाशगंगा में तारों का गठन किस प्रकार होता है। साथ ही इससे सौर मंडल के बाहर दूसरे ग्रहों के वायुमंडलों का भी अध्ययन किया जा सकेगा।

इस टेलिस्कोप का एक प्रमुख लक्ष्य पर्यवेक्षण के लायक ब्रह्मांड के छोर के पास स्थित आकाशगंगाओं का अध्ययन करना है। इन आकाशगंगाओं के प्रकाश को ब्रह्मांड पार कर पृथ्वी तक पहुंचने में अरबों वर्ष लगते हैं। टेलिस्कोप से जुड़े एक वैज्ञानिक के अनुसार टेलिस्कोप द्वारा ली जाने वाली तस्वीरों में उन प्राथमिक आकाशगंगाओं को देखा जा सकेगा, जिनका गठन बिग बैंग घटना के 30 करोड़ वर्ष बाद हुआ था। बिग बैंग थियरी के मुताबिक ब्रह्मांडीय महाविस्फोट से ब्रह्मांड की शुरुआत हुई थी। बिग बैंग के बाद बने तारों के पहले जमघट को खोजना बहुत ही जटिल काम है क्योंकि ये प्राथमिक आकाशगंगाए बहुत दूर हैं और मंद दिखाई देती हैं।
वेब टेलिस्कोप के दर्पण में 16 भाग हैं और वह हबल टेलिस्कोप के दर्पण के मुकाबले 6 गुणा ज्यादा प्रकाश एकत्र कर सकता है। वेब टेलिस्कोप को पर्यवेक्षण के दौरान एक बड़ी जटिल समस्या का सामना करना पड़ेगा। चूंकि ब्रह्मांड का विस्तार हो रहा है, वे आकाशगंगाएं भी पृथ्वी से दूर जा रही हैं जिनका वैज्ञानिकों द्वारा अध्ययन किया जाएगा। दूर जाने वाली आकाशगंगाओं के प्रकाश की वेवलेंथ दृश्य प्रकाश से इंफ्रारेड लाइट में तब्दील हो जाएगी। इंफ्रारेड लाइट एक विद्युत- चुंबकीय रेडिएशन है जिसकी वेवलेंथ दृश्य प्रकाश से बड़ी होती है। वेब टेलिस्कोप इंफ्रारेड प्रकाश को डिटेक्ट कर सकता है लेकिन मंद आकाशगंगाओं को इंफ्रारेड प्रकाश में देखने के लिए टेलिस्कोप का अत्यंत ठंडा होना जरूरी है, नहीं तो वह अपना ही इंफ्रारेड रेडिएशन देखने लगेगा। इसी वजह से टेलिस्कोप के कैमरों और सेंसरों को माइनस 224 सेल्सियस तापमान पर रखने के लिए उसमें एक विशेष हीट शील्ड बनाई गई है।
जेम्स वेब टेलिस्कोप आधुनिक इंजीनियरिंग का उत्कृष्ट नमूना है। इसका विकास नासा, यूरोपियन एजेंसी और कैनेडियन स्पेस एजेंसी ने मिल कर किया है। इस प्रॉजेक्ट पर काम 1996 में शुरू हुआ था। इसे पहले 2005 में अंतरिक्ष में स्थापित किया जाना था, लेकिन प्रक्षेपण की तारीख आगे खिसकती रही। इस दौरान टेलिस्कोप के डिजाइन में सुधार होते रहे। 2016 में टेलिस्कोप के निर्माण का कार्य पूरा हुआ। इसके पश्चात इसके विस्तृत परीक्षण का दौर शुरू हुआ। 2018 में परीक्षण के दौरान टेलिस्कोप की शील्ड फट जाने के बाद नासा ने इसका प्रक्षेपण स्थगित कर दिया। मार्च 2020 में कोविड महामारी के कारण टेलिस्कोप के एकीकरण और परीक्षण के काम को स्थगित करना पड़ा। टेलिस्कोप की टीम ने अब यान की रवानगी से पहले हर उपकरण को अंतरिक्ष की विषम परिस्थितियों में आजमा कर देख लिया है।

  तीसरी लहर का खतरा

कोविड-19 वायरस के अब तक के सबसे संक्रामक रूप ओमिक्रॉन के मरीज कर्नाटक के बाद महाराष्ट्र, गुजरात और दिल्ली में भी मिले हैं। यह बात सही है कि अभी भारत में इसके मामले बहुत कम हैं, लेकिन इसकी संक्रामकता को ध्यान में रखते हुए जानकार यहां कोविड की तीसरी लहर की भविष्यवाणी करने लगे हैं। एक और दिक्कत यह है कि ओमिक्रॉन के मामले में वैक्सीन बनाने वाली कंपनियां भी अपने टीकों को लेकर श्योर नहीं हो पा रही हैं।
पिछले दिनों अमेरिकी कंपनी मॉडर्ना के सीईओ ने कहा भी था कि ओमिक्रॉन के स्पाइक प्रोटीन में इतनी बड़ी संख्या में म्यूटेशन हो रहे हैं कि यह वैक्सीन लगाने के बाद बनी एंटीबॉडीज से बचने में कामयाब हो सकता है। इससे ओमिक्रॉन को लेकर फिक्र बढ़ी है। इसके साथ यह भी कहा गया है कि ओमिक्रॉन भले ही संक्रामकता के मामले में कोविड-19 वायरस की दूसरी किस्मों से आगे है, लेकिन यह उतना जानलेवा नहीं है। यों तो इस बारे में समय के साथ अधिक जानकारी सामने आएगी, लेकिन यह मानी हुई बात है कि म्यूटेशन के साथ वायरस कम जानलेवा होता जाता है।
अभी तक दुनिया के जिन देशों में ओमिक्रॉन के मरीज मिले हैं, उनमें से किसी के भी मरने की खबर नहीं आई है। फिर भी एक्सपर्ट्स की भविष्यवाणी को देखते हुए केंद्र और राज्य सरकारों को संभावित तीसरी लहर से निपटने की तैयारी शुरू कर देनी चाहिए। इस मामले में दूसरी लहर के दौरान के सबक याद रखने होंगे, जब स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से लाचार दिख रही थी। तीसरी लहर से निपटने की तैयारियों के साथ कुछ और बातों पर भी ध्यान देने की जरूरत है। इधर, वैक्सिनेशन की रफ्तार धीमी पड़ी है। ऐसे लोगों की भी कमी नहीं, जो वैक्सीन की पहली डोज लेने के बाद दूसरी डोज लगवाने में लापरवाही बरत रहे हैं।
इस मामले में केंद्र और खासतौर पर राज्य सरकारों को खास पहल करनी होगी। राज्यों को यह भी पक्का करना होगा कि कोविड की जांच की रफ्तार धीमी ना पड़े। दूसरी लहर के बाद कोरोना के मामलों के कम होने के साथ लोग सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क लगाने को भी लेकर लापरवाह हुए हैं। याद रखना होगा कि कोविड-19 महामारी खत्म नहीं हुई है और इससे बचने का पहला उपाय सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क का प्रयोग है। सरकार को भी ओमिक्रॉन को लेकर चौकस रहना होगा। अगर इसके हॉट स्पॉट उभरते हैं तो जल्द से जल्द वहां से दूसरी जगहों पर संक्रमण रोकने के उपाय करने होंगे। दूसरी लहर के दौरान जिस तरह से पूर्ण लॉकडाउन से बचा गया, वह इकॉनमिक रिकवरी में मददगार साबित हुआ।
संभावित तीसरी लहर में यह सबक भी याद रखना होगा। आखिर में, ओमिक्रॉन को लेकर घबराने की जरूरत नहीं है। जिस तरह से दुनिया से कोरोना महामारी से निपटने के लिए रेकॉर्ड समय में वैक्सीन बनाई। जिस तरह से सामान्य जिंदगी की ओर लौटने की कोशिश हो रही है, वह काबिल-ए-तारीफ है। इसमें कोई शक नहीं है कि दुनिया ओमिक्रॉन के खतरे से भी उबर जाएगी।

आज का राशिफल

मेष : आज आपको ताजगी और स्फूर्ति का अभाव रहेगा। उसके साथ ही क्रोध की अधिकता रहेगी। इसके परिणाम स्वरूप आपका काम बिगडऩे की संभावना रहेगी। अत: गुस्से पर नियंत्रण रखना पड़ेगा। आफिस में अधिकारियों और घर में कुटुंबीजनों तथा विरोधियों के साथ वाद-विवाद में पड़े बिना मौन रहकर दिन व्यतीत करना बेहतर रहेगा।

वृष : अत्यधिक कार्यभार और खानपान में लापरवाही से आपका स्वास्थ्य खराब होगा। समय से भोजन और नींद न लेने के कारण मानसिक रूप से बेचैनी अनुभव होगी। प्रवास में विघ्न आने की संभावना होने से प्रवास न करें। निर्धारित समय कार्य पूरा नहीं कर सकने से रोष रह सकता है।

मिथुन : मौज-मस्ती और मनोरंजन की प्रवृत्तियों में आपको विशेष रुचि होगी। कुटुंबीजन मित्र मंडल या प्रिय व्यक्ति के साथ बाहर घूमने-फिरने जाने का आयोजन होगा। सार्वजनिक जीवन में मान प्रतिष्ठा की वृद्धि होगी। विपरीत लिंगीय व्यक्तियों के प्रति आकर्षण बढ़ेगा। प्रणय प्रसंगों की पूर्व भूमिका निर्मित होगी। सार्वजनिक जीवन में मान-सम्मान के अधिकारी बनेंगे।

कर्क : आज का दिन खुशी और सफलता का है। परिवार में सुख-शांति बनी रहेगी। नौकरीपेशा वालों को ऑफिस में अनुकूल वातावरण रहेगा। नौकर वर्ग औऱ ननिहाल पक्ष से लाभ होगा। स्वास्थ्य बना रहेगा। आर्थिक लाभ होगा। आवश्यक खर्च होंगे।

सिंह : आज आप शारीरिक मानसिक स्वस्थता से काम करेंगे। सृजनात्मक प्रवृत्तियों में विशेष दिलचस्पी रहेगी। साहित्य और कला के क्षेत्र में कुछ नए सृजन करके प्रेरणा मिलेगी। प्रेमीजनों एवं प्रिय व्यक्तियों के साथ मिलन मुलाकात होगा। संतानों के शुभ समाचार मिलेंगे। धार्मिक या परोपकार कार्य आपके मन को आनंदित करेंगे।

कन्या : आज आपको प्रतिकूलताओं का सामना करने के लिए तैयार रहना पड़ेगा। शारीरिक स्वास्थ्य के संबंध में शिकायत रहेगी। मन पर चिंता का बोझ रहने से मानसिक बेचैनी का अनुभव होगा। पारिवारिक सदस्यों के साथ खटराग होगा। पढ़ाई के लिए अनुकूल समय नहीं है। धन खर्च होगा।

तुला : वर्तमान समय भाग्यवृद्धि का होने से साहस और कार्य हाथ में लेने के लिए आज शुभ दिन है। योग्य जगह पर पूंजी निवेश आपको लाभदायक रहेगा। परिवार में भाई-बंधुओं के साथ आत्मीयता और मेल-मिलाप रहेगा। छोटे धार्मिक यात्रा का आयोजन कर सकेंगे।

वृश्चिक : न बोलने में नौगुण की नीति अपनाकर चलेंगे, तो पारिवारिक सदस्यों के साथ संघर्ष से बच सकेंगे। स्वास्थ्य संबंधी शिकायत रहेगी। अनावश्यक खर्च पर अंकुश लगाना आवश्यक है। विद्यार्थियों को पढ़ाई में बधाई होगी।

धनु : आज आपके निर्धारित कार्य में सफलता और आर्थिक लाभ की संभावना है। सपरिवार मांगलिक प्रसंग में उपस्थित होंगे। प्रवास की, विशेष रूप से किसी तीर्थयात्रा की संभावना है। स्वजनों के साथ मिलन आपको हर्षित करेगा।

मकर : आज आप धार्मिक और आध्यात्मिक प्रवृत्तियों में अत्यधिक व्यस्त रहेंगे। पूजा-पाठ या धार्मिक कार्य के पीछे आपका धन खर्च होगा। सगे-संबंधियों तथा परिजनों के साथ संभलकर बोलें, क्योंकि आपकी वाणी से किसी को चोट पहुंचने की संभावना है।

कुंभ : नए कार्य या आयोजन हाथ में ले सकेंगे। नौकरी धंधे में लाभ के साथ अतिरिक्त आय खड़ी कर सकेंगे। मित्र वर्ग, विशेष रूप से स्त्री मित्रों से आपको लाभ होगा। सामाजिक मंडल में आप ख्याति और प्रतिष्ठा प्राप्त कर सकेंगे। पत्नी और पुत्र की तरफ से आप सुख और संतोष अनुभव करेंगे।

मीन : आपके लिए आज का दिन शुभ फलदायक है। काम की सफलता और उच्च पदाधिकारियों का प्रोत्साहन आपके उत्साह को दोगुना करेंगे। व्यापारियों को भी व्यापार और आय में वृद्धि होगी। बकाया राशि का भुगतान होगा।
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स्वस्थ परंपराओं का निर्वहन करें पक्ष-विपक्ष

विश्वनाथ सचदेव –
पिछले दिनों हमने संविधान-दिवस मनाया था। 26 नवम्बर 1949 को देश ने अपना संविधान पूरा करके उस पर हस्ताक्षर किये थे। हमारे संविधान-निर्माताओं के ये हस्ताक्षर देश के हर नागरिक का प्रतिनिधित्व करते हैं। ये हस्ताक्षर कुल मिलाकर इस बात की सहमति और स्वीकृति हैं कि देश का संविधान सर्वोपरि है। हमारे प्रधानमंत्री कई बार इसे ‘हमारा सबसे बड़ाÓ धर्म ग्रंथ कह चुके हैं। प्रधानमंत्री मोदी जब सांसद बनकर पहली बार संसद भवन पहुंचे थे तो उन्होंने संसद भवन की सीढिय़ों पर शीश झुकाकर जनतंत्र के सर्वोच्च मंदिर को प्रणाम किया था। जनतंत्र का यह मंदिर और धर्म ग्रंथ, दोनों, हमारे देश की गरिमा के प्रतीक हैं। इनका सम्मान उन मूल्यों और आदर्शों का सम्मान है जो जनतांत्रिक व्यवस्था की महत्ता को रेखांकित करते हैं।
उस दिन जब संसद में संविधान-दिवस मनाया गया तो सांसदों को प्रधानमंत्री के अलावा राष्ट्रपति ने भी संबोधित किया था। एक चीज़ जो खलने वाली थी, वह कार्यक्रम का विपक्ष द्वारा बहिष्कार था। यह कार्यक्रम सरकार का नहीं था, पूरी संसद का था। संविधान में अपनी आस्था और निष्ठा प्रकट करने के इस अवसर को किसी भी पक्ष द्वारा राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति का माध्यम बनाना उचित नहीं कहा जा सकता। सरकार और विपक्ष दोनों का कर्तव्य बनता था कि वे इस अवसर की गरिमा और पवित्रता की रक्षा के प्रति सजग दिखाई देते। पर ऐसा हुआ नहीं। दोनों पक्षों की बराबर की भागीदारी होनी चाहिए थी इस कार्यक्रम में। सभी पक्षों को अवसर मिलना चाहिए था संविधान के प्रति अपनी निष्ठा को स्वर देने का। यह सहभागिता ही जनतांत्रिक व्यवस्था को महत्वपूर्ण बनाती है। गरिमा प्रदान करती है।
अच्छी बात है कि इस सहभागिता को संसद का सत्र प्रारंभ होने से पहले प्रधानमंत्री ने फिर से रेखांकित किया। पर इसे सुनिश्चित करने का काम भी मुख्यत: सत्ता पक्ष को ही करना होता है। पर, दुर्भाग्य से, संसद के पिछले कई सत्रों में सहभागिता की भावना का अभाव दिखाई दिया है। दोनों पक्ष इसके लिए एक-दूसरे को दोषी ठहरा सकते हैं, ठहराते भी हैं। लेकिन इस बात को नहीं भुलाया जाना चाहिए कि संसद की कार्रवाई सुचारु रूप से चले, इसका दायित्व मुख्यत: सत्तारूढ़ पक्ष पर ही होता है।
जनतंत्र में यह अवसर संसद के कामकाज में सहभागिता से परिभाषित होता है। सहभागिता का अर्थ है विचार-विमर्श में हिस्सेदारी। मुद्दों पर बहस ही वह माध्यम है, जिससे सदन में सदस्यों की सहभागिता सुनिश्चित होती है। लेकिन, जिस तरह से संसद में विवादास्पद कृषि-कानूनों की वापसी का विधेयक पारित हुआ, वह इस सहभागिता को अंगूठा दिखाने वाला काम ही कहा जा सकता है। लोकसभा में सिर्फ तीन मिनट और राज्यसभा में नौ मिनट में इन कानूनों को वापस ले लिया गया। कानूनों की वापसी करने का निर्णय लेने में सरकार को पूरा एक साल लग गया, और मिनटों में कानूनों को निरस्त कर दिया गया। कोई बहस नहीं, कोई विचार-विमर्श नहीं। तीनों कानूनों को वापस लेने की घोषणा भी प्रधानमंत्री ने सदन के बजाय मीडिया में राष्ट्र के नाम संदेश में करना बेहतर समझा। संसद को इस बारे में सरकार से सवाल-जवाब का अवसर मिलना ही चाहिए था। कानून वापस लेने के कुछ घंटे पहले ही प्रधानमंत्री ने यह कहा था कि सरकार खुले दिमाग से हर मुद्दे पर सभी सवालों के जवाब देने के लिए तैयार है।
वे तो यह भी कह चुके हैं कि सीमित समय के लिए ही सही, कुछ बहस तो राजनीतिक छींटाकशी के बगैर भी होनी चाहिए। पर सिर्फ बातों से बात नहीं बनती। संसद की गरिमा और महत्व का तकाज़ा है कि सांसदों को गंभीर बहस का अवसर मिले। मुद्दों पर विचार-विमर्श हो। संसद के पिछले सत्र में पंद्रह कानून दस मिनट से भी कम समय में पारित हुए थे। स्पष्ट है, यह काम विचार-विमर्श के बिना ही हुआ होगा। कृषि-कानूनों पर ज़रूर दोनों सदनों में लगभग दो-दो घंटे तक बहस हुई थी, पर शायद पर्याप्त नहीं था इतना समय। समुचित समय मिलता तो शायद कोई स्वीकार्य कानून बन सकते। अब भी जब कृषि कानूनों को निरस्त करने वाला विधेयक पारित हुआ तो विपक्ष की बहस की मांग को ठुकरा दिया गया।
बहरहाल, संसद के शीतकालीन सत्र का पहला ही कानून बिना किसी बहस के पारित हो, यह कोई शुभ संकेत नहीं है। उम्मीद की जानी चाहिए कि दोनों पक्ष, सरकार और विपक्ष, इस संदर्भ में अपने-अपने दामन में झाकेंगे। पर इससे भी महत्वपूर्ण बात उस मतदाता के सम्मान की है, जिसने दोनों को चुना है। कृषि कानूनों को वापस लेने के प्रधानमंत्री के निर्णय को उनके समर्थक ‘राष्ट्र-हितÓ में लिया गया ‘महानÓ निर्णय बता रहे हैं, लेकिन यह बात सदन में होती तो बेहतर होता। तब यह भी पूछा जा सकता कि कृषि-कानूनों के संदर्भ में वह क्या था जो राष्ट्र-हित में नहीं था? इस तरह के अवसर बहस से ही मिल सकते हैं। सत्तारूढ़ पक्ष और विपक्ष, दोनों को ऐसे अवसरों की संभावनाएं बढ़ाने के बारे में सोचना होगा। यह याद रखना ज़रूरी है कि बहस संसद की प्राणवायु है!

आज का राशिफल

मेष : आज के दिन का प्रारंभ का समय आनंद-प्रमोद में बीतेगा। शारीरिक और मानसिक आरोग्य अच्छा रहेगा। वाणी और व्यवहार पर संयम बरतिएगा, वह आप ही के हित में रहेगा। राग-द्वेष से दूर रहिएगा तथा अपने शत्रुओं से संभलकर चलिएगा। स्वास्थ्य भी संभालिएगा।

वृषभ : व्यवसायीजनों को यश और सफलता मिलेगी। सहकर्मचारियों का पूर्ण सहकार आप को मिल पाएगा। आर्थिक लाभ भी होगा। प्रतिस्पर्धीयों को आश्चर्य होगा। मध्याहन के बाद मनोरंजन की दुनिया में आप सैर करेंगे।

मिथुन : आज का आप का दिन बौद्धिक कार्य और चर्चा में बीतेगा। आप अपनी कल्पनाशक्ति और सृजनशक्ति को कार्य में जोड़ देंगे। शारीरिक और मानसिकरुप से सावघान रहेंगे। मध्याहन के बाद व्यावसायिक वर्ग को व्यवसाय में लाभ की संभावनाएं खडी़ होंगी।

कर्क  : हताशा मानसिक रूप से अस्वस्थ बनाएगी। जिस के कारण शारीरिक रूप से आप अस्वस्थता का अनुभव करेंगे। प्रवास के लिए आज का दिन अनुकूल नहीं है। जमीन और वाहनों से जुड़ी समस्याएं सताएंगी।

सिंह : विदेशवासियों को अच्छे समाचार मिलेंगे। धन लाभ होगा। नए कार्य के लिए अच्छा समय है। निवेशकारों के लिए दिन लाभदायी है। परंतु मध्याहन के बाद आप अधिक सहनशील बनेंगे। मानसिक हताशा का अनुभव होगा।

कन्या : वाणी पर संयम न रहेगा तो मनदु:ख के प्रसंग उपस्थित होंगे। परिवारजनों के साथ वाद-विवाद हो सकता है। शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान नहीं रख पाऐंगे। परंतु मध्याहन के बाद आप का समय अनूकुल दिखेगा। भाई-बंधुओं के साथ महत्त्वपूर्ण विषयों पर चर्चा होगी।

तुला : आज की कलात्मक और सृजनात्मक शक्ति में बहुत निर्धारपूर्वक निखार आएगा। शारीरिक और मानसिक रूप से संपूर्ण स्वस्थ रहेंगे। वैचारिक दृढ़ता और समतोल विचारधारा से कार्य को संपन्न करना सरल हो जाएगा।

वृश्चिक : आपका उग्र और असंयमित व्यवहार आपको समस्या में डाल सकता है। संबंधियों के साथ सहसा कोई अनिष्ट घटना बन सकती है। परंतु मध्याहन के बाद शारीरिक, मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रख पाएंगे। आर्थिक विषयों का व्यवस्थित रूप से आयोजन कर सकेंगे।

धनु : परिवार-जीवन में आनंद का वातावरण रहेगा। कार्य में पदोन्नति होगी। मित्रों के साथ बाहर जाना होगा। व्यापारीवर्ग को भी लाभ होगा। अविचारी कार्य अथवा व्यवहार आपको समस्या में डाल सकता है। व्यावसायिक क्षेत्र में ऊंचे स्वर में बोलने से पहले अपनी गरिमा पर ध्यान दीजिएगा।

मकर : आज का दिन गृहस्थजीवन की दृष्टि से आनंदमय रहेगा। परिवारजनों के साथ आनंद का वातावरण बना रहेगा। व्यवसाय में पदोन्नति के योग हैं। व्यावसायिक क्षेत्र में भी अनुकूल वातावरण रहेगा। आय में वृद्धि होने का योग है।

कुंभ : नए कार्य का आज से प्रारंभ कर सकते हैं। लंबे प्रवास का या धार्मिक यात्रा का आयोजन होने की भी संभावना है। व्यवसाय में लाभ का अवसर मिलेगा। थोडा़ संभलकर चलना पड़ेगा। स्वास्थ्य का ध्यान रखिएगा, परंतु मध्याहन के बाद पारिवारिक जीवन में हर्षोल्लास का वातावरण बना रहेगा।

मीन : हितशत्रुओं से सावधान रहिएगा। स्वास्थ्य का ध्यान रखिएगा। गूढ़ विद्या का ज्ञान प्राप्त करने के लिए दिन अच्छा है। मघ्याहन के बाद विदेश में स्थित मित्र तथा स्नेहीजनों के समाचार आपको मिलेंगे। व्यावसायिक स्थल पर सहकार मिलेगा।

22 माह से बंद नर्सरी से पांच की पढ़ाई शुरू करें हेमन्त सरकार – रामप्रकाश तिवारी

स्वतंत्र राष्ट्रवादी पार्टी के झारखंड प्रदेश अध्यक्ष रामप्रकाश तिवारी ने 22 माह से बंद कक्षा नर्सरी से लेकर पांचवीं की पढ़ाई लिखाई सभी स्कूलों में शूरू करने के लिए और यू-डायस कोडधारी गैर मान्यता प्राइवेट स्कूलों के लाखों बच्चों बच्चियों को तत्काल आठवीं बोर्ड परीक्षा-2022 में शामिल करने हेतु जैंक द्वारा पंजीयन करने और परीक्षा में शामिल करने हेतु मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन से तत्काल कार्रवाई करने का मांग किया।
प्राइमरी शिक्षा नर्सरी से पांच की पढ़ाई लिखाई बंद रखने के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के आदेश के बावजूद झारखंड राज्य के सभी सरकारी स्कूलों, प्राइवेट स्कूलों में कक्षा नर्सरी से पांच कक्षा के बच्चों बच्चियों को पिछले दो माह से लगातार बुलाकर पढ़ाई लिखाई शुरू करने वाले सभी साहसी शिक्षकों शिक्षिकाओं के प्रति झारखंड के करोड़ों अभिभावक गण ऋणी है इस दौरान एक भी बच्चा कोरोना से संक्रमित नहीं हुआ है नर्सरी से पांचवीं की पढ़ाई शुरू करने वाले प्राइवेट स्कूलों में बीआरसी,प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी द्वारा भयादौहन कार्रवाई करने के धमकियों का विरोध करने वाले हजारो प्राइवेट स्कूल संचालक गण बधाई के पात्र हैं।
प्रदेश अध्यक्ष रामप्रकाश तिवारी ने यूपीए कांग्रेस,राजद, झारखंड मुक्ति मोर्चा गठबंधन सरकार के मुखिया मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन की नेतृत्व में चल रही सरकार हर मोर्चे पर विफल है सभी सरकारी कार्यालयों में खुले आम रिश्र्वत लिया जा रहा है, ठेकेदारों द्वारा घटिया सड़क निर्माण किया जा रहा है बाकी विकास के कार्य ठप्प है। मजदूरों को मनरेगा के तहत काम नहीं मिल रहा है बेमौसम बारिश में धान की फसल,सब्जी,अन्य फसल खराबे होने के नुकसान झेल रहे लाखों किसानों को मुआवजा देने के लिए और आगे खेती-बाड़ी करने के लिए बीज खाद सिंचाई की सुविधा किसानों को उपलब्ध नहीं कराने के हेमन्त सोरेन की सरकार की मजदूर किसान विरोधी नीतियों का स्वतंत्र राष्ट्रवादी पार्टी कड़ा विरोध करती है।
श्री रामप्रकाश तिवारी ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन की सरकार ने अभी तक पांच लाख बेरोजगार युवाओं को सरकारी नौकरी उपलब्ध नहीं कराया और लाखों शिक्षित बेरोजगार युवाओं को अपने चुनावी वादेनुसार प्रति माह सात हजार रुपए बेरोजगारी भत्ता अभी तक नहीं दिया,यह युवा विरोधी सरकार है जल्द युवाओं को संगठित करके आंदोलन किया जायेगा। सबसे बुरा हाल बेरोजगार महिलाओं, लड़कियों का है बढ़ती मंहगाई में घर का खर्च चलाना मुश्किल हो गया है।
झारखंड के तमाम बेरोजगार युवाओं, महिलाओं, किसानों, मजदूरों, प्राइवेट स्कूलों के शिक्षकों के साथ हेमन्त सरकार घोर अन्याय कर रही है यह सरकार भ्रष्टाचारियो, माफियाओं, अपराधियों,दलालों ठेकेदारों की रहनुमा सरकार है मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन अपने कैबिनेट के कांग्रेसी मंत्रियों के मांग पर कोरोना महामारी कम होने के बावजूद सभी प्राइमरी,मिडिल स्कूलों में नर्सरी से पांच की पढ़ाई स्कूलों में शुरू नहीं करने के तानाशाही रूख अपनाये हूए है ऐसे जन विरोधी सरकार को सत्ता में रहने का अधिकार नहीं है कांग्रेस तत्काल हेमन्त सरकार से समर्थन वापस ले।
उक्त जानकारी रामप्रकाश तिवारी,प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र राष्ट्रवादी पार्टी, झारखंड प्रदेश,राॅंची ने दी

