नई दिल्ली, 1 जुलाई 2025 (Final Justice Digital News Desk/एजेंसी) – सिविल सर्विसेज ऑफिसर्स इंस्टिट्यूट , चाणक्यपुरी, नई दिल्ली में आज प्रसिद्ध साहित्यकार, समाजशास्त्री और संस्कृति-प्रेमी पद्मश्री डॉ. श्याम सिंह ‘शशि’ की स्मृति में “यायावर दिवस” का आयोजन भव्यता एवं गरिमा के साथ संपन्न हुआ।
यह कार्यक्रम अंतर -राष्ट्रीय सहयोग परिषद, ऑथर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, भारतीय आदिम जाति सेवक संघ, चाणक्य वार्ता, सी. एस. आर. रिसर्च फाउंडेशन, इंटरनेशनल गुडविल सोसाइटी ऑफ इंडिया, इंटरनेशनल ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन, नेचर व्यू, नागिरी लिपि तथा देशज फाउन्डेशन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया।
डॉ शशि के 1 जुलाई 2025 को 90 वे जन्मदिवस के अवसर पर यायावर दिवस मनाते हुए दीपप्रज्वलन के उपरांत ऑथर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया के महासचिव श्री शिव शंकर अवस्थी ने डॉ शशि को याद करते हए अपने संस्मरण सुनाए I अत्यंत भावुक स्वर में श्री अवस्थी ने बताया कि उनकी लगभग रोज फ़ोन पर चर्चा होती थी I
यद्यपि डॉ शशि 19 फरवरी 2025 को संसार से विदा हो गए मगर उन्हें आज भी महसूस होता है कि डॉ शशि का फ़ोन आएगा I जहाँ इंटरनेशनल ह्यूमन राइट्स आर्गेनाईजेशन के अध्यक्ष डॉ नेम सिंह प्रेमी ने डॉ शशि के व्यक्तित्व और कृतित्व पर अपने विचार रखे, वहीँ अंतरराष्ट्रीय सहयोग परिषद के श्री श्याम परांडे ने डॉ शशि के रोमा साहित्य और भारतीय संस्कृति पर अमूल्य योगदान का उल्लेख किया I
समारोह में डॉ ऋचा सिंह द्वारा संपादित ‘सभ्यता संस्कृति’ पत्रिका सभी आमंत्रित अतिथियों को वितरित की गईI श्री परांडे ने इस पत्रिका के सन्दर्भ में ख़ुशी जाहिर करते कहा कि यह पत्रिका डॉ शशि की विरासत है I उन्होंने सम्पादकीय टीम को बधाई दी I इस अवसर पर लेखक श्री लक्ष्मी नारायण भाला ने डॉ शशि की ‘भारतीय संविधान संस्कृति एवं रामराज्य’ पुस्तक पर चर्चा करते हुए कहा कि यह पुस्तक भारतीय साहित्य, संस्कृति,कला और इतिहास के प्रति अमूल्य योगदान है I
समारोह के मुख्य वक्ताओं में राज्य सभा के पूर्व सचिव डॉ. योगेन्द्र नारायण ने कहा कि डॉ. शशि का रोमाओं पर किया गया कार्य बेमिसाल अतुलनीय है I डॉ शशि की यायावर शोध यात्रा एक देश तक ही सीमित नहीं थी उन्होंने 80 से ज़्यादा देशों की यात्राएं की थी जो सब के लिए आसान नहीं होता है I
उन्होंने डॉ शशि के कार्य को एक जीवंत विरासत बताया, जो आने वाली पीढ़ियों को दिशा प्रदान करती रहेगी। इसी दौरान कार्यक्रम की विशेष प्रस्तुति रही ‘डीवाइन डाटरस् ऑफ़ फायर’ “Divine Daughters of Fire” पुस्तक का लोकार्पण – जिसे डॉ. शशि की पौत्री सुश्री संस्कृति सिंह ने अपने दादा की स्मृति को समर्पित करते हुए लिखा है।
डॉ योगेन्द्र ने आशीर्वाद दे कर, इस पुस्तक की प्रशंसा करते हुए युवा लेखिका का प्रोत्साहन तो किया ही, वहीं उम्मीद भी जताई की ‘लिगेसी’ की यात्रा जारी रहेगी I उन्होंने कहा कि महिलाएं आज परुषों से कम नहीं हैं बल्कि कई क्षेत्रों में तो वें परुषों से भी आगे हैं I युवा लेखिका संस्कृति ने भी अपनी पुस्तक की प्रेरणा, बाल्य अवस्था से वृधावस्था तक नारी-संघर्ष, और स्त्री-सशक्तिकरण पर अपने विचार साझा किए I
अनेक वक्ताओं में श्री नारायण कुमार ने डॉ. शशि के योगदान, यायावरी दृष्टिकोण, और आदिवासी संस्कृति पर उनके शोध को भावनात्मक श्रद्धांजलि के साथ स्मरण किया। कार्यक्रम के समापन में डॉ शशि के बचपन के मित्र श्री बी एल गौड ने शशि परिवार की ओर से सभी आमंत्रित अतिथियों का आभार व्यक्त किया I
कार्यक्रम में डॉ शशि की पत्नी श्रीमती लीलावती अपने पुत्र डॉ आलोक व परिवार सहित उपस्थित रहीं I गरिमामयी कार्यक्रम में डॉ हरी सिंह पाल, श्री अरुण पासवान प्रोफ़ेसर एस एस भाकरी, श्री राम मेहरोत्रा, सुश्री अनुभूति चतुर्वेदी, श्री दीनदयाल अग्रवाल, श्री योगेश श्री ज़मीर अनवर, व अनेक प्रबुद्ध श्रोतागण की उपस्थिति सराहनीय रही I कार्यक्रम का संचालन डॉ अमित जैन ने किया I
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