रांची 11 अपै्रल,(एजेंसी)। झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार के खिलाफ मंगलवार को रांची में सचिवालय का घेराव करने बढ़ रहे भाजपा कार्यकर्ताओं और समर्थकों पर पुलिस ने लाठी चार्ज किया है। इसमें कई कार्यकर्ताओं को चोटें आई हैं। कुछ मीडियाकर्मी भी घायल हुए हैं। प्रदर्शनकारियों ने प्रशासन द्वारा लगाए गए कई बैरिकेड को तोड़ दिया। उन्हें रोकने के लिए पुलिस ने वाटर कैनन से पानी की बौछारें की और आंसू गैस का भी इस्तेमाल किया। भाजपा कार्यकतार्ओं ने भी पुलिस पर खाली बोतलें फेंकी।
प्रदर्शन में दो केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा और अन्नपूर्णा देवी के अलावा झारखंड के सभी सांसद, विधायक भी शामिल हैं। हेमंत हटाओ झारखंड बचाओ के नारे के साथ पूरे प्रदेश से हजारों कार्यकर्ता धुर्वा के प्रभात तारा मैदान में इक_ा हुए। वहां से सचिवालय घेरने के लिए जुलूस की शक्ल में जब भाजपाई आगे बढ़े तो पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की। भाजपा सांसद सुनील सिंह और विधायक बिरंची नारायण बैरिकेडिंग तोड़ सचिवालय परिसर में पहुंच गये, जहां उन्हें हिरासत में लिया गया है। महिला मोर्चा की अध्यक्ष आरती कुजूर सहित सैकड़ों भाजपा कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया है।
बता दें कि झारखंड प्रदेश भाजपा ने राज्य की हेमंत सरकार पर भ्रष्टाचार, घोटाला और विभिन्न मोचरें पर विफलता का आरोप लगाते हुए आज सचिवालय घेरने का ऐलान किया था। इसके पहले रांची के धुर्वा स्थित प्रभात तारा मैदान में पूरे प्रदेश से आए हजारों कार्यकर्ता जुटे, जहां पार्टी के नेताओं ने उन्हें संबोधित किया। केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि राज्य की मौजूदा सरकार ने भ्रष्टाचार के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं।
केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने कहा कि राज्य सरकार के अत्याचार को बर्दाश्त करने को जनता अब तैयार नहीं। हम सब यहां संकल्प लें कि अब इस सरकार को लूट की छूट नहीं देंगे।
इस सरकार को झारखंड की धरती से उखाड़ फेंकना है। पूर्व सीएम रघुवर दास ने कहा कि तपती धूप में यह जनसैलाब बता रहा है कि हेमंत सोरेन सरकार की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। प्रदेश अध्यक्ष और सांसद दीपक प्रकाश, पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी, रघुवर दास, सांसद निशिकांत दुबे, विद्युत वरण महतो, बीडी राम, विधायक राज सिन्हा, जेपी पटेल, क्षेत्रीय संगठन मंत्री नागेंद्र, प्रदेश प्रभारी और सांसद लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने भी जनसभा को संबोधित किया।
जनसभा के बाद भाजपा के नेता-कार्यकर्ता सचिवालय की ओर बढ़े तो पुलिस ने उन्हें रोका और फिर संघर्ष शुरू हो गया। इस प्रदर्शन को देखते हुए प्रशासन ने सचिवालय और आसपास के क्षेत्रों में धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर रखी थी और रास्ते में जगह-जगह कैरिकेड लगाए गए थे।
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