कहा- चुनावी स्वार्थ से प्रेरित बजट से जनहित संभव नहीं
लखनऊ 02 फरवरी (Final Justice Digital News Desk/एजेंसी)। बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने केन्द्रीय बजट 2025 पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसे चुनावी स्वार्थ से प्रेरित बताया। उन्होंने कहा कि यदि बजट केवल राजनीतिक लाभ को ध्यान में रखकर तैयार किया जाएगा, तो इससे व्यापक जनहित और देश की वास्तविक प्रगति संभव नहीं हो सकती।
बजट का उद्देश्य केवल आंकड़ों की बाजीगरी या बड़े-बड़े दावों तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि इसे गरीबों, मजदूरों, किसानों, दलितों, आदिवासियों, अन्य पिछड़े वर्गों और धार्मिक अल्पसंख्यकों के जीवन में सुधार लाने वाला होना चाहिए। जब तक बजट की प्राथमिकता में देश के मेहनतकश लोग और वंचित वर्ग नहीं होंगे, तब तक “विकसित भारत” का सपना अधूरा ही रहेगा।
उन्होंने बजट में घोषित 12 लाख रुपये तक की आयकर छूट पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार इस फैसले को बड़ी उपलब्धि के रूप में पेश कर रही है, लेकिन इसका लाभ केवल वेतनभोगी मध्यम वर्ग के एक छोटे समूह को ही मिलेगा। इस तरह की घोषणाएं जनता को भ्रमित करने के लिए की जाती हैं, जबकि वास्तविक जरूरत कर प्रणाली और जीएसटी व्यवस्था में व्यापक सुधार की है।
वर्तमान में कर ढांचा ऐसा है जिससे आम जनता को कोई राहत नहीं मिल रही है। खासतौर पर रोजमर्रा की जरूरतों की चीजों पर लगने वाले भारी-भरकम जीएसटी से जनता पहले से ही परेशान है। इस महंगाई के दौर में सरकार को ऐसी नीतियां बनानी चाहिए जिससे देश की विशाल आबादी को राहत मिल सके, लेकिन इसके बजाय सरकार केवल कुछ खास वर्गों को ध्यान में रखकर बजट तैयार कर रही है।मायावती ने भाजपा सरकार की नीतियों की आलोचना करते हुए कहा कि महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा और असुरक्षा जैसे गंभीर मुद्दे देश के सामने विकराल रूप में खड़े हैं, लेकिन सरकार इन मुद्दों की अनदेखी कर रही है।
इन समस्याओं का समाधान किए बिना देश की वास्तविक प्रगति संभव नहीं है। जब तक सरकार ईमानदारी से इन चुनौतियों से निपटने के लिए ठोस कदम नहीं उठाएगी, तब तक आम जनता का जीवन संघर्षपूर्ण बना रहेगा। चुनावी फायदे को ध्यान में रखकर बनाई गई योजनाओं से न तो देश का कल्याण होगा और न ही समाज में खुशहाली आएगी। महंगाई और बेरोजगारी जैसी समस्याओं को केवल वादों से नहीं मिटाया जा सकता, बल्कि इसके लिए जमीनी स्तर पर ठोस कार्यवाही जरूरी है।
मायावती ने बजट के आवंटन और उसके सही क्रियान्वयन पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि जितनी भी योजनाएं सरकार घोषित कर रही है, उनमें से कितनी योजनाएं वास्तव में जनता तक पहुंच रही हैं, यह एक बड़ा सवाल है। बजट का सही आकलन और उसके प्रभावी क्रियान्वयन की जिम्मेदारी सरकार की होती है, लेकिन आज भी जमीनी स्तर पर बहुत सारी योजनाएं केवल कागजों तक ही सीमित रह जाती हैं।
उन्होंने कांग्रेस के शासनकाल की याद दिलाते हुए कहा कि यह समस्या कोई नई नहीं है, बल्कि कांग्रेस के समय से ही बजट का सही तरीके से उपयोग न होने की समस्या बनी हुई है और यह आज भी जारी है। जब तक सरकार इस प्रवृत्ति से बाहर नहीं आएगी और योजनाओं को ईमानदारी से लागू नहीं करेगी, तब तक विकास दर और जीडीपी वृद्धि के तमाम दावे खोखले ही साबित होते रहेंगे।उन्होंने कहा कि बसपा जब भी सत्ता में रही, तब उसने “सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय” की नीति पर चलते हुए समाज के सभी वर्गों के कल्याण के लिए कार्य किया।
बसपा सरकार के कार्यकाल में गरीबी, बेरोजगारी और मजबूरी में होने वाले पलायन को रोकने के लिए कई ऐतिहासिक कदम उठाए गए थे, जिन्हें जनता आज भी याद करती है। उन्होंने केंद्र सरकार को सलाह दी कि उसे भी केवल राजनीतिक और चुनावी स्वार्थ से ऊपर उठकर बजट तैयार करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इसका लाभ वास्तव में जरूरतमंद लोगों तक पहुंचे।इसके अलावा, मायावती ने किसानों की समस्याओं पर भी सरकार को घेरा।
उन्होंने कहा कि किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य दिलाना सरकार की जिम्मेदारी है, लेकिन इस बजट में किसानों की मांगों को नजरअंदाज कर दिया गया है। किसान लगातार अपनी फसलों के लाभकारी मूल्य की मांग कर रहे हैं और इस मांग को लेकर बड़े आंदोलन भी हुए हैं, लेकिन सरकार ने इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया। उन्होंने कहा कि किसानों की समस्याओं को अनदेखा करना देश की कृषि व्यवस्था के लिए घातक साबित हो सकता है। उन्होंने सरकार से अपील की कि वह किसानों को दिए गए आश्वासनों को बिना किसी देरी के पूरा करे, ताकि देश के अन्नदाता को उसका हक मिल सके।
उन्होंने अंत में कहा कि केवल सरकारी वादों और घोषणाओं से लोगों का पेट नहीं भरा जा सकता। जनता को वास्तविक राहत तभी मिलेगी जब बजट का सही से उपयोग होगा और योजनाएं केवल कागजी दावों तक सीमित न रहकर वास्तव में जनता तक पहुंचेंगी। जब तक सरकार अपनी नीतियों को आमजन के हित में नहीं बदलेगी, तब तक देश में गैर-बराबरी और विषमता बनी रहेगी। एक खुशहाल और समृद्ध भारत का सपना तभी पूरा होगा जब सरकार केवल घोषणाओं तक सीमित रहने के बजाय जनता की समस्याओं का ठोस समाधान निकालेगी।
********************************
Read this also :-
मेरे हस्बैंड की बीवी का ट्रेलर रिलीज
इब्राहिम अली खान की डेब्यू फिल्म नादानियां का ऐलान