Wives shared three days a week to be with their husbands

ग्वालियर,15 मार्च (एजेंसी)। ग्वलियर में एक रोचक मामला सामने आया है। कुटुंब न्यायालय में केस पहुंचने से पहले ही काउंसलर ने दोनों पत्नियों के बीच सुलाह करा दी। पत्नियों ने पति के साथ रहने के लिए हफ्ते के तीन-तीन दिन आपस में बांट लिए। रविवार को पति की छुट्टीरहेगी। वह अपनी इच्छा के अनुसार कहीं भी रुक सकता है। पत्नियों का प्रतिबंध नहीं रहेगा।

दोनों पत्नियों के साथ पति रह सके, उसके लिए गुरुग्राम में दोनों को एक-एक फ्लैट दिया गया है। पति-पत्नी के बीच सुलह कराने के लिए कुटुंब न्यायालय के काउसंलर हरीश दीवान व उनकी पत्नी बबीता दीवान ने पांच बार काउंसलिंग की। सुलह के लिए दोनों के बीच यह रास्ता निकाला गया। दरअसल रुचि (परिवर्तित नाम) का विवाह 2018 में हुआ था।

पति गुरुग्राम में मल्टीनेशनल कंपनी में साफ्टवेयर इंजीनियर है। वेतन के रूप में उसे मोटी रकम मिलती थी। रुचि दी साल तक पति के साथ रही। उनका एक बच्चा भी था। 2020 में रुचि को उसका पति ग्वालियर छोड़ गया, उसके साथ नहीं ले गया। लौटकर पति कंपनी में साथ काम करने वाली महिला कर्मचारी के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहने लगा और उसके बाद उससे विवाह कर लिया।

दूसरी पत्नी से भी एकबच्ची हो गई। जब पति पहली पत्नी को गुरुग्राम साथ लेकर नहीं जा रहा था, तब उसने पूरी हकीकत वहां पहुंचकर पता की। गुरुग्राम में पति की दूसरी पत्नी का पर्दाफाश हुआ। इसके बाद रुचि का पति के साथ विवाद होने लगा।

रुचि अपने व लड़के के लिए भरण पोषण लेने का केस दायर करने कुटुंब न्यायालय में पहुंच गई। कुटुंब न्यायालय में काउंसलर हरीश दीवान से मुलाकात हुई और उन्होंने इस केस की काउंसलिंग की।

पत्नी को समझाया कि भरण पोषण में पांच से छह हजार रुपये ही मिलेंगे, पति के साथ रहने का प्रयास करें। उसके बाद मोबाइल से पति से बात की। पति की कानूनी पेंचीदगी व परेशानियों के बारे में बताया गया।

वह पत्नी के साथ काउंसलिंग में शामिल हो गया। कानूनी पेंचीदगी को देखते हुए पत्नी को साथ रखने के लिए पति तैयार हो गया।

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