जयपुर 12 जनवरी, (एजेंसी)। राजस्थान के जयपुर में आयोजित पीठासीन अधिकारियों के अखिल भारतीय सम्मेलन में सदन में हंगामा करने वाले सांसदों और विधायकों के लिए मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट बनाने, न्यायपालिका को संवैधानिक मर्यादा का पालन करने और जी-20 एवं पी-20 से जुड़े कार्यक्रमों सहित कुल नौ प्रस्तावों को पारित किया गया। अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन में पारित किए गए प्रस्तावों की जानकारी देते हुए लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बताया कि कानून बनाने के मामले में विधायिका सर्वोच्च है।
न्यायालय के पास कानून की न्यायिक समीक्षा का अधिकार है लेकिन न्यायपालिका को अपनी संवैधानिक मयार्दा का पालन करना चाहिए और हर कानून की समीक्षा के लिए पीआईएल उचित नहीं है। बिरला ने कहा कि इसके साथ ही पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में यह भी तय किया गया कि सदन में हंगामे को रोकने के लिए संसद और देश की विभिन्न विधानसभाओं में बने अच्छे नियमों को एक साथ लाकर एक मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट बनाया जाए।
इससे पहले समापन सत्र को संबोधित करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन ने सदैव विधायी निकायों में ठोस लोकतांत्रिक परंपराओं और संसदीय पद्धतियों तथा प्रक्रियाओं को सुस्थापित करने और विभिन्न विधान मंडलों में आपस में बेस्ट प्रैक्टिसेज साझा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी हैं।
उन्होंने कहा कि बदलते परिप्रेक्ष्य में विधान मंडलों की भूमिका भी महत्वपूर्ण हो गई है। विधायी निकायों में सार्थक, अनुशासित और उत्पादक चर्चा पर जोर देते हुए बिरला ने कहा कि सदनों में अधिकतम संवाद हो, तकनीक का सही उपयोग हो और जनता और विधायिका का जुड़ाव सशक्त हो। उन्होंने जोर देकर कहा कि पूर्व नियोजित संगठित व्यवधान लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है।
विधायिकाओं में नियमों और प्रक्रियाओं की एकरूपता की आवश्यकता को दोहराते हुए बिरला ने कहा कि वित्तीय स्वायत्तता के बावजूद, नियमों और प्रक्रियाओं की एकरूपता संसदीय लोकतंत्र को मजबूत करने में मदद करेगी। उन्होंने संसदीय समितियों को और मजबूत करने की वकालत करते हुए कहा कि संसदीय समितियों में दलगत भावना से ऊपर उठकर कार्य करने की उत्कृष्ट परंपरा है। वे मिनी संसद के रूप में कार्य करती हैं।
भारत की जी-20 अध्यक्षता का उल्लेख करते हुए बिरला ने कहा कि ये दुनिया को भारत के लोकतंत्र के बारे में बताने का अवसर है, अपनी क्षमताओं को ग्लोबल प्लेटफॉर्म देने का अवसर है। जी- 20 तथा इन देशों की संसदों के अध्यक्षों का पी-20 सम्मेलन हमारे लिए मात्र एक राजनयिक आयोजन नहीं होगा बल्कि इसमें जन जन की भागीदारी होगी। उन्होंने शांति और विकास के लिए सामूहिक वैश्विक प्रयासों का आह्वान किया।
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