लोकतंत्र की बुनियादी आधार हैं पंचायती व्यवस्थाएं

विकास कुमार –
पंचायती व्यवस्थाओं को स्थानीय प्रशासन का मूल आधार स्तंभ माना जाता है। भारत में प्राचीन काल से ही स्थानीय स्वशासन का प्रावधान मिलता है। भारतीय लोकतंत्र में आजादी के बाद से ही पंचायती व्यवस्थाओं को महत्व दिया जाने लगा था। यही कारण है कि भारतीय संविधान के निर्माताओं ने इसके लिए अलग से प्रावधान जोड़े थे। भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है जिसमें चुनाव आयोग के 2019 के सूची के अनुसार ,लगभग 90 करोड़ मतदाता पंजीकृत हैं। रूरल कनेक्शन नेटवर्क के अनुसार, पूरे देश में 239000 ग्राम पंचायतें हैं, जो संविधान के सातवीं अनुसूची में वर्णित राज्य सूची का विषय है। इनके प्रबंधन, वित्तीय व्यवस्था ,निर्वाचन एवं संरचना की व्यवस्था का दायित्व राज्य सरकार पर निर्भर होता है।भारत की शासन व्यवस्था तीन स्तर पर कार्य करती है। जिसमें तीसरा स्तर स्थानीय स्वशासन (पंचायती व्यवस्था) हैं। भारतीय संविधान के भाग 4 अनुच्छेद 40 में इससे संबंधित उपबंध थे जो प्रवर्तनीय प्रक्रिया नहीं थी।पंचायती व्यवस्थाओं को संवैधानिक दर्जा देने के पीछे राज्य संघात्मक व्यवस्था का उल्लंघन बताकर इसके पक्ष में नहीं थे। यही कारण रहा कि राजीव गांधी जी का 64 वां संशोधन (1989) और वी0पी0 सिंह का संवैधानिक प्रयास (1 जून 1990) असफल रहा। पंचायतों को संवैधानिक दर्जा 1992 और 1993 में 73 वे संवैधानिक संशोधन के द्वारा दिया गया था जिसमें नरसिम्हा राव जी ने अथक प्रयास किया था।इनके चुनाव कराने की जिम्मेदारी राज्य निर्वाचन आयोग की होती है जिसका उपबंध भारतीय संविधान का अनुच्छेद 243 का (्य) करता है।कुछ राज्यों ने इसके चुनाव की घोषणा कर दिया है क्योंकि संविधान था इनका कार्यकाल 5 वर्ष रखा गया है जिसका प्रावधान भारतीय संविधान का अनुच्छेद 243( श्व) ही करता है। सभी प्रत्याशी शासनादेश का इंतजार कर रहे हैं और अपनी -अपनी सुविधानुसार तैयारियां भी आरंभ कर दिया है।मतदाताओं और प्रत्याशियों के मध्य वार्तालाप प्रारंभ हो चुका है परंतु संवाद प्रारंभ नहीं हुआ, क्योंकि संवाद की प्रक्रिया तो चुनाव में अक्सर रिक्त रहती है। संवाद की स्थिति में ना ही मतदाता है और ना ही प्रत्याशी। राजनीतिक दलों के बड़े-बड़े नेताओं का भी इन चुनावों में आगमन होगा जिससे वह अपनी उपलब्धियां गिनाते हैं।मतदाता भी सुनकर आनंदित होता है और बाद में नेता जी जिंदाबाद भी बोलता है क्योंकि वह भूल चुका होता है कि हमारी स्थानीय समस्याएं लोन के पैसों का कमीशन, आवास कमीशन ,सड़क और पानी की समस्याएं क्या है? शिक्षा और स्वास्थ्य तो इन चुनावों में गौड मुद्दे बन जाते हैं । प्राथमिक विद्यालयों की स्थिति और अन्य सभी स्थानीय कार्य मतदाता भूल चुका होता है और मुखिया भी उसी को बना देता है, जिसका कोसों इनसे संबंध नहीं होता। इन चुनाव में उम्मीदवारों का उद्देश्य और कार्य अनुभव भी नहीं पूछा जाता जिसका कारण जागरूकता की कमी कहें या शिक्षा का अभाव ।
हालांकि पंचायती व्यवस्थाओं से स्थानीय निकायों में सुधार भी हुआ है परंतु उन सभी परियोजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता जो ग्रामीणों के लिए होती हैं। ऐसे में सभी मतदाताओं को चाहिए कि जातिवाद, धर्म, क्षेत्रवाद और व्यक्तिगत लाभ पहुंचाने वाले ‘केवल’ प्रत्याशी को ना चुनकर सार्वजनिक आकांक्षाओं में खरे उतरने वाले प्रत्याशी का चयन करें। जब स्थानीय स्तर पर सुधार होगा तभी यह प्रक्रिया आगे बढ़ सकेगी। मतदाता को अपने मत का प्रयोग स्वेच्छा और सोच विचार कर करना चाहिए जिससे 5 वर्षों के लिए योग्य नेता के निर्देश लागू हो सके और स्थानीय संस्थाओं की स्थिति मजबूत हो जिससे अन्य स्तरों पर भी सुधार हो।

आज लगभग पूरे देश में पंचायती राज पद्धतियों का गठन किया जा चुका है ,परंतु वास्तविक स्थिति में उतनी आत्मनिर्भर निर्भरता देखने को नहीं मिली, जितना कि इसको लागू करने के समय सपना देखा गया था। आरक्षण का प्रावधान पंचायती पद्धतियों में अनुच्छेद 243 क (ष्ठ,4) किया तो गया है, परंतु उसका पूरा लाभ ना महिलाएं ले पाती पाती हैं और ना ही नीचे तबके के वर्ग, क्योंकि आज भी कई पूर्वाग्रह प्रवृत्तियों से प्रेरित होकर ग्रामीण क्षेत्रों में मतदान किया जाता है द्य जब पंचायती व्यवस्था सुदृढ़ और आत्मनिर्भर बनेगी तभी भारत का लोकतंत्र और मजबूत होगा द्य सुधार की प्रक्रिया ग्रामीण से ही शुरू हो सकती है। महिलाएं सरपंच तो बन जाती हैं परंतु वह प्रशासन नहीं चलाती हैं प्रशासन उसके पति द्वारा चलाया जाता है। एससी एसटी वर्ग का व्यक्ति सरपंच तो बन जाता है परंतु प्रशासन किसी धनाढ्य लोगों द्वारा चलाया जाता है। आज भी कई राज्य ऐसे हैं जिन्होंने पंचायती व्यवस्थाओं को उनके संपूर्ण विषयों को हस्तांतरित नहीं किया है। पंचायत के चुनाव में भी छल और बल से काम लिया जाता है। किस व्यक्ति की पहुंच शासन प्रशासन के ऊपर तक होती है प्रमुख पदों पर वही आसीन होता है। यही कारण है कि जिन उद्देश्य से भी का निर्माण किया गया था वह पूरा नहीं हो पा रहा है। गांव के विकास के नाम पर करोड़ों का फंड सरकारों के द्वारा दिया जाता है, परंतु उसका संपूर्ण लाभ गांव के सही व्यक्ति पर नहीं खर्च होता है।यही कारण रहा कि आज तक पंचायती व्यवस्था पूर्णतया आत्मनिर्भर और उन संपूर्ण सपनों को साकार नहीं कर सकी जिनके लिए इनको संगठित किया गया है। ऐसे में सरकार को चाहिए कि पंचायती राज को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रयास करें और इस प्रयास में सबसे बड़ा कदम हो सकता है शिक्षा।बिना शिक्षा के जागरूकता संभव नहीं है और जब नागरिक और मतदाता जागरूक होंगे तभी यह सब संभव हो पाएगा।
( लेखक – केंद्रीय विश्वविद्यालय अमरकंटक में रिसर्च स्कॉलर हैं एवं राजनीति विज्ञान में गोल्ड मेडलिस्ट है।)

आज का राशिफल

मेष : ईश्वरीय आस्था से भौतिक कष्ट दूर होंगे। बुद्धिमत्ता द्वारा हर दिशा में स्वयं को पारंगत सबित करेंगे। जीवन साथी से कुछ मुद्दों पर वैचारिक मतभेद की आशंका है। घर में खुशहाली रहेगी।

बृषभ : अपने अनुकूल अपेक्षा रखना ठीक नहीं है। व्यावसायिक योजनाएं फलीभूत होती नजर आएंगी। मन में कुछ नयी इच्छाएं बलवती होंगी। माता के स्वास्थ्य के प्रति कुछ चिंताएं रहेंगी।

मिथुन : आंतरिक प्रतिभाओं द्वारा सगे-संबंधों में प्रभावी बनेंगे। भबिष्य संबंधी कुछ चिंताएं नकारात्मक विचार ला सकती हैं किंतु कुछ अच्छे आसारों से मन में प्रसन्नता संभव। कार्यक्षेत्र में ब्यस्तता बढ़ेगी।

कर्क : अंतर्मुखी स्वभाव को त्याग बाह्यमुखी बनायें। भौतिकता की लोलुपतावश दूसरों के चढ़ाने में आकर अपनी आर्थिक क्षति कर सकते हैं। रोजगार में अच्छी आशाएं प्रसन्नता लाएंगी।

सिंह : भौतिकता के आधार पर थोड़ा असंतोष हो सकता है। किसी पुराने संबंधी से निकटता बढ़ेगी। घरेलू दायित्वों के प्रति सक्रियता से आपकी महत्ता बढ़ेगी। पूजा-पाठ में पूरा दिन मन केंद्रित होगा।

कन्या : सगे-संबंधों में व्यवहार कुशल बनें। घरेलू वातावरण उत्साहित रहेगा। विपरीतलिंगी संबंधों के प्रति आकषर्ण बढ़ेगा। कुछ नयी अभिलाषाएं आपको हतोत्साहित करेंगी। नये दायित्वों की पूर्ति होगी।

तुला : दुबिधाओं को त्याग सही योजनाओं पर केंद्रित हों। भावना प्रधान मन रिश्तों से सहज ही प्रभावित हो जाता है किंतु भावनात्मक अपेक्षाएं कष्ट की जननी बनेंगी। आवेश व उच्छृंखलता पर नियंत्रण रखें।

वृश्चिक : अर्थिक सुदृढ़ता हेतु मन प्रयत्नशील होगा। कार्यक्षेत्र में लोकप्रियता बढ़ेगी। निकट संबंधों में मधुर वाणी का प्रयोग करें। क्षमता से अधिक जिम्मेदारियां परेशान करेंगी। विद्यार्थियों का मन पढ़ाई में लगेगा।

धनु : दुनियादारी में समय देने से अच्छा होगा कि थोड़ा घर में समय देने की चेष्ठा करें। नई सकारात्मक सोच से प्रगति के आसार बढ़ेंगे। दूसरों की सफलता को देख अपने अंदर हीनता न आने दें।

मकर : धनागम के नये स्रोत बनेंगे। भावनाओं पर नियंत्रण रख अपने दायित्वों के प्रति सजग हों। अच्छी योजनाओं द्वारा महत्वपूर्ण कार्यों की समयानुकूल पूर्ति करेंगे। जीवन साथी का सहयोग मिलेगा।
कुंभ : कुछ नयी आकांक्षाएं मन पर प्रभावी होंगी। किसी महत्वपूर्ण दायित्व की पूर्ति हेतु समुचित साधन व्यवस्था के लिए मन चिंतित होगा। नौकरी-पेशे में सहकर्मियो के सहयोग से वातावरण सुखद होगा।

मीन : बीती बातों को भूल वर्तमान में जीने का प्रयास करें। प्रणय संबंधों में प्रगाढ़ता बढ़ेगी किंतु सामाजिक मर्यादा का उल्लंघन न होने दें। भौतिक-सुख साधन में व्यय संभव। राजनीतिज्ञों का सहयोग प्राप्त होगा।

बदलते वैश्विक परिदृश्य में ब्रिक्स की गतिशीलता

विकास कुमार –
ब्रिक्स संगठन की संकल्पना का प्रावधान जिम ओ नील ने किया, जब उन्होंने एक रिसर्च में बताया कि आने वाले समय में यह देश विश्व के आर्थिक विकास के इंजन साबित होंगे। वर्तमान समय में यह एक महत्वपूर्ण संगठन बनकर के उभरा है। समय-समय पर सभी सदस्य देश मिलकर इसमें बैठक संपन्न करते रहते हैं। इस संगठन में चीन और भारत दोनों सदस्य हैं। कई प्रकार की गतिविधियों को लेकर इसमें विवाद चलता रहता है, परंतु इसका भी समाधान किया जाता है। वर्तमान समय में इसमें 5 सदस्य हैं ,जिनमें ब्राजील ,रूस, भारत ,चीन एवं दक्षिण अफ्रीका हैं।बदलते वैश्विक संरचना के साथ कई अंतरराष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय संगठन गतिशील हैं। जिसमें सभी नई आर्थिक संरचना के नव निर्माण के लिए प्रयासरत हैं। आज पूरा विश्व कोरोनावायरस संकट से परेशान है इसलिए सभी संगठनों में करोना महामारी का मुद्दा, जलवायु परिवर्तन ,आतंकवादी गतिविधियों से निपटारा, एवं सतत विकास के लक्ष्य के मुद्दे समान रूप से चर्चा में रहते हैं। ब्रिक्स के इस बैठक में भी इन मुद्दों पर चर्चा की गई, जिनमें सहयोग एवं सामंजस्य से इन सभी मुद्दों को व्यवहारिक जामा पहनाने की सहमत भी जताई गई। इस संगठन की स्थापना एक ध्रुवीय वैश्विक संरचना के परिवर्तन के उद्देश्य हेतु हुई थी, । ब्रिक्स सदस्य देशों की कुल जीडीपी 16.6 खरब अमेरिकी डॉलर है। जो किसी भी नव निर्माण एवं नव संरचना के कार्यक्रम को संचालित करने के लिए काफी है। इस संगठन के देश दुनिया के कुल आबादी का 41 फ़ीसदी( 360 करोड़) का प्रतिनिधित्व करते हैं। चीन के सामने प्रमुख समस्या कोविड-19 के टीकाकरण की है। चीन के विदेश मंत्री श्री वांगी यी ने कहा चीन भारत के साथ इस महामारी से निपटने के लिए हर संभावित सहयोग करने के लिए तैयार है, परंतु इस सहमति के बावजूद जब अन्य प्रकार के विवाद चीन के आते हैं तो वह मुखर जाता है । एक तरफ सहयोग की बात कर रहा है, दूसरी ओर सीमा विवाद में उलझा रहता है। चीन इस संगठन में द्विपक्षीय विवादों को भी उठाता है। जिसमें केवल उसके ही विवाद सम्मिलित नहीं होते बल्कि दक्षिण एशियाई देशों के कई विवादों को वह इस मंच में उठाता है , जिसका भारत ने सदैव विरोध किया है। ऐसे में क्या यह सभी उद्देश्यों पर सहमति है? चीन सदैव भारत को पड़ोसी राजनीति में ही उलझ आए रखना चाहता है। लद्दाख विवाद , लिपुलेखा , लिपियाधूरा विवाद हो या पाकिस्तान के आतंकवादी गतिविधियों को लेकर हो। यही कारण रहा कि जब 2017 में शंघाई सहयोग संगठन की सदस्यता भारत ने ली, उसी समय चीन ने पाकिस्तान को भी उस में सम्मिलित किया। एक और कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आतंकवाद को खत्म करने की सहमति देता है दूसरी ओर यू एन ओ में इस संबंध में भी तो कर देता है। यह चीन का दोहरा रवैया है। इस सम्मेलन में सम्मिलित दक्षिण अफ्रीका के अंतरराष्ट्रीय संबंध एवं सहयोग मंत्री श्रुति नलेदी मंडीसा पंडोर ने कहा हमें टीकाकरण पर विचार करना चाहिए और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए की सदस्य देशों के नागरिकों को जल्द से जल्द टीकाकरण हो । कोरोनावायरस की दूसरी लहर से सर्वाधिक प्रभावित भारत हुआ है ऐसे में भारत के सहयोग के लिए सभी सदस्य देशों को एकजुट होना चाहिए। रूस के विदेश मंत्री सरगेई लावरोव ने एवं ब्राजील के विदेश मंत्री कार्लोस फ्रैंको फ्रांका ने आतंकवादी गतिविधियों के उन्मूलन एवं सतत विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने की बात कही। इस महामारी के पश्चात सतत विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने की समस्या विकासशील देशों पर निश्चित रूप से आ सकती है ,क्योंकि इस दौर में सभी देशों के अर्थव्यवस्था का स्तर गिरा है। सबसे बड़ा प्रश्न यह है , जो भविष्यवाणी 2003 में गोल्डमैन चेंज कंपनी के प्रसिद्ध अर्थशास्त्री जिम ओ नील द्वारा ब्रिक्स सदस्य देशों के लिए की गई है क्या वह ऐसे में पूरी हो पाएगी? उन्होंने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि 2050 तक यह देश विश्व अर्थव्यवस्था के इंजन साबित होंगे। यदि सभी देश सहयोग और सामंजस्य की रणनीति बनाकर प्रगति करें तो निश्चित रूप से यह सच साबित हो सकता है। वैश्विक परिदृश्य बदल गया है ।सभी देश अपने विचारधारा के दोनों को छोड़कर आर्थिक विकास और प्रगति की पहल कर रहे हैं। अपने आर्थिक हितों को देखते हुए एक देश कई संगठनों की सदस्यता लिए हुए हैं ,जिससे उसके आर्थिक हितों और व्यापारिक बाजार का साझा सहयोग हो सके। इस बदलती गतिशीलता का अनुसरण करते हुए वृक्ष को भी अपने उद्देश्य में परिवर्तन करना होगा। केवल उद्देश्यों में नहीं बल्कि रणनीतिक और सामरिक संरचनाओं में भी परिवर्तन करना होगा। चीन को भी यह समझना होगा कि आतंकवाद की समस्या सभी देशों को किसी न किसी रूप से प्रभावित करती है। इसका निपटारा सभी मिलकर ही कर सकते हैं। क्योंकि आज इस ग्लोबल दौर में सभी प्रकार के संगठन और व्यक्ति एक दूसरे से कनेक्ट हैं। वर्तमान समय में दक्षिण चीन सागर को लेकर चीन और फिलीपींस का विवाद चल रहा है। चीन का कहना है कि यह संपूर्ण क्षेत्र उसका है जबकि फिलिपिंस का कहना है कि यह क्षेत्र उसका है। दक्षिण चीन सागर में हो रही तमाम गतिविधियों का अमेरिका सहित अन्य कई देशों ने आलोचना किया है। इस प्रकार से विवादों वाले मुद्दों में सदस्य देश चाह करके भी एक दूसरे का सहयोग नहीं कर पा रहे हैं। इन सभी सदस्य देशों में चीन का हस्तक्षेप किसी ना किसी भूभाग या सीमा या फिर समुद्री क्षेत्र पर होता ही रहता है। इन विवादों को सुलझाते ,सभी प्रकार के उद्देश्यों को चिन्हित करके जब सदस्य देश व्यवहारिक रूप पर लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रयासरत होंगे, तभी इस ग्लोबल दौर में ब्रिक्स और गतिशील बन सकेगा।
(लेखक- केंद्रीय विश्वविद्यालय अमरकंटक में रिसर्च स्कॉलर है एवं राजनीति विज्ञान में गोल्ड मेडलिस्ट हैं।)

आज का राशिफल

मेष : आज आपकी राशि वालों के लिए आर्थिक मामलों में शुभ योग बन रहे हैं। शाम तक आप कोई बड़ी डील फाइनल कर सकते हैं। आज आपको कहीं से विशेष सम्मान प्राप्त हो सकता है और भाग्य भी आपका साथ देगा। भौतिक विकास का योग अच्छा है। मंगलोत्सवों में शामिल होने का मौका मिलेगा। समाज में शुभ व्यय से आपकी कीर्ति बढ़ेगी।

वृषभ : आज का दिन आपके लिए शुभ है और आज आपका ध्यान नई योजनाओं में लगेगा। भाग्य का साथ प्राप्त होगा और किसी मामले में आज आपको मनचाहे परिणाम मिलने से हर्ष होगा। कानूनी विवाद में सफलता प्राप्त होगी और छात्रों को भी उनकी मेहनत का बेहतर परिणाम मिलेगा। कार्यालय में भी आपके अनुकूल वातावरण बनेगा तथा आपके साथी आपका सहयोग करेंगे।

मिथुन : आपके लिए आज का दिन काफी रचनात्मक है और भाग्य का साथ प्राप्त होगा। किसी क्रिएटिव काम को पूरा करने में आप दिन बिता सकते हैं। जो काम आपको सबसे प्रिय है, आज वही करने को मिलेगा। नई योजनाएं भी दिमाग में आएंगी। अपने से सीनियर का सहयोग पाने में सफलता मिलेगी।

कर्क : आज का दिन काफी सृजनात्मक है, जो भी काम लगन के साथ करेंगे, आज उसमें पूर्ण सफलता मिलेगी। अधूरे काम निपट जाएंगे और महत्वपूर्ण चर्चाएं भी होंगी। आज आपको भाग्य का साथ मिलेगा और पुराने पड़े काम भी पूरे होंगे। आपके साथी भी आपका सहयोग करेंगे। दोस्तों के साथ आप कहीं बाहर जाने का प्लान बना सकते हैं।

सिंह : आपके लिए आज का दिन काफी व्यस्त रहने वाला होगा। पढ़ाई-लिखाई के लिए थोड़ा समय निकाल लेना ही अच्छा होगा। कार्यक्षेत्र में वरिष्ठ अधिकारी आपके कार्यों में रुकावट डालने की कोशिश करेंगे। लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिलेगी और आप अपने कार्य पूर्ण कर लेंगे।

कन्या : आज आपसी वार्ता व्यवहार में संयम और सावधानी बरतें। बेहतर होगा कि आसपास के लोगों से टकराव की नौबत न आए इस बात का ध्यान रखें। किसी शुभ मंगल कार्य की चर्चा हो सकती है और भाग्य भी आपका साथ देगा। भाग्य पर भरोसा रखें और आत्मविश्वास के साथ कार्य करें।

तुला : आज का दिन आपके लिए लाभ देने वाला है। करियर और आर्थिक मामलों में भाग्य आपका साथ देगा। सभी विवाद आज सुलझ सकते हैं, जिससे आपके मन को संतोष प्राप्त होगा। नए प्रॉजेक्ट पर भी काम शुरू हो सकता है। जमीन और जायदाद के मामले में आपको अपनी सूझबूझ और संयम के साथ आगे बढऩा होगा।

वृश्चिक : आज आपकी माली हालत को लें तो आज का दिन काफी मजबूत है। दिनभर लाभ के अवसर प्राप्त होंगे। परिवार में सुख-शांति और स्थिरता प्राप्त होगी। नौकरी और व्यापार में कुछ नवीनता ला सकें तो आगे चलकर लाभ होगा। काम में नई जान आएगी।धनु:आज का दिन सावधानी और सतर्कता बरतने का है। बिजनस के मामले में थोड़ा-सा जोखिम उठाएंगे, तो बड़ा लाभ होने की आशा है। रोजमर्रा के काम से दूर कुछ नए कामों में हाथ आजमाएं। किसी के लिए कुछ पैसों का इंतजाम करना पड़ सकता है। नया मौका आपके आस-पास है।

मकर : आपके लिए आज का दिन भाग्य वाला है। भागीदारी के मामले में व्यापार काफी फायदा पहुंचाएगा। रोजमर्रा के घरेलू कामों को निपटाने का आज सुनहरा मौका है। ईमानदारी और निर्धारित नियमों का ध्यान रखें। कई प्रकार के काम एक साथ हाथ में आने से व्यग्रता बढ़ सकती है और आप फालतू में ही परेशान होंगे।

कुंभ : आज का दिन आपके स्वास्थ्य के प्रति सावधानी बरतने का है। मौसम परिवर्तन से शीतोष्ण विकार उत्पन्न हो सकते हैं। खान-पान में लापरवाही न बरतें। आज आपको नौकरी के मामले में काफी मशक्कत करनी पड़ सकती है। जल्दबाजी में कोई भूल हो सकती है, इसलिए हर काम सोच-समझकर करें तो फायदे में रहेंगे।

मीन : आज का दिन आपको लाभ देने वाला हो सकता है। व्यापार में जोखिम उठाने का परिणाम आज आपको सकारात्मक मिलेगा। अपनी बुद्धि का प्रयोग कर आप वह सब कुछ पा सकते हैं, जिसकी आपको अभी तक कमी रही है। किसी संकटग्रस्त व्यक्ति की सहायता कर सकें तो शुभ रहेगा।

मोदी से पहले राहुल का विकल्प बनेंगी ममता

राजकुमार सिंह –
पश्चिम बंगाल में भाजपा के चुनावी चक्रव्यूह को भेद कर लगातार तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद ममता बनर्जी आगामी लोकसभा चुनावों के मद्देनजर मोदी विरोधी ध्रुवीकरण का केंद्र बनने की कवायद में जुटी हैं। यह अप्रत्याशित नहीं है। भाजपा की हरसंभव कोशिशों के बावजूद पश्चिम बंगाल फतह कर लेने पर ममता के हौसले बुलंद होना स्वाभाविक है। कई राजनीतिक प्रेक्षक भी मानने लगे थे कि बंगाल की शेरनी इस बार वाकई मुश्किल में है, लेकिन भाजपा की सीटें कई गुणा बढऩे के बावजूद तृणमूल की सीटें कम नहीं हुईं। बेशक ममता स्वयं अपने ही पुराने सिपहसालार शुभेंदु से हार गयीं, पर उसका नैतिक से ज्यादा कोई राजनीतिक महत्व नहीं था। बाद में उपचुनाव जीत कर ममता ने मीडिया जनित असमंजस पर भी पूर्ण विराम लगा दिया। पश्चिम बंगाल में अपनी सत्ता सुदृढ़ कर लेने के बाद यह स्वाभाविक ही है कि ममता राज्य से बाहर ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति की ओर भी देखें। फिर राष्ट्रीय राजनीति में मोदी की विकल्पहीनता ममता के कद वाले किसी भी राजनेता को ललचा सकती है।
ऐसा नहीं है कि मोदी का विकल्प बनने की महत्वाकांक्षा सिर्फ ममता के मन में है। वर्ष 2014 में राजग से अलगाव के पीछे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मन में यह महत्वाकांक्षा भी एक बड़ा कारण रही, लेकिन मोदी की राष्ट्रव्यापी लहर और दुश्मन से फिर दोस्त बने लालू यादव की दबाव की राजनीतिक शैली ने उन्हें फिर वापस लौटने को बाध्य कर दिया। पिछले मुख्यमंत्रित्वकाल में अरविंद केजरीवाल जिस तरह मोदी से भिडऩे के बहाने ढूंढ़ते थे, उसके मूल में भी स्वयं को विकल्प के रूप में पेश करने की महत्वाकांक्षा ही थी, लेकिन पंजाब विधानसभा चुनावों में ध्वस्त मंसूबों और अपूर्ण राज्य दिल्ली के सीमित अधिकारों ने उन्हें उनकी सीमाओं का भी अहसास करवा दिया। देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद पर रहते अखिलेश यादव को भी लगा होगा कि वह मोदी का स्वाभाविक विकल्प बन सकते हैं, लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव और फिर लगातार दूसरे लोकसभा चुनाव ने उनकी भी गलतफहमी दूर कर दी। लोकतंत्र में पिता विरासत में सिंहासन तो दे सकते हैं, पर राजनीतिक कद तो जनता ही तय करती है।
इस महत्वाकांक्षी तिकड़ी के अलावा मोदी का विकल्प बनने की स्वाभाविक महत्वाकांक्षा उन राहुल गांधी का स्थायी भाव माना जा सकता है, जिनकी कांग्रेस का ऐतिहासिक मान-मर्दन कर भाजपा ने लगातार दूसरी बार अकेलेदम स्पष्ट बहुमत हासिल कर केंद्र में सरकार बनायी है। बेशक दूसरे लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की सीटें गिनती के लिहाज से कुछ बढ़ीं भी, पर यह मान-मर्दन कितना आहत करने वाला रहा, इसका अंदाजा नेहरू परिवार की परंपरागत सीट अमेठी से हार और फिर अध्यक्ष पद से राहुल गांधी के इस्तीफे से लगाया जा सकता है। तब से दो साल से भी ज्यादा समय बीत गया, लेकिन कांग्रेस अपना नया पूर्णकालिक अध्यक्ष नहीं चुन पायी। सोनिया गांधी अंतरिम अध्यक्ष के रूप में कांग्रेस की बागडोर संभाल रही हैं। कहा कुछ भी जाये, पर कांग्रेस की राजनीति को समझने वाले अच्छी तरह जानते हैं कि नया पूर्णकालिक अध्यक्ष नेहरू परिवार से ही होगा, और राहुल गांधी ही होंगे, पर चुनावी हार की नैतिक जिम्मेदारी लेकर छोड़े गये पद पर वापसी के लिए माहौल भी तो बनना चाहिए। जाहिर है, यह माहौल कांग्रेसियों को ही बनाना था, लेकिन वे तो राग दरबारी के बजाय मौका मिलते ही स्वयंभू सुधारक बन गये।
फिर भी तय है कि अगले साल जब नये पूर्णकालिक अध्यक्ष का चुनाव होगा तो वह चेहरा राहुल गांधी ही होंगे, क्योंकि कांग्रेस में नेहरू परिवार का कोई विकल्प नहीं। ऐसे में स्वाभाविक प्रश्न उठता है कि स्वयं कांग्रेस में विकल्पहीनता के चलते पुन: अध्यक्ष पद संभालने वाले राहुल गांधी वास्तव में राष्ट्रीय राजनीति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विकल्प बन पायेंगे? कहा जाता है कि भाजपा और उसके सहयोगी संगठनों ने सुविचारित रणनीति के तहत राहुल गांधी की छवि अगंभीर और हास्यास्पद बनाने का अभियान चला रखा है, पर क्या कई बार वह स्वयं अपने विरोधियों को ऐसा मौका नहीं दे देते? कोरोना काल में सोशल मीडिया से संचालित राजनीति में मोदी सरकार पर हमला करने का कोई मौका राहुल गांधी नहीं चूकते, लेकिन इस वास्तविकता से मुंह नहीं चुराया जा सकता कि तमाम ज्वलंत मुद्दों-समस्याओं पर वैकल्पिक नजरिया पेश करने में वह अभी तक विफल ही रहे हैं। कहना नहीं होगा कि लोकतांत्रिक राजनीति में वास्तविक विकल्प बनने के लिए नीतिगत-व्यवस्थागत वैकल्पिक नजरिया पहली शर्त है।
कह सकते हैं कि मुद्दों-समस्याओं पर वैकल्पिक नजरिया तो ममता बनर्जी ने भी पेश नहीं किया है, लेकिन एक बड़ा फर्क है। ममता तीन दशक से भी लंबे वामपंथी शासन के विरुद्ध संघर्ष कर पश्चिम बंगाल में जुझारू नेत्री के रूप में उभरीं और फिर मतदाताओं ने उन्हें लगातार तीसरी बार सत्ता का जनादेश भी दिया है। दूसरी-तीसरी बार मिला जनादेश उनके शासन की रीति-नीति पर मतदाताओं की मुहर भी माना ही जाना चाहिए। इसका अर्थ है कि संघर्ष के दौरान हासिल जन विश्वास को वह सत्ता में रहते हुए भी बरकरार रखने में सफल रही हैं। दूसरा बड़ा फर्क संगठनात्मक ढांचा और लोकप्रियता का है। दो दलीय राजनीतिक व्यवस्था वाले कुछ राज्यों को छोड़ दें तो कांग्रेस का लगातार चुनावी पराभव राहुल गांधी की लोकप्रियता का ग्राफ भी बता ही देता है। माना कि राहुल को बेहद प्रतिकूल परिस्थितियां विरासत में मिली हैं, पर नेतृत्व कौशल की असली परीक्षा भी तो प्रतिकूल परिस्थितियों में ही होती है।
लालकृष्ण आडवाणी सरीखे दिग्गज नेता को प्रधानमंत्री पद का चेहरा घोषित करने के बाद भी 2009 के लोकसभा चुनाव में जिस भाजपा की दो सीटें घट गयी थीं, उसने मोदी को चेहरा बनाने पर 2014 में अगर अकेलेदम स्पष्ट बहुमत हासिल कर दिखाया तो उनके नेतृत्व कौशल और लोकप्रियता का डंका देश भर में बजना ही है। नोटबंदी समेत कुछ विवादास्पद फैसलों के बावजूद 2019 में भाजपा को पिछली बार से भी ज्यादा सीटें मिलना निश्चय ही मोदी की लोकप्रियता के साथ-साथ विकल्पहीनता का भी परिणाम रहा, पर इसके मूल में भाजपा के विशाल संगठन और सुनियोजित रणनीति को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इसलिए अगले लोकसभा चुनाव में मोदी का विकल्प बनने के लिए लोकप्रियता के साथ-साथ ऐसा संगठनात्मक ढांचा भी जरूरी होगा, जो चुनावी रणनीति को कारगर ढंग से अंजाम दे सके। कांग्रेस अभी तक जहां नेतृत्व संकट से ही जूझ रही है, ममता ने पश्चिम बंगाल में लोकप्रियता साबित करने के बाद अपनी तृणमूल कांग्रेस के संगठनात्मक ढांचे का शेष देश में भी विस्तार–अभियान शुरू कर दिया है।
बेशक सामान्य राजनीतिक समझ रखने वाला भी यह समझ सकता है कि किसी एक दल में भाजपा का विकल्प बनने का माद्दा नजर नहीं आता। ऐसे में विपक्षी दलों का गठबंधन ही एकमात्र संभावना नजर आती है, लेकिन गठबंधन का नेतृत्व स्वाभाविक ही सबसे बड़ा दल करेगा। अपने गौरवशाली अतीत और मौजूदा राजनीतिक आधार के चलते भी कांग्रेस स्वयं को विपक्ष का स्वाभाविक अगुआ मानती है, लेकिन मोदी का विकल्प बनने की ममता की कवायद कांग्रेस और राहुल गांधी के लिए दोहरी चुनौती पेश कर रही है। तृणमूल कांग्रेस के पश्चिम बंगाल से बाहर संगठनात्मक विस्तार में सबसे ज्यादा मार कांग्रेस पर ही पड़ रही है। पूर्वोत्तर राज्य असम से आने वाली महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सुष्मिता देव ही नहीं, गोवा, बिहार, उत्तर प्रदेश और हरियाणा जैसे राज्यों के परंपरागत कांग्रेसियों को भी ममता बेहतर विकल्प नजर आ रही हैं। मेघालय में सबसे बड़े दल के रूप में उभरने के बावजूद सरकार बनाने से वंचित रह गयी कांग्रेस के 17 में से 12 विधायकों का पूर्व मुख्यमंत्री मुकुल संगमा के नेतृत्व में तृणमूल में शामिल हो जाना कांग्रेस के लिए खतरे की ऐसी घंटी है, जिसे ज्यादा समय तक अनसुना करना भविष्य पर ही प्रश्नचिन्ह लगा देगा।

