Commission confused on deployment of central forces DIG

*कहा-केद्रीय बलों पर किसी भी तरह का दोष मढऩा निराधार है*

कोलकाता 09 जुलाई ,(एजेंसी)। बंगाल के पंचायत चुनाव में जमकर हिंसा का ताण्डव होने और इस दौराल 18 लोगों की मौत की घटना ने एक बार फिर बंगाल को खबरों में ला दिया है और हिंसा की घटनाओं को लेकर सवाल भी उठ रहे हैं। ऐसे में आज केंद्रीय बलों के कोऑर्डिनेशन के लिए नियुक्त किए गए बीएसएफ के डीआईजी एसएस गुलेरिया ने बताया कि उन्हें मतदान के पहले तक केंद्रीय बलों की तैनाती के लिए विस्तृत जानकारी बार-बार मांगने के बावजूद दी ही नहीं गई थी। केद्रीय बलों पर किसी भी तरह का दोष मढऩा निराधार है। डीआईजी गुलेरिया ने कहा कि जहां भी केंद्रीय बलों की तैनाती थी, वहां किसी तरह की कोई हिंसा नहीं हुई। किसी ने हिंसा की कोशिश भी की तो हमने उसे पूरी तरह से बेअसर कर दिया।

जहां भी मारपीट और हत्या की घटनाएं हुई हैं वहां केंद्रीय बलों की तैनाती ही नहीं थी। उन्होंने बताया कि पांच जून से ही बीएसएफ की ओर से लगातार राज्य के चुनाव आयुक्त राजीव सिन्हा को पत्र लिखे जा रहे थे और संवेदनशील मतदान केंद्रों की जानकारी मांगी जा रही थी। कहां-कहां केंद्रीय बलों को तैनात किया जाना है उसकी भी पूरी जानकारी मांगी जा रही थी, लेकिन अंतिम समय तक केवल मतदान केंद्रों की संख्या और किस जिले में कितने मतदान केंद्र हैं यह बताया गया। लोकेशन क्या है, मतदान केंद्र का नाम क्या है, कहां कितनी संख्या में केंद्रीय बलों को भेजा जाना है, इस बारे में विस्तार से कोई जानकारी नहीं मिली। ऐसे में बलों की तैनाती पर संशय के बादल छाए रहे। एक तरह से हमें भ्रमित किया गया।

गुलेरिया ने बताया कि चुनाव आयोग ने कहा कि जिला प्रशासन आप लोगों की तैनाती करेगा, लेकिन जब हम लोग वहां पहुंचे तो हमें केवल बता दिया गया कि कहां कितने लोगों को लेकर जाना है। हमें इसकी कोई विस्तृत सूची नहीं मिली। राज्य सरकार और चुनाव आयोग की ओर से केंद्रीय बलों की देर से तैनाती के लगाए गए आरोपों के जवाब में गुलेरिया ने कहा कि जब हमारे बार-बार आवेदन के बावजूद हमें विस्तार से तैनाती के लिए लोकेशन के बारे में नहीं बताया गया तो देरी किस की ओर से हुई यह समझा जाना चाहिए। जवान तो राज्य में पहले से ही मौजूद थे। अगर वाकई में जवानों की तैनाती को लेकर चुनाव आयोग गंभीर था तो विस्तृत तौर पर लिखित में बार-बार मांगने के बावजूद हमें जानकारी क्यों नहीं दी गई।

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