02.06.2022 – ज्योतिरादित्य सिंधिया – नागरिक उड्डयन के क्षितिज पर नई सुबह. जब भारत की पहली व्यावसायिक उड़ान ने 1911 में इलाहाबाद के भीतर उड़ान भरी, तो दुनिया को भारत जैसे कीमत के मामले में संवेदनशील और उभरते बाजार में उड्डयन के इस क्षेत्र में किसी उल्लेखनीय विकास की उम्मीद कम ही थी। हालांकि, समय के साथ, भारत के उभरते मध्यम वर्ग ने परिवहन के इस साधन को अपनाया और इसी क्रम में बड़े पैमाने पर किफायत की वजह से किराये में गिरावट आई। कुल मिलाकर, वर्ष 2016 तक की भारतीय नागरिक उड्डयन क्षेत्र के विकास की यही कहानी है।
वर्ष 2016 में, इस क्षेत्र में एक आमूल बदलाव हुआ। हवाई अड्डों के दरवाजे पहली बार उड़ान भरने वालों, जिनमें से ज्यादातर हवाई चप्पल पहनने वाले यानी भारत की गरीब से लेकर निम्न मध्यम वर्ग की आबादी, के लिए खोल दिए गए। निश्चित रूप से, यह रूझान केवल शहरों में रहने वालों तक ही सीमित नहीं था। दरभंगा, झारसुगुड़ा और किशनगढ़, जिनका पहले भारत के विमानन मानचित्र पर नामोनिशान तक नहीं था, जैसी जगहों पर छोटे-छोटे हवाई अड्डे शुरू हो गए। दरभंगा और झारसुगुड़ा, दोनों हवाई अड्डों ने पिछले एक साल में क्रमश: 5.75 लाख और 2.4 लाख यात्रियों की सेवा की है।
यह वो बदलाव है जिसकी शुरुआत प्रधानमंत्री मोदी के गतिशील नेतृत्व ने नीति निर्माण की समेकित दृष्टिकोण के तहत की है और जिसने वाकई समाज के सबसे निचले तबके के लोगों को लाभान्वित किया है। 2016 में उड़ान योजना के माध्यम से हवाई यात्रा के लोकतंत्रीकरण की शुरुआत और हालिया हेली-नीति नागरिक उड्डयन के क्षेत्र में इस सरकार की अब तक की दो सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक रही है। पिछले आठ वर्षों में (70 वर्षों में 74 हवाई अड्डों की तुलना में) भारत के पहले वाटर एयरोड्रोम सहित 67 से अधिक हवाई अड्डों के साथ, 9 मिलियन से अधिक यात्रियों ने उड़ान योजना के तहत विभिन्न उड़ानों के माध्यम से 419 उन नए मार्गों पर यात्रा की है, जो 2014 तक नागरिक उड्डयन के दायरे से बाहर थे।
इस लोकतंत्रीकरण का मतलब किसी भी तरह से एयरलाइन उद्योग के विकास के साथ कोई समझौता करना नहीं था। घरेलू यात्रा करने वाले यात्रियों की वार्षिक संख्या 2013-14 में 60 मिलियन से बढ़कर 2019-20 में 141 मिलियन तक पहुंच गई और 2023-24 तक इस संख्या के 400 मिलियन तक पहुंच जाने की उम्मीद है। उच्च लागत और अति-नियमन से बुरी तरह प्रभावित इस क्षेत्र में एक समय कंपनियों के लिए न सिर्फ प्रवेश करना कठिन बन गया था बल्कि प्रवेश करने के बाद इसमें खुद को बनाये रखना और भी कठिन हो गया था। वर्ष 2005 से लेकर 2013 के बीच आधा दर्जन एयरलाइनों को अपना कारोबार बंद करने पर मजबूर होना पड़ा। लेकिन 2014 के बाद, इस सरकार के न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन के आदर्श वाक्य ने इस परिदृश्य को उलट दिया है। निरर्थकता और अक्षमताओं को लगभग समाप्त कर दिया गया है। हमारे नियामकों, डीजीसीए और बीसीएएस, ने अधिकांश प्रक्रियाओं को ऑनलाइन कर दिया है। घाटे में चल रही सरकारी एयरलाइन, एयर इंडिया के निजीकरण को अंतत: इस साल एक जीत में बदल दिया गया और परिपाटी के उलट जाकर 11 नई क्षेत्रीय एयरलाइनें शुरू हुई हैं। इसके अलावा, दो नई एयरलाइनें जल्द ही अपना परिचालन शुरू करने जा रही हैं।
इस क्षेत्र में तेजी के इस नए रूख को हवाई अड्डे से संबंधित बुनियादी ढांचे में बड़े पैमाने पर सरकारी एवं निजी निवेश द्वारा पूरक बनाया गया है। वर्ष 1999-2013 की अवधि में, सिर्फ तीन ग्रीनफील्ड हवाई अड्डों का परिचालन शुरू किया गया था। इसके उलट, पिछले आठ वर्षों में आठ नए ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे बनकर तैयार हुए हैं। इसके अलावा, इस वर्ष दो और हवाई अड्डे बन जायेंगे। यहां तक कि कोविड-19 का असर भी कैपेक्स पाइपलाइन के 93,000 करोड़ रुपये के व्यापक निवेश के माध्यम से हवाई अड्डों के विस्तार की हमारी योजनाओं में बाधक नहीं बन सकेगा। विस्तार की ये योजनाएं इस तरह से बनाई जायेंगी कि भारत में न सिर्फ बुनियादी ढांचे, बल्कि कनेक्टिविटी के मामले में भी उछाल आएगा। अपने प्रमुख हवाई अड्डों को एविएशन हब में बदलकर, अधिक विस्तृत आकार वाले विमान लाकर और अपने द्विपक्षीय समझौतों पर फिर से विचार करके संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, अफ्रीका और सुदूर यूरोप के लिए सीधे अंतरराष्ट्रीय कनेक्टिविटी को प्रोत्साहित किया जाएगा।
दूसरा आमूल बदलाव इस क्षेत्र में एक नए संपूर्ण-सरकारी दृष्टिकोण (होल-ऑफ-गवर्नमेंट एप्रोच) के रूप में हुआ है, जिसने अब पूरे विमानन इकोसिस्टम पर अपना ध्यान केंद्रित किया है। फ्लाइंग ट्रेनिंग ऑर्गनाइजेशन, ड्रोन, एयर कार्गो, एमआरओ, एयरक्राफ्ट लीजिंग आदि जैसे अब तक अनछुए संबद्ध क्षेत्रों को अब बड़े पैमाने पर आर्थिक और रोजगार सृजन क्षमता की दृष्टि से देखा जा रहा है। नया ड्रोन नियम 2021, नई एफटीओ नीति, नई एमआरओ नीति जैसी उदार नीतियों के साथ-साथ उपयुक्त प्रोत्साहन ने भारत में इन उद्योगों को उड़ान भरने के लिए उपयुक्त हवाई पट्टी तैयार की गई है। इनमें से प्रत्येक क्षेत्र नागरिक उड्डयन और पर्यटन को भारत के विकास के नए इंजन के रूप उभरने में समर्थ बनाने में महत्वपूर्ण साबित होगा। भारत को ड्रोन के मामले में विश्व में अग्रणी बनाने के प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण की वजह से ड्रोन ने विशेष तौर पर भारत में एक क्रांति की शुरुआत की है। बदलाव की इस गति से उत्साहित, ई-वीटीओएल भी जल्द ही भारतीय आसमान में उड़ान भरेंगे और आने वाले दिनों में कम दूरी की हवाई यात्रा के परिदृश्य को पूरी तरह बदल देंगे।
नए क्षेत्रों पर ध्यान केन्द्रित करके, ट्राइट नीति की व्यवस्था को समाप्त करके, निजी भागीदारी के माध्यम से दक्षता सुनिश्चित करके, नए बाजारों की तलाश और मांग का सृजन करके अगले कुछ दशकों में नागरिक उड्डयन के क्षेत्र में विकास की नींव वर्तमान में रखी जा रही है। जैसे-जैसे भारत दुनिया की सबसे तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था बनने की ओर बढ़ रहा है, वह निकट भविष्य में घरेलू विमानन बाजार के मामले में भी सर्वश्रेष्ठ होने का खिताब हासिल करने की दिशा में तत्पर है।
(लेखक केन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री है)
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