आज का राशिफल

मेष: आज आपको मां की बीमारी के विचार सताएंगे। मकान या जमीन के दस्तावेज आज न करें। मानसिक व्यग्रता को दूर करने के लिए आध्यात्मिकता, योग का सहारा लें। स्त्री एवं पानी से बचने की सलाह है। अभ्यास के लिए समय मध्यम है।

वृषभ: आप कल्पना शक्ति से सर्जनात्मक काम कर सकेंगे। परिवारवाले या दोस्तों के साथ अच्छा भोजन करने का मिलेगा। कोई आकस्मिक कारण से प्रवास करना पड़ेगा। पैसों के बारे ध्यान रखने से उसका आयोजन कर सकेंगे।

मिथुन: आज रिश्तेदार एवं मित्रों के साथ मुलाकात से आप आनंद का अनुभव करेंगे। आर्थिक योजना में आप को पहेले थोडी मुसीबतें पड़ेगी, किंतु फिर आप आसानी से काम पूरा कर सकेंगे। आप के जरूरी काम भी शुरु में विलंब के बाद आसानी से पूरे होने पर आप शांति का अहसास करेंगे।

कर्क : आज आप के मन में प्यार एवं भावना छलक उठेंगे और आप उसके प्रवाह में रहेंगे। दोस्त, स्वजन एवं संबंधी की ओर से भेट-सौगात मिल सकते हैं एवं आप उनके साथ दिन अपना दिन खुशी में बिता सकेंगे। प्रवास, सुंदर भोजन एवं प्रियजन के सहवास से आप रोमांचित रहेंगे।

सिंह: आज कोर्ट-कचहरी के प्रश्न में सावधानी बरतने की सलाह देते हैं। आज मन भावनाओं से व्यथित रहेगा जिससे आप उसके प्रवाह में आकर कोई अनैतिक काम न करे उसका ख्याल रखें। महिलाओं के बारे में विशेष ध्यान रखें। वाणी एवं वर्तन में संपर्क रखें।

क न्या                                                                                                                                                               : मित्रों के साथ आनंददायक प्रवास होगा तो दांपत्यजीवन में भी आप ज्यादा निकटता बना सकेंगे। स्त्री मित्र विशेष लाभदायी रहेंगे। धनप्राप्ति के लिए भी शुभ समय है। व्यापार के पैसे लेने के लिए प्रवास होगा। अविवाहितों के लिए जीवनसाथी की तलाश में सफलता मिलेगी।

तुला: नौकरी में पदोन्नति के योग देख रहे हैं। आप पर अधिकारियों की कृपा दृष्टि रहेगी। परिवार में उत्सव का उल्लास का माहौल बना रहेगा। मन में भावनात्मकता बढेगी। मां की ओर से फायदा होगा। उत्तम विवाहसुख प्राप्त होगा। जमीन जायदाद के दस्तावेज कर सकेंगे। व्यवसाय क्षेत्र में अच्छा एवं सफल दिन है।

वृश्चिक : आज का दिन प्रतिकूलताओं एवं अनुकूलताओं से मिश्रित होगा। लेखन- साहित्य से जुडी प्रवृत्ति करेंगे। व्यवसाय के स्थल पर प्रतिकूल परिस्थिति रहेगी। ऊपरी अधिकारियों का रवैया नकारात्मक रहेगा। प्रतिस्पर्धियों के साथ वाद-विवाद न करे।

धनु : कार्य सफलता में विलंब होने के कारण निराशा का अनुभव होगा। काम समय से पूरा नहीं होगा। काम का बोझ ज्यादा रहेगा। नए काम की शुरुआत न करे। शारीरिक स्वास्थ्य बिगडेगा। मन बेचैन एवं व्यग्र रहेगा। बोलने पर संयम रखें। खर्च ज्यादा होगा।
मकर : व्यापार वृद्धि के योग हैं। इस के अलावा दलाली, व्याज, कमिशन में से मिलनेवाले पैसे आप के भंडार में वृद्धि करेंगे। प्रेमियों के लिए आज प्रणय परिचय का योग है। विजातीय आकर्षण रहेगा। सुंदर भोजन, वस्त्र परिधान एवं वाहनसुख प्राप्त होगा।

कुंभ : वर्तमान समय में आप को कार्यों में सफलता मिलेगी एवं यशकीर्ति प्राप्त होगी। आज आप के स्वभाव में ज्यादा भावुकता रहेगा। मायके की ओर से कोई अच्छे समाचार मिलेंगे। घर में प्रफुल्लितता का माहौल होगा। नौकरी में भी आप को साथियों का साथ सहयोग मिल सकेगा। तन एवं मन से आप प्रफुल्लिता का अनुभव करेंगे।

मीन : आज का दिन विद्यार्थियोंं के लिए अच्छा होने का कहते हैं। उनको अभ्यास में सफलता मिलेगी एवं प्रगति के लिए नया मौका प्राप्त होगा। आप अपनी कल्पना शक्ति से साहित्य लेखन में नया काम करेंगे। प्रेमीजन एक दूसरे का सानिध्य पा सकेंगे। आप के स्वभाव में ज्यादा भावुक्ता रहेगी। स्त्री मित्रों से खर्च होगा।

सर्दियों में बच्चों को फिट एंड फाइन रखने के लिए कराएं ये एक्टिविटीज

सर्दियों के मौसम में बड़ों की तरह बच्चे भी खुद को आलस और थका हुआ महसूस करते हैं। ऐसे में माता-पिता की जिम्मेदारी है कि उनकी दिनचर्या में थोड़ा सा बदलाव करके वे उन्हें फिट एंड फाइन बनाए रख सकते हैं। आइए आज हम आपको कुछ ऐसी एक्टिविटीज के बारे में बताते हैं, जिनकी मदद से आप अपने बच्चे को फिट एंड फाइन के साथ-साथ एक्टिव रखने में मदद कर सकते हैं।

रोप स्किपिंग
यह एक्टिविटी बच्चों के लिए एक बेहतरीन वर्कआउट है। अच्छी बात तो यह है कि बच्चे रोप स्किपिंग को बेहद आसानी से अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना सकते हैं। इसके लिए अभिभावक खुद भी बच्चों के साथ रोप स्कीपिंग करें। मस्ती-मस्ती में रोप स्किपिंग करने से न सिर्फ बच्चों के शरीर की मांसपेशियों को मजबूती मिलेगी बल्कि वह खुद को ऊर्जावान भी महसूस करेंगे। इसलिए अभिभावक बच्चों को रोजाना कुछ मिनट रोप स्किपिंग जरूर करवाएं।

एरोबिक्स
एरोबिक्स को भी बच्चों के रूटीन में शामिल करना काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। इसका मुख्य कारण यह है कि एरोबिक्स करने से न सिर्फ हृदय को मजबूत बनाया जा सकता है बल्कि इससे शरीर की कोशिकाओं को ऑक्सीजन सरकुलेट करने में भी मदद मिल सकती है। बता दें कि जितना फायदा बच्चों को स्विमिंग, जॉगिंग, वॉकिंग और साइकिलिंग आदि से मिल सकता है उतना ही फायदा उन्हें एरोबिक्स करने से भी मिल सकता है।

पाइलेट्स
पाइलेट्स एक तरह की शारीरिक एक्सरसाइज होती है और इसका सीधा सकारात्मक असर बच्चों के शरीर की कोर स्ट्रेंथ और प्रॉपर एलाइमेंट पर पड़ता है। इस एक्सरसाइज को बच्चों की दिनचर्या में शामिल करने से न सिर्फ मांसपेशियों को मजबूती मिल सकती है, बल्कि बुरे हार्मोन्स से भी दूरी बनी रहती है, जिससे तनाव भी दूर रहता है। तनाव दूर करने के अलावा पाइलेट्स करने से बच्चों की हड्डियां भी मजबूत होती हैं।

योगाभ्यास
योगाभ्यास न सिर्फ बच्चे शारीरिक पॉश्चर को सुधारने में मदद कर सकता है, बल्कि शरीर को लचीला बनाने के साथ-साथ कई तरह के अन्य स्वास्थ्य लाभ देने में भी काफी हद तक मदद कर सकता है। विशेषकर अगर बच्चे योगाभ्यास के तौर पर सांस संबंधी प्राणायाम का रोजाना अभ्यास करते हैं क्योंकि प्राणायाम एक जगह पर ध्यान केंद्रित कर दिमाग को शांत रखने में सहायक होते हैं और इससे बच्चों में सकारात्मक ऊर्जा का स्तर बढ़ता है। (एजेंसी)

