इससे ऊपर कोई अथॉरिटी नहीं
नई दिल्ली ,22 अपै्रल(Final Justice Digital News Desk/एजेंसी)। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की सुप्रीम कोर्ट पर विवादित टिप्पणी के बीच उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का बड़ा बयान सामने आया है।
उपराष्ट्रपति ने संविधान में निर्धारित भारतीय सरकार के ढांचे के भीतर न्यायपालिका के अधिकार क्षेत्र पर एक बार फिर सवाल उठाया है। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने संसद और सुप्रीम कोर्ट की शक्ति को लेकर एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि सबसे सर्वोच्च संसद ही है, उससे ऊपर कोई अथॉरिटी नहीं है।
उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए है क्योंकि संसद में जो सांसद चुनकर आते हैं वो आम जनता का प्रतिनिधित्व करते हैं। सांसद ही सबकुछ होते हैं, इनसे कोई ऊपर कोई नहीं होता।
जगदीप धनखड़ ने ये बातें मंगलवार को दिल्ली विश्वविद्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कहीं। इस दौरान उन्होंने सुप्रीम कोर्ट पर अपने पिछले हमलों की आलोचना पर भी पलटवार किया और कहा कि किसी संवैधानिक पदाधिकारी (खुद के बारे में) द्वारा बोला गया हर शब्द सर्वोच्च राष्ट्रीय हित से निर्देशित होता है।
उन्होंने कहा कि संविधान कैसा होगा और उसमें क्या संशोधन होने हैं, यह तय करने का पूरा अधिकार सांसदों को है। उनके ऊपर कोई भी नहीं है। उपराष्ट्रपति का यह बयान तब आया है जबकि सुप्रीम कोर्ट को लेकर की गई उनकी टिप्पणी का एक वर्ग आलोचन भी कर रहा है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि लोकतंत्र में संसद ही सुप्रीम है। संवैधानिक पद पर बैठा हर व्यक्ति का बयान राष्ट्र के हित में होता है। निर्वाचित प्रतिनिधि तय करते हैं कि संविधान कैसा होगा। उनके ऊपर कोई और अथॉरिटी नहीं हो सकती।
सुप्रीम कोर्ट पर सार्वजनिक रूप से किए गए अनुचित हमलों में संविधान की प्रस्तावना के बारे में दो अलग-अलग ऐतिहासिक फ़ैसलों में
विरोधाभासी बयानों के लिए आलोचना शामिल थी – 1967 का आईसी गोलकनाथ मामला और 1973 का केशवानंद भारती मामला। धनखड़ ने 1975 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल के दौरान अदालत की भूमिका पर भी सवाल उठाए।
उन्होंने कहा कि एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने प्रस्तावना संविधान का हिस्सा नहीं है। दूसरे मामले में एससी ने कहा कि यह संविधान का हिस्सा है। लेकिन संविधान के बारे में कोई संदेह नहीं होना चाहिए। चुने हुए प्रतिनिधि ही संविधान के अंतिम स्वामी होंगे। उनसे ऊपर कोई अथॉरिटी नहीं हो सकता।
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