When there is a Prime Minister like you then why worry, the workers who came out safely from the tunnel expressed their heartfelt feelings to the PM.

नई दिल्ली 30 Nov, (एजेंसी)- उत्तरकाशी में सिलक्यारा सुरंग में 17-18 दिन तक चली त्रासदी में भी धैर्य और जज्बे की अद्भुत मिसाल पेश करने वाले 41 श्रमिकों का यह भरोसा कभी नहीं कम हुआ कि वे सुरक्षित बाहर नहीं निकल सकेंगे। इन श्रमिकों में उत्तराखंड के गब्बर सिंह नेगी भी थे, जो दुस्वप्न के इस दौर में मुसीबत में फंसे अपने साथियों का नेतृत्व भी करते रहे।

जब इन श्रमिकों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से फोन पर बात की तो नेगी ने उनसे कहा कि जब आप जैसे हमारे प्रधानमंत्री हैं, जो दूसरे देशों से मुसीबत में फंसे भारतीयों को सुरक्षित वापस ले आए तो हम तो अपने ही देश में थे। हमारे लिए चिंता की कोई बात ही नहीं थी। सुरंग में फंसे रहे 41 श्रमिकों के लिए वे क्षण भी यादगार बन गए जब उन्होंने अपनी आपबीती प्रधानमंत्री को सुनाई।

श्रमिकों ने बताया कि किस तरह सुरंग के भीतर सुबह की सैर और योग ने उन्हें शारीरिक रूप से स्वस्थ रखने के साथ ही मानसिक मजबूती भी दी। सभी श्रमिकों ने अभूतपूर्व और अनवरत मदद-चिंता के लिए केंद्र और उत्तराखंड सरकार, खासकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और केंद्रीय सड़क परिवहन राज्य मंत्री जनरल (रि.) वीके सिंह का शुक्रिया अदा किया, जिन्होंने फंसे श्रमिकों की हर पल फिक्र की।

खुद पीएम ने वीके सिंह का नाम लेते हुए कहा कि वह न केवल लगभग लगातार वहां रहे, बल्कि अपनी सैन्य पृष्ठभूमि के कारण कठिन स्थितियों से जूझने और स्थिति संभालने का बेहतरीन जज्बा भी दिखाया। पीएम ने भी धामी की खास तौर पर तारीफ की। कठिन समय बीतने के बाद तनावमुक्त नजर आ रहे पीएम ने बातचीत की शुरुआत करते हुए कहा,

मैं आप सभी को सुरक्षित बाहर आने पर बधाई देता हूं। यह बदरीनाथ बाबा और केदारनाथ भगवान की कृपा है कि आप इतने दिनों तक खतरे में रहने के बाद सभी सुरक्षित निकल सके। मैं अपनी खुशी बयान नहीं कर सकता। अगर कुछ खराब हो जाता तो हम इसे कैसे सहन कर पाते। 17 दिन कम नहीं होते। आप सभी ने अद्भुत साहस दिखाया है और एक-दूसरे का हौसला बढ़ाया है।

पीएम ने कहा कि वह लगातार बचाव अभियान पर नजर रख रहे थे। सीएम धामी ने उन्हें पल-पल की जानकारी दी। पीएमओ के अफसर भी वहां थे, लेकिन केवल खबर पाने से चिंता कम नहीं हो जाती। बिहार के श्रमिक सबा अहमद ने पीएम को बताया, हम सब अंदर भाइयों की तरह रहे। हम सुरंग के भीतर टहलने के लिए जाते, क्योंकि हमारे पास कोई और काम नहीं था। हमने योग का भी सहारा लिया।

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