*फूल और अन्य प्राकृतिक चीजों से पलाश समूह की महिलाएं बनाती हैं हर्बल गुलाल
*हर्बल पलाश गुलाल बना बेहतर विकल्प
*गुलाल बन रहा ग्रामीण महिलाओं के आर्थिक स्वावलम्बन में सहायक
*उपायुक्त नैन्सी सहाय ने भी की महिला समूह के प्रयास की सराहना
हजारीबाग (दिव्या राजन) – हजारीबाग जिले के दारू प्रखंड अन्तर्गत पेटो गांव की महिलाएं समूह से जुड़कर प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल कर हर्बल गुलाल बना रही हैं। इस हर्बल गुलाल तैयार करने में प्राकृतिक फल एवं फूलों का इस्तेमाल किया जा रहा है। जैसे पालक, पलाश का फूल, गेंदा फूल, गुलाब फूल, बीट, जैस्मिन तेल, अरारोट, चंदन और मुल्तानी मिट्टी का इस्तेमाल कर हर्बल गुलाल तैयार किया जाता है।
यह गुलाल पूरी तरह ऑर्गेनिक एवं केमिकल रहित है जो शरीर की त्वचा एवं आंखों को नुकसान नहीं पहुंचाता।साथ ही इसमें प्रयोग किये जाने वाले ब्यूटी प्रोडक्ट जैसे जैस्मिन तेल, चंदन, मुल्तानी मिट्टी आदि त्वचा के लिए फायदेमंद हैं। यह हर्बल गुलाल के रूप में महिला समूह के द्वारा तैयार अबीर जेएसएलपीएस के पलाश मार्ट में उपलब्ध है। ऐसे तैयार किया जाता है गुलाल झारखण्ड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाईटी के जिला कार्यक्रम प्रबंधक शांति मार्डी ने बताया समूह की महिलाएं, विभिन्न प्रकार के फूल-पत्ती और फलों को सबसे पहले गर्म पानी में उबालकर मिक्सर में पीसकर इसका मिश्रण तैयार करती हैं। फिर अरारोट के आटे में मिलाकर इसे अच्छी तरह से गूंथती हैं और फिर इसे फैलाकर सुखाती हैं। इसके बाद इसे अच्छी प्रकार से पीसा जाता हैं। इसके बाद उसमें चंदन, नायसिल पाउडर और थोड़ा सा नेचुरल परफ्यूम मिलाकर इससे हर्बल गुलाल तैयार किया जा रहा है।
गुलाल तैयार होने के बाद इसे आकर्षक पैकेट में पैकेजिंग कर जेएसएलपीएस के विभिन्न स्थानों पर स्थापित क्रय केन्द्र पलाश मार्ट में बिक्री के लिए भेजा जाता है। डेढ़ सौ ग्राम वजन के हर्बल गुलाल के पैकेट की कीमत 90 रूपया निर्धारित है। लॉट में खरीदारी के लिए इन क्रय केंद्रों में ऑर्डर भी लिया जाता है। ग्रामीण महिलाओं को मिल रहा प्रशिक्षण व रोजगार ग्रामीण सेवा केन्द्र दारू की अध्यक्ष राखी देवी बताती हैं कि हर्बल रंगों के निर्माण में प्राकृतिक उत्पादों के अलावे तुलसी और लेमन ग्रास के तेल का भी उपयोग किया जाता है।
पलाश ब्रांड के अन्तर्गत हमारे द्वारा निर्मित अबीर गुलाल विगत चार वर्षो से बाजार में आमलोगों के लिए उलपब्ध कराया जा रहा है, जिसे लोगों काफी पंसद कर रहे हैं। त्योहर के अलावे वर्ष के शेष महीनों में भी कई तरह के उत्पादों का प्रोसेस कर बाजार में उपलब्ध कराया जाता है। जिससे महिलाओं को जीविकोपार्जन हेतु रोजगार के साथ आर्थिक संबलता मिल रही है।
उपायुक्त नैन्सी सहाय ने महिला समूह के इस प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि हर्बल गुलाल पूर्णता प्रकृति से प्राप्त फल, फूल आदि एवं केमिकल रहित उत्पादों से निर्मित है। इस प्राकृतिक गुलाल की मांग राज्य स्तर से भी होने लगी है, इस वर्ष में बड़े पैमान पर संलग्न महिलाओं द्वारा उत्पाद तैयार किया जा रहा है। इसके माध्यम से कई महिलाओं रोजगार के साथ आर्थिक समृद्धि प्राप्त होने लगी है।
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