20 year old weightlifter Achinta Shuli won gold medal in weightlifting

भारत को मिला छठा मेडल

बर्मिघम ,01 अगस्त (एजेंसी) । भारत के 20 वर्षीय भारोत्तोलक अचिंता शुली ने राष्ट्रमंडल खेलों 2022 में पुरुषों के 73 किग्रा वर्ग में स्वर्ण पदक जीतकर बर्मिघम के एनईसी हॉल नंबर 1 में कुल 313 किग्रा का नया खेल रिकॉर्ड हासिल किया। उन्होंने स्नैच में 143 किग्रा और क्लीन एंड जर्क में 170 किग्रा भार उठाकर मलेशिया के एरी हिदायत मुहम्मद से आगे निकल गए। उन्होंने कुल 303 किग्रा के साथ रजत पदक जीता, जबकि कनाडा के एस। डार्सिग्नी ने कुल 298 किग्रा के साथ कांस्य पदक जीता।शुली का स्वर्ण यहां 2022 के राष्ट्रमंडल खेलों में भारत का तीसरा और भारोत्तोलन में आने वाला कुल छठा पदक है। पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले की 20 वर्षीय पूर्व दर्जी शेउली 73 किग्रा में पसंदीदा थी और उसने 143 किग्रा भार उठाकर स्नैच वर्ग से ही बढ़त बना ली। क्लीन एंड जर्क में उन्होंने अपने पहले प्रयास में 165 किग्रा के साथ शुरुआत की, जिसने उन्हें मलेशियाई से 1 किग्रा आगे रखा।भारतीय युवा खिलाड़ी अपने दूसरे प्रयास में 170 किग्रा भार उठाने में विफल रहा और तीसरे प्रयास में उसने अपना कुल 313 किग्रा वजन उठाया, जो राष्ट्रमंडल खेलों का रिकॉर्ड है। मलेशिया के मुहम्मद ने भारतीय को पछाडऩे के लिए 175 किग्रा भार उठाने का एक हताश, लेकिन निर्थक प्रयास किया, लेकिन दो प्रयासों में सफल नहीं हुए, जिससे शुली को स्वर्ण पदक मिला।

*****************************************

इसे भी पढ़ें : मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लिनिक योजना

इसे भी पढ़ें : आबादी पर राजनीति मत कीजिए

इसे भी पढ़ें : भारत में ‘पुलिस राज’ कब खत्म होगा?

इसे भी पढ़ें : प्लास्टिक मुक्त भारत कैसे हो

इसे भी पढ़ें : इलायची की चाय पीने से मिलते हैं ये स्वास्थ्य लाभ

तपती धरती का जिम्मेदार कौन?

मिलावटखोरों को सजा-ए-मौत ही इसका इसका सही जवाब

जल शक्ति अभियान ने प्रत्येक को जल संरक्षण से जोड़ दिया है

इसे भी पढ़ें : भारत और उसके पड़ौसी देश

इसे भी पढ़ें : चुनावी मुद्दा नहीं बनता नदियों का जीना-मरना

इसे भी पढ़ें : *मैरिटल रेप या वैवाहिक दुष्कर्म के सवाल पर अदालत में..

इसे भी पढ़ें : अनोखी आकृतियों से गहराया ब्रह्मांड का रहस्य

इसे भी पढ़ें : आर्द्रभूमि का संरक्षण, गंगा का कायाकल्प

इसे भी पढ़ें : गुणवत्ता की मुफ्त शिक्षा का वादा करें दल

इसे भी पढ़ें : अदालत का सुझाव स्थाई व्यवस्था बने

इसे भी पढ़ें : भारत की जवाबी परमाणु नीति के मायने

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *