Yogi Adityanath took oath as CM for the second timeYogi Adityanath took oath as CM for the second time

नई दिल्ली ,25 मार्च (आरएनएस)। योगी आदित्यनाथ ने दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है. पूर्ण बहुमत से जीतने पर भी सरकार के गठन में दो हफ्ते का समय लगा और मंत्रियों के नामों को देखकर यह बात साफ हो गई कि आखिर इसमें इतनी देर क्यों हो रही थी.

लखनऊ के इकाना स्टेडियम, जिसका नाम अब अटल बिहारी वाजपेयी स्टेडियम हो गया है, में गुरुवार को योगी आदित्यनाथ ने दो उप मुख्यमंत्रियों समेत 52 मंत्रियों के साथ मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. दस मार्च को चुनाव परिणाम आने के बाद से ही ये कयास लगाए जा रहे थे कि इस बार योगी आदित्यनाथ की सरकार में दो डिप्टी सीएम होंगे या नहीं और होंगे तो कौन होंगे?

इन सब कयासों पर से आज पर्दा उठ गया. केशव प्रसाद मौर्य को विधानसभा चुनाव हारने के बावजूद दोबारा उप मुख्यमंत्री बनाया गया जबकि पिछले उप मुख्यमंत्री डॉक्टर दिनेश शर्मा को हटाकर उनकी जगह ब्रजेश पाठक को उप मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया है. ब्रजेश पाठक लखनऊ की कैंट विधानसभा सीट से विधायक चुने गए हैं और पिछली योगी सरकार में कानून मंत्री रहे हैं.

सहयोगी दलों को भी कैबिनेट में जगह योगी मंत्रिमंडल में पीएमओ में कार्यरत रहे पूर्व आइएएस अधिकारी अरविंद कुमार शर्मा को भी जगह दी गई है जबकि बीजेपी की सहयोगी पार्टी अपना दल एस के विधायक आशीष पटेल और निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद को भी कैबिनेट मंत्री बनाया गया है. विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उत्तराखंड के राज्यपाल पद से इस्तीफा देने वाली बेबी रानी मौर्य को भी कैबिनेट मंत्री बनाया गया है.

पिछली बार उप मुख्यमंत्री रहे डॉक्टर दिनेश शर्मा के साथ ही श्रीकांत शर्मा, सतीश महाना, रमापति शास्त्री, जयप्रताप सिंह, सिद्धार्थनाथ सिंह और आशुतोष टंडन जैसे कई हाईप्रोफाइल नेताओं को इस बार योगी कैबिनेट में जगह नहीं मिल सकी है. सबसे ज्यादा चौंकाने वाला नाम पिछली योगी सरकार में ऊर्जा मंत्री रहे श्रीकांत शर्मा का है जो मथुरा से लगातार दूसरी बार एक लाख से भी ज्यादा मतों से जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं.

पांच साल सत्ता में रहने के बाद भी कैसे जीत गई बीजेपी योगी सरकार में फिलहाल 18 कैबिनेट मंत्री, 14 राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और बीस राज्यमंत्री बनाए गए हैं. मंत्रिपरिषद में जातीय समीकरणों को खास तवज्जो दी गई है और मंत्रियों के नाम देखकर यह भी साफ पता चल रहा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अलावा इसमें केंद्रीय नेतृत्व की पसंद को भी खासा महत्व मिला है.

केंद्रीय नेतृत्व की पसंद का भी ध्यान विधानसभा चुनाव हारने के बावजूद केशव प्रसाद मौर्य को डिप्टी सीएम बनाया जाना और अरविंद कुमार शर्मा को कैबिनेट में शामिल करना इसके सबसे बड़े उदाहरण हैं. अरविंद कुमार शर्मा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खास पसंद होने के बावजूद योगी आदित्यनाथ ने पिछली बार उन्हें अपनी कैबिनेट में जगह नहीं दी, यहां तक कि राज्यमंत्री भी नहीं बनाया था.

इस बार उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाए जाने के पीछे यह माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ऊपर एक बार फिर उन्हें कैबिनेट में शामिल करने का दबाव था जिसे वो इनकार नहीं कर सके.

*************************************************

इसे भी पढ़ें : पत्रकार ऐसे होते हैं

इसे भी पढ़ें : गाँव की माटी की सुगंध,मिट्टी कैसी होती है? फसल कैसे होते है?

इसे भी पढ़ें : अभिषेक बच्चन की दसवीं का ट्रेलर रिलीज, जाट नेता के रोल में

इसे भी पढ़ें : महेश बाबू की बेटी सितारा ने रखा फिल्मी दुनिया में कदम

इसे भी पढ़ें : संकटकाल में नयी चाल में ढला साहित्य

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *