Include these 6 yogasanas in the routine to reduce cholesterol levels

17.08.2022 – कोलेस्ट्रॉल हमारे शरीर के अन्दर बनने वाली फैट होती हैं जो कि दो तरह की होती हैं गुड कोलेस्ट्रॉल और दूसरा बैड कोलेस्ट्रॉल। शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल बढऩे पर हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या होने लगती हैं जो खून के परिसंचरण में परेशानी का कारण बनते हैं। कोलेस्ट्रॉल की वजह से आपको ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक और हार्ट फेलियर की समस्या का खतरा रहता है।इन समस्याओं से उभरने और कोलेस्ट्रॉल का लेवल घटाने के लिए योग का अभ्यास बहुत उपयोगी है। आज इस कड़ी में हम आपको कुछ ऐसे योगासन के बारे में बताने जा रहे हैं जो कोलेस्ट्रॉल का लेवल घटाने में मददगार साबित होंगे।

आइये जानते हैं इन योगासन के बारे में-:

चक्रासन

एक मध्यम श्रेणी का योगासन है जिसका नियमित अभ्यास शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने के लिए फायदेमंद माना जाता है।चक्रासन का अभ्यास करने के लिए सबसे पहले जमीन पर लेट जाएं। अपने घुटनों को मोड़ें और सुनिश्चित करें कि आपके पैर फर्श पर मजबूती से रखे हों। अपनी हथेलियों को अपने कानों के बगल में रखें, उँगलियाँ आगे की ओर। श्वास लें, अपनी हथेलियों और पैरों पर दबाव डालें और अपने पूरे शरीर को ऊपर उठाएं। अपने सिर को धीरे से पीछे गिरने दें और अपनी गर्दन को आराम से रखें।शरीर के वजन को अपने चार अंगों के बीच समान रूप से वितरित रखें।

पश्चिमोत्तासन

कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए योग की सूची में पश्चिमोत्तासन का नाम भी शामिल है। एक वैज्ञानिक शोध के अनुसार, मोटापा के कारण कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ता है और पश्चिमोत्तासन करने से मोटापा नियंत्रित हो सकता है। इसके लिए सबसे पहले जमीन पर पैरों को आगे की ओर फैलाकर बैठ जाएं। ध्यान रहे कि ऐसा करते वक्त घुटने सीधे रहें और पैर आपस में सटे हों। सिर, गर्दन और रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें। अब धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए आगे झुकें और हाथों से पैरों के अंगुठों को पकडऩे का प्रयास करें। ध्यान रहे कि घुटने मुड़ें नहीं। अब कुछ सेकंड इसी अवस्था में बने रहने का प्रयास करें और धीरे-धीरे सांस लेते रहें। इसके बाद एक गहरी सांस लेते हुए सीधे हो जाएं।

सर्वांगासन

का नियमित अभ्यास करने से कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम करने में फायदा मिलता है। इसके लिए लिए सबसे पहले पीठ के बल लेटें। इसके बाद दोनों हाथों को शरीर के बगल में रखें। अब अपने पैरों को जमीन से ऊपर की तरफ उठायें और सीधा करें। इसके बाद अपने पेल्विक को जमीन से ऊपर की तरफ उठाएं। कंधे, सिर, पेल्विक और पैरों को एक सीधी रेखा में रखें। शोल्डर यानी कंधे के सहारे उल्टा जमीन पर खड़े होने की मुद्रा में रहें।

अर्धमत्स्येन्द्रासन

अगर किसी का कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ा हुआ है, तो हाई कोलेस्ट्रॉल के इलाज के लिए योग का भी सहारा ले सकते हैं। चयापचय दर बेहतर होने से नुकसानदायक कोलेस्ट्रॉल कम हो सकता है। इसे करने के लिए पैरों को सामने की ओर सीधा फैलाकर बैठ जाएं। अब अपने दाएं घुटने को मोड़ते हुए बाएं पैर के घुटने के साइड में बाहर की ओर रखें। फिर बाएं घुटने को मोड़ते हुए, बाईं एड़ी को दाएं कूल्हे के नीचे रखें। ध्यान रहे कि इस स्थिति में रीढ़ की हड्डी सीधी रहे। अब बाईं बाजू को दाएं घुटने के बाहर रखते हुए दाएं टखने को पकडऩे का प्रयास करें। फिर गर्दन और कमर को दाहिनी ओर घुमाएं। कुछ सेकंड के लिए इसी स्थिति में बने रहें। बाद में इस प्रक्रिया को दूसरी तरफ से भी दोहराएं।

वज्रासन

का अभ्यास सेहत के लिए बहुत उपयोगी होता है। शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कंट्रोल में रखने के लिए इस तरीके से वज्रासन का अभ्यास करें। इसके लिए सबसे पहले दण्डासन की मुद्रा में बैठें। अब अपने हाथों को अपने कूल्हों के पास रखें। अब अपने दांए पैर को मोड़ें और दाएं कूल्हे के नीचे रखें और फिर अपना बांया पैर मोड़कर बांए कुल्हे के नीचे रखें। सुनिश्चित करें कि आपकी जांघे सटी हुई हों और आपके अंगूठे आपस में जुड़े हुए हों। अब अपने हाथों को घुटनों पर रखें। सुनिश्चित करें कि आपकी ठोड़ी आपके समानान्तर हो। अपना मेरूदंड सीधा रखें और शरीर को ढीला छोड़ें। अब सामान्य रूप से सांस लें और छोड़ें। और कुछ देर तक आराम से रहें।

शलभासन

कोलेस्ट्रॉल को कम करने और संतुलित रखने के लिए बहुत फायदेमंद योगासन है। इसके लिए सबसे पहले पेट के बल लेट जाएं। अपने दोनों पैरों को सीधा रखें और अपने पैर के पंजों को बाहर की ओर फैलाएं। अब अपने दोनों हाथों से मुट्ठी बनाकर जांघों के नीचे दबा लें। फिर सिर और मुंह को सीधा रखें और सामने की ओर देखें। अब गहरी सांस लेते हुए दोनों पैरों को जमीन से ऊपर उठाने की कोशिश करें। ध्यान रहे कि घुटनों को न मोड़ें। जितना संभव हो पैरों को अधिकतम ऊंचाई तक ले जाएं। जब तक संभव हो इसी स्थिति में बने रहने का प्रयास करें। समय पूरा होने पर धीरे-धीरे अपनी सांस छोड़ते हुए पैरों को नीचे लाते हुई अपनी प्रारंभिक स्थिति में वापस आएं। इस अभ्यास को एक बार में करीब तीन से चार बार दोहराएं।

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