Lata didi's departure criedLata didi's departure cried

आखिर महामारी ने एक अनमोल भारत-रत्न हमसे छीन लिया। कोविड से संक्रमित होने के बाद वे करीब एक माह से मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती थीं। जिन लता मंगेशकर की वाणी में सरस्वती बसती थीं, उसी सरस्वती के दिन वसंत-पंचमी को वे वेंटिलेटर पर चली गईं। रविवार की सुबह उन्होंने आखिरी सांसें लीं। इस महान पार्श्व गायिका ने भारतीय फिल्म संगीत को नये आयाम दिये। तभी उन्हें ‘स्वर साम्राज्ञी’ व भारत की ‘सुर कोकिला’ जैसे न जाने कितने नाम से पुकारा जाता रहा। जिस लता को कभी औपचारिक शिक्षा का मौका नहीं मिला, उन्होंने 36 भारतीय भाषाओं में करीब आधी सदी तक हजारों गाने गाये। दरअसल, लता मंगेशकर के गाये गीत आम भारतीय के जीवन में रच-बस गये। उनके गाये गीतों को जहां संगीत विशेषज्ञों ने सराहा, वहीं आम आदमी उनसे सीधा जुड़ता रहा। उनकी आवाज की तुलना मोतियों तथा पारदर्शी क्रिस्टल से होती रही। उनके गाये गीतों ने करोड़ों भारतीयों के जीवन में खुशियां भरीं। भारत ही नहीं, पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में उन्हें वही सम्मान मिला। एक बार अमिताभ बच्चन से किसी पाकिस्तानी ने कहा- हम बहुत खुश हैं, सब कुछ है, मगर ताजमहल व लता मंगेशकर की कमी खलती है। उनके गाये गीत करोड़ों लोगों की जिंदगी का संगीत बने। तभी उनके निधन पर पूरा देश गमगीन है। दुनिया के तमाम देशों से उनके लिये श्रद्धांजलि संदेश आ रहे हैं।
लता मंगेशकर का जीवन शुरुआत से ही इतना सुखमय व सहज-सरल नहीं रहा। कामयाबी की ऊंचाइयां छूने से पहले उनका जीवन तकलीफ, तिरस्कार व संघर्ष भरा रहा। आर्थिक तंगी के बीच पिता दीनानाथ मंगेशकर का अवसान और पारिवारिक जिम्मेदारी का बोझ संभालना पड़ा लता को। शास्त्रीय संगीत विरासत में मिला, मगर वह दौर संगीत के जरिये घर चलाने लायक नहीं था। मराठी व हिंदी फिल्मों में मन मारकर अभिनय भी किया। अपनी आवाज को स्थापित करने के लिये बड़ा संघर्ष किया। गुलाम हैदर जैसे लोगों ने उन्हें समझाया कि पतली आवाज बताकर जो लोग आज तुम्हें खारिज कर रहे हैं, वे ही आने वाले कल में तुम्हारे मुरीद होंगे। लता को प्रेरित करने वाले गुलाम हैदर व नूरजहां कालांतर पाक चले गये, लेकिन उनकी भविष्यवाणी सच हुई। लता ने अपनी आवाज को संवारा, परिवार को उबारा और फिल्म संगीत की दुनिया में अपनी विशिष्ट जगह बनायी। निस्संदेह कल कई गायिकाएं आएंगी, लेकिन वे लता मंगेशकर नहीं हो सकतीं। सही मायनों में भारत रत्न! गीत के भाव और नजाकत को आवाज में पिरोने का हुनर सिर्फ लता के ही पास था। वर्ष 1989 में उन्हें दादा साहब फाल्के तथा 2001 में भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न मिला। मगर पुरस्कारों से बढ़कर वे करोड़ों भारतीयों के दिलों में राज करती रहीं। निस्संदेह लता मंगेशकर के सुरों के करिश्मे को शब्दों में बयां करना कठिन ही है। उन्हें सिर्फ गायिका या संगीत जगत का प्रतिनिधि चेहरा ही नहीं कहा जा सकता, बल्कि सही मायनों में वे भारतीयों के अवचेतन में रच-बस गई थीं। वे भारतीय काव्यधारा का हिस्सा थीं।

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