टखनों के दर्द से राहत दिलाने में मदद कर सकते हैं ये योगासन, ऐसे करें अभ्यास

टखनों में दर्द होना एक कष्टदायक समस्या है, जिसे नजरअंदाज करना थोड़ा मुश्किल होता है क्योंकि इसके कारण चलने-फिरने में काफी दिक्कत होने लगती है। इसलिए अगर आपको कभी किसी भी कारणवश टखनों में दर्द हो तो तुरंत डॉक्टर से मिले और उनकी बताई दवाओं के सेवन के साथ कुछ योगासनों का अभ्यास करें। आइए आज हम आपको कुछ ऐसे योगासनों के अभ्यास का तरीका बताते हैं, जो टखनों के दर्द को दूर करने में मदद कर सकते हैं।
उष्ट्रासन
उष्ट्रासन का अभ्यास करने के लिए सबसे पहले योगा मैट बिछाकर उस पर घुटनों के बल बैठ जाएं, फिर घुटनों के बल ही खड़े हो जाएं। अब सामान्य रूप से सांस लेते हुए पीछे की ओर झुकें और दाईं हथेली को दाईं एड़ी पर और बाईं हथेली को बाईं एड़ी पर रखने की कोशिश करें। इस मुद्रा में कम से कम एक-दो मिनट रहने के बाद धीरे-धीरे सामान्य हो जाएं और कुछ मिनट विश्राम करें।
गोमुखासन
गोमुखासन के लिए पहले योगा मैट पर दंडासन की स्थिति में बैठकर अपने दाएं पैर को मोड़ें और इसे बायीं जांघ के ऊपर से ले जाते हुए बाएं नितंब के पास जमीन पर रखें। इसी तरह अपने बाएं पैर को मोड़ते हुए दायीं जंघा के नीचे से दाएं नितंब के पास जमीन पर रख लें। अब अपने दोनों हाथों को कोहनी से मोड़ते हुए पीठ के पीछे आपस में पकडऩे का प्रयास करें। कुछ देर इसी अवस्था में बने रहें।
बालासन
बालासन के अभ्यास के लिए पहले वज्रासन की मुद्रा में बैठें और फिर गहरी सांस लेते हुए हाथों को ऊपर उठाएं। अब सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे आगे की ओर झुकें और माथे को जमीन से सटाएं। इस अवस्था में दोनों हाथ सामने, माथा जमीन से टिका हुआ और छाती जांघों पर रहेगी। कुछ सेकंड इसी मुद्रा में रहकर सामान्य रूप से सांस लेते रहें, फिर सांस लेते हुए वापस वज्रासन की मुद्रा में आएं और सामान्य हो जाएं।
गरुड़ासन
गरुड़ासन के अभ्यास के लिए योगा मैट पर सीधे खड़े हो जाएं। इस दौरान आप सामान्य रूप से सांस लेने की प्रक्रिया जारी रखें। अब पूरे शरीर का संतुलन दाएं पैर पर ले आएं और बाएं पैर को घुटने की पीछे हिस्से के ऊपर ले जाएं, फिर अपनी दोनों बाजुओं को कोहनी से मोड़ते हुए क्रास बना लें और इस मुद्रा में जितनी देर हो सके खुद को बनाकर रखें। इसके बाद धीरे-धीरे सामान्य हो जाएं। (एजेंसी)

भारतीय नौसेना को एक और ‘समंदर का धुरंधर’ मिल गया है

समंदर का धुरंधर

भारतीय नौसेना को एक और ‘समंदर का धुरंधर’ मिल गया है। नौसेना के बेड़े में ‘आईएनएस विशाखापट्टनम’ के शामिल होने से हमारी समुद्री सैन्य ताकत में शानदार इजाफा हुआ है। यह प्रोजेक्ट 15बी का पहला स्टील्थ गाइडेड मिसाइल विध्वंसक जहाज है। इसे नौसेना के शीर्ष कमांडरों की मौजूदगी में रविवार को सेवा में शामिल किया गया। नौसेना अध्यक्ष एडमिरल करमबीर सिंह ने इस अवसर को ‘युद्धपोत आत्मनिर्भरता का शानदार उदाहरण’ करार दिया। दो दिन बाद पनडुब्बी ‘वेलाÓ को भी नौसेना में शामिल किया जाएगा। इसके अलावा अगले महीने सर्वे वैसल ‘संध्या’ को नौसेना की सेवा में ले लिया जाएगा। मिसाइल भेदी जहाज ‘आईएनएस विशाखापट्टनम’ कई खूबियों वाला है। सभी अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस यह जहाज ब्रह्मोस-बराक जैसी विध्वंसक मिसाइलों से लैस है। इसमें सुपरसोनिक सतह से सतह और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, मध्यम और शॉट रेंज गन, एंटी सबमरीन रॉकेट, एडवांस इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर और कम्युनिकेशन सूट जैसी खूबियां भी हैं। आईएनएस विशाखापट्टनम की सबसे बड़ी खूबी यह है कि यह दुश्मन के जहाज को देखते ही एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइल लॉन्च कर उसका खात्मा कर सकता है। साथ ही यह भी गर्व की बात है कि यह युद्धक जहाज पूरी तरह से स्वदेशी है। कुल 74 हजार टन वजनी इस जहाज की लंबाई 535 फुट है। बताया जा रहा है कि लगभग 56 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाला यह युद्धक जहाज जब धीमी गति से भी चलता है तो इसकी रेंज में 7400 किलोमीटर क्षेत्र रहता है। यानी विशाल समुद्री क्षेत्र में भारतीय नौसैनिकों की सजग निगाहें बनी रहेंगी। बेशक भारतीय नौसेना के पास और भी कई युद्धक जहाज हैं, लेकिन आईएनएस विशाखापट्टनम अत्याधुनिक खूबियों वाला और समयानुकूल है। कई खूबियों वाले इस जहाज का नौसेना के बेड़े में शामिल होना गौरव की बात तो है ही, साथ ही दुनिया भी भारत की समुद्री ताकत से रू-ब-रू हो गई। आईएनएस विशाखापट्टनम के साथ ही पनडुब्बी वेला जब नौसेना का हिस्सा बन जाएगी तो इसकी ताकत में इजाफा ही होगा। भारत के पास अभी कुल 13 पनडुब्बियां हैं। ये पनडुब्बियां रूस और जर्मनी में निर्मित हुई हैं। देश की पहली परमाणु शक्ति चालित पनडुब्बी अरिहंत पहले से नौसेना के बेड़े का हिस्सा है। नौसेना प्रमुख के मुताबिक फिलवक्त 41 में से 39 पोत और पनडुब्बी के ऑर्डर भारतीय शिपयार्ड को दिए गए हैं। यानी भारतीय नौसेना को मजबूत बनाने की दिशा में पूरी पहल हो रही है।
यूं तो भारतीय सेनाओं के तीनों अंगों को लगातार मजबूत किया जा रहा है, लेकिन समुद्री ताकत को ज्यादा मजबूत करना वक्त की जरूरत है। जैसा कि इस जहाज को नौसेना के बेड़े में शामिल करते वक्त रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि स्थिरता, आर्थिक प्रगति और दुनिया के विकास के लिए नेविगेशन की नियम आधारित स्वतंत्रता, समुद्री गलियारों की सुरक्षा पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गई है। ऐसे में इस बात का ध्यान रखना लाजिमी है कि सभी भागीदार देशों के हित सुरक्षित रह सकें। इस क्षेत्र की सुरक्षा में हमारी नौसेना की भूमिका और अधिक महत्वपूर्ण हो गई है। साथ ही यह भी ध्यान रखने की बात है कि पड़ोसी देश चीन ने अपनी विस्तारवादी सोच को समुद्र में भी नहीं छोड़ा है। दक्षिण चीन सागर में चीन द्वीपों का सैन्यीकरण कर रहा है, जिसकी वैश्विक रूप से आलोचना होती रही है। इस क्षेत्र को लेकर पूर्वी और दक्षिण पूर्वी कई एशियाई देशों के व्यापक दावे हैं। ऐसे में शक्ति संतुलन के लिए आईएनएस विशाखापट्टनम जैसे युद्धक जहाजों की जरूरत भारत को थी। सामरिक महत्ता के अलावा विश्व अर्थव्यवस्था के लिए भी भारत का समुद्री क्षेत्र बेहद महत्वपूर्ण है। आज वैश्विक सुरक्षा कारणों, सीमा विवादों और समुद्री प्रभुत्व को बनाए रखने के महत्व के कारण दुनियाभर के देश अपनी सैन्य शक्ति को मजबूत और आधुनिक बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। ऐसे में भारत ने खुद को समुद्री शक्ति संपन्न देशों की कतार में ला खड़ा किया है जो गौरवान्वित करने वाली बात है। (एजेंसी)

गंभीर आपराधिक मामलों की जांच में देरी

अनूप भटनागर –
पंजाब, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल सहित आठ गैर भाजपा सरकारों द्वारा अपने राज्यों में सीबीआई को जांच की अनुमति वापस लिये जाने से एक नया विवाद शुरू हो रहा है। सीबीआई को दी गयी सहमति वापस लिये जाने का मामला अब उच्चतम न्यायालय के संज्ञान में लाया गया है। सवाल उठ रहा है कि क्या भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी और धनशोधन के मामलों में जानबूझकर बाधा डालकर संदिग्ध आरोपियों को बचाने के प्रयास हो रहे हैं।
इसमें कोई संदेह नहीं है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में वैचारिक मतभेद और असहमति होना स्वाभाविक है। शीर्ष अदालत भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में असहमति को प्रेशर वाल्व मानती है। लेकिन इसकी आड़ में भ्रष्टाचार, सुनियोजित अपराध और दूसरे अंतर्राज्यीय अपराधों की जांच करने वाली केंद्रीय एजेंसियों को राज्यों द्वारा सामान्य प्रक्रिया में दी गयी संस्तुति वापस लेना गंभीर सवाल पैदा करता है।
आठ राज्यों की सरकारों का ऐसा रवैया अनायास इस आशंका को जन्म देता है कि शायद ये ऐसे अपराधों में संलिप्त आरोपियों को संरक्षण देने का प्रयास कर रही हैं। इन आठ राज्यों ने डीएसपीई कानून की धारा छह के तहत दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान (सीबीआई) को पहले दी गई सामान्य सहमति वापस ले ली है। इनमें पंजाब, राजस्थान, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, झारखंड, पश्चिम बंगाल, केरल और मिजोरम शामिल हैं।
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों के नतीजों के बाद दो मई से राज्य में हुई हिंसा की घटनाओं की जांच का काम केन्द्रीय जांच ब्यूरो को सौंपने के उच्च न्यायालय के निर्णय को शीर्ष अदालत में चुनौती देने का राज्य सरकार का फैसला और सुशांत सिंह राजपूत की रहस्यमय परिस्थितियों में मौत की जांच के लिए मुंबई गए सीबीआई के जांच दल के साथ कोविड प्रोटोकॉल के नाम पर हुआ व्यवहार इस तरह की आशंका को पुख्ता करता है।
इन राज्यों द्वारा केन्द्र के साथ वैचारिक मतभेदों की वजह से डीएसपीई कानून की धारा छह के तहत केन्द्रीय जांच ब्यूरो को अपने यहां जांच के लिए पहले दी गई सामान्य सहमति वापस लेने का नतीजा यह है कि भ्रष्टाचार के 150 से अधिक मामलों की जांच अधर में लटकी हुई है। उच्चतम न्यायालय को उपलब्ध कराई जानकारी के अनुसार इन आठ राज्यों को 2018 से जून, 2021 के दौरान 150 से भी ज्यादा अनुरोध उनकी विशिष्ट सहमति के लिए भेजे गए लेकिन उसे अभी तक सहमति नहीं मिली है।
राज्यों के इस रवैये से उच्चतम न्यायालय भी चिंतित है। न्यायालय ने हाल ही में इस तथ्य का जिक्र करते हुए कहा कि ये अनुरोध आय के ज्ञात स्रोत से अधिक संपत्ति अर्जित करने, विदेशी मुद्रा को नुकसान, बैंकों के साथ धोखाधड़ी और हेराफेरी करने जैसे आरोपों की जांच से संबंधित हैं।
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम. एम. सुंदरेश की पीठ ने यह कहने में भी संकोच नहीं किया कि यह स्थिति वांछनीय नहीं है। भ्रष्टाचार और धनशोधन के मामलों में हमेशा ही सख्त रुख अपनाने वाली शीर्ष अदालत ने कहा कि इनमें 78 प्रतिशत मामले मुख्य रूप से देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाले बैंक धोखाधड़ी के बड़े मामलों से संबंधित हैं।
पीठ की इस तरह की सख्त टिप्पणी के मद्देनजर यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि भ्रष्टाचार के इस तरह के गंभीर मामलों में सीबीआई को अपने राज्य में जांच की अनुमति नहीं देकर राज्य सरकारें किसका हित साध रही हैं। यह भी संयोग ही है कि सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियों को सहमति नहीं देने वाली राज्य सरकारें गैर भाजपाई हैं। मतलब देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाले अपराधों की जांच और दोषियों को कानून के शिकंजे में लाने के प्रयासों को भी राजनीतिक नफे-नुकसान की तराजू पर तोला जा रहा है।
राजनीतिक लाभ-हानि को ध्यान में रखते हुए आपराधिक मामलों की जांच करने के लिए सहमति प्रदान नहीं करने का नतीजा यह होता है कि इनकी जांच लंबे समय तक अधर में ही लटकी रहती है। जांच पूरी होने में विलंब की वजह से ऐसे मामले अदालत में नहीं पहुंच पाते और अगर अदालत में पहुंच जाएं तो किसी न किसी आधार पर कई मामलों में न्यायिक रोक लग जाती है।
यह सारे तथ्य केंद्रीय जांच एजेंसियों की कार्यशैली और उसके मुकदमों में दोष सिद्धि की दर के बारे में केन्द्रीय जांच ब्यूरो को हलफनामा दाखिल करने के शीर्ष अदालत के आदेश के जवाब में सामने आयी। जांच ब्यूरो ने अपने हलफनामे में दावा किया कि उससे संबंधित 13,200 से ज्यादा मामले देश की विभिन्न अदालतों में लंबित हैं। इनमें शीर्ष अदालत में लंबित 706 मामले भी शामिल हैं। राज्य सरकारों के रवैये की वजह से सीबीआई की जांच अधर में लटके होने और विभिन्न स्तरों पर अदालतों में लंबित मामलों के बारे में अब शीर्ष अदालत को ही कोई न कोई तर्कसंगत समाधान निकालना होगा।
उम्मीद की जानी चाहिए कि केन्द्र और राज्यों के बीच सीबीआई मामलों की जांच विभिन्न कारणों से लंबे समय से अधर में लटकी होने का विवाद जल्द सुलझा लिया जायेगा। यही नहीं, अदालतों में लंबित मामलों के शीघ्र निस्तारण के बारे में शीर्ष अदालत केंद्रीय जांच एजेंसियों के साथ ही राज्य सरकारों को भी उचित आदेश देगी।

आज का राशिफल

मेष : आज आपका मन वैचारिक धरातल पर मानसिक व्यग्रता का अनुभव करेगा। आज किसी के साथ वाद-विवाद में न उतरिएगा। स्वजनों, स्नेहीजनों के साथ मनदु:ख होगा। आपका मानभंग होने का प्रसंग न बने, इसका ध्यान रखिएगा। नए कार्य के प्रारंभ में निष्फलता मिलेगी।

वृष : आर्थिक आयोजन प्रारंभ में कुछ अड़चन के साथ पूर्ण होते हुए लगेंगे। मित्रों-शुभेच्छकों के मिलन से आपको आनंद होगा। व्यावसायिक क्षेत्र में सहकारपूर्ण वातावरण रहेगा। शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। पूंजी निवेश करनेवालों को चाहिए कि वे सावधानीपूर्वक निवेश करें।

मिथुन : आपके दिन का प्रारंभ शारीरिक और मानसिक स्वस्थता के साथ होगा। परिवारजनों और मित्रों के साथ आनंदपूर्वक समय बिताएंगे। खर्च अधिक न हो इसका ध्यान रखिएगा। पूंजी निवेश का कार्य संभालकर करें। सहकर्मचारियों का सहकार प्राप्त कर सकेंगे।

ककर् : आज आंखों के दर्द से व्यग्रता होगी। साथ में मानसिक चिंता भी रहेगी। वाणी और वर्तन में ध्यान रखिएगा। भ्रांति खड़ी न हो इसका भी ध्यान रखिएगा। मध्याहन के बाद आपकी समस्या से परिवर्तन आएगा। आर्थिक दृष्टि से भी लाभ होगा। शारीरिक और मानसिक परिस्थिति में भी सुधार होता हुआ दिखेगा। परिवार का वातावरण भी आनंदप्रद रहेगा।

सिंह : आज आपके मन में क्रोध और आवेश की भावना रहने से आप लोगों के साथ व्यवहार संभलकर करिएगा। आरोग्य के लिए आज का दिन शुभ नहीं है। मन में व्यग्रता रहेगी। परिजनों के साथ उग्रतापूर्ण व्यवहार हो सकता है, ध्यान रखें।

कन्या : आपका आज का प्रात:काल आनंदप्रद और लाभप्रद रहेगा। व्यवसाय और व्यापार के क्षेत्र में लाभ होगा। सामाजिक क्षेत्र में आपकी प्रशंसा होगी। वसूली के पैसे आएँगे। परिवार में भी आनंद का वातावरण रहेगा, परंतु मध्याहन के बाद परिस्थिति में आपको प्रतिकूलता दिखेगी।

तुला: आज आपको शारीरिक और मानसिक सुख अच्छा रहेगा। व्यवसाय या व्यापार में आप उत्साहपूर्वक कार्य करेंगे। पदोन्नति होगी। सरकारी कार्य सरलतापूर्वक संपन्न होंगे। सामाजिक दृष्टिकोण से आपका मान-सम्मान बढ़ेगा। धन के निवेश के लिए समय अनुकूल है।

वृश्चिक : आज विरोधियों और प्रतिस्पर्धियों के साथ वाद-विवाद में न पड़ें। व्यवसाय या व्यापार में परिस्थिति अनुकूल नहीं होगी। संतानों के साथ मतभेद होने की संभावना है। परंतु मध्याहन के बाद घर, कार्यालय या व्यावसायिक स्थल पर उपरी कर्मचारियों का व्यवहार नकारात्मक होगा।

धनु : आज क्रोध से हानि होने की संभावना है। शारीरिक और मानसिक अस्वस्थता से आप व्यग्र रहेंगे। व्यावसायिक क्षेत्र में उच्च कर्मचारियों का व्यवहार नकारात्मक रहेगा। संतानों के प्रश्नों के विषय में चिंता सताएगी। प्रतिस्पर्धियों और विरोधियों से चेतकर चलिएगा। महत्त्वपूर्ण कार्यों में निर्णय न लीजिएगा।

मकर : आज रुचिकर स्वजनों के साथ घूमने-फिरने का और खान-पान का प्रसंग उपस्थित होगा। वाहन-सुख मिलेगा तथा मान-सम्मान भी मिलेगा। परंतु मध्याहन के बाद आपको शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ेगा। अधिक खर्च हो जाएगा। स्वभाव में क्रोध की मात्रा अधिक रहेगी।

कुंभ : आज आपको कार्य-सफलता और यश-कीर्ति मिलेंगे। शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। सामाजिकरुप से मान-प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। मध्याहन के बाद आप मनोरंजन का कार्यक्रम बनाएंगे।

मीन : आज का आपका दिन अच्छी तरह से बीतेगा। कला के क्षेत्र में आपकी अभिरुचि बढ़ेगी। मित्रो से हुई भेंट से आनंद होगा। प्रियपात्र के साथ हुई भेंट आनंददायी होगी। घर में सुख-शांति का वातावरण बना रहेगा। मध्याहन के बाद आर्थिक लाभ की संभावना है।

शौचालयों से ही समृद्धि संभव

गजेंद्र सिंह शेखावत –
हाल ही में सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हुई। बिना चप्पल यानि नंगे पांव आदिवासी पोशाक पहने 72 वर्षीय पद्म से सम्मानित तुलसी गौड़ा की सोशल मीडिया में छाई हुई तस्वीर ने लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा। उस तस्वीर ने अकेले ही उन चैंपियनों को पुरस्कृत करने की सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया, जो समाज में जमीनी स्तर पर अपना योगदान दे रहे हैं और सहज रूप से सुर्खियों से दूर रहकर साधु जैसी एकाग्रता के साथ चुपचाप अपना काम करते हैं। इसी तरह की एक तस्वीर 2016 में भी वायरल हुई थी। वह माननीय प्रधानमंत्री की 105 वर्षीय कुंवर बाई को नमन करते हुए तस्वीर थी। कुंवर बाई ने अपने गांव में शौचालय बनाने के लिए 10 बकरियां और अपनी अधिकांश संपत्ति बेच दी थी। इस किस्म के दृश्य संख्या और आंकड़ों के मामले में हमारी उपलब्धियों के समान ही मर्मस्पर्शी और जश्न मनाने लायक हैं। जब भारत ने 108 मिलियन शौचालयों का निर्माण कर खुले में शौच से मुक्त का दर्जा हासिल किया तो यह कुंवर बाई की उतनी ही जीत थी, जितनी माननीय प्रधानमंत्री की। चैंपियन हमेशा सरकार की नीतियों के सह-उत्पाद नहीं होते, बल्कि कभी-कभी नीतियां भी चैंपियनों से प्रेरणा लेती हैं। जैसाकि प्रधानमंत्री अक्सर कहते हैं, जब प्रत्येक भारतीय सिर्फ एक कदम उठाता है तो भारत 135 करोड़ कदम आगे बढ़ता है। स्वच्छ भारत अभियान, जल शक्ति अभियान, जल जीवन मिशन और हाल ही में टीकाकरण अभियान जैसे जन-आंदोलन इस उक्ति के जीवंत उदाहरण हैं।
मार्मिकता और प्रेरणा की बात तो एक तरफ, लेकिन किसी आंदोलन की शुरुआत करना और उसे गति देना नीतिगत मूल्य श्रृंखला का केवल एक पहलू है। उस आंदोलन की गति को बनाए रखना और पुरानी आदतों की ओर लौटने को हतोत्साहित करना कहीं अधिक बड़ी चुनौती है और इसके लिए व्यापक तकनीकी विशेषज्ञता एवं आधारभूत संरचना की जरूरत होती है। इस उद्देश्य के लिए, स्वच्छता से संबंधित मूल्य श्रृंखला के सभी स्थिर और गतिमान रहने वाले हिस्सों की पड़ताल यानी मल अपशिष्ट की रोकथाम, उसे खाली करना, उसका परिवहन, उसका शोधन और उसके दोबारा उपयोग या निपटान का अहम महत्व है। इन तथ्यों के आलोक में, भारत सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) चरण- 2 को 1,40,881 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ मंजूरी दी थी। इसके तहत खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) की स्थिति और ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन की निरंतरता पर ध्यान केंद्रित किया गया था।
इस विकराल समस्या का केंद्र बिंदु और इसकी सबसे बड़ी पहेलियों में से एक है मल से संबंधित गाद का प्रबंधन (एफएसएम), जोकि खुले में शौच से मुक्त प्लस भारत का एक महत्वपूर्ण लेकिन चुनौतीपूर्ण हिस्सा है। सामुदायिक शौचालयों के निर्माण, ठोस एवं तरल कचरे के प्रभावी प्रबंधन और गांवों की दिखने लायक सफाई के साथ–साथ ओडीएफ प्लस की स्थिति को स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) चरण-ढ्ढढ्ढ के प्रमुख फोकस क्षेत्र के रूप में गिना जाता है। सेप्टिक टैंक और सिंगल पिट जैसे स्थल पर सफाई से जुड़े शौचालयों की काफी संख्या होने की वजह से मल से संबंधित गाद का प्रबंधन (एफएसएम) ग्रामीण क्षेत्रों में सुरक्षित तरीके से स्वच्छता प्रदान करने की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है।
आगे आने वाली चुनौतियों की विकरालता हमें सर्वोत्तम प्रथाओं और केस स्टडी की पहचान करने के लिए मजबूर करती है। ऐसा ही एक उदाहरण मध्य प्रदेश के इंदौर जिले के कालीबिल्लौद गांव का है। ग्राम पंचायत द्वारा संचालित एवं व्यवस्थित कालीबिल्लौद मल गाद शोधन संयंत्र, तीन ग्राम पंचायतों के समूह के 45,870 लोगों की जरूरतों को पूरा करता है और इसकी क्षमता तीन किलोलीटर मल से संबंधित गाद के शोधन की है। विभिन्न सेवा प्रदाता हर दिन 3000 लीटर गाद एकत्रित करते हैं। यह गाद शोधन की विभिन्न प्रक्रियाओं से गुजरता है और इसका अंतिम उत्पाद एक किस्म का शोधित अपशिष्ट होता है, जोकि आसपास के परिदृश्य को सुन्दर बनाने के काम आता है।
इस किस्म के अन्य चैंपियनों के साथ कालीबिल्लौद एक मिसाल है। इनमें से प्रत्येक चैंपियन को स्थानीय परिस्थितियों और चुनौतियों के अनुरूप ढाला गया है। ग्रामीण भारत स्वच्छता के क्षेत्र में की जाने वाली किसी भी पहल के सामने एक बहुत बड़ी बाधा खड़ी करता है। ग्रामीण भारत में जल–निकासी की व्यवस्था (सीवरेज सिस्टम) का न होना सबसे बड़ी बाधा है। इस प्रकार, यह मल अपशिष्ट के सुरक्षित प्रबंधन पर अधिकतम बोझ डालता है। ट्विन लीच पिट को छोड़कर, सिंगल पिट और सेप्टिक टैंक जैसी मल अपशिष्ट की रोकथाम से जुड़ी अन्य प्रणालियों में मल से संबंधित गाद को हटाकर खाली करने की जरूरत होती है।
स्वच्छ भारत अभियान द्वारा स्वास्थ्य और मानव दिवस की दृष्टि से प्रति परिवार प्रति वर्ष 50,000 रुपये की बचत का एकमात्र कारण ट्विन पिट जैसे दूरदर्शी उपाय की शुरुआत थी, जिसके बिना स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) एक बहुत ही बड़ी और अपेक्षाकृत अधिक अनसुलझी समस्या का कारक साबित होता। ट्विन पिट इस सरकार की दूरदर्शिता का एक आदर्श उदाहरण है। यह बेहद ही कम लागत पर स्थल पर शोधन की सुविधा प्रदान करता है। अन्यथा बिना ट्विन पिट के बने 108 मिलियन शौचालयों ने पूरे इकोसिस्टम को नष्ट कर दिया होता, हमारे भूजल को जहरीला बना दिया होता और आम तौर पर हर किसी के लिए जीवन को एक बदबूदार नरक बना दिया होता।
अधिकांश चुनौतियों की जड़ें स्वच्छ भारत के पूर्व के दिनों में हैं, जहां शौचालयों का निर्माण इसके रख-रखाव के बारे में सोचे-समझे बिना किया जाता था। स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) मल से संबंधित गाद के प्रबंधन के जरिए वर्तमान में जो कर रहा है, वह और कुछ नहीं बल्कि अतीत की गलतियों को दूर करना और स्वच्छता की खराब प्रणालियों के कारण भूजल एवं जल निकायों में मल की वजह से पैदा होने वाले रोगजनकों के रिसाव को रोकना है। मल प्रबंधन के क्षेत्र में छोटे स्तर के अकुशल एवं अक्सर बिना मशीनी सुविधा वाले अनौपचारिक सेवा प्रदाताओं की भीड़ है। अराजकता के इस वातावरण में समझ पैदा करना और व्यवस्था में अनुशासन लाना एक ऐसी कठिन चुनौती है जिससे हमें स्वच्छता की राह में जूझना होगा। सर्वोत्तम प्रथाओं, जिनके बारे में हमने इस लेख में गंभीरता से चर्चा की है, को संस्थागत बनाना आगे के रास्तों में से एक है। ट्विन पिट की शानदार प्रणाली एक बार फिर से चर्चा में है क्योंकि हम सिंगल पिट को भी तेजी से ट्विन पिट में परिवर्तित कर रहे हैं। जहां तक सेप्टिक टैंक का सवाल है, आंशिक रूप से शोधित अपशिष्ट जल के निपटान के उद्देश्य से सेप्टिक टैंक के लिए लीच पिट बनाए जा रहे हैं।
विश्व शौचालय दिवस 2021 का विषय ‘शौचालयों का महत्वÓ है। अगर दुनिया में किसी देश ने सही मायने में शौचालय को महत्व दिया है, तो वह इस सरकार के अधीन यह देश है। जहां दूसरों ने शौचालयों को कचरे के रूप में देखा, वहीं हमने इसे महिलाओं के आत्मसम्मान को बनाए रखने के एक साधन के रूप में देखा। जहां कई लोगों ने शौचालयों को एक विषय के रूप में चर्चा के लिए प्रधानमंत्री के पद की गरिमा के प्रतिकूल माना, वहीं माननीय प्रधानमंत्री ने लालकिले की प्राचीर से इसके बारे में बात की। उन्होंने इसे अपने जीवन का मिशन बना लिया और कुंवर बाई जैसे लाखों लोग उनके इस अभियान में शामिल हुए। अब स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) चरण-2 की जिम्मेदारी को आगे सौंपा गया है और मुझे विश्वास है कि 2030 तक सतत विकास लक्ष्यों में शामिल छठा लक्ष्य यानी सभी के लिए पानी और स्वच्छता के लक्ष्य को हासिल कर लिया जाएगा। उस पायदान पर खड़े होना वाकई एक शानदार उपलब्धि होगी और एक राष्ट्र के रूप में, हम इसके लिए तैयार हैं। स्वच्छता के चैंपियन के रूप में अपनी स्थिति बनाए रखने के लिए हम तैयार हैं। हम एक बार फिर से खुद को गौरवान्वित करने के लिए तैयार हैं।
(लेखक केंद्रीय जल शक्ति मंत्री हैं)

आज का राशिफल

मेष : आज आप का दिन शुभ फलदायी होगा। विचारों में अति शीघ्र परिवर्तन आने की वजह से महत्त्वपूर्ण कार्यों में अंतिम निर्णय लेना सरल नहीं होगा। कार्य के संदर्भ या किसी विशिष्ट कारण से यात्रा के योग हैं। लेखनकार्य के लिए अच्छा दिन है। बौद्धिक एवं तार्किक विचार विनिमय हो सकता है। किसी भी महिला के साथ विवाद में न उतरें।

वृषभ : अर्निणय वाली मनोदशा के फल स्वरूप हाथ आए अवसर आज आप गवाँ सकते हैं। समझौता करने की वृत्ति रखोगे तो किसी से संघर्ष नहीं होगा। प्रवास का आयोजन टाल दीजिएगा। लेखक, कलाकार एवं सलाहकारों के लिए दिन बहुत अनुकूल है। किसी नए कार्य का प्रारंभ आज न करें।

मिथुन : लक्ष्मीजी की कृपा से आज आप का दिन आर्थिक दृष्टिकोण से लाभदायी रहेगा। स्वादिष्ट व उत्तम भोजन, सुंदर वस्त्रालंकार एवं सज्जा तथा मित्रों एवं परिवारजनों के साथ से आज का दिन मानसिक दृष्टि से अत्यंत आनंददायी होगा। स्वास्थ्य भी अच्छा रहेगा। धन का अधिक व्यय न हों इसका ध्यान रखिएगा।

कर्क  : त्रिशंकु जैसी मन:स्थिति के कारण कोई भी महत्त््वपूर्ण निर्णय आज न लें। संबंधीजनों से मनमुटाव के प्रसंग हो सकते हैं। पारिवारिक कार्यों के पीछे व्यय हो सकता है। वाणी पर संयम रखिएगा। मन में अगर कोई भ्रांति हो तो स्पष्टता करनी आवश्यक है। स्वास्थ्य का ध्यान रखिएगा। मानहानि एवं धनहानि से बचिएगा।

सिंह : आज का दिन लाभदायी है। मित्रों व स्त्री मित्रों से लाभ होने की संभावना है। किसी सुंदर स्थल के पर्यटन की संभावना है। अनिर्णायक्ता के कारण हाथ आया अवसर जा सकता है। अधिकतर समय विचारों में व्यस्त रहेंगे। व्यापार एवं आर्थिक लाभ के योग हैं।

कन्या : आज का दिन शुभ फलदायी है। नए कार्य के आयोजन संपन्न होंगे। व्यापारीवर्ग एवं नौकरीपेशा लोगों के लिए भी समय बहुत अच्छा है। व्यापार में लाभ एवं नौकरी में पदोन्नति के योग हैं। पिता से लाभ होने की संभावना है। परिवार में आनंद का वातावरण बना रहेगा।

तुला : व्यावसायिक क्षेत्र में लाभ की संभावना है। नौकरी व व्यापार में सहकर्मियों से पूर्ण सहयोग नहीं मिलेगा। लंबी यात्रा व किसी धार्मिक स्थल पर जाने का आयोजन हो सकता है। लेखनकार्य एवं बौद्धिक क्षेत्र में आप सक्रिय रहेंगे।

वृश्चिक : आज का दिन शांतिपूर्वक व सावधानीपूर्वक रूप से बिताने की गणेशजी की सलाह है। नए कार्यों में असफलता प्राप्त होने के योग हैं, इसलिए कोई नया काम प्रारंभ न कीजिएगा। क्रोध पर संयम रखिएगा। सरकार विरोधी प्रवृत्तियों से दूर रहिएगा। खर्च के बढ़ जाने से आर्थिक संकट भी खड़ा हो सकता है।

धनु : आज का दिन आनंदपूर्वक बीतेगा। मनोरंजन के प्रसंग से आपका मन प्रफुल्लित रहेगा। विपरीत लिंगीय व्यक्तियों के सहवास से आपको आनंद मिलेगा। मित्रों के साथ प्रवास, पर्यटन का आयोजन हो सकता है। लेखनकार्य के लिए दिन बहुत अनुकूल है।

मकर : व्यापार में विकास के लिए आज का दिन बहुत लाभकारी रहेगा। व्यावसाय में आप अपने आयोजन के अनुसार कार्य कर सकेंगे। धन की लेन-देन में भी सफलता मिलेगी। व्यापार से संबंधित कार्यों में बाधा आएगी। स्वास्थ्य अच्छा रहेगा।

कुंभ : आप के वाणी तथा विचारों में शीध्र परिवर्तन होगा। बौद्घिक चर्चा में आप जुड़ेंगे। लेखनकार्य तथा सर्जनात्मक प्रवृत्तियों से आनंद मिलेगा। आकस्मिक खर्च की संभावना है। पाचन न होने की व अजीर्ण जैसी बीमारियों से स्वास्थ्य बिगड़ सकता है।

मीन : आज आप में उत्साह तथा स्फूर्ति की कमी दिखाई देगी। परिवारजनों के साथ विवाद में न उतरने की सलाह है। शारीरिक तथा मानसिक अस्वस्थता का अनुभव होगा। कई अप्रिय घटनाओं से आपका मन खिन्न रह सकता है। नौकरी में चिंता रहेगी।

रोजमर्रा के कई कामों को आसान बना सकते हैं स्किन टोनर से जुड़े ये हैक्स

स्किन टोनर एक तरह का स्किन केयर प्रोडक्ट है, जो त्वचा को गहराई से साफ करने और त्वचा के रोमछिद्रों को टाइट करने में भी मदद कर सकता है। हालांकि, आप चाहें तो स्किन टोनर का इस्तेमाल त्वचा के साथ-साथ अपनी रोजमर्रा की कई छोटी-मोटी समस्याओं को हल करने के लिए कर सकते हैं। चलिए फिर आज हम आपको स्किन टोनर से जुड़े कुछ ऐसे बेहतरीन हैक्स के बारे में बताते हैं, जिनके बारे में आपको शायद ही पता हो।
दीवार से इंक और मार्कर के निशान हटाएं
अगर आपके घर में छोटे बच्चे हैं तो आपको आए दिन घर की दीवारों से इंक और मार्कर के निशान साफ करने के लिए मेहनत करनी पड़ती होगी। आप चाहें तो इस काम को आसान बनाने के लिए स्किन टोनर की मदद ले सकते है। इसके लिए एक कपड़े के थोड़े से हिस्से पर स्किन टोनर लगाएं और फिर इसे इंक और मार्कर के निशान पर रगड़ें। इससे इंक और मार्कर के निशान तुरंत गायब हो जाएंगे।
शीशों को साफ करने में करें मदद
बाथरूम या फिर ड्रेसिंग टेबल के शीशे पर लगे जिद्दी दागों को कुछ ही मिनट दूर करने के लिए भी स्किन टोनर का इस्तेमाल किया जा सकता है। बस इसके लिए आप एक कटोरी में सफेद सिरके के साथ स्किन टोनर को बराबर मात्रा में मिलाएं, फिर एक खाली स्प्रे बोतल में घोल डालें और इसे अपने बाथरूम या फिर ड्रेसिंग टेबल के शीशों पर अच्छे से छिड़कें। 10 मिनट बाद एक नम कपड़े का इस्तेमाल करके इन्हें पोंछें।
मेकअप साफ करने के आए काम
रात को सोने से पहले अगर मेकअप न साफ किया जाए तो इससे त्वचा का स्वास्थ्य प्रभावित होता है। अगर आपके पास मेकअप रिमूवर नहीं है तो आप मेकअप हटाने के लिए स्किन टोनर का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए मेकअप वाले चेहरे पर थोड़ा सा स्किन टोनर लगाकर थोड़ी मसाज करें। इसके बाद अपने चेहरे को टिश्यू पेपर से पोंछ लें और अंत में अपना चेहरा पानी से धो लें।
लैपटॉप को साफ और सैनिटाइज करें
लैपटॉप को साफ-सुथरा न रखने की वजह से इसकी ऑपरेटिंग में समस्या आने लगती है। इसलिए समय-समय पर लैपटॉप की सफाई आवश्यक हो जाती है। इसके लिए आप स्किन टोनर का इस्तेमाल कर सकते हैं। सफाई लिए पहले रूई पर थोड़ा सा स्किन टोनर लगाएं, फिर इससे अपने पूरे लैपटॉप को साफ करें। इसके बाद लैपटॉप को एक साफ माइक्रोफाइबर कपड़े से पोंछे। आप चाहें तो ऐसे ही अपने मोबाइल को भी साफ कर सकते हैं। (एजेंसी)

प्राइवेट प्रेक्टिस में लगे सरकारी डाक्टरों पर कार्रवाई करें सरकार – रामप्रकाश तिवारी

रांची, स्वतंत्र राष्ट्रवादी पार्टी के झारखंड प्रदेश अध्यक्ष राम प्रकाश तिवारी ने झारखंड सरकार के मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन और स्वास्थ्य मंत्री श्री बन्ना गुप्ता से मांग करते हुए कहा है कि झारखंड राज्य के तमाम जिलों,प्रखंडो, अनुमंडल स्थित सभी सरकारी अस्पतालों और राजधानी राॅंची के सदर अस्पताल,रिम्स अस्पताल, रिस्पांस अस्पताल में कार्यरत अधिकांश डाक्टर प्राइवेट प्रेक्टिस कर रहे हैं जिसके कारण सरकारी अस्पतालों में ईमानदारी से अपनी सेवा नहीं दे रहे हैं उल्टे मरीजों को समय पर जिम्मेदारी से इलाज न करके अपने द्वारा संचालित प्राइवेट अस्पतालों में इलाज कराने के लिए मरीजों को बुलाने और मोटी रकम फीस वसुलते रहते हैं सरकारी वेतन,भत्ता लेने के साथ प्राइवेट प्रेक्टिस से हजारों लाखों रूपए की कमाई करते हैं उनके विरुद्ध तत्काल जांच करवाकर नौकरी से बर्खास्त करने और नए डाक्टरों की बहाली के लिए झारखंड सरकार जरूरी कदम उठाये।
प्रदेशाध्यक्ष श्री तिवारी ने कहा है कि झारखंड की लाखों गरीब जनता को सरकारी अस्पतालों में अच्छी इलाज,दवा की सुविधा नहीं मिलने से  गरीब मरीजों की मृत्यु होने के मामले आ रहे हैं। गरीब मरीजों को मुफ्त दवा उपलब्ध नहीं किया जा रहा है करोड़ों रूपए के दवाओं के खरीद, वितरण में भारी घोटालों की खबरें मिल रही है।पांच सौ करोड़ में बने सदर अस्पताल,राॅंची मे दवाओं की भारी  कमी और गंदगी फैला हुआ है सरकार तत्काल सदर अस्पताल में सभी व्यवस्थाएं दुरुस्त करें, विशेष पुरे परिसर, अस्पताल के सभी कमरों,फर्नीचरों की रख-रखाव, सफाई की व्यवस्था ठीक करें।
रामप्रकाश तिवारी ने मांग करते हुए कहा है कि मरीजों को समय पर बेहतर इलाज कि सुविधा देने के लिए सभी डाक्टरों ,नर्सो, कर्मचारियों की नियमित उपस्थिति सुनिश्चित करें।ताकि गरीब जनता को बेहतर इलाज की सुविधा मिल सके।
श्री तिवारी ने चेतावनी देते हुए कहा है किअगर स्वास्थ्य मंत्री,अपर मुख्य सचिव सरकारी अस्पतालों की व्यवस्था में सुधार नहीं करते हैं और गरीब मरीजों को दवाओं को उपलब्ध नहीं कराती है साथ ही प्राइवेट प्रेक्टिस में लगे सरकारी डाक्टरों को नौकरी से बर्खास्त नहीं किया जाता है तो स्वतंत्र राष्ट्रवादी पार्टी आंदोलन करेगी।
इसकी जानकारी रामप्रकाश तिवारी  प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र राष्ट्रवादी पार्टी  झारखंड,राॅंची  ने दी

लेगिंग्स पहनते समय न करें ये गलतियां, बिगड़ सकता है लुक

लेगिंग्स एक स्टाइलिश और कंफर्टेबल बॉटम वियर है जिसे महिलाएं अपने हर तरह के अपर वियर के साथ पहन सकती हैं। हालांकि कई बार ऐसा होता है कि महिलाएं लेगिंग पहनते समय कुछ ऐसी गलतियां कर बैठती हैं जिनके कारण उनका लुक बिगड़ जाता है। आइए आज हम आपको कुछ ऐसी ही सामान्य गलतियों के बारे में बताते हैं जिनसे महिलाओं को लेगिंग पहनते समय बचना चाहिए ताकि उनका लुक खूबसूरत लगे।

लो वेस्ट लेगिंग्स पहनना

आजकल मार्केट में कई तरह की लेगिंग्स मौजूद हैं जिनमें लो-वेस्ट लेगिंग्स भी शामिल हैं, लेकिन इस तरह की लेगिंग्स को पहनने से बचें। खासकर अगर आप टॉप या शर्ट पहन रही हैं तो इनके साथ लो-वेस्ट लेगिंग पहनने की गलती न करें, बल्कि इनके साथ हाई वेस्ट लेगिंग्स को चुनें। यह न केवल आपके कूल्हों को अच्छी तरह से कवर करेगी बल्कि इसे पहनने से आपको अधिक स्लिम लुक भी मिलेगा।

ड्रेसेस के नीचे लेगिंग पहनना

अधिकतर महिलाएं शॉर्ट ड्रेसेस या फिर स्कर्ट के नीचे लेगिंग पहन लेती हैं, लेकिन यह उनकी सबसे बड़ी गलती है। बेशक कुछ सालों पहले तक यह ट्रेंड में था, लेकिन अब ऐसा करना अच्छा नहीं माना जाता है। अगर आप आउटिंग के दौरान या केजुअल्स में लेगिंग्स को एक स्मार्ट तरीके से पहनना चाहती हैं तो इसे ड्रेसेस के नीचे पहनने की बजाय टी-शर्ट और जैकेट के साथ पहनें।

क्रॉप टॉप के साथ लेगिंग पहनना

क्रॉप टॉप के साथ लेगिंग पहनना भी एक गलती है क्योंकि इससे आपका लुक देखने में काफी अजीब लग सकता है। दरअसल, लेगिंग बहुत सॉफ्ट मटीरियल से बनाई जाती हैं, इसलिए यह आपके शरीर और त्वचा से चिपक जाती हैं। क्रॉप टॉप के साथ लेगिंग पहनने से आपके कूल्हें जरूरत से ज्यादा दिखेंगे, जिसके कारण शायद आप खुद को कंफर्टेबल महसूस न करें।

प्रिंटेड लेगिंग पहनना

यूं तो मार्केट में कई तरह के प्रिंट्स वाली लेंगिंग्स मौजूद हैं और आपने कई महिलाओं को ऐनिमल प्रिंट वाली लेगिंग पहने भी देखा होगा। हालांकि, आप इन्हें खरीदने की गलती बिलकुल न करें क्योंकि ये देखने में अच्छी नहीं लगती हैं। अगर आपने अब तक लेगिंग ट्राई नहीं की हैं तो काले या सफेद रंग की लेगिंग को चुनें क्योंकि इसे आप हर रंग की कुर्ती से लेकर लूज टॉप तक के साथ पहनकर खूबसूरत लग सकती हैं।(एजेंसी